हाल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आजकल हर व्यक्ति घंटों अपने कंप्यूटर के सामने काम करता नजर आता है। घंटों तक लगातार बैठना और शारीरिक गतिविधि की कमी आपके शरीर के लिए काफी नुकसानदेह साबित होती है। यही वजह है कि लोगों को कई बार अचानक खड़े होने पर शरीर का बैलेंस बिगड़ता हुआ महसूस होता है। घंटों तक बैठकर करने वाले इसी काम की वजह से लोगों में बॉडी अवेयरनेस की कमी देखी जाती है। बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness), जिसमें व्यक्ति अपने शरीर का ध्यान रखता है और अपने शरीर से जुड़ाव महसूस करता है। हमारे लिए बॉडी अवेयरनेस कितनी जरूरी है, आज इस आर्टिकल में हम जानेंगे। आइए जानते हैं बॉडी अवेयरनेस से जुड़ी यह जरूरी जानकारी।
क्या है बॉडी अवेयरनेस? (Body Awareness)
बॉडी अवेयरनेस क्या है, इस आर्टिकल की शुरुआत में यह सवाल सबसे पहले आपके जेहन में आया होगा। दरअसल बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) उसे कहा जाता है, जिसमें आप अपने शरीर से पूरी तरह से कनेक्टेड रहते हैं और उसे लेकर सजग रहते हैं। इस स्थिति को किनेस्थेसिया (Kinesthesia) भी कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति अपने पूरे शरीर, यहां तक कि अलग-अलग बॉडी पार्ट जैसे की मसल्स, जॉइंट और शरीर की पोजीशन के प्रति सजग बनता है। बॉडी अवेयरनेस के अंतर्गत प्रोप्रियोसेप्टिव सिस्टम (Proprioceptive system) आता है, जिसमें आप अपने शरीर के मसल के प्रति सजग बनते हैं। आपकी कौन सी मसल्स कैसे मूव हो रही है, इसका पूरा ध्यान आपको रहता है। इससे आप अपने अंदरूनी अंगों से जुड़ते हैं और अपने शरीर के वेस्टीब्युलर सिस्टम (Vestibular system) के प्रति सजग बनते हैं।
वेस्टीब्युलर सिस्टम (Vestibular system) उसे कहा जाता है, जिसमें आप अपने शरीर का बैलेंस, पोस्चर और अपने सिर की स्थिरता को कंट्रोल कर सकते हैं। यदि आपको अक्सर डिजीनेस महसूस होती है, तो इसका अर्थ है कि आपका वेस्टीब्युलर सिस्टम प्रभावित हो रहा है। बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) के अंतर्गत आपकी भूख, प्यास, थकान इत्यादि की सजगता का भी समावेश होता है। बॉडी अवेयरनेस को बनाए रखने के लिए आप अलग-अलग तरह के वर्कआउट का इस्तेमाल कर सकते हैं। जो आपके शरीर की कार्यप्रणाली को बेहतर बनाते हैं और आप अपने शरीर पर बेहतर कंट्रोल कर सकते हैं। आइए जानते हैं बॉडी अवेयरनेस के क्या फायदे हो सकते हैं।
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बॉडी अवेयरनेस : मिलते हैं ये बड़े फायदे (Benefits of Body Awareness)
जब कोई व्यक्ति बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) को बेहतर बनाने की कोशिश करता है, तो उसका शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य बेहतर बनता है। बॉडी अवेयरनेस ना सिर्फ आपको आपके शरीर पर बेहतर कंट्रोल देती है, बल्कि आपके शरीर की कार्यप्रणाली को मजबूत भी बनाती है। बॉडी अवेयरनेस से आपको यह फायदे मिल सकते हैं।
बैलेंस और स्टेबिलिटी (Balance and stability)
बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) की वजह से आपके शरीर को बेहतर बैलेंस करने में मदद मिलती है और यह दिमाग और शरीर के बीच बेहतर कनेक्शन बनाती है। जिससे आप यह समझ पाते हैं कि आपके शरीर और मन को किस समय में किस चीज की जरूरत पड़ती है। यह आपके दैनिक कार्य के लिए बेहतर माना जाता है।
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वेट मैनेजमेंट (Weight management)
बॉडी अवेयरनेस आपके वजन को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकती है। जिन लोगों में कम बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) होती है, वे लोग जरूरत से ज्यादा खाना खाते हैं। जिसकी वजह से समय के साथ उनका मोटापा बढ़ता चला जाता है। इसलिए यदि आप मोटापे को कंट्रोल करना चाहते हैं, तो बॉडी अवेयरनेस के प्रति आपको सजग बनना चाहिए।
पेन मैनेजमेंट (Pain management)
