छोटे बच्चों की इम्युनिटी बहुत कमजोर होती है। ऐसे में वो जल्दी बीमार पड़ते हैं, खासतौर पर मौसम के बदलने पर। यह बात तो हर माता-पिता ने नोटिस की होगी कि जैसे ही उनके बच्चे स्कूल जाना शुरू करते हैं, उन्हें सर्दी-जुकाम, पेट दर्द, बुखार जैसी समस्याएं अधिक होने लगती हैं। ऐसा होना सामान्य है। लेकिन, जैसे-जैसे वो बड़े होते हैं उनमें यह समस्याएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। आज हम आपको बताने वाले हैं स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) के बारे में। जानिए स्कूल जाने वाले बच्चों से जुड़ी समस्याओं और पाएं कुछ खास टिप्स।
स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस कौन सी हैं (Common Health Conditions In school-aged children)
सभी बच्चों को हाय क्वालिटी की मेडिकल केयर की जरूरत होती हैं। माता-पिता के रूप में आपको बच्चों की समस्याएं और उपचार आदि के बारे में पता होना चाहिए, ताकि आप बच्चे की अच्छे से केयर कर पाएं। कुछ बीमारियां और इंफेक्शन बच्चों में सामान्य है। इनमें से अधिकतर हार्मलेस हैं और इनका उपचार घर में ही संभव है। स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Common Health Conditions In school-aged children) के बारे में विस्तार से जानें।
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सामान्य सर्दी-जुकाम (Common Cold)
सब बच्चे बीमार पड़ते हैं और कुछ बीमारियां बहुत ही आम हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) में सबसे सामान्य है सर्दी जुकाम। इसके होने पर आपको अधिक चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं
- नाक का बहना (Runny Nose)
- छींकें (Sneezing)
- नाक का बंद होना (Congestion)
- खांसी (Cough)
- आंखों में पानी आना (Watery Eyes)
कारण (Causes): सामान्य सर्दी जुकाम का कारण वायरस है। अधिकतर सर्दी जुकाम की समस्या का कारण राइनोवायरस (Rhinoviruses) को माना जाता है।
उपचार (Treatment) : सामान्य सर्दी जुकाम होने पर आप छे साल तक के बच्चों को ओवर-द-काउंटर कोई खांसी और सर्दी-जुकाम की दवा नहीं दे सकते हैं। हालांकि लक्षणों से राहत पाने के लिए एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) या आइबुप्रोफेन (Ibuprofen) दी जा सकती है। लेकिन, अपने बच्चों को कभी भी एस्पिरिन न दें। इन दवाइयों को भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही बच्चों को दिया जाना चाहिए। बच्चे को इस समस्या में अधिक पानी और गर्म तरल जैसे सूप पीने को दें। अदरक, शहद आदि भी इसके लक्षणों को दूर करने में प्रभावी है।
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इन्फ्लुएंजा (Influenza)
हम आमतौर पर सर्दी-जुकाम और इन्फ्लूएंजा को एक ही समस्या मान लेते हैं। लेकिन, इन्फ्लुएंजा सामान्य सर्दी-जुकाम से अलग है। हालांकि, इसके कुछ लक्षण सर्दी-जुकाम के जैसे हो सकते हैं। इन्फ्लूएंजा के लक्षण इस प्रकार हैं
- बुखार (Fever)
- ठंड लगना (Chills)
- शरीर में दर्द (Body Aches)
- गले में खराश (Sore Throat)
- अपच (Loss of Appetite)
- थकावट (Tiredness)
कारण (Causes) : स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) में से एक इन्फ्लुएंजा का कारण भी एक वायरस ही है। जो आसानी से फैल सकता है।खांसी और छींक से हवा में फैल कर यह शरीर में प्रवेश करता है।
