यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ फेमली एंड हेल्थ वेलफेयर ऑफ इंडिया (Union Ministry of Family and Welfare of India) द्वारा पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार भारत के रूरल एरिया में इसी साल यानी जनवरी 2021 में 9.3 प्रतिशत सीनियर सिटीजन डायबिटीज की समस्या से डायग्नोस हुए हैं। इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के 11.5 प्रतिशत लोगों में डायबिटीज की समस्या भी रजिस्टर की गई है। अब ऐसी स्थिति में डायबिटीज कंट्रोल (Diabetes control) यानी इन्सुलिन कंट्रोल (Insulin control) कैसे किया जाए, जिससे ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस रखने में मदद मिल सकती है। आज इस आर्टिकल में डायबिटीज पेशेंट के लिए इन्सुलिन कंट्रोल से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हम आपके लिए लेकर आएं। आर्टिकल की शुरुआत इन्सुलिन क्या है और इन्सुलिन कंट्रोल नैचुरल (Natural Insulin control) तरीके से कैसे किया जाए इस बारे में समझेंगे।
इन्सुलिन (Insulin) क्या है?
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इन्सुलिन ब्लड में शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस रखने में सहायक होता है। दरअसल खाद्य पदार्थों के सेवन के बाद पैंक्रियाज ब्लड में इन्सुलिन हॉर्मोन का निर्माण करता है। इन्सुलिन ग्लूकोज को ब्लड की सहायता से सेल्स तक पहुंचने में मददगार होता। अगर इन्सुलिन प्रॉडक्शन किसी भी कारण से इम्बैलेंस हो जाए, तो व्यक्ति डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हो सकता है। इन्सुलिन कंट्रोल करने लिए इन्सुलिन इंजेक्शन (Injection for Insulin control) की मदद ली जा सकती है, जिससे ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल हो जाती है। शरीर में इन्सुलिन (Insulin) का मुख्य काम शरीर को ऊर्जा (Energy) प्रदान करना होता है। बॉडी में इन्सुलिन हॉर्मोन कम होने पर कई शारीरिक परेशानी शुरू हो सकती हैं।
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बॉडी में इन्सुलिन इम्बैलेंस के लक्षण क्या हो सकते हैं? (Symptoms of Insulin imbalance)
जब किसी भी कारण से इन्सुलिन लेवल कम या ज्यादा हो जाए, तो इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं। जैसे:
बॉडी में इन्सुलिन लेवल कम होने के लक्षण (Symptoms of Low insulin level)
- दिल की धड़कन अनियमित (Irregular Heartbeat) होना।
- थकान (Fatigue) महसूस होना।
- स्किन का रंग हल्का पड़ना।
- हांथ कांपना (Shakiness)।
- एंग्जायटी (Anxiety) महसूस होना।
- जरूरत से ज्यादा पसीना आना।
- भूख (Hunger) लगना।
- चिड़चिड़ापन महसूस होना।
- होंठ, जीभ या गाल का सुन्न (Numbness) पड़ना।
इन्सुलिन कम होने पर ये लक्षण महसूस हो सकते हैं, वहीं अगर बॉडी में इन्सुलिन लेवल बढ़ जाए, तो इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं।
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बॉडी में इन्सुलिन लेवल ज्यादा होने पर लक्षण (Symptoms of high insulin level)
- बार-बार एवं तेज भूख लगना।
- मीठा खाने की इच्छा होना।
- शरीर का वजन बढ़ना (Weight gain) और कमर के पास ज्यादा फैट बढ़ना।
- थकान (Fatigue) महसूस होना।
- किसी भी काम पर ध्यान फोकस करने में परेशानी होना।
- एंग्जायटी (Anxiety) या पैनिक (Panic) महसूस होना।
इन्सुलिन लेवल कम या ज्यादा होने पर ऐसे लक्षण महसूस किये जा सकते होते हैं। ऐसी स्थिति में इन्सुलिन कंट्रोल (Insulin control) में रखना बेहद जरूरी है। आर्टिकल में आगे जानेंगे नैचुरल तरीके से इन्सुलिन कंट्रोल करने से जुड़ी जानकारी।
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नैचुरल तरीके से इन्सुलिन कंट्रोल कैसे करें? (Tips to control insulin naturally)
नैचुरल तरीके से इन्सुलिन निम्नलिखित तरह से कंट्रोल की जा सकती है। जैसे:
1. लो कार्ब डायट (Low-Carb Diet)
डायबिटीज पेशेंट इन्सुलिन कंट्रोल करने के लिए लो कार्ब डायट फॉलो कर सकते हैं। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिशड रिपोर्ट के अनुसार कार्ब्स (Carbs), प्रोटीन (Protein) एवं (Fat) फैट इन्सुलिन लेवल को इम्बैलेंस करने में सक्षम होते हैं। इसलिए इन्सुलिन कंट्रोल में रखने के लिए लो करब डायट फॉलो करना आवश्यक माना जाता है। लो कार्ब डायट फॉलो करने से इन्सुलिन कंट्रोल करने के साथ-साथ मोटापा (Obesity), मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) एवं पीसीओएस (PCOS) जैसी तकलीफों से भी बचा जा सकता है।
