मच्छरों के कारण होने वाली कई बीमारियों के बारे आप जानते होंगे जैसे डेंगू (Dengue), मलेरिया (Malaria) आदि। मच्छर एक और गंभीर रोग का कारण बन सकते हैं जिसका नाम है येलो फीवर (Yellow Fever)। येलो फीवर का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इससे बचा जा सकता है। इससे बचने के लिए वैक्सीन की सलाह दी जाती है। आज हम येलो फीवर वैक्सीन (Yellow fever vaccine) और येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) के बारे में बात करने वाले हैं। क्योंकि, येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) के बारे में पूरी जानकारी होना आवश्यक है। सबसे पहले येलो फीवर (Yellow fever) के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।
क्या है येलो फीवर? (Yellow fever)
जैसा की पहले ही बताया गया है कि येलो फीवर (Yellow fever) एक गंभीर समस्या है, जो फ्लू की तरह होती है। यह रोग एडीज एजिप्टि (Aedes aegypti) नामक मच्छरों के कारण फैलता है। इसमें रोगी को हाय फीवर और पीलिया (Jaundice) जैसी समस्याएं होती हैं। इस बीमारी में मरीज की पीलिया के कारण त्वचा और आंखें पीली हो जाती है। इसलिए, इस समस्या को येलो फीवर कहा जाता है। येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) से पहले इसके लक्षणों के बारे में जानना भी आवश्यक है। तो जानिए क्या हैं इसके लक्षण?
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येलो फीवर के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Yellow fever)
येलो फीवर की बीमारी बहुत जल्दी विकसित होती है और एक्सपोजर के तीन से छे दिनों के बाद इसके लक्षण नजर आना शुरू हो जाते हैं। इस इंफेक्शन के शुरुआती लक्षण इन्फ्लुएंजा वायरस (Influenza virus)के समान होते हैं। इसके शुरुआती फेज में नजर आने वाले सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- सिरदर्द (Headaches)
- मसल में दर्द (Muscle aches)
- जोड़ों में दर्द (Joint aches)
- ठंड लगना (Chills)
- बुखार (Fever)
एक्यूट फेज (Acute phase)
येलो फेज का एक्यूट फेज तीन से चार दिन तक रहता है और इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- सिरदर्द (Headaches)
- मसल में दर्द (Muscle aches)
- जोड़ों में दर्द (Joint aches)
- बुखार (Fever)
- भूख न लगना (Loss of appetite)
- कांपना (Shivers)
- पीठ में दर्द (Backaches)
एक्यूट फेज ख़त्म हो जाता है, तो इसके लक्षण भी ठीक हो जाते हैं। कई लोग येलो फीवर (yellow fever) की इस स्टेज पर रिकवर हो जाते हैं। लेकिन, कुछ लोगों में इस समस्या के गंभीर फेज के लक्षण नजर आने लगते हैं।जो इस प्रकार हैं।
टॉक्सिक फेज (Toxic phase)
इस फेज में नजर आने वाले लक्षण सामान्यतया 24 घंटों में गायब हो जाते हैं। लेकिन, इसके बाद यह लक्षण फिर से हो सकते हैं। यही नहीं, इसके साथ आपको अन्य नए और गंभीर लक्षण भी नजर आ सकते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- यूरिनेशन में कमी (Decreased urination)
- पेट में दर्द (Abdominal pain)
- उल्टी आना (Vomiting)
- हार्ट रिदम प्रॉब्लम (Heart rhythm problems)
- सीजर्स (Seizures)
- नाक, मुंह और आंखों से खून निकलना (Bleeding from the nose, mouth, and eyes)
येलो फीवर का यह फेज जानलेवा हो सकता है। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि येलो फीवर से पीड़ित केवल पंद्रह प्रतिशत लोग ही इस गंभीर चरण के लक्षणों का अनुभव करते हैं। येलो फीवर के लक्षणों को मैनेज करने के लिए डॉक्टर रोगी को पर्याप्त फ्लूइड लेने की सलाह देते हैं। इसके साथ ही रोगी को हेल्दी ब्लड प्रेशर (Healthy Blood Pressure) मेंटेन करने और ब्लड ट्रांसफ़्यूजन्स (Blood transfusions) के लिए भी कहा जाता है। यही नहीं, अगर इस समस्या में रोगी को किडनी फेलियर (Kidney Failure) की समस्या हो, तो डायलिसिस (Dialysis) की सलाह भी दी जा सकती है। इस फीवर से बचने के लिए वैक्सीन को सबसे बेहतरीन तरीका माना गया है। येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) को जानने से पहले येलो फीवर वैक्सीन (Yellow fever vaccine) के बारे में थोड़ी जानकारी पा लेते हैं।
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येलो फीवर वैक्सीन क्या है? (Yellow fever vaccine)
