कपल्स अपनी लाइफ को लेकर अक्सर प्लानिंग करते हैं। जिनमें से एक प्रेग्नेंसी प्लानिंग भी है। गर्भावस्था को एंजॉय करने के लिए दम्पति फोटो शूट के साथ-साथ गर्भवती महिला के स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी प्लानिंग भी करते हैं। इसमें से एक है मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस। अगर आपने इसके बारे में नहीं सोचा है तो आज ही इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर लें। यहां हम इस आर्टिकल में मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस (Maternity health insurance) के बारे में विस्तार से बताएंगे और जानेंगे कि इसके क्या-क्या फायदे होते हैं?
मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस क्या है?
इंश्योरेंस या बीमा पॉलिसी बेहतर इलाज और अगर आप किसी आर्थिक तंगी से गुजर रहें हैं, तो इस संकट की घड़ी में भी इलाज के समय आपका साथ देता है। मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस का फायदा महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान मिलता है। आजकल बेबी डिलिवरी के दौरान बढ़ते खर्च की वजह से लोग परेशान रहते हैं, लेकिन अगर गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिला को कोई शारीरिक परेशानी होती है तो मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस काफी मददगार साबित होता है। यही नहीं हेल्थ इंश्योरेंस की मदद से आप अपनी मेहनत से की गई सेविंग को खर्च करने से बच सकते हैं। इसके अलावा प्रेग्नेंसी बीमा से गर्भवती महिला और नवजात शिशु को मेडिकल सुरक्षा भी मिल सकती है।
मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां मैटरनिटी कवर 20-25 वर्ष के एज ग्रुप के लिए उपलब्ध करवाती है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि सिर्फ 20-25 वर्ष के आयु वर्ग को ही पॉलिसी मिल सके। देखा जाए तो मौजूदा वक्त में अलग-अलग कंपनियों के हेल्थ इंश्योरेंस में मैटरनिटी कवर में ज्यादा उम्र की महिलाओं को भी शामिल किया किया गया है। इंश्योरेंस एक्सपर्ट्स के अनुसार शादी के तुरंत बाद मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए। ऐसा करने से वेटिंग पीरियड से बचा जा सकता है।
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मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस क्यों आवश्यक है?
मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस या गर्भावस्था बीमा की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से हो सकती है। जैसे-
1. मातृत्व बीमा विशेष लाभों के साथ वित्तीय बैकअप के रूप में काम करता है
मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस नॉर्मल डिलिवरी के साथ-साथ सिजेरियन डिलिवरी दोनों के लिए होता है। इसलिए मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस का सबसे पहला फायदा ये है कि डिलिवरी नॉर्मल हो या सिजेरियन दोनों ही स्थिति में इसका लाभ मिलता है। इसके साथ ही गर्भावस्था बीमा अगर किसी भी कारण शिशु के डिलिवरी के बाद 30 से 60 दिनों तक मां को अस्पताल में रहने की आवश्यकता होती है, तो इसका खर्च भी बीमा कंपनी ही देती है।
2. प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलिवरी करवाना मंहगा होता है
इन दिनों नॉर्मल डिलिवरी के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल का खर्च 60 हजार से 80 हजार तक आता है। वहीं अगर सिजेरियन डिलिवरी की जरूरत पड़ती है तो नॉर्मल डिलिवरी में होने वाले खर्च से 60 हजार तक ज्यादा खर्चा आ सकता है। अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं कि प्राइवेट हॉस्पिटल में डिलिवरी करवाना मंहगा होता है, तो अपनी चिंता छोड़ दें। क्योंकि ऐसे वक्त में मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस आपकी जीवनसाथी के लिए मददगार हो सकता है।
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3. मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस नवजात के लिए भी लाभकारी है
