हार्ट डिजीज आमतौर पर तब होती है, जब हमारे हार्ट के ब्लड वेसल्स डैमेज हो जाते हैं या उनमें कोई अन्य समस्या हो जाती है। इनके कारण ब्लड वेसल्स में फेट्टी चीजें जमा हो जाती हैं जिन्हें प्लाक कहा जाता है। यह प्लाक ब्लड वेसल्स को ब्लॉक कर सकते हैं और ब्लड क्लॉट्स बना सकते हैं। इसके कारण कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम होने की संभावना रहती है जैसे हार्ट अटैक (Heart Attack), कंजेस्टिव हार्ट फेलियर (Congestive Heart Failure) और हार्ट रिदम प्रॉब्लम (Heart Rhythm Problems) आदि। यह डिजीज गंभीर होती हैं और इनके कारण रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए, रोगी के लिए जल्दी से जल्दी उपचार जरूरी है। डिजीज के उपचार के लिए डॉक्टर रोगी को सबसे पहले अपने लाइफ स्टाइल में बदलाव करने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही वो रोगी को कुछ हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) लेने के लिए भी कह सकते हैं। आइए जानते हैं इन हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) के बारे में, लेकिन उससे पहले इनकी भूमिका के बारे में जान लेते हैं।
हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) की क्या भूमिका है?
अगर किसी को हार्ट संबंधी कोई भी समस्या हो, तो उसका मेडिकेशन ट्रीटमेंट प्लान इस बात पर निर्भर करता है कि यह हार्ट डिजीज किस तरह से आपके हार्ट और ब्लड वेसल्स को प्रभावित कर रही है। जैसे सभी हार्ट डिजीज एक जैसी नहीं होती और ऐसे ही उनका उपचार भी एक जैसा नहीं होता। अगर आप को हृदय संबंधी ऐसी समस्या है, जिसके कारण आप अधिक ब्लड क्लोटिंग (Blood Clotting), हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) या दोनों बीमारियों से पीड़ित हैं। तो हार्ट डिजीज के लक्षणों को मैनेज करने के लिए आपको एक से अधिक दवाईयों की जरूरत हो सकती है। अब जानते हैं कि हार्ट डिजीज की स्थिति में डॉक्टर कौन सी दवाइयों की सलाह देते हैं?
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एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin Converting Enzyme Inhibitors)
हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) में पहला नाम है एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स। जिन्हें ACE इन्हिबिटर्स (ACE Inhibitors) के नाम से भी जाना जाता है। यह ड्रग शरीर को एंजियोटेंसिन बनाने से रोकती है। एंजियोटेंसिन वो हॉर्मोन है जिसके कारण ब्लड वेसल्स तंग हो जाते हैं। जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। एंजियोटेंसिन के लेवल के लो होने से ब्लड वेसल्स को चौड़े रहने में मदद मिलती है, जिससे ब्लड आसानी से फ्लो कर पाता है। इससे ब्लड प्रेशर कम हो सकता है। डॉक्टर हार्ट हेल्थ ड्रग्स में से इस दवाई की सलाह रोगी को हाय ब्लड प्रेशर या हार्ट फेलियर की स्थिति में दे सकते हैं। यही नहीं हार्ट अटैक के बाद भी इसकी सलाह दी जा सकती है। यह ड्रग हार्ट मसल को हार्ट अटैक के दौरान होने वाली ऑक्सीजन की कमी से रिकवर होने में मदद कर सकते हैं। यही नहीं, इन्हें लेने से दूसरे हार्ट अटैक से भी बचाव हो सकता है।
एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin Converting Enzyme Inhibitors) के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- रैमीप्रील (Ramipril) जिसका ब्रांड नेम आल्टेस (Altace) है