येलो फीवर वैक्सीन (Yellow fever vaccine) का प्रयोग वयस्कों और कम से कम नौ महीने बच्चों में येलो फीवर की बीमारी से बचने के लिए प्रयोग किया जाता है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल और प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार यह रोग इस रोग के गंभीर लक्षणों वाले तीस से साठ प्रतिशत लोगों के लिए मृत्यु का कारण भी बन सकता है। ऐसे में इससे बचाव के लिए वैक्सीन का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है। अधिकतर इस वैक्सीन की सलाह उन लोगों को दी जाती है, जो उन जगहों पर रहते हैं या यात्रा करते हैं, जहां इस रोग के विकसित होने की संभावना अधिक होती है। येलो फीवर वैक्सीन (Yellow fever vaccine) के प्रयोग से व्यक्ति में वायरस के प्रति एंटीबॉडीज प्रोड्यूस होती हैं।
इस वैक्सीन को पेनलेस इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है। यह वैक्सीन अधिकतर लोगों को लाइफलॉन्ग सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है। लेकिन, येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) भी हो सकते हैं। आइए अब जानते हैं येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) के बारे में।
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येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects)
येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) में सबसे सामान्य साइड इफेक्ट्स है एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reaction)। यह साइड इफेक्ट्स इस वैक्सीन को प्राप्त करने के पांच से दस दिनों के बाद नजर आ सकते हैं। इस वैक्सीन के सामान्य दुष्प्रभाव इस प्रकार हैं:
- इंजेक्शन साइट पर रिएक्शन दर्द, सूजन, खुजली, लालिमा (Injection site reactions)
- बुखार (Fever)
- जोड़ों में दर्द (Joint pain)
- शरीर में खुजली (Body aches)
- मसल में दर्द (Muscle pain)
- फ्लू के जैसे लक्षण (Flu-like symptoms)
- रैशेज (Rashes)
- सिदर्द (Headache)
येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स में गंभीर साइड इफेक्ट्स (Serious Side effects)
यह तो थे इस बीमारी के सामान्य साइड इफेक्ट्स। लेकिन, इसके अलावा कुछ लोग अन्य गंभीर येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) का अनुभव भी कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- गर्दन या पीठ में अकड़न (Stiff neck or back)
- उल्टी आना (Vomiting)
- बेचैनी (Confusion)
- मेमरी लॉस (Memory loss)
- बैलेंस या कोऑर्डिनेशन लॉस (Loss of balance or coordination)
- उंगलियों और अंगूठों में कमजोरी (Weakness in fingers or toes)
- लाइट के प्रति संवेदनशीलता (Sensitivity to light)
- पीठ के निचले हिस्से में गंभीर दर्द (Severe lower back pain)
- मसल्स में कमजोरी (Muscle weakness)
- सीजर्स (Seizures)
- चलने, सांस लेने, बोलने, निगलने आदि में समस्या
यह येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) की कम्पलीट लिस्ट नहीं है। इसके अलावा कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स भी नजर आ सकते हैं, जैसे एलर्जिक रिएक्शंस। जानिए इसके बारे में विस्तार से।
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येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स में एलर्जिक रिएक्शंस (Allergic Reactions)
अगर आप इस वैक्सीन के बाद किसी भी एलर्जिक रिएक्शन को महसूस करते हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। यह एलर्जिक रिएक्शन के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं
- हाइव्ज (Hives)
- व्हीज़िंग (Wheezing)
- छाती में कसाव (Chest tightness)
- सांस लेने में समस्या (Difficult breathing)
- चेहरे, होंठ, गले या चेहरे में सूजन (Swelling of your face, lips, tongue, or throat)
अगर आपको इस वैक्सीन की पहली डोज के बाद जानलेवा एलर्जिक रिएक्शन नजर आते हैं, तो आपको इसकी बूस्टर वैक्सीन (Booster vaccine) नहीं लेनी चाहिए। यही नहीं, वैक्सीन लेने के तीस दिनों तक सभी साइड इफेक्ट्स को नोटिस करना न भूलें। अगर आपको बूस्टर डोज लेनी है, तो पहले डॉक्टर को पहली डोज के बाद होने वाले साइड इफेक्ट्स के बारे में जरूर बता दें। यह तो थी येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि वैक्सीन किन लोगों के लिए लेना आवश्यक है?