यदि आपके शरीर में अक्सर दर्द बना रहता है, तो आपको बॉडी अवेयरनेस की बेहद जरूरत है। बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) से आपके शरीर में होने वाले दर्द से आपको छुटकारा मिल सकता है। कहा जाता है कि जो लोग शरीर में होने वाले सेंसेशन को नजरअंदाज करते हैं, उन लोगों में अक्सर सेल्फ एस्टीम की कमी, फिजिकल कांटेक्ट की कमी, डिप्रेसिव सिम्टम्स (Depressive symptoms) इत्यादि की समस्या दिखाई देती है। जो लोग बॉडी अवेयरनेस पर ध्यान देते हैं, उनके शरीर और मन के बीच गहरा कनेक्शन स्थापित होता है और इससे पेन मैनेजमेंट में मदद मिलती है।
मेंटल हेल्थ और इमोशनल हेल्थ की बेहतरी (Mental and emotional Health)
जब आपका शरीर और मन एक साथ जुड़ा होता है, तो आपका वेस्टीब्युलर और प्रोप्रियोसेप्टिव सिस्टम (Proprioceptive system) ठीक ढंग से काम करता है। वहीं यदि आपमें बॉडी अवेयरनेस की कमी होती है, तो आपको एंग्जायटी, डिप्रेशन, वर्टिगो (Anxiety, Depression, Vertigo) जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में आपको बॉडी अवेयरनेस मेंटेन रखने के लिए काम करने की जरूरत पड़ती है। यहां तक कि ऑटिज्म जैसी समस्याओं में भी बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) जरूरी मानी गई है। आइए अब जानते हैं बॉडी अवेयरनेस और ऑटिज्म के बीच के संबंध के बारे में।
बॉडी अवेयरनेस और ऑटिज्म के बीच संबंध (Body awareness and autism)
जैसा कि आप जानते हैं ऑटिस्टिक लोगों में सेंसरी डिस्फंक्शन देखा जाता है, जिसकी वजह से उनका शरीर ठीक ढंग से काम नहीं कर पाता। यही वजह है कि उनके इमोशनल रेगुलेशन पर प्रभाव पड़ता है। इन समस्याओं के चलते ऑटिस्टिक लोगों में इरिटेशन, हाइपरएक्टिविटी, आलस (Irritation, Hyperactivity, Laziness) और मोटर एक्टिविटी की कमी जैसी समस्याएँ देखी जाती है। इसलिए उन्हें बॉडी अवेयरनेस ट्रेनिंग दी जाती है। बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) ट्रेनिंग के जरिए शरीर और मन के बीच बेहतर तालमेल बैठाया जा सकता है, जिससे वह बेहतर महसूस करते हैं।
जैसा कि आपने जाना बॉडी अवेयरनेस हर व्यक्ति के लिए जरूरी माना जाता है। लेकिन इसे हासिल करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? आइए अब जानते हैं बॉडी अवेयरनेस हासिल करने के लिए आपको किन एक्सरसाइज का सहारा लेना चाहिए।
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बॉडी अवेयरनेस : ये एक्सरसाइज कर सकती हैं मदद (Exercise for Body Awareness)
आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए एक्सरसाइज एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। यही वजह है कि एक्सपर्ट हेल्दी रहने के लिए रोजाना एक्सरसाइज करने की सलाह देते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रोजाना एक्सरसाइज करने से आप में बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) बढ़ता है। आइए जानते हैं बॉडी अवेयरनेस बढ़ाने वाली एक्सरसाइज कौन सी हैं।
बैलेंस एक्सरसाइज (Balance exercises)
जैसा कि हमने पहले जाना बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) ना होने का सीधा प्रभाव आपके शरीर के बैलेंस पर पड़ता है। इसलिए बैलेंस एक्सरसाइज के जरिए आप बॉडी अवेयरनेस हासिल कर सकते हैं। यह आपके वेस्टीब्युलर सिस्टम (Vestibular system) को बेहतर बनाता है, जिससे आपके शरीर में तालमेल बेहतर बनता है। बैलेंस एक्सरसाइज सीधी लाइन में साधारण रूप से चल कर या एक पैर पर खड़े होकर भी की जा सकती है।
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योग (Yoga)
योग के अंतर्गत कई ऐसी एक्सरसाइज होती हैं, जिससे आपका मन और शरीर अलाइन होता है। बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) एक्सरसाइज इसके अंतर्गत आप योग की प्रैक्टिस कर सकते हैं। इसमें एक्सरसाइज के साथ-साथ आप अपनी सांसो पर भी ध्यान देते हैं, जिससे आपके शरीर पर बेहतर प्रभाव पड़ता है। यह स्ट्रेस कम करने हार्ट हेल्थ को बेहतर बनाने और शरीर में सूजन, दर्द जैसी समस्या को कम करने में भी बेहतर साबित होता है। इसलिए बॉडी अवेयरनेस में एक्सरसाइज के तौर पर योग का सहारा लिया जा सकता है।
बैकवर्ड वॉकिंग (Backward walking)
