हमारी स्लीप हैबिट्स कई चीजों को प्रभावित करती हैं जैसे हमारे वजन और इम्यून सिस्टम को। यहां तक की इससे हमारा ब्रेन कैसे काम करता है, उस पर भी प्रभाव पड़ता है। यही नहीं, हमारी स्लीप हैबिट्स हमारी ब्लड ग्लूकोज को कंट्रोल करने का काम भी करती है। जिससे डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन, अगर सोते हुए किसी व्यक्ति की ब्लड ग्लूकोज 70 mg/dL से भी कम हो जाती है, तो इस रोग को नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) कहा जाता है। यह समस्या बेहद गंभीर हो सकती है। आइए जानते हैं क्या है नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) और कैसे संभव है इसका उपचार?
नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया क्या है? (Nocturnal Hypoglycemia)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) लो ब्लड शुगर लेवल होने की समस्या है, जो सोते हुए होती है। डॉक्टर ब्लड शुगर के 70 मिलीग्राम्स पर डेसिलिटर (70 milligrams per deciliter) यानी 70mg/dL से कम होने को नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) का नाम देते हैं। गंभीर हायपोग्लाइसेमिया (Severe Hypoglycemia) उसे कहा जाता है, जब इसका लेवल 55 mg/dL.से भी कम हो जाए। आमतौर पर दिन के समय में हायपोग्लाइसेमिया की बीमारी को ब्लड शुगर लेवल की जांच करके और लक्षणों को मैनेज कर के कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन, दूसरी तरफ रात के समय हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) को नोटिस नहीं किया जा सकता। ऐसे में, ब्लड शुगर गंभीर लेवल तक लो हो सकती है।
इस समस्या के उपचार और इससे बचने के लिए कई तरीकों को अपनाया जा सकता है। इसके कारणों को जानकर और ब्लड शुगर लेवल को लो होने से रोक कर रिस्क फैक्टस को भी कम किया जा सकता है। नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) के रिस्क फैक्टर्स में हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट रीडिंग्स हीमोग्लोबिन (A1c test readings), अधिक व्यायाम (Excess Exercise), लो बेडटाइम ब्लड ग्लूकोज (Low Bedtime Blood glucose) और डे-टाइम हायपोग्लाइसेमिया (Daytime Hypoglycemia) आदि शामिल हैं। अगर आपको लगता है कि आपको यह समस्या है, तो अपने डॉक्टर से बात करें और डायबिटीज मैनेजमेंट प्लान (Diabetes management Plan) बनाएं। जानिए क्या हैं नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) के लक्षण?
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया के लक्षण (Symptoms of Nocturnal Hypoglycemia)
हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) को लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) कहा जाता है। यह उन लोगों में बेहद सामान्य है, जिन्हें डायबिटीज (Diabetes) होती है। लेकिन जिन लोगों को डायबिटीज (Diabetes) नहीं है, वो भी इस समस्या का अनुभव कर सकता है। इसके सबसे सामान्य शारीरिक लक्षणों में लो ब्लड शुगर आपको अलर्ट कर सकती है। इसके अलावा इसके अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- बेचैनी भरी नींद (Restless sleep)
- त्वचा पर पसीना आना (Sweating)
- ब्रीदिंग में अचानक बढ़ावा होना (Rapid increase in breathing)
- ब्रीदिंग का अचानक स्लो होना (Sudden slowing of breathing)
- हार्ट रेट का बढ़ना (Racing heart rate)
- कांपना या हिलना (Trembling or shaking)
- बुरे सपने आना या नींद का खराब होना (Nightmares or sleep disturbances)
अगर आप सोते हुए नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) का अनुभव करें, तो उठने के बाद आपको निम्नलिखित लक्षण नजर आ सकते हैं:
- उठने के बाद सिरदर्द, बेचैनी होना (Having Headache, confusion upon waking)
- पूरा दिन थकावट महसूस होना (Feeling tired following day)
- नींद में समस्या का अनुभव करना (Experiencing sleep disturbances)