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येलो फीवर वैक्सीन किसे लेनी चाहिए?
येलो फीवर वैक्सीन (Yellow fever vaccine) लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरुरी है। खासतौर पर अगर आप किसी गंभीर समस्या से पीड़ित हैं, एलर्जिक है या कोई दवाई, हर्बल, सप्लीमेंट्स ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इनके बारे में अवश्य बताएं। निम्नलिखित लोगों को यह वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है:
- ऐसी जगह में रहने वाले नौ महीने से अधिक उम्र के बच्चों और वयस्कों को यह वैक्सीन लेने की सलाह दी जाती है, जहां इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है।
- जो लोग येलो फीवर वायरस (Yellow fever virus) के कांटेक्ट में आ सकते हैं। उन्हें भी यह वैक्सीन लगाने के लिए कहा जाता है जैसे हेल्थकेयर प्रोफेशनल या लेबोरेटरी वर्कर आदि।
- अगर कोई महिला गर्भवती है, तो उसे यह वैक्सीन केवल तभी लगाने की राय दी जाती है, अगर वो ऐसी जगह की यात्रा कर रही है। जहां यह महामारी फैली है और जहां मच्छरों से बचाव संभव नहीं है।
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अब जानिए किन लोगों को यह वैक्सीन नहीं लगानी चाहिए?
येलो फीवर वैक्सीन किन लोगों को नहीं लेनी चाहिए?
जैसा की पहले बताया गया है कि येलो फीवर एक गंभीर बीमारी है, जिसमें रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। लेकिन, फिर भी कुछ लोगों को यह वैक्सीन नहीं लेने की सलाह दी जाती है। इसका कारण येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) नहीं हैं। जानिए, किन स्थितियों में यह वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए?
- अगर बच्चे नौ महीने से कम उम्र का हो।
- 59 से अधिक उम्र के लोगों को यह वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए।
- कमजोर इम्युनिटी वाले लोग जैसे जो लोग कीमोथेरेपी ले रहे हों या HIV से पीड़ित हो।
- जिन लोगों को अंडे, ग्लूटेन या अन्य वैक्सीन के इंग्रीडिएंट से एलर्जी हो। उन्हें भी इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए।
- अगर किसी को इस वैक्सीन की पिछली डोज के बाद गंभीर एलर्जिक रिएक्शन (Allergic reactions) हों, उन्हें भी यह वैक्सीन न लेने की सलाह दी जाती है।
- जिन लोगों ने अपने थाइमस (Thymus) को हटा दिया है या जिन्हें थाइमस डिसऑर्डर (Thymus disorder) है। उन्हें भी यह वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए।
- अगर आपको बुखार है तो आपको यह वैक्सीन तब तक नहीं लेनी चाहिए, जब तक बुखार ठीक न हो जाए।
- जो महिलाएं गर्भवती (Pregnant) हैं या स्तनपान (Breastfeeding) करा रही हैं। उन्हें भी तभी वैक्सीनेशन करानी चाहिए, अगर उनका मच्छरों के काटने से बचाव संभव न हो।
प्रेग्नेंसी में टीकाकरण की क्यों होती है जरूरत ?
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उम्मीद है कि आपको येलो फीवर वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स (Yellow fever vaccine side effects) के बारे में यह जानकारी पसंद आई होगी। इस समस्या से बचने के लिए वैक्सीनेशन बेहद आवश्यक है। ऐसे स्थानों पर जहां यह बीमारी सामान्य है,वहां के लोगों के लिए इस रोग के लिए वैक्सीनेशन कराना अनिवार्य है, ताकि इसकी जटिलताओं से बचा जा सके। अगर आपको यह जानकारी नहीं है कि आप यह वैक्सीन लगानी चाहिए या नहीं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। आपके डॉक्टर आपको इस वैक्सीन के फायदे और नुकसानों के बारे में विस्तार से समझा सकते हैं।
हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखें कि यह वैक्सीन संपूर्ण सुरक्षा नहीं है। ऐसे में अगर आप ऐसी जगहों पर ट्रेवल कर रहे हैं। जहां येलो फीवर वायरस (yellow fever virus) की संभावना है, तो इस वैक्सीन के अलावा मच्छरों से बचाव के लिए अन्य तरीकों जैसे नेट, इन्सेक्ट रिपेलेंट्स (Insect repellents) और सही कपड़ों का भी प्रयोग करें। जिस समय पर मच्छर अधिक होते हैं, उस समय घर पर ही रहें। ताकि मच्छरों के कारण होने वाली बीमारियों के जोखिम से बचा जा सके।अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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