backup og meta

मिर्गी के दौरे सिर्फ दिमाग को ही नहीं बल्कि हृदय को भी करते हैं प्रभावित

मिर्गी के दौरे सिर्फ दिमाग को ही नहीं बल्कि हृदय को भी करते हैं प्रभावित

मिर्गी जिसे मेडिकल भाषा में एपिलेप्सी भी कहते हैं, एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। मिर्गी के दौरे की वजह से मरीज का दिमागी संतुलन बिगड़ जाता है और उसका शरीर लड़खड़ाने लगता है। मिर्गी के दौरे के कारण नर्वस सिस्टम प्रभावित होता जिसका प्रभाव पूरे शरीर पर ही पड़ता है। शरीर के किसी भी हिस्से (चेहरे, हाथ या पैर) पर एपिलेप्सी का प्रभाव देखा जा सकता है। आंकड़ें बताते हैं कि विश्व स्तर पर, हर साल लगभग 50 लाख लोगों में मिर्गी का निदान किया जाता है। यह न्यूरोलॉजिकल विकार शरीर को किस तरह प्रभावित करता है और शरीर के किन-किन हिस्सों को यह प्रभावित कर सकता है? जानते हैं हैलो स्वास्थ्य के इस लेख में।

मिर्गी के लक्षण क्या हैं?

वैसे तो मिर्गी का मुख्य लक्षण दौरे पड़ना है। हालांकि, अलग-अलग व्यक्ति में एपिलेस्पी के लक्षण, मिर्गी के दौरों के प्रकार के अनुसार अलग-अलग होते हैं, लेकिन रोगी में दिखने वाले कुछ सामान्य से लक्षण इस प्रकार हैं-

  • स्वाद, गंध, देखने, सुनने या स्पर्श इन्द्रियों में बदलाव,
  • मनोदशा में परिवर्तन,
  • चक्कर आना,
  • भ्रम की स्थिति पैदा होना,
  • अंगों में झनझनाहट महसूस होना,
  • मांसपेशियों में अकड़न या ढीलापन,
  • सोचने-समझने की क्षमता का खत्म होना,
  • मुंह से झाग आना आदि।

और पढ़ें : क्या सचमुच शारीरिक मेहनत हमारी नींद तय करता है?

मिर्गी के दौरे का प्रभाव शरीर पर किस तरह पड़ता है?

एपिलेप्सी अटैक क्योंकि नर्वस सिस्टम के फंक्शन को बाधित करता है जिससे शरीर के सारे सिस्टम इससे प्रभावित होते हैं। मिर्गी के दौरे का शरीर के अलग-अलग सिस्टम पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार हैं-

कार्डियोवास्कुलर सिस्टम (हृदय प्रणाली)

मिर्गी के दौरे हार्ट बीट को बाधित कर सकते हैं, जिससे दिल धीरे, जल्दी या गलत तरीके से धड़कने लगता है। इसे मेडिकल की भाषा में एरिथमिया (arrhythmia) कहा जाता है। अनियमित हार्ट बीट की स्थिति बहुत गंभीर और जानलेवा साबित हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि मिर्गी के दौरे की वजह से अचानक होने वाली मृत्यु का कारण एरिथमिया ही होता है।

और पढ़ें : ये हो सकते हैं मनोविकृति के लक्षण, कभी न करें अनदेखा

श्वसन संबंधी समस्याएं (respiratory system)

ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम सांस लेने जैसी शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है, लेकिन, मिर्गी के दौरे इस सिस्टम को बाधित कर सकते हैं, जिससे अस्थायी रूप से सांस बंद हो जाती है। एपिलेप्सी अटैक के दौरान, सांस लेने में रुकावट, असामान्य रूप से कम ऑक्सीजन के स्तर को जन्म दे सकती है जिससे सडन अनएस्प्लेंड डेथ इन एपिलेप्सी (SUDEP) की संभावना बढ़ सकती है।

और पढ़ें : मनोविकृति क्या है? जानिए इसके कारण और उपचार

रिप्रोडक्टिव सिस्टम (reproductive system)

हालांकि, एपिलेप्सी से ग्रस्त महिलाएं एक स्वस्थ शिशु को जन्म देने में सक्षम होती हैं, लेकिन इनफर्टिलिटी की समस्या ऐसी महिलाओं और पुरुषों में दो से तीन गुना ज्यादा देखने को मिलती है जो मिर्गी रोग से पीड़ित होते हैं। एपिलेप्सी महिला और पुरुष दोनों की प्रजनन क्षमता में बाधा डाल सकती है। यहां तक कि मिर्गी की समस्या से जूझ रही महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसऑर्डर, पीसीओडी (PCOD) की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। इससे गर्भावस्था पर प्रभाव भी पड़ सकता है। एपिलेप्सी से ग्रस्त लगभग 25-40% प्रेग्नेंट महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान मिर्गी के दौरे की संख्या बढ़ सकती है। मिर्गी से पीड़ित अधिकांश महिलाओं में स्वस्थ गर्भधारण होता है, लेकिन ऐसी महिलाओं में उच्च रक्तचाप (हाई बीपी) का जोखिम ज्यादा होता हैं। इसके साथ ही मिर्गी से पीड़ित महिलाओं में प्रसव के समय शिशु के कम वजन की संभावना ज्यादा रहती है।

तंत्रिका तंत्र (nervous system)

मिर्गी के दौरे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (न्यूरोलॉजिकल सिस्टम) का ही एक विकार है, जो शरीर की गतिविधियों को निर्देशित करने के लिए दिमाग को संदेश भेजता है। केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी में अवरोध होने की वजह से ही मिर्गी के दौरे पड़ने लगते हैं। ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम (autonomic nervous system) सांस लेना, हार्ट बीट और पाचन क्रियाओं को कंट्रोल करता है। जबकि, मिर्गी के दौरे की वजह से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम प्रभावित हो जाता है और कुछ इस तरह के लक्षण दिखने को मिल सकते हैं जैसे-

  • हार्ट पेलपिटेशन (palpitation) (धीमी, तेज, या अनियमित दिल की धड़कन)
  • सांस लेने में रुकावट
  • पसीना आना
  • बेहोशी

और पढ़ें : एस्ट्रोजन हार्मोन टेस्ट क्या होता है, क्यों पड़ती है इसकी जरूरत?