उपचार (Treatment): इन्फ्लूएंजा के अधिकतर मामलों में उपचार की जरूरत नहीं होती। इसके लक्षणों को घर में ही आराम करके, दवाई या अधिक तरल पदार्थों का सेवन कर के मैनेज किया जा सकता है। हालांकि अगर आपके बच्चे को कुछ अन्य समस्याएं भी हैं। तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए जैसे अस्थमा, हार्ट समस्याएं आदि। इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (Influenza Vaccine) बच्चे को इस समस्या से बचने में मदद कर सकती है
गेस्ट्रोएंट्राइटिस (Gastroenteritis)
गेस्ट्रोएंट्राइटिस गट (Intestines) में होने वाला इंफेक्शन है। स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) में यह समस्या भी सामान्य है और बहुत से बच्चे साल में एक या दो बार इस समस्या से गुजरते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- डायरिया (Diarrhea)
- जी मिचलाना (Nausea)
- उलटी आना (Vomiting)
कारण (Causes): गेस्ट्रोएंट्राइटिस कई वायरस, बैक्टीरिया या अन्य माइक्रोब्स के कारण फैलता है। स्कूल या किसी भी ऐसी जगह जहां बहुत से बच्चे हो, यह आसानी से फैल सकता है।
उपचार (Treatment): गेस्ट्रोएंट्राइटिस के लक्षण कुछ ही दिन में स्वयं ही ठीक हो जाते हैं। क्योंकि, बच्चों का इम्यून सिस्टम इस इंफेक्शन को ठीक करने में सक्षम होता है। इसका उपचार घर में ही साफ-सफाई का ध्यान रखकर, आराम कर के और तरल पदार्थों का सेवन कर के किया जा सकता है। इसके लिए आमतौर पर अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ती। लेकिन अगर लक्षण गंभीर हों या बच्चे को अन्य कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
कानों में इंफेक्शन (Ear Infection)
स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) में से एक है कानों में इंफेक्शन। कान में इंफेक्शन एक दर्द भरी समस्या है, जिसमें बच्चे बैचैन महसूस कर सकते हैं। हालांकि, छोटे बच्चे इस समस्या से अधिक पीड़ित रहते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- कान में दर्द (Ear Pain)
- बुखार (Fever)
- छोटे बच्चों को चबाने, निगलने सोने आदि में समस्या होना को (Trouble Chewing, Swallowing or Sleeping)
कारण (Causes) : कानों में इंफेक्शन का कारण भी वायरस या बैक्टीरिया है। इयरड्रम के पीछे की जगह में वायरस या बैक्टीरिया के कारण पस पड़ सकती है। इयरड्रम में दबाव के कारण दर्द हो सकती है।
उपचार (Treatment) : बहुत से डॉक्टर इसके उपचार के लिए एंटीबायोटिक देते हैं लेकिन अगर यह समस्या वायरस के कारण हुई है। तो इंफेक्शन ठीक नहीं होता। इन स्थितियों में डॉक्टर लक्षणों को ठीक करने के लिए अन्य तरीके अपना सकते हैं।
पिंकआय (Pinkeye)
पिंकआय को कंजंक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) भी कहा जाता है। यह समस्या छोटे बच्चों में आम है। यह आमतौर पर संक्रामक है। स्कूल और खेल के मैदानों के माध्यम से यह एक बच्चे से दूसरे में फैलती है। हालांकि, वयस्क भी इस रोग से पीड़ित हो सकते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- आंखों का लाल होना (Eye Redness)
- सूजन (Swelling)
- आंखों में दर्द (Pain)
- खुजली होना (Itching)
कारण (Causes): पिंकआय बैक्टीरिया, वायरस, एलर्जी या किसी आय इरिटेंट्स जैसे केमिकल आदि के कारण हो सकती है। अगर पिंकआय बैक्टीरिया या वायरस के कारण होती हैं तो वो संक्रामक होते हैं।