बचपन में अक्सर हम सभी उल्टी दिशा में चल कर खेल खेला करते थे, लेकिन आपकी बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) बढ़ाने के लिए उल्टा चलना एक बेहतरीन एक्सरसाइज साबित हो सकती है। उल्टा चलने के लिए आपको अपने मन और शरीर के साथ एक तालमेल बिठाना पड़ता है, जिससे आपका बैलेंस बना सके। इसके लिए आपको मसल्स के इस्तेमाल पर भी ध्यान देना पड़ता है। यह एक्सरसाइज आपका ध्यान एक ओर केंद्रित करती है और आप बेहतर रूप से बॉडी अवेयरनेस पर काम कर सकते हैं। यह एक्सरसाइज करने से पहले एक सुरक्षित स्थान चुनना चाहिए, जिससे एक्सरसाइज के दौरान चोट ना लगे।
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बॉडी अवेयरनेस : मेंटल एक्सरसाइज का भी लिया जा सकता है सहारा (Mental exercise for Body Awareness)
जैसा कि आपने जाना बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) के लिए अलग-अलग एक्सरसाइज की जा सकती है, जो आपके शरीर को हेल्दी बनाती है। वहीं मन को हेल्दी बनाने के लिए और बॉडी अवेयरनेस को बढ़ाने के लिए मेडिटेशन का सहारा भी लिया जा सकता है। आइए अब जानते हैं कौन सी ऐसी मानसिक एक्सरसाइज है, जो आपके बॉडी अवेयरनेस को बढ़ा सकती हैं।
बॉडी स्कैन मेडिटेशन (Body scan meditation)
बॉडी स्कैन मेडिटेशन के अंतर्गत आपको अपनी पूरी बॉडी के प्रति सजग बनना होता है। यह पूरी एक्सरसाइज आप अपनी सांसों के साथ करते हैं। इसकी रोजाना प्रैक्टिस से कमजोरी, दर्द, टेंशन इत्यादि समस्याओं में बेहद आराम मिलता है और आपकी नींद अच्छी तरह होती है।
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योग निद्रा (Yoga nidra)
योग निद्रा ऐसी नींद को कहा जाता है, जिसमें आप पूरी तरह से अपने शरीर और मन के प्रति सजग बनते हैं। इसे साइकिक स्लीप (Psychic sleep) भी कहा जाता है। इसमें लेट कर आपको अपने पूरे शरीर का ध्यान करना होता है और इस दौरान आप अपनी सांसों के आने-जाने के प्रति भी सजग रहते हैं। इस तरह आप रिलैक्स होकर टेंशन को दूर कर सकते हैं। यह दोनों ही एक्सरसाइज बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) के अंतर्गत आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं। आइए अब जानते हैं बॉडी अवेयरनेस थेरेपी के बारे में।
बॉडी अवेयरनेस : थेरेपी का भी ले सकते हैं सहारा (Therapies for Body Awareness)
जब आप बॉडी अवेयरनेस बढ़ाने के लिए प्रोफेशनल हेल्प लेना चाहते हैं, तो आप थेरेपी का सहारा भी ले सकते हैं। इसमें फिजिकल, ऑक्यूपेशनल और सोमेटिक थेरेपी का समावेश होता है। आइए जानते हैं बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) के लिए थेरेपी के बारे में।
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फिजिकल थेरेपी (Physical therapy)
बॉडी अवेयरनेस बढ़ाने के लिए आप फ़िज़िकल थेरेपी की सहायता ले सकते हैं। यदि आपको कोई बड़ी चोट या सर्जरी की वजह से परेशानी हो रही है और आप अपने शरीर का बैलेंस ठीक ढंग से नहीं बना पा रहे, तो आप फिजिकल थेरेपी के जरिए बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) पर काम कर सकते हैं।
ऑक्यूपेशनल थेरेपी (Occupational therapy)
इसके लिए आप ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट की सलाह ले सकते हैं, जिससे आप रोजाना के काम बेहतर रूप से कर सकते हैं। यह थेरेपी आपकी मोटर स्किल्स पर काम करती है। जो लोग गंभीर न्यूरोलॉजिकल कंडीशन से जूझ रहे होते हैं, उन लोगों को ऑक्यूपेशनल थेरेपी की जरूरत पड़ती है।
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सोमेटिक थेरेपी (Somatic therapy)
सोमेटिक थेरेपी के अंतर्गत रिलैक्सेशन, मेडिटेशन, ब्रीदिंग एक्सरसाइज की मदद ली जाती है। जिससे ट्रॉमा से जूझ रहा व्यक्ति बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) हासिल कर सके। इन एक्सरसाइज के जरिए आप मानसिक रूप से बेहतर महसूस कर सकते हैं।
बॉडी अवेयरनेस (Body Awareness) हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है। यह आपके मन और शरीर के बीच तालमेल बिठाने के लिए जरूरी माना जाता है। यदि आप किसी चोट के शिकार हुए हैं या आपको किसी सर्जरी के चलते या न्यूरोलॉजिकल कंडीशन के चलते समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो आप बॉडी अवेयरनेस के जरिए इन समस्याओं से उभर सकते हैं। बॉडी अवेयरनेस के बारे में और बेहतर जानने के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं, जो आपकी जरूरत के अनुसार आपको थेरेपी के बारे में बता सकते हैं।
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