इसमें कोई संदेह नहीं है कि मां बनना हर महिला के लिए एक खूबसूरत सपने की तरह होता है। लेकिन, गर्भवती होने के लिए आपका शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। क्योंकि, अगर आप इसके लिए पूरी तरह से तैयार होंगी, तो आपके जीवन का यह दौर न केवल सुखद होगा, बल्कि आप और आपका शिशु पूरी तरह से स्वस्थ भी रहेंगे। हालांकि, गर्भावस्था के साथ जटिलताएं भी जुड़ी हुई हैं। केवल गर्भावस्था में ही नहीं, बल्कि कंसीव करने से पहले भी अगर आप कुछ चीजों का ध्यान रखेंगे तो आपकी प्रेग्नेंसी हेल्दी होगी। जानिए प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) कौन सी हैं?
प्रेग्नेंसी में समस्याएं दूर करने के लिए कंसीविंग से पहले पाएं कुछ टिप्स (Tips for Pregnancy Complications Before Conceiving)
प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) दूर करने के लिए गर्भवती होने से पहले ही आपको अपना ध्यान रखना शुरू करना होगा और साथ ही समय-समय पर डॉक्टर की सलाह भी लेनी होगी। जानिए क्या हैं यह तरीके:
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प्रीनेटल विटामिन का सेवन (Prenatal Vitamin)
विटामिन और मिनरल्स की कमी गर्भावस्था में बेहद सामान्य है। ऐसे में कंसीव करने से पहले हो प्रीनेटल विटामिन लेना शुरू कर लें। यह फर्टिलिटी के लिए बेहद जरूरी न्यूट्रिएंट है।
सही नुट्रिशन लें (Right Nutrition)
हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए सही आहार का होना भी जरूरी है। कंसीव करने से पहले अपने खानपान का खास ध्यान रखें। अपने आहार में प्रोटीन, फल, सब्जियां , साबुत अनाज आदि को अवश्य शामिल करें।
शरीर में पानी की कमी न होने दें (Stay Hydrated)
शरीर में पानी की कमी होने से अभी आपको गर्भावस्था के दौरान कई समस्याएं हो सकती हैं जैसे कब्ज ,सिरदर्द आदि। इसलिए गर्भावस्था के दौरान, पहले या बाद में हमेशा पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
व्यायाम (Exercise)
सामान्य हेल्थ के लिए आपका शारीरिक रूप से एक्टिव रहना जरूरी है। इससे आपका तनाव कम होगा, सर्कुलेशन सही से होगी, वजन कम होगा और आपको अच्छे से सोने में मदद मिलेगी। इसलिए रोजाना कम से कम कुछ मिनट व्यायाम के लिए निकालें।
मेडिटेशन करें (Meditation)
शोध के मुताबिक मेडिटेशन से होने वाली मां को गर्भावस्था में फायदा होता है। इसके साथ ही इसके और भी कई अन्य फायदे भी होते हैं जैसे दिमाग का शांत रहना आदि। इससे आपको सकारात्मक रहने में भी मदद मिलेगी। जिससे आपकी गर्भावस्था हेल्दी होगी।
प्रेग्नेंसी में समस्याएं कौन-कौन सी हैं? (Pregnancy Complications)
अधिकांश प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) बिना किसी जटिलता के होती हैं। लेकिन, ऐसा माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के लगभग 8 प्रतिशत मामलों में जटिलताएं होती है। अगर इन समस्याओं का सही समय पर इलाज न किया जाए तो माता या बच्चे को नुकसान हो सकता है। जानिए, प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) कौन-कौन सी हैं:
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum)
प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) मां और शिशु के लिए बेहद घातक हो सकती हैं। हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम उलटी, गंभीर जी मचलना, डीहाइड्रेशन से जुड़ी एक समस्या है। मॉर्निंग सिकनेस और हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम में अंतर यही है कि इसमें वजन बहुत तेजी से कम होता है। इसके लक्षण इस प्रकार है:
- अधिक जी मिचलाना (Severe Nausea)
- उल्टियां (Vomiting)
- भूख का कम होना (Reduced Appetite)
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के कारण (Causes of Hyperemesis Gravidarum)
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम के कारणों के बारे में पूरी तरह से जानकारी उपलब्ध नहीं है।
