इसके लिए शिशु को शांत कराकर व हल्का लिटाकर दूध पिलाएं। इससे शिशु सजह महसूस करेगा व धीरे-धीरे दूध पीने से उसे पोषक तत्व मिलेगा।
यदि आप शिशु को फॉर्मूला मिल्क पिला रही हैं तो उस स्थिति में आपके ब्रैंड के कारण शिशु का मल का रंग हरा हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से सुझाव लेकर दूसरे ब्रैंड का दूध शिशु को पिलाएं।
यदि 24 घंटे या उससे अधिक समय तक शिशु का मल हरा ही आ रहा है तो उस स्थिति में आप डॉक्टरी सलाह लें, ऐसा इन कारणों से हो सकता है,
- फूड सेंसिटिविटी के कारण
- दवा के साइड इफेक्ट के कारण
- शिशु के फिडिंग रूटीन में बदलाव के कारण
- स्टमक बग की वजह से
शिशु की देखभाल करने के लिए क्विज खेल जानें रोचक जानकारी : Quiz: शिशु की देखभाल के जानने हैं टिप्स तो खेलें क्विज
बच्चे का पीला मल
बच्चे का पीला मल जॉन्डिस की ओर संकेत करते हैं। जॉन्डिस की पहचान शिशु के स्किन को देखकर और उनकी आंखों के रंग को देखकर जो सफेद से पीली पड़ जाती है, पहचान कर सकते हैं। आप अपने दिमाग में रखें कि नवजात को जॉन्डिस होने से उनका पेशाब पीला नहीं होता, वहीं मल येल्लो, मस्टर्ड व ब्राउन हो सकता है। पीला मल सामान्य नहीं है, जरूरी है कि जल्द से जल्द डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। शिशु के मल को देख आप समझ नहीं पा रहे हैं तो मल का फोटो लेकर डॉक्टर को दिखाएं। डॉक्टर को बताएं कि आपके बच्चे का मल पीला आ रहा है, इसमें सफेद थक्के भी हैं। जॉन्डिस यदि दो सप्ताह से अधिक समय के लिए रह जाता है तो उसके कारण लिवर की समस्या भी हो सकती है। इसलिए इसे कतई नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
और पढ़ें : क्या नवजात शिशु के लिए खिलौने सुरक्षित हैं?
बच्चे के मल में खून आए
यदि आपका शिशु कब्जियत की बीमारी से ग्रसित है तो उसके मल में खून आ सकता है। ऐसा एनल फिशर के कारण हो सकता है, जो शरीर में खराब बावेल मुवमेंट के कारण होता है। कई बार इंटेस्टाइन में इंफेक्शन और एलर्जी के कारण भी ऐसा हो सकता है। शरीर में इस प्रकार के लक्षण दिखने पर डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। कई बार शिशु का मल काला दिख सकता है। यानि कि यह पच गया है। कई बार ऐसा दूध पीने के दौरान मां के स्तन को क्रैक करने से उसके अंदर का खून भी शिशु पी जा जाता है। इस कारण उसका मल काला आता है। वहीं काला मल शिशु के इंटेस्टाइनल ट्रैक में समस्या होने के कारण हो सकता है।
और पढ़ें : नवजात शिशु के लिए 6 जरूरी हेल्थ चेकअप
सही जानकारी है जरूरी, ताकि समय पर ले सकें डॉक्टरी सलाह
बच्चे का मल का रंग देखकर कई बार लोग खुद तरह-तरह की सलाह देने लगते हैं लेकिन यह गलत है। जरूरी है कि शिशु के मल को देख जब आप असजह महसूस करें तो डॉक्टरी सलाह लें। इतना ही नहीं यदि आपके शिशु को मल त्यागने में दिक्कत हो रही है तो डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टरों से दिखाने में देरी करने के कारण समस्या और गंभीर हो सकती है। शिशु को कब तक मां का दूध पिलाना है, कब फॉर्मूला मिल्क देना है, कब से अनाज देना है, आदि मामलों पर डॉक्टर से परामर्श ले सकते हैं। खुद से यह निर्णय लेना आपके शिशु की सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है। बता दें कि शिशु के जन्म के बाद से एक साल तक हर दिन शिशु के मल का रंग बदलता है, तो ऐसे में घबराना नहीं है, बल्कि सही जानकारी रखनी चाहिए। ताकि जरूरत पड़ने पर डॉक्टरी सलाह ले लें।