कई मेडिकल स्थितियां ऐसी होती हैं जिसमें रोगी स्वयं टॉयलेट जा कर यूरिन पास करने में असमर्थ होता है। ऐसे में जरूरत पड़ती है यूरिनरी कैथेटर्स (Urinary Catheters) की। यूरिनरी कैथेटर्स एक खाली और थोड़ी लचीली ट्यूब होती हैं जो ब्लैडर में से यूरिन को इकठ्ठा करती है और इसके बाद यह यूरिन इस ट्यूब के साथ अटैच ड्रेनेज बैग में जाता है। कैथेटर्स कई तरह और आकार की होती है और आमतौर पर रबर, प्लास्टिक और सिलिकॉन से बनती है। इसी के एक प्रकार को सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) कहा जाता है। जानिए क्या है सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) और इसके फायदों व नुकसान के बारे में भी जानें।
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स क्या है? (Suprapubic Catheter)
जैसा की आप जानते ही हैं कि सुपराप्यूबिक कैथेटर (Suprapubic Catheter) एक प्रकार का यूरिन कैथेटर है। इसे पेट में एक छोटे छेद के माध्यम से रोगी के ब्लैडर में डाला जाता है। यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (Urinary incontinence), यूरिनरी रिटेंशन (urinary retention) या कुछ सर्जरीज के बाद या अन्य मेडिकल कंडीशन में इसका प्रयोग किया जाता है। कैथेटर्स (Catheter) कई तरह के होते हैं जिनमे से यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) बहुत सामान्य है। सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) का प्रयोग वो लोग ज्यादातर करते हैं जो यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) का प्रयोग नहीं करना चाहते हैं। यूरेथ्रल कैथेटर की तुलना में इसके कई फायदे भी हैं। हालांकि, इंफेक्शन और अन्य समस्याओं से बचने के लिए इसके प्रयोग के दौरान कुछ खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। अब जानते हैं कि सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) के प्रयोग के बारे में
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सुपराप्यूबिक कैथेटर्स का प्रयोग कैसे किया जाता है? (Use of Suprapubic Catheter)
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) को लगातार और सामान्य रूप से प्रयोग होने वाले यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) का विकल्प माना जा सकता है। इसके प्रयोग इन स्थितियों में किया जाता है:
- जब किसी व्यक्ति के मूत्रमार्ग को नुकसान हुआ है या उसमे चोट लगी हो।
- अगर किसी व्यक्ति के पेल्विक फ्लोर मसल्स (Pelvic Floor Muscles) कमजोर होते हैं और इसके कारण यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) के बाहर गिरने की संभावना अधिक होती है।
- ब्लैडर (Bladder),गर्भाशय (Uterus), प्रोस्टेट (Prostate) या अन्य आसपास के अंग से सम्बन्धित सर्जरीज के बाद।
- यदि व्यक्ति यौन रूप से सक्रिय है और उसे लंबे समय तक कैथेटर की आवश्यकता है।
- लंबे समय तक उपयोग के लिए यह कैथेटर, यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) की तुलना में अधिक आरामदायक और बदलने में आसान हो सकता है।
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कुछ स्थितियों में लंबे समय तक सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) का प्रयोग किया जाता है, जैसे :
- अगर किसी का ब्लैडर ब्लॉक है और इस समस्या को सर्जरी और अन्य ट्रीटमेंट्स से ठीक नहीं किया जा सके।