उपचार (Treatment): अगर स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) में से एक पिंक आय का कारण बैक्टीरिया है। तो एंटीबायोटिक आय ड्रॉप या दवा से इसका उपचार किया जा सकता है। वायरल, एलर्जिक या केमिकल कंजंक्टिवाइटिस एंटीबायोटिक्स से ठीक नहीं होते। हालांकि, इस दौरान होने वाली समस्या को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ अन्य दवाईयां दे सकते हैं।
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किन स्थितियों में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है (When to Seek Doctor’s Advice Immediately)
जनरल फिजिश्यन डॉक्टर अशोक रामपाल का कहना है कि कई पेरेंट्स के मन में यह सवाल होता है कि किन बच्चों में दो फ्लू वैक्सीन की जरूरत होती है? इसका जवाब है कि 8 साल से कम उम्र के बच्चे, जिन्हें पहले कभी फ्लू का वैक्सीनेशन नहीं हुआ हो, उन्हें अपने पहले साल में दो टीकों की आवश्यकता हाेती है। इन दोनो वैक्सीनेशन को कम से कम 28 दिनों के अंतराल में किया जाना चाहिए। इस उम्र के बच्चों में दो फ्लू वैक्सीन इसलिए जरूरी है, क्योंकि पहला टीका शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है और दूसरा शरीर को इन्फ्लूएंजा वायरस के प्रति एंटीबॉडी विकसित करने में मदद करता है। इस वैक्सीनेशन के बाद छोटे बच्चों के इन्फ्लूएंजा वायरस के होने का खतरा कम होता है। यदि आपके बच्चे को पहले कभी फ्लू का टीका नहीं लगा है यानि कि एक ही टीका लगा है, तो यह असरदार नहीं होगा उनमें। क्योंकि, दूसरे टीकेकरण के दो सप्ताह बाद प्रतिरक्षा और फ्लू वायरस से सुरक्षा विकसित होती है।
जैसा की आप जानते हैं कि छोटे और स्कूल जाने वाले बच्चे बहुत जल्दी बीमार पड़ते हैं और इसका कारण है उनकी कमजोर इम्युनिटी। यही नहीं, इन स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस ( Health Conditions In school-aged children) में बच्चे बिना किसी खास उपचार के जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह की जरूरत होती है। अगर आपको निम्नलिखित लक्षण नजर आएं तो देर न करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर की सलाह लें:
- बहुत ज्यादा बुखार (High fever)
- बुखार के साथ रैशेस (Fever with a Rash)
- सांस लेने में समस्या (Trouble Breathing)
- त्वचा का नीला रंग (Bluish Skin Color)
- नींद या सुस्ती (Sleepy or Lethargic)
- बेचैनी (Confused)
- फ्लू के क्षणों का बदतर होना (Flu Symptoms get Worse)
स्कूल जाने वाले बच्चों में समस्याओं को फैलने से बचाने के लिए क्या करें (What to do to Prevent Spread of Problems)
स्कूल जाने वाले बच्चों में हेल्थ कंडीशन की संभावना बहुत अधिक होती है। स्कूल में यह रोग एक बच्चे से दूसरे में आसानी से फैल सकते हैं। लेकिन इनसे बचाव के लिए आप अपने बच्चे को इनके लिए तैयार कर सकते हैं। जानिए कैसे बचाव संभव है इन बीमारियों से।
- अगर आपका बच्चा बार-बार फ्लू से पीड़ित हो रहा है तो उसे फ्लू वैक्सीन लगवाएं। यही नहीं सर्दी-जुकाम और इन्फ्लुएंजा यानी फ्लू के जोखिम से बचने के लिए बच्चे को बार-बार हाथों को साबुन और पानी से धोने के लिए कहें। इसके साथ ही अन्य लोगों के क्लोज कांटेक्ट में आने और खाना व बर्तन शेयर करने से भी उसे बचाएं।
- पिंकआय की समस्या से बचने के लिए भी बच्चे को बार- बार अपने हाथों को साबुन या पानी से धोना चाहिए। अगर साबुन या पानी उपलब्ध नहीं है, तो सैनिटाइजर का प्रयोग करें। जिस व्यक्ति को यह समस्या है उनके साथ तौलिया, तकिया आदि भी शेयर न करें।
Quiz : 5 साल के बच्चे के लिए परफेक्ट आहार क्या है?