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लेकिन, अधिकतर लोग इस समस्या के लक्षणों को महसूस नहीं कर पाते हैं। जिन लोगों को लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) की समस्या है वो इस रोग के लक्षणों को भी सामान्य लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) का लक्षण मान सकते हैं। इस समस्या से पीड़ित लोग गंभीर हायपोग्लाइसेमिया (Severe Hypoglycemia) का अधिक रिस्क महसूस करते हैं। इस रोग के लक्षणों को बिना किसी मदद के मैनेज नहीं किया जा सकता है। आपको हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) को सामान्य लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) मान सकते हैं, अगर:
- अगर आपको लंबे समय तक डायबिटीज है।
- आपको लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) के रिकरंट एपिसोड्स (Recurrent Episodes) हो रहे हों।
- अगर आप कुछ दवाईयों को ले रहे हों जैसे बीटा ब्लॉकर्स (Beta blockers)
हायपोग्लाइसेमिया अनअवेयरनेस (Hypoglycemia unawareness) के कारण टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित लोगों में गंभीर हायपोग्लाइसेमिया का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में इसके लक्षणों को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। अब जानिए क्या हैं इस रोग के कारण?
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया के कारण (Causes of Nocturnal Hypoglycemia)
नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि 15 से 45 साल की उम्र के लोग जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) होती है और जो इंसुलिन लेते हैं। उनमें इस समस्या के कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
- लोअर हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट लेवल्स (Lower hemoglobin A1c test levels)
- रात के हाइपोग्लाइसेमिक घटना से पहले दिन के दौरान मीडियम या है इंटेंसिटी एक्सरसाइज (Medium or high-intensity exercise)
- लो बेडटाइम ब्लड ग्लूकोज लेवल (Low bedtime blood glucose level)
- डे-टाइम हायपोग्लाइसेमिया (Daytime hypoglycemia)
दिन या रात में लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) के कुछ अन्य कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
- गर्म या नमी वाला मौसम (Hot or humid weather)
- निजी रूटीन या शेड्यूल में बदलाव (Changes in personal routine or schedule)
- बीमार महसूस करना (Feeling ill)
- मेंस्ट्रुएशन (Menstruation)
- युवावस्था (Puberty)
- हाय एल्टीट्यूड (High altitude)
- बहुत अधिक इंसुलिन (Too much insulin)
- इंसुलिन डोज के समय का गलत होना (Inaccurate insulin dose timing)
- व्यायाम (Exercise)
- एल्कोहॉल का सेवन (Alcohol consumption)
इसके साथ ही अन्य कई अन्य एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स (Environmental factors) भी लो ब्लड शुगर (Low Blood Sugar) का कारण बन सकते हैं। अब जानिए इसके रिस्क फैक्ट्स के बारे में।
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया के रिस्क फैक्ट्स (Risk factors of Nocturnal Hypoglycemia)
डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ और ह्यूमन सर्विसेज (Department of Health and Human Services) के अनुसार नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) डायबिटीज से पीड़ित रोगियों में बेहद सामान्य है और कई कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकती हैं। इस रोग से जुड़े रिस्क फैक्टर्स इस प्रकार हैं:
- अगर आप मील स्किप करते हैं खासतौर पर डिनर (Skip meals)
- बेडटाइम से पहले व्यायाम करना (Exercise before bedtime)
- बेडटाइम से पहले एल्कोहॉल का सेवन (Drink alcohol before bedtime)
- इंफेक्शन होना (Have infections)
- जिन लोगों को पहले से ही हायपोग्लाइसेमिया की समस्या है (Previously experienced nocturnal hypoglycemia)
इसके अलावा भी इस रोग के अन्य कई रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। जानिए, कैसे संभव है इस रोग का निदान?