- कोई ऐसी समस्या है जिससे त्वचा में रैशेज या परेशानी हो रही हो।
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डॉक्टर नार्मल कैथेटर की जगह सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheters) का प्रयोग इन स्थितियों में करने की सलाह दे सकते हैं, अगर :
- आपको संक्रमण होने की संभावना नहीं है।
- आपके गुप्तांगो के आसपास के टिश्यूज के क्षतिग्रस्त होने का खतरा नहीं है।
- कैथेटर के उपयोग से आपका मूत्रमार्ग क्षतिग्रस्त या संवेदनशील हो सकता है।
- कैथेटर की आवश्यकता पड़ने के बाद भी आप इतने सेहतमंद हैं कि यौन रूप से सक्रिय हैं।
- आपके ब्लैडर, मूत्रमार्ग, यूटरस, पीनस या मूत्रमार्ग के नजदीक किसी अंग की सर्जरी हुई हो।
- आप अधिकतर समय व्हीलचेयर पर बिताते हों, तो इस कैथेटर्स की देखभाल करना आसान है।
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सुपराप्यूबिक कैथेटर्स को इंसर्ट कैसे किया जाता है? (Suprapubic Catheter Insertion)
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) को इंसर्ट करने के लिए एक माइनर सर्जिकल प्रोसीजर की जरूरत होती है। इस प्रक्रिया के दौरान दर्द होती है, इसलिए उस जगह को सुन्न करने के लिए एनेस्थीसिया (Anesthesia) दिया जा सकता है ताकि दर्द से बचा जा सके। इसके लिए सर्जन पेट में एक छोटा सा चीरा लगाते हैं, जो आमतौर पर नाभि से कुछ इंच नीचे होता है। सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) मूत्रमार्ग या गुप्तांग के संपर्क में नहीं आता है। इसके अंत में एक छोटा गुब्बारा लगा होता है और जब एक बार ब्लैडर में कैथेटर को लगा दिया जाता है, तो डॉक्टर इस गुब्बारे को फुलाते हैं। यह बलून इस ट्यूब को बाहर गिरने से बचाता है। कैथेटर को इंसर्ट करने का तरीका इस प्रकार होता है:
- सबसे पहले ब्लैडर एरिया को आयोडीन या क्लीनिंग सलूशन से साफ किया जाता है।
- इस जगह के चारों ओर धीरे से महसूस करके मूत्राशय का पता लगाता है।
- इस जगह को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया का उपयोग किया जाता है।
- एक डिवाइस का प्रयोग करके कैथेटर को उस जगह पर इंसर्ट किया जाता है। इस डिवाइस को ओबट्यूरेटर (Obturator) कहा जाता है।
- जैसे ही कैथेटर ब्लैडर में चला जाता है, तो ओबट्यूरेटर (Obturator) को बाहर निकाल दिया जाता है।
- अब इसके अंत में लगे गुब्बारे को फुलाया जाता है ताकि वो बाहर न निकलें।
- अब इस जगह को साफ किया जाता है और जहां से कैथेटर को डाला गया था, उस जगह में टांके लगा दिए जाते हैं।
- डॉक्टर रोगी को एक बैग भी दे सकते हैं जो टांग के साथ अटैच होगा, ताकि यूरिन उसमें जमा हो सके। कुछ मामलों में कैथेटर में एक वॉल्व लगा होता है ताकि रोगी खुद यूरिन को टॉयलेट में ड्रेन कर सकें।
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सुपराप्यूबिक कैथेटर्स के लाभ और रिस्क फैक्टर्स (Risk factors and Benefits of Suprapubic Catheter)
यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) की तरह सुपराप्यूबिक कैथेटर्स के भी कुछ लाभ और रिस्क हो सकते हैं। ऐसे में इसका प्रयोग करने से पहले आपको इसके बारे में पता होना जरूरी है। जानिए क्या हैं सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) से जुड़े रिस्क फैक्टर्स:
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स से जुड़े रिस्क फैक्टर्स (Risk Factors of Suprapubic Catheter)
यूरेथ्रल कैथेटर (Urethral Catheter) की तरह ही सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) में भी अगर बैक्टीरिया हो जाते हैं तो वो ब्लैडर तक पहुंच सकते हैं। जिससे इंफेक्शन हो सकता है। इससे इंफेक्शन यूरिनरी ट्रैक्ट प्रभावित हो सकता और किडनी तक फैल सकता है। इस तरह के इंफेक्शन को कैथेटर- एसोसिएटेड यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Catheter-Associated Urinary Tract Infection) कहा जाता है और यह बेहद गंभीर हो सकता है खासतौर पर उन लोगों में इनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या जिन्हें अन्य बीमारियां हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि कैथेटर का प्रयोग तब करना चाहिए। जब बहुत अधिक जरुरी हो। इससे जुड़ी अन्य जटिलताएं इस प्रकार हैं:
- किडनी इन्फ्लेमेशन (Kidney Inflammation)
- क्रॉनिक किडनी इंफेक्शंस (Chronic Kidney Infections)
- किडनी या ब्लैडर स्टोन्स (kidney or Bladder Stones)
- सेप्सिस (Sepsis)
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स के कारण होने वाले इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms of Infection due to Suprapubic Catheter)
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) का प्रयोग करना आसान है लेकिन इससे जुड़ी सबसे बड़ी परेशानी है इंफेक्शन। इस इंफेक्शन से जुड़े लक्षणों के बारे में पता होना बेहद जरूरी है, जो इस प्रकार हैं:
- पेट में लगे कट में लालिमा (Redness)
- मूत्र त्याग की तीव्र इच्छा (Urgent Need to Urinate)
- पेशाब करते हुए दर्द होना (Pain while Urinating)
- पेशाब का धुंधला या अलग सा रंग होना (Cloudy or Discolored Urine)
- 104°F से अधिक बुखार (Fever 104°F or More)
अगर आपको इंफेक्शन का कोई भी लक्षण नजर आता है तो ध्यान रहे कि इस स्थिति में तुरंत मेडिकल हेल्प की जरूरत होती है।
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सुपराप्यूबिक कैथेटर्स के लाभ (Benefits of Suprapubic Catheter)
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) को प्रयोग में आसान माना जाता है और बहुत से लोग इन कारणों से इसके प्रयोग को प्राथमिकता देते हैं:
- सुपराप्यूबिक कैथेटर्स का लॉन्ग टाइम प्रयोग करना आसान है, क्योंकि इसे लोग आसानी से बदल और साफ कर सकते हैं।
- मूत्रमार्ग में कैथेटर लगाने की तुलना में पेट में कट लगा कर इस कैथेटर का प्रयोग अधिक आरामदायक हो सकता है, खासकर अगर व्यक्ति व्हीलचेयर का प्रयोग करता हो।
- ऐसा भी माना जाता है कि जो लोग इसका प्रयोग करते हैं वो अन्य कैथेटर के प्रयोग की तुलना में अच्छा और आत्मविश्वासी महसूस करते हैं।
जिन लोगों को किन्हीं मेडिकल कंडीशंस या पहले हुई सर्जरी के कारण जटिलताओं के होने की अधिक संभावना होती है। उन्हें सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) के प्रयोग से पहले यह सलाह दी जाती है:
- सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) को इंसर्ट करने से पहले व्यक्ति अपनी अच्छे से स्क्रीनिंग कराएं।
- प्रोसीजर के बाद अच्छी मेडिकल केयर जरूरी है ।
- प्रोसीजर के दौरान नस के माध्यम से एंटीबायोटिक देना ताकि इंफेक्शन से बचाव हो सके।
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किन स्थितियों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लें?