- स्टमक फ्लू से बचने के लिए बच्चे को उन लोगों से दूर रखें जिन्हें पहले ही यह समस्या है। बच्चों को बाथरूम से आने के बाद और खाने से पहले हाथों को अच्छे से धोना सिखाएं। इसके साथ ही बच्चों को बार-बार उंगलियों को मुंह में न डालने की सलाह दें।
- कान में इंफेक्शन से बचने के लिए बच्चों को उन लोगों से दूर रखें जिन्हें यह समस्या है। इसके साथ ही उन्हें सिगरेट के धुएं से भी बचाएं। क्योंकि, इनसे कान में इंफेक्शन की संभावना बढ़ सकती है। बच्चे को लेटे हुए कभी भी कुछ पीने को न दें।
- हाथ, मुंह और पैरों के रोग को आप बार-बार हाथ धो कर दूर कर सकते हैं। इसके साथ ही बच्चे प्रभावित व्यक्ति से दूर रखें। अगर कोई संक्रमित व्यक्ति आपके घर में हैं, तो उन्हें अलग रखें और उनकी चीजों को बार बार धोएं। इस तरह से स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) से बचा जा सकता है।
स्कूल जाने वाले बच्चों के माता पिता के लिए खास टिप्स (Tips for Parents)
स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) से बचाव संभव है। इसके लिए बच्चों और माता-पिता दोनों को कुछ चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए। अगर आप बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हैं तो ध्यान रखें इन टिप्स है
- स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions In school-aged children) से बचना है तो बच्चे को सालाना फ्लू शॉट्स लगवाएं।
- बच्चे को बार-बार हाथ धोने के महत्व को समझाएं। यही नहीं उसे सही से छींकने या खांसने की तकनीक भी बताएं कि जब भी खांसना या छींकना हो अपने मुंह और नाक को कवर करना जरूरी है।
- जिन भी चीजों या जगहों का बच्चा प्रयोग करता है, उन्हें नियमित रूप से सैनिटाइज करें।
- बच्चे को व्यायाम करने के लिए कहें। क्योंकि इससे इम्युनिटी बढ़ती है जिससे शरीर प्रभावित रूप से जर्म्स से लड़ पाता है।
- स्कूल में बच्चे को अपना सामान जैसे पेंसिल, ग्लू, शार्पनर आदि दे कर भेजें ताकि वो किसी अन्य बच्चे से इसे न लें। क्योंकि, इससे भी जर्म्स फैल सकते हैं।
- बच्चे के नाख़ून काटते रहें और अगर उसे नाख़ून चबाने की आदत है तो उसे ऐसा न करने के लिए कहें। क्योंकि, रोगाणु नाखूनों के नीचे भी होते हैं जो बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
- बच्चे को हमेशा हेल्दी आहार ही दें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद आदि इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में बीमारियों से बचने में मदद करते हैं। हेल्दी आहार ग्रहण करने से स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Common Health Conditions In school-aged children) से बचा जा सकता है।
- बच्चे का पर्याप्त आराम करना भी जरूरी है। इसलिए उसे नींद पूरी करने दें।
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इसमें कोई शक नहीं है कि स्कूल जा कर बच्चे बहुत कुछ सीखते और समझते हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों की हेल्थ कंडीशंस (Common Health Conditions In school-aged children) से बचने के लिए आपको केवल इन आसान सी चीजों का ध्यान रखना है। ताकि बच्चे इन बीमारियों से बच सके। इसके साथ ही समय-समय पर डॉक्टर की जांच और सलाह भी जरूरी है।
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