- ट्रांडोलप्रिल (Trandolapril) जिसका ब्रांड नेम माविक (Mavik) है
- लिसिनोप्रिल (Lisinopril) जिसका ब्रांड नेम प्रिनिविल(Prinivil) है
- काप्टोप्रिल (captopril) जिसका ब्रांड नेम कैपोटेन (Capoten) ) है
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एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II Receptor Blockers)
एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers) को ARBs भी कहा जाता है। यह दवाई हार्ट में एंजियोटेंसिन के प्रभाव को ब्लॉक करती है। इससे ब्लड प्रेशर को लो होने में मदद मिलती है। डॉक्टर इस दवाई की सलाह तब दे सकते हैं, जब रोगी को हाय ब्लड प्रेशर या कंजेस्टिव हार्ट फेलियर की समस्या हो। ACE इन्हिबिटर्स की तरह ARBs भी हार्ट अटैक के बाद रोगी को जल्दी रिकवर होने में मदद कर सकती हैं। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं:
- बेनिकार (Benicar) जिसका जेनेरिक नेम ओल्मेसार्टन (Olmesartan) है
- डायोवेन (Diovan) जिसका जेनेरिक नेम वैलसार्टन (Valsartan) है
- कोज़ार (Cozaar)जिसका जेनेरिक नेम लोसार्टन (Losartan) है
- एवाप्रो (Avapro) जिसका जेनेरिक नेम इर्बेसार्टन (Irbesartan)) है
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हार्ट डिजीज ड्रग्स में एंटीकोआगुलेंट्स (Anticoagulants)
हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) में एंटीकोआगुलेंट्स का प्रयोग बेहद लाभदायक माना जाता है। इसकी सलाह डॉक्टर हार्ट अटैक स्ट्रोक और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में दे सकते हैं। हार्ट डिजीज की सबसे बड़ी परेशानी है प्लाक। ब्लड वेसल्स में प्लाक के बनने से ब्लड क्लॉट्स बन सकते हैं और यह ब्लड हार्ट वेसल्स में फंस सकते हैं। जिससे ब्लड फ्लो थोड़ा या पूरी तरह से ब्लॉक हो सकता है और हार्ट अटैक का कारण बनता है। अगर ब्लड क्लॉट्स लंग तक चला जाता है। तो इसके कारण पल्मोनरी एम्बोलिस्म (Pulmonary embolism) जैसी समस्या भी हो सकती है। अगर यह क्लॉट ब्रेन तक पहुंच जाए तो स्ट्रोक का कारण बन सकता है। एंटीकोआगुलेंट्स ब्लड क्लॉट्स को बनने से रोकती हैं। हालांकि, एंटीकोआगुलेंट्स मौजूदा ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) को नहीं तोड़ते हैं। इस ड्रग के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- वार्फरिन (Warfarin) जिसके ब्रांड नेम कोमेंडिन (Coumadin) और जेंटोविन (Jantoven) हैं
- हेपरिन (Heparin) जिसके ब्रांड नेम हेप-पाक (Hep-Pak), हेपरिन लॉक फ्लश (Heparin Lock Flush) , हेप-लॉक (Hep-Lock) आदि हैं
- एपिक्सबेन (Apixaban) जिसका ब्रांड नेम एलिक्यूस (Eliquis) है
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एंटीप्लेटलेट एजेंट्स (Antiplatelet Agents)
इस ड्रग की सलाह डॉक्टर भविष्य में होने वाले हार्ट अटैक से बचने के लिए दे सकते हैं। एंटीप्लेटलेट एजेंट्स की सलाह तब दी जाती है जब रोगी को पहले ही हार्ट अटैक आ चुका हो या आर्टरीज में प्लाक बिल्डअप हो। यह दवाई तब भी दी जा सकती हैं अगर रोगी को एब्नार्मल हार्ट रिदम जैसे एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) की समस्या है। इस रोग के होने पर ब्लड क्लॉट्स के बनने का जोखिम बढ़ सकता है। एंटीकोआगुलेंट्स की तरह एंटीप्लटेलेट मेडिकेशन भी ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) को बनाने से रोकती हैं लेकिन इनका काम करने का तरीका अलग होता है। यह शरीर को थ्राम्बाक्सेन (Thromboxane) नाम का सब्सटांस बनाने से रोकती हैं। यह सब्सटांस प्लेटलेट को एक दूसरे से स्टिक होने से रोकने के लिए कहते हैं ताकि क्लॉट्स न बनें। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं
- एस्प्रिन (aspirin)
- क्लोपिडोग्रेल (clopidogrel) जिसका ब्रांड नेम प्लेविक्स (Plavix) है
- प्रासुग्रेल (Prasugrel) जिसका ब्रांड नेम एफ़्फ़िएंट (Effient) है
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हार्ट डिजीज ड्रग्स में बीटा-ब्लॉकर्स (Beta-Blockers)
बीटा ब्लॉकर्स हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) की एक विस्तृत केटेगरी है जिसका प्रयोग हार्ट डिजीज से होने वाली विभिन्न समस्याओं के उपचार में किया जाता है। यह दवाईयां उन केमिकल्स के एक्शन्स को ब्लॉक करके काम करती हैं जो हार्ट को स्टिमुलेट करती हैं जैसे एपिनेफ्रीन (Epinephrine)। इससे हार्ट को धीरे और कम फोर्सफुली धड़कने में मदद मिलती है। इस दवाई की सलाह पहले हार्ट अटैक या बार-बार हार्ट अटैक की समस्या को रोकने के लिए दी जाती है। इसके साथ ही डॉक्टर यह सलाह मरीज को तब भी दे सकते हैं अगर उसे हाय ब्लड प्रेशर, हार्ट फेलियर, चेस्ट पेन आदि की समस्या हो। बीटा ब्लॉकर्स के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- एसेबुटोलोल (Acebutolol) जिसका ब्रांड नेम सेक्टरल (Sectral) है
- एटेनोलोल (Atenolol) जिसका ब्रांड नेम टेनोर्मिन (Tenormin) है
- बीटाक्सोलोल (Betaxolol) इसका ब्रांड नेम है करलोन (Kerlone)
- प्रोप्रानोलोल (Propranolol) जिसका ब्रांड नेम हेमेंजियोल (Hemangeol) हैं
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कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium Channel Blockers)
हमारे शरीर की सभी मसल्स जिसमें हार्ट भी शामिल है, उन्हें मूव करने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है। कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers) हार्ट और ब्लड वेसल्स में मसल सेल्स में इंटर होने वाले कैल्शियम की मात्रा को रेगुलेट करता है। इससे हार्ट को अपने काम करने और ब्लड वेसल्स को रिलैक्स होने में आसानी होती है। अगर रोगी को हाय ब्लड प्रेशर, चेस्ट पेन या हार्ट एरिथमिया (Heart Arrhythmias) हो तो डॉक्टर यह हार्ट हेल्थ ड्रग्स की सलाह दे सकते हैं। कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स (Calcium channel blockers) के उदाहरण इस प्रकार हैं:
- एम्लोडीपिन (Amlodipine) जिसे ब्रांड नेम नॉरवेस्क (Norvasc) से भी जाना जाता है
- फेलोडीपीन (Felodipine) का ब्रांड नेम प्लेंडल (Plendil) है
- इजरेडपिन (Isradipine) का ब्रांड नेम डायनासर्क (Dynacirc) है
- निकार्डिपिन (Nicardipine) का ब्रांड नेम जैसे कार्डिन (Cardene) है
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कोलेस्ट्रॉल को कम करने की मेडिकेशन्स (Cholesterol-Lowering Medications)
खून में हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल के होने से प्लाक बिल्ड-अप हो सकता है। इससे ब्लड वेसल्स तंग या ब्लॉक हो सकते हैं जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक या अन्य गंभीर रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
कोलेस्ट्रॉल मेडिकेशन्स से बेड कोलेस्ट्रॉल लेवल को लो रहने और गुड कोलेस्ट्रॉल लेवल (Good Cholesterol Level) को हाय होने में मदद मिलती है। इनका उदहारण इस प्रकार हैं :