2. सेब का सिरके (Apple Cider Vinegar)
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार खाना खाने के बाद सेब के सिरके का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। हालांकि सेब के सिरके के सेवन से पहले डॉक्टर से एक बार कंसल्ट जरूर करें और सेब के सिरके की मात्रा कितनी होनी चाहिए ये भी समझें। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार हाय कार्ब्स फूड में सेब के सिरके के साथ सेवन करने से इन्सुलिन कंट्रोल करने में मदद मिल सकती है।
3. प्रोटीन की मात्रा (Portion Sizes)
डायबिटीज पेशेंट इन्सुलिन कंट्रोल करने के लिए रोजाना डायट में लिए जाने वाले प्रोटीन की मात्रा खास भूमिका निभा सकती है। अगर इसे सामान्य शब्दों में समझें, तो जिन खाद्य पदार्थों का सेवन हम रोजाना करते हैं, उससे ही पैंक्रियाज (Pancreas) इन्सुलिन का प्रॉडक्शन करता है। इसलिए प्रोटीन की मात्रा बैलेंस रखने से इन्सुलिन कंट्रोल रहने के साथ-साथ टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) एवं बॉडी वेट (Body Weight) को भी बैलेंस रखने में मदद मिल सकती है।
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4. दालचीनी का सेवन (Use of Cinnamon)
डायबिटीज पेशेंट के लिए इन्सुलिन कंट्रोलर की तरह दालचीनी भी काम करता है। रिसर्च रिपोर्ट्स के अनुसार दालचीनी में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) बढ़े हुए इन्सुलिन लेवल को कम करने में सहायक है। दालचीनी का सेवन अलग-अलग डिश में कीया जा सकता है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सलाह लेकर दालचीनी का सेवन करें। हेल्थ एक्सपर्ट से डोज भी अवश्य जानें।
5. इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting)
इन्सुलिन कंट्रोल करने के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग भी बेहतर विकल्प माना जाता है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent Fasting) से इन्सुलिन कंट्रोल करने में सहायता मिल सकती है। हालांकि रिसर्च रिपोर्ट में यह भी कहा कहा गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से डायबिटीज पेशेंट को अपने डॉक्टर से जरूर कंसल्ट करना चाहिए।
6. ग्रीन टी का (Green Tea) सेवन
इन्सुलिन कंट्रोल करने के लिए ग्रीन टी का सेवन लाभकारी माना जाता है। दरअसल कई रिसर्च रिपोर्ट्स में इस बात की जानकारी दी गई है। इसलिए अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं, तो रोजाना ग्रीन टी (Green Tea) का सेवन कर सकते हैं, लेकिन ग्रीन टी का सेवन भी जरूरत से ज्यादा ना करें। बेहतर होगा कि दिन में दो बार ही ग्रीन टी का सेवन करें, क्योंकि रात के वक्त ग्रीन टी के सेवन से नींद (Sleep) आने में परेशानी हो सकती है।
7. फैटी फिश (Fatty Fish) का सेवन
डायबिटीज पेशेंट के लिए फैटी फिश का सेवन लाभकारी माना जाता है। दरअसल फैटी फिश में ओमेगा 3 (Omega 3) की मात्रा ज्यादा होती है, जो इन्सुलिन लेवल को कंट्रोल करने में सहायता प्रदान करती है। इसलिए डायबिटीज पेशेंट को अपने डायट में फैटी फिश का सेवन करना चाहिए।
नैचुरल तरीके से बॉडी में इन्सुलिन कंट्रोल करने के लिए इन ऊपर बताये गए 7 विकल्पों को अपनाया जा सकता है। हालांकि अगर डायबिटीज पेशेंट का इन्सुलिन लेवल कम या ज्यादा रहता है, तो डॉक्टर से कंसलट में रहना बेहद जरूरी है। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान रखने के साथ-साथ शुगर लेवल को भी मॉनिटर करते रहते हैं और आवश्यक डायबिटिक मेडिसिन (Diabetic medicine) या इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
अगर आप डायबिटीज की समस्या से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पूछ सकते हैं। हमारे हेल्थ एक्सपर्ट आपके सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। हालांकि अगर आप डायबिटीज की समस्या से पीड़ित हैं, तो डॉक्टर से कंसल्टेशन करें, क्योंकि ऐसी स्थिति में डॉक्टर आपके हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर डायबिटीज पेशेंट के लिए इन्सुलिन कंट्रोल करने की सलाह देते हैं।
डायबिटीज पेशेंट डायबिटिक दवाओं एवं इन्सुलिन इंजेक्शन की मदद से ब्लड शुगर लेवल बैलेंस रखने की कोशिश करते हैं, लेकिन इन सबके साथ डायबिटीज पेशेंट को डायट का भी विशेष ख्याल रखना चाहिए। इसलिए नीचे दिए इस क्विज को खेलिए और डायबिटिक डायट से जुड़ी सवालों के जवाब जानिए।
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