प्रेग्नेंसी बीमा गर्भवती महिला के गर्भधारण करने के साथ-साथ डिलिवरी के बाद तकरीबन 60 दिनों तक के लिए होता है। अगर नवजात के जन्म के बाद किसी भी कारण से महिला को अस्पताल में एडमिट होना पड़े तो। इसके साथ ही मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस जन्म लेने वाले शिशु के सेहत के लिए भी 1 दिन का लाभ देता है। इंश्योरेंस से जुड़ी जानकारों के अनुसार इंश्योरेंस कंपनी शिशु के 90 दिनों के होने के बाद ही हेल्थ पॉलिसी देती है लेकिन, कुछ बीमा कंपनी जन्म लेने के बाद एक दिन का इंश्योरेंस नवजात शिशु को भी देती हैं और यह मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस के अंतर्गत आता है।
4. प्रीमैच्योर डिलिवरी होने पर भी मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस लाभदायक है
कोई भी परेशानी बताकर नहीं आती है और ऐसी ही परेशानी गर्भावस्था के दौरान होती है। नेशनल हेल्थ पोर्टल (NPH) के अनुसार साल 2010 में भारत में 3.5 मिलियन प्रीमैच्योर बच्चे का जन्म हुआ था। प्रीमैच्योर डिलिवरी की भी स्थिति में मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस लाभदायक हो सकता है। प्रीमैच्योर बच्चे को जन्म के बाद कम से कम 20 दिनों तक निओनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) रखने की आवश्यकता पड़ती है। जिसका खर्च 10 हजार से 2 लाख तक हो सकता है। इसलिए मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस ऐसे वक्त में बेहद मददगार होती है, लेकिन यह मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस की टर्म एंड कंडीशन में देख लेना चाहिए।
5. मातृत्व बीमा एक जोड़े को बिना किसी वित्तीय बोझ के परिवार शुरू करने में मदद करता है
ऐसे कई कपल हैं जो अपनी आर्थिक स्थिति को देखते हुए प्रेग्नेंसी की प्लानिंग करते हैं। आप भी इसी वजह से अगर अपनी फैमली को आगे नहीं बढ़ा पा रहें हैं, तो मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस आपके लिए सहायक हो सकता है। अगर आप फाइनेशियल प्रॉब्लम फेस कर रहें तो इसे बीमा कंपनियों से जुड़े जानकारों से बेहतर तरह से समझकर आप अपनी फैमली आगे बढ़ा सकते हैं।
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हमेशा ध्यान रखें की मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त सिर्फ एक फायदे को देखकर या समझकर आकर्षित न हों। इंश्योरेंस एक्सपर्ट्स की मानें तो मौजूदा वक्त में अस्पताल और मैटरनिटी खर्च के साथ-साथ गर्भावस्था के दौरान की जाने वाली जांच भी काफी महंगी हो गई है। इसलिए पॉलिसी लेते समय इनका कवर भी अवश्य देखें और समझें। मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस जो प्रेग्नेंसी के दौरान की जाने वाली जांच में होने वाले खर्च के साथ होते हैं, तो इस तरह की पॉलिसी का प्रीमियम थोड़ा महंगा हो सकता है, लेकिन ऐसी पॉलिसी की वजह से आप चिंतित कम होने के साथ ही आपकी जेब पर भी इसका बोझ कम पड़ेगा।
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मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस लेते वक्त किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
प्रेग्नेंसी बीमा लेने से पहले निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे-
- हेल्थ पॉलिसी लेते समय मैटरनिटी से जुड़े प्लान को अवश्य समझें। इस दौरान पॉलिसी के टर्म एंड कंडिशन को ध्यान से खुद पढ़ें।
- वोटिंग पीरियड, कवरेज लिमिट, नॉर्मल डिलिवरी, सिजेरियन डिलिवरी, प्रीमैच्योर डिलिवरी की कंडिशन के बारे में पढ़ें।
- नवजात बच्चे के एक दिन के बीमा को भी जानें।
- आजकल मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस 2 से 4 सालों के वोटिंग पीरियड के लिए भी उपलब्ध हैं। इसलिए आप प्रेग्नेंसी प्लानिंग के कुछ साल पहले भी इसे ले सकते हैं।
अगर आप मैटरनिटी हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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