- स्टैटिन्स (Statins) जैसे एटोरवास्टैटिन (Atorvastatin), फ्लूवास्टैटिन (Fluvastatin ),लोवेस्टैटिन (Lovastatin), पिटावास्टैटिन(Pitavastatin) आदि
- कोलेस्ट्रॉल एब्जार्पशन इंहिबिटर्स (Cholesterol absorption inhibitors) जैसे एजेटीमाइब (Ezetimibe)
- बाइल एसिड सीक्वेसट्रेंट्स (Bile Acid Sequestrants) जैसे कोलेस्ट्रामाइन (Cholestyramine)
- PCSK9 इनहिबिटर्स (PCSK9 Inhibitors) जैसे एलिरोक्यूमेब (Alirocumab) और एवोलोक्यूमेब (Evolocumab)
- एसीएल इनबिहिटर्स (ACL inhibitors) जैसे बेम्पेडोइक एसिड (Bempedoic Acid)
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डिजिटायलस मेडिकेशन्स (Digitalis Medication)
हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) में अगली हैं डिजिटायलस मेडिकेशन्स जो डिजोक्सिन (Digoxin) के नाम से उपलब्ध हैं। हार्ट के सेल्स में कैल्शियम की मात्रा बढ़ने से उसे काम करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में हार्ट फेलियर की संभावना बढ़ सकती है। हार्ट फेलियर की स्थिति में डॉक्टर इस दवाई की सलाह रोगी को दे सकते हैं। यह दवाईयां कुछ खास इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को स्लो करने का काम करती हैं। जिससे सिग्नल के टोटल नंबर कम हो जाते हैं। इससे एरिथिमिया (Arrhythmias) की परेशानी को कम होने में मदद मिलती है। डिजोक्सिन (Digoxin) को अक्सर डाययूरेटिक्स और ACE इन्हीबिटर के साथ कंबाइन करके दिया जाता है।
हार्ट डिजीज ड्रग्स में नाइट्रेट्स (Nitrates)
नाइट्रेट्स ब्लड वेसल्स को चौड़ा करने का काम करती हैं ताकि खून उसके माध्यम से आसानी से पास हो सके। छाती में दर्द और हार्ट फेलियर की स्थिति में इस दवा को दिया जा सकता है। नाइट्रेट्स के उदहारण इस प्रकार हैं:
- नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin) जिसे नाइट्रोस्टेट (Nitrostat) ब्रांड नेम से जाना जाता है
- आइसोसोरबाइड डिनिट्रेट (Isosorbide Dinitrate) जिसका ब्रांड नेम है आइसोर्डिल (Isordil)
हार्ट डिजीज ड्रग्स(Heart Disease Drugs) रोगी की विभिन्न तरीकों से मदद कर सकती हैं। मेडिकेशन ट्रीटमेंट प्लान के बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर से सम्पर्क करें। बिना डॉक्टर की सलाह के इन दवाईयों को लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
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यह तो थी हार्ट डिजीज ड्रग्स (Heart Disease Drugs) के बारे में पूरी जानकारी। इन हार्ट डिजीज ड्रग्स के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं जैसे इन्हें लेने के बाद चक्कर आना, खांसी, अधिक मूत्र त्याग, अधिक प्यास लगना, कब्ज, ब्लीडिंग, सिरदर्द या पेटदर्द, नील पड़ना आदि। इसलिए अपने डॉक्टर की सलाह के बिना इन्हें कभी न लें। यह भी याद रखें कि यह दवाईयां केवल आपके उपचार का एक हिस्सा हैं। इन्हें लेने के साथ ही आपको अपने लाइफस्टाइल को भी सही रखना होगा जैसे हार्ट हेल्दी आहार का सेवन करें, नियमित व्यायाम करें, तनाव से बचें, नियमित जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें। हैलो स्वास्थ्य किसी भी ब्रांड का प्रचार नहीं कर रहा है। डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद ही इन दवाइयों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
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