डाइजेस्टिव सिस्टम (digestive system) पर प्रभाव

एपिलेप्सी के कारण पाचन संबंधी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं। हार्ट बर्न (सीने की जलन), जी मिचलाना और उल्टी जैसे लक्षण मिर्गी की वजह से या मिर्गी के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ दवाओं की वजह से दिख सकते हैं। पेट में दर्द, कब्ज और दस्त के लक्षण भी मिर्गी या एपिलेप्सी के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के साइड-इफेक्ट के रूप में दिख सकते हैं।

और पढ़ें : कार्डियो एक्सरसाइज से रखें अपने हार्ट को हेल्दी, और भी हैं कई फायदे

मस्कुलर सिस्टम (Muscular system)

मांसपेशियां व्यक्ति को चलने, कूदने, दौड़ने और चीजों को उठाने में सक्षम बनाती हैं और ये मसल्स तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित की जाती हैं। मिर्गी के दौरे के कुछ प्रकार के दौरान मस्कुलर सिस्टम प्रभावित हो सकता है। मांसपेशियां कठोर, ढीली या सिकुड़ सकती हैं। जैसे- टॉनिक एपिलेप्सी में मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं। इसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति गिर भी सकता है। वहीं, एटोनिक एपिलेप्सी अटैक के दौरान मसल्स पर नियंत्रण में कमी आ जाती है और पीड़ित इंसान अचानक गिर सकता है।

और पढ़ें : बच्चों का हाथ धोना उन्हें दूर करता है इंफेक्शन से, जानें कब-कब जरूरी है हाथ धोना

मानसिक स्तर पर मिर्गी के दौरे का प्रभाव

मिर्गी के दौरे का प्रभाव शारीरिक रूप से दिखने के साथ ही इमोशनल लेवल पर भी देखा जा सकता है। एपिलेस्पी और बिहेवियर में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, मिर्गी से पीड़ित लोगों में सबसे सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्या डिप्रेशन है। लगभग 30 से 35 प्रतिशत पीड़ित व्यक्ति अवसाद का अनुभव करते हैं। अवसाद जैसी मानसिक समस्या एपिलेस्पी के लक्षण को और बदतर कर सकती है। साथ ही मिर्गी के दौरे पड़ने का डर व्यक्ति में चिंता और तनाव जैसे भावनात्मक लक्षणों को भी पैदा कर सकता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट के हिसाब से दुनिया के कई हिस्सों में मिर्गी के दौरे से ग्रस्त व्यक्ति और उसका परिवार समाज के भेदभाव से पीड़ित है। जिसका रोगी के मानसिक स्तर पर नेगेटिव असर पड़ता है और उसे एपिलेप्सी के साथ ही मेंटल प्रॉब्लम से भी दो-चार होना पड़ता है। मिर्गी से पीड़ित करीबन आधे रोगियों में कम से कम एक अन्य स्वास्थ्य समस्या देखी जाती है। इसमें अवसाद और चिंता भी शामिल होती है एपिलेप्सी से पीड़ित 23 प्रतिशत लोग ​​अवसाद (Depression) का अनुभव करते हैं और 20 प्रतिशत एंग्जायटी का। उन्हें फिजिकल इंजुरी का भी सामना करना पड़ता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Effect of epilepsy on female fertility and reproductive abnormalities. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3205530/. Accessed On 08 Feb 2019

Epilepsy. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/epilepsy. Accessed On 08 Feb 2019

Cardiac Effects of Seizures. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2728482/. Accessed On 08 Feb 2019

Effects of Seizures on Autonomic and Cardiovascular Function. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC531654/#__sec1title. Accessed On 08 Feb 2019

The effects of epilepsy and its treatments on affect and emotion.. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/19204849. Accessed On 08 Feb 2019

Epilepsy – overview. https://medlineplus.gov/ency/article/000694.htm. Accessed On 08 Feb 2019

Depression and epilepsy: Epidemiologic and neurobiologic perspectives that may explain their high comorbid occurrence. https://indiana.pure.elsevier.com/en/publications/depression-and-epilepsy-epidemiologic-and-neurobiologic-perspecti. Accessed On 08 Feb 2019

The Epilepsy-Depression Connection. https://www.healthline.com/health/epilepsy-depression-connection#depression. Accessed On 08 Feb 2019

Breathing problems and SUDEP. https://www.epilepsy.com/article/2015/9/breathing-problems-and-sudep. Accessed On 08 Feb 2019

The Effects of Epilepsy on the Body. https://www.healthline.com/health/epilepsy/effects-on-body#1. Accessed On 08 Feb 2019

 

Current Version

26/08/2020

Shikha Patel द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nikhil deore


संबंधित पोस्ट

Gabapentin: गाबापेन्टिन क्या है? जानिए इसके उपयोग, साइड इफेक्ट्स और सावधानियां

डिसेबिलिटी क्या है? जानें कितने प्रकार की होती है


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/08/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement