नवजात की परवरिश नए पेरेंट्स के लिए आसान नहीं होती है। नवजात को शांत रखने के लिए पेरेट्स को कई ट्रिक्स भी अपनानी पड़ती हैं। ऐसी ही एक ट्रिक स्वाडलिंग भी है। स्वाडलिंग में शिशु को कपड़े में लपेटा जाता है। कंबल या कपड़े में लपेटने से शिशु को गर्भाशय में होने का आभाष होता है। न्यूरोलॉजिकल लेवल पर शिशु को कपड़े में लपेटने से एक स्पर्श का अहसास होता है, जिससे उसका ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और कोर्टिसोल हॉर्मोन नॉर्मल रहते हैं। इससे शिशु गहरी और लंबी नींद लेता है। 12 महीने से 6 माह तक के बच्चों को स्वाडलिंग से आराम मिल सकता है। छह माह का होने के बाद शिशु की तेज आवाज का सामना करने की क्षमता बढ़ जाती है। इस उम्र तक बच्चों का तेज आवाज से चौंकना भी थोड़ा कम हो जाता है। इसके अलावा स्वाडलिंग के कुछ खतरें भी हो सकते हैं। स्वाडलिंग करते समय पेरेंट्स को कुछ सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता होती हैं। इसके अलावा यह भी समझना जरूरी है कि कब स्वाडलिंग को बंद कर देना चाहिए कि बच्चे को इसकी आदत न लग जाए।
स्वाडलिंग कितनी सेफ हैं?
आमतौर पर स्वाडलिंग को सुरक्षित माना जाता है। लेकिन इसके लिए आपको कुछ सिंपल गाइडलाइंस को फॉलो करने की जरूरत होती है।
- स्वाडलिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कपड़े को बहुत टाइट या बहुत ढीला न लपेटे
- स्वाडलिंग के दौरान बच्चे को कई सारे गर्म कपड़ों से भी लपेटने से बचें
- स्वाडलिंग को इस तरह करें कि बच्चे रोल कर सकें
- पैरों और हिप्स को ज्यादा टाइट करने से हिप डेवलपमेंट में समस्याएं हो सकती हैं।
कुछ अध्ययनों में खुलासा हुआ है कि स्वाडलिंग से बच्चे को कुछ खतरे भी हो सकते हैं। साल 2016 में हुए अध्ययन के अनुसार, स्वाडलिंग का संबंध सडन इन्टफैंट डेथ सिंड्रॉम (Sudden Infant Death Syndrome or SIDS) का संबंध हो सकते हैं। साथ ही बच्चों की उम्र के बाद इसके रिस्क भी बढ़ जाते हैं क्योंकि बच्चे स्वाडलिंग के समय रोल कर सकते हैं और साथ ही पेट के बल ही सोते रह सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रेडिशिनल स्वाडलिंग, जिसमें केवल बच्चों के पैरों को कंबल या कपड़े में लपेटा जाता है से भी हिप डाय्पलैसिया (Hip Dysplasia) का खतरा हो सकता है। इस समस्या में बच्चों के हिप ज्वाइंट्स ठीक से विकसित नहीं हो पाते और ये डिसलोकेट भी हो सकते हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए याद रखें कि स्वाडलिंग के दौरान भी बच्चे के पैर मूवमेंट कर सकें।
शिशु को कपड़े में लपेटने के फायदे
स्वाडलिंग से कॉलिक कम होगा
शिशु के जन्म लेने के शुरुआती कुछ महीनों में वह कॉलिक में होता है। इस दौरान शिशु की बॉडी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया असंतुलित होते हैं। कॉलिक के दौरान शिशु अत्याधिक रोता है। जो किसी भी माता- पिता को पसंद नहीं आता है। इस स्थिति में शिशु को कपड़े में लपेटने से कोलिक में होने वाला दर्द कम होता है। इससे शिशु को राहत मिलती है।
विकास में मिलती है मदद
शिशु को कपड़े में लपेटने से वह इधर- उधर घूम नहीं सकता। ठीक उसी तरह शिशु जब वह गर्भ में रहता है तो ज्यादा मूवमेंट नहीं कर पाता है। कपड़े से लपटेने से उसे गर्भ की तरह ही सुरक्षा और टाइटनेस का अहसास होता है। गर्भाशय के बाहर शिशु को इस प्रकार का माहौल देने से उसका विकास जल्दी होता है।
नहीं करेगा परेशान
मां की गोद में शिशु एकदम जकड़ा हुआ रहता है। मां की बाजुएं उसे दोनों तरफ से घेरे रहती हैं। अक्सर शिशु को अपने हाथों में लिए महिलाएं थक जाती हैं। इस स्थिति में यदि वह शिशु को कपड़े में लपेटती हैं तो शिशु को मां की गोद का अहसास होना जारी रहेगा और महिलाओं को भी थोड़ा आराम मिलेगा।
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शिशु को मिलेगी गर्माहट
शिशु को अच्छे कपड़े में सिर्फ एक ही बार लपेटा जाना चाहिए। इससे उचित तापमान को बनाए रखने में मदद मिलती है। ज्यादातर नवजात शिशु बाहरी माहौल में अपने आपको ढालने की प्रक्रिया में होते हैं। इस स्थिति में वह अपनी बॉडी के तापमान को खुद से नियमित नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति में शिशु को कपड़े में लपेटने से एक तापमान को कायम रखने में मदद मिलती है, जिससे शिशु को गर्माहट मिलना जारी रहता है। अंत में हम यही कहेंगे कि शिशु को कपड़े में लपेटने के कई फायदे हैं। शिशु को कपड़े में लपेटने से पहले इसके सही तरीकों के बारे में जरूर जान लें। शिशु के लंबी और गहरी नींद लेने से माता- पिता को सबसे ज्यादा फायदा होता है। इससे उन्हें आराम मिलता है। आमतौर पर शुरुआती दिनों में बच्चे की देखभाल में माता- पिता की नींद पूरी नहीं हो पाती है। यह अवधि उनके लिए चुनौतियों भरी होती है।
कब रोक देनी चाहिए स्वाडलिंग
विशेषज्ञ मानते हैं कि जब बच्चा अपने साइड में रोल करना शुरू कर दें, तो ऐसे में समझ जाइए कि अब स्वाडलिंग को रोकने का टाइम आ गया है। वहीं अमेरिकन पेडिएट्रिक्स गाइडलाइंस के अनुसार, बच्चे के दो हफ्ते का होने के साथ ही स्वाडलिंग को रोक दिया जाना चाहिए। साथ ही यह भी याद रखें कि हर बच्चा एक सा नहीं होता। ऐसे में अगर आपका बच्चा दो महीने पहले ही रोल करना शुरू कर देता है, तो आपको पहले ही स्वाडलिंग बंद कर देनी चाहिए। इसके अलावा आप इस बारे में बाल रोग विशेषज्ञ से भी बात कर सकते हैं।
बच्चों को सुरक्षित सुलाने के टिप्स
अमेरिका में लगभग हर साल 3500 नवजात शिशु सोने के दौरान की गई किसी गलती के कारण मौत का शिकार हो जाते हैं। बच्चों को सेफ सुलाने के कुछ टिप्स हैं:
- बच्चा कहां सोता है यह भी महत्वपूर्ण है। छह महीने तक के बच्चे को पेरेंट्स या केयर टेकर्स के साथ ही सुलाना चाहिए। यह अवधि एक साल तक कि भी हो सकती है।
- इसके अलावा बच्चा किस बिस्तर पर सोता है वह भी महत्वपूर्ण है। बच्चों को बहुत ज्यादा नर्म और साथ ही बहुत ज्यादा सख्त बेडिंग पर नहीं सुलाना चाहिए।
- बच्चों को सुलाते समय यह भी ध्यान रखें कि उन्हें हमेशा पीठ के बल सुलाना चाहिए।
- बच्चों की सोने की जगह पर सॉफ्ट टॉयज या अन्य खिलौने देखने में क्यूट लग सकते हैं, लेकिन बच्चे के सोते समय उन्हें वहां से हटा देना चाहिए।
- इसके अलावा आपको अपनी बुरी आदतों का भी ध्यान रखने की जरूरत होगा। बच्चों के सोने की जगह के पास स्मोकिंग और एल्कोहॉल का उपयोग न करें।
स्वाडलिंग के बच्चों को कई फायदे हैं, लेकिन साथ ही आपको स्वाडलिंग के समय कुछ खास चीजों का भी ख्याल रखना जरूरी है।
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