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) इंसर्ट करना एक सुरक्षित प्रक्रिया है लेकिन इसकी कुछ जटिलताएं भी हो सकती हैं। अगर रोगी की हार्ट वॉल्व रिप्लेसमेंट हुई हो या वो कोई ब्लड थिनर मेडिसिन ले रहा हो तो डॉक्टर इसको इंसर्ट करने से पहले रोगी को कुछ एंटीबायोटिक्स भी दे सकते हैं। इस कैथेटर से जुड़ी मायनर कॉम्प्लीकेशन्स इस प्रकार हैं:
- यूरिन का अच्छे से पास न होना (Urine Draining Problem)
- यूरिन का कैथेटर से लीक करना (Urine Leakage)
- यूरिन में थोड़ी मात्रा में खून निकलना (Blood in Urine)
अगर ऐसा हो तो डॉक्टर आपको कुछ देर अस्पताल में ही रहने की सलाह दे सकते हैं। लेकिन, कुछ स्थितियों में तुरंत इलाज की जरूरत होती है जैसे :
- हाय फीवर (High Fever)
- पेट में दर्द (Abdominal Pain)
- इंफेक्शन (Infection)
- जहां इसे इंसर्ट किया गया है उस जगह या मूत्रमार्ग से डिस्चार्ज होना (Discharge)
- इंटरनल ब्लीडिंग (Internal Bleeding)
- यूरिन में स्टोन्स या टिश्यू का टुकड़ा होना (Stones or Pieces of Tissue in Urine)
यदि आपका कैथेटर निकल जाता है, तो जितनी जल्दी हो सके अपने डॉक्टर से मिलें, क्योंकि इसे फिर से लगाने की आवश्यकता है, ताकि ओपनिंग बंद न हो।
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सुपराप्यूबिक कैथेटर्स की देखभाल कैसे करें? (Care of Suprapubic Catheter)
अगर आप सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) का प्रयोग कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि आपको पूरी तरह से इसकी देखभाल करनी होगी। अगर आप इसकी अच्छे से देखभाल करेंगे तो आप कई समस्याओं से बच सकते हैं। जानिए किन बातों का रखें ध्यान:
- कैथेटर को साफ रखें। इसे छूने से पहले और बाद में हाथों को अच्छे से धोना बहुत जरूरी है।
- कैथेटर को कब बदलना है। यह बात व्यक्ति की मेडिकल स्थिति और कितनी देर वो इसका प्रयोग करना चाहता है इस पर निर्भर करती हैं ।
- जब तक आपका घाव ठीक नहीं हो जाता आपको इसे सही पोजीशन में ही रखना चाहिए। अन्यथा आपको घाव संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- कैथेटर के साथ नहाने की सलाह दी जाती है लेकिन इसके लिए बाथटब, स्विमिंग पूल आदि का उपयोग न करें।
- ऐसे में भी रोगी को अधिक से अधिक पानी पीना चाहिए ताकि आपको यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन का जोखिम कम हो।
- इस बात का ध्यान रखें कि इसके साथ जुड़ा बैग हमेशा कमर के नीचे हो ऐसा करने पर यूरिन की फिर से ब्लैडर में जाने की संभावना कम होगी।
- कैथेटर को कम से कम निकालें।
- अगर ट्यूब ड्रेन नहीं हो रही है तो उसे हिलाएं।
सुपराप्यूबिक कैथेटर्स के नजदीक की त्वचा की देखभाल के टिप्स (Tips for Skin Care near Suprapubic Catheter)
मेडलायन प्लस (Medline Plus) के अनुसार सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) जिस जगह पर लगाया है, उसके आसपास की त्वचा का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए आपको दिन में कुछ समय निकाल कर जहां कैथेटर लगाया है, त्वचा के उस हिस्से को अवश्य जांचें कि कहीं वहां लालिमा, दर्द, सूजन या पस तो नहीं है। रोजाना इस हिस्से को माइल्ड सोप और पानी से साफ करें। इस हिस्से को हमेशा साफ और सूखा रखें। इसके साथ ही इस जगह पर क्रीम, पाउडर या स्प्रे का प्रयोग न करें। इस जगह के आसपास डॉक्टर के बताये अनुसार बैंडेज लगाएं।
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अधिकतर लोग दूसरे कैथेटर्स की तुलना में सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) को बेहतर मानते हैं। लेकिन, इसका प्रयोग करते हुए कुछ सावधानियां बरतना और साफ-सफाई का खास ध्यान रखना जरूरी है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि सुपराप्यूबिक कैथेटर्स (Suprapubic Catheter) का प्रयोग करते हुए रोगी आराम से अपने रोजाना के काम कर सकता है। लेकिन, आपको इसका प्रयोग लॉन्ग-टाइम करना है तो आपको इसके फायदे और नुकसान के बारे में पहले ही डॉक्टर से जान लेना चाहिए। इसके साथ ही इससे जुड़ी किसी भी असुविधा से बचने के लिए आप डॉक्टर के साथ ही अन्य लोगों की मदद भी ले सकते हैं।