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया का निदान (Diagnosis of Nocturnal Hypoglycemia)
नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) की पहचान करना मुश्किल है। क्योंकि, रोगी इस समस्या का अनुभव रात को करते हैं। हालांकि, रोगी का पार्टनर या रूममेट इस समस्या को पहचानने में आपको मदद कर सकता है। कुछ लक्षण इस परेशानी की पहचान करने में मदद कर सकते हैं, जैसे:
- सोते हुए रोना या बुरे सपने आना (Crying or having nightmares while sleeping)
- बहुत अधिक पसीना आना (Sweating enough)
- उठने के बाद थकावट या बेचैनी होना (Feeling tired or confused after waking up)
- कांपना (Trembling)
- ब्रीदिंग में बदलाव (Changes in breathing)
- हार्ट बीट का तेज होना (Racing heartbeat)
नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) का निदान करने का एक अन्य तरीका है लगातार ग्लूकोज को मॉनिटर करना। इसके लिए कंटीन्यूअस ग्लूकोज मॉनिटर (Continuous glucose monitor) नाम के डिवाइस का प्रयोग किया जाता है। यह वो डिवाइस है, जिससे दिन और रात नियमित रूप से ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) की जांच की जा सकती है। अगर ब्लड ग्लूकोज तेजी से लो हो रही है, तो यह खतरे का संकेत हो सकता है। ऐसा होने पर यह डिवाइस तेज आवाज निकालता है। इस डिवाइस की आवाज इतनी तेज होती है कि अगर रोगी को नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) की समस्या होती है, तो इस डिवाइस की आवाज से तुरंत उठ जाता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें। अब जानिए इसके उपचार के बारे में।
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया का उपचार (Treatment of Nocturnal Hypoglycemia)
संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए नींद बेहद जरूरी है। जिसमें मेटाबोलिज्म का रेगुलेशन भी शामिल है। इसलिए, अध्ययन से यह बात साबित हुई है कि अपर्याप्त स्लीप या स्लीप डिसऑर्डर (Sleep Disorder) डायबिटीज का रिस्क फैक्टर्स हो सकते हैं। नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) की समस्या जोखिमभरी हो सकती है, ऐसे में इसका उपचार होना जरूरी है। नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) के उपचार के लिए डॉक्टर आपको यह सलाह दे सकते हैं:
- अगर आप रात को ब्लड ग्लूकोज के लो होने के कारण उठते हैं, तो सबसे पहले अपने ब्लड ग्लूकोज को जांचें और कन्फर्म करें कि आपका ब्लड ग्लूकोज लो यानी (<70 mg/dL) से कम है या नहीं।
- लो ब्लड ग्लूकोज (Low Blood Glucose) के उपचार के लिए आप क्विक एक्टिंग कार्ब्स (Quick Acting Carbs) यानी जूस या ग्लूकोज टेबलेट्स ले सकते हैं।
- पंद्रह मिनट्स के बाद फिर से ब्लड ग्लूकोज को जांचें। अगर ब्लड ग्लूकोज अभी भी 70 mg/dL से कम हो तो फिर से ऊपर दिए उपचार को दोहराएं।
- एक बार जब आपका ब्लड ग्लूकोज 70 mg/dL, से ऊपर हो जाए और आपका ब्रेकफास्ट टाइम अभी भी कई घंटों दूर हो, तो स्मॉल स्नेक लें, जिसमें कार्ब्स और प्रोटीन हो जैसे पीनट बटर।
- इस समस्या को मैनेज और इसका उपचार करने के लिए अपने डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
अगर आप इंसुलिन ले रहे हैं, तो एमरजेंसी ग्लूकागन (Emergency Glucagon) के लिए भी डॉक्टर से अवश्य पूछें। यह तो इसके उपचार के बारे में जानकारी। अब जानें कि इस समस्या से कैसे बचा जा सकता है?
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नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया से बचाव (Prevention of Nocturnal Hypoglycemia)
नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया Nocturnal Hypoglycemia) के कारणों में कई फैक्टर्स शामिल हैं। जैसे रात को एक्सरसाइज करना या शाम को एल्कोहॉल का सेवन आदि। लेकिन, अगर इस समस्या का समय पर उपचार न किया जाए, तो यह कई अन्य परेशानियों का कारण बन सकती है जैसे नींद में समस्या या सिरदर्द आदि। गंभीर मामलों में इसके कारण दौरे आ सकते हैं या यह मृत्यु की वजह भी बन सकती है। लेकिन, इस समस्या से भी बचा जा सकता है, इसके कुछ तरीके इस प्रकार हैं:
अगर आप नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) का अनुभव कर रहे हैं, तो आपको तुरंत क्विक एक्टिंग कार्बोहायड्रेट और स्लो एक्टिंग कार्बोहायड्रेट का सेवन करना चाहिए। अगर आपके किसी करीबी या परिवार के सदस्य को यह समस्या है और आप उस व्यक्ति में इसके लक्षणों को अनुभव करते हैं, तो तुरंत उसे उठा दें। उनके उठ कर बैठने के बाद उन्हें फ़ास्ट एक्टिंग ग्लूकोज जैसे जूस या कैंडी दें। उन्हें कुछ घंटों के अंतराल के बाद भोजन करना चाहिए और ब्लड शुगर (Blood sugar) टेस्ट करनी चाहिए। लॉन्ग टर्म में नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) से बचाव के लिए अपने डॉक्टर से बात करें और आप इन तरीकों को भी अपना सकते हैं:
- सोने से पहले ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose Level) की जांच करें।
- नियमित मील और स्नैक्स लें।
- सोने से पहले अगर जरूरी हो, तो इंसुलिन डोज को एडजस्ट करें ।
- अगर आप इंटेंस इंसुलिन थेरेपी (Intense Insulin Therapy) ले रहे हैं, तो आपको समय-समय पर अपने रात भर के ब्लड ग्लूकोज लेवल (Blood Glucose level) की जांच ऐसे समय में करनी चाहिए, जब आपका रात भर का इंसुलिन चरम पर हो। इसका लक्ष्य दिन के दौरान हायपोग्लाइसेमिया (Hypoglycemia) से बचना है और रात में इसके होने के जोखिम को कम करना है।
टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 Diabetes) से पीड़ित कुछ लोगों को लो ब्लड शुगर एमरजेंसी से बचने के लिए नियमित रूप से ग्लूकोज मॉनिटरिंग (Glucose Monitoring) करनी चाहिए। इसके लिए स्किन के नीचे एक डिवाइस का प्रयोग किया जाता है, जो हर कुछ मिनटों में ब्लड शुगर की रीडिंग लेता है। जब ग्लूकोज लेवल बहुत अधिक या लो हो, तो आप इस डिवाइस में अलार्म सेट कर सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपको नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) की समस्या है, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। ताकि, आप और आपके डॉक्टर डायबिटीज मैनेजमेंट प्लान (Diabetes Management Plan) के बारे में बात कर सकें। इसके लिए डॉक्टर इन चीजों की सलाह भी आपको दे सकते हैं:
- इंसुलिन के डोज, टाइप और टाइमिंग में बदलाव
- अन्य दवाईयों की डोज, टाइप और टाइमिंग में बदलाव
- नई ब्लड शुगर मॉनिटरिंग स्ट्रेटेजी बनाना
क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!
यह तो थी नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) के बारे में जानकारी। आप यह जान ही गए होंगे कि नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया वो लो ब्लड शुगर है, जो नींद में होती है। इस जोखिम को कम करने के लिए ब्लड शुगर का सही से मॉनिटर करना जरूरी है। इसके साथ ही आपको अपनी इंसुलिन डोज और हेल्दी ईटिंग का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर आप नोक्टर्नल हायपोग्लाइसेमिया (Nocturnal Hypoglycemia) को अनुभव करते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, ताकि सही समय पर इसका निदान और उपचार हो सके। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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