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हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम का निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Hyperemesis Gravidarum)
हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम (Hyperemesis Gravidarum) से बचाव संभव नहीं है। लेकिन गर्भावस्था में इसे कंट्रोल और मैनेज करने के लिए कुछ तरीके अपनाएं जा सकते हैं। इसके लिए,आपको नियमित प्रीनेटल केयर और पर्याप्त न्यूट्रिएंट की जरूरत पड़ सकती है। इसके निदान के लिए डॉक्टर आपसे इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। लक्षणों से ही इसका निदान हो सकता है। अगर इस बात का निदान हो जाता है कि आप हाइपरमेसिस ग्रेविडेरम से पीड़ित हैं तो डॉक्टर आपको हेल्दी आहार खाने की सलाह देंगे। कई महिलाओं के लिए यह उपचार काफी होता है। इसके साथ ही डॉक्टर आपको कुछ दवाईयां भी दे सकते हैं। गंभीर मामलों में न्यूट्रिएंट्स और फ्लुइड्स की कमी को पूरा करने के लिए इंट्रावेनस (IV) लाइन (intravenous (IV) line) का प्रयोग कर सकते हैं।
गेस्टेशनल डायबिटीज (Gestational Diabetes)
डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है, जो हमारे शरीर की शुगर को तोड़ने से रोकती है। गेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस (Gestational Diabetes Mellitus) गर्भावस्था में होने वाली समस्या है। इसका सबसे बड़ा जोखिम यही होता है कि शिशु का आकार सामान्य से अधिक होता है, जिसे मैक्रोसोमिया (Macrosomia) कहा जाता है। प्रग्नेंसी में समस्याएं कोई न कोई खतरा ले कर आती है। अधिकांश मामलों में के लक्षण नजर नहीं आते। लेकिन, कुछ मामलों में वो इन समस्याओं को महसूस कर सकती हैं:
- प्यास लगना (Feeling Thirsty)
- थकावट होना (Being Tired)
- मुंह का सुखना (Having a dry Mouth)
गेस्टेशनल डायबिटीज के कारण (Causes of Gestational Diabetes)
गर्भकालीन मधुमेह तब होता है जब हमारा शरीर गर्भावस्था के दौरान आवश्यक अतिरिक्त इंसुलिन नहीं बना पाता। इंसुलिन, हमारे अग्न्याशय में बना एक हार्मोन है, आपके शरीर को ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का उपयोग करने में मदद करता है और आपके रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान, हमारा शरीर विशेष हार्मोन बनाता है और अन्य के परिवर्तनों से गुजरता है, जैसे कि वजन बढ़ना। इन परिवर्तनों के कारण, हमारे शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पाती। इस स्थिति को इन्सुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है।
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गेस्टेशनल डायबिटीज का निदान और उपचार
गेस्टेशनल डायबिटीज आमतौर पर गर्भावस्था के अंतिम महीनों में होता है। अधिकांश महिलाओं को इसका कोई लक्षण नजर नहीं आता है। इसके निदान के लिए ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (glucose tolerance test) किया जाता है। इसके उपचार के लिए डॉक्टर आपको अपने ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करने के लिए कहेंगे। इसके लिए आपको सही आहार और व्यायाम की सलाह दी जाएगी। सही आहार से यह प्रेग्नेंसी की समस्या ठीक हो सकती है। लेकिन,कुछ महिलाओं को इंसुलिन या अन्य पिल्स की जरूरत भी हो सकती है।
प्लेसेंटा प्रिविआ (Placenta Previa)
प्रेग्नेंसी में समस्याएं समय से पहले शिशु के जन्म का कारण बन सकती हैं। इन्हीं में से अगली है प्लेसेंटा प्रिविआ (Placenta Previa)। गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा के माध्यम से शिशु तक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट पहुंचते हैं। ताकि शिशु का सही विकास हो सके। गर्भनाल सामान्य रूप से गर्भाशय के ऊपरी भाग से जुड़ी होती है। लेकिन प्लेसेंटा प्रिविआ की स्थिति में प्लेसेंटा या तो पूरी तरह से या आंशिक रूप से गर्भाशय ग्रीवा को कवर करती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं
प्रेग्नेंसी के सेकंड हाफ में बिना दर्द के ब्राइट रेड वजाइनल ब्लीडिंग इस समस्या का मुख्य लक्षण हैं। कुछ महिलाएं कॉन्ट्रैक्शंस (Contractions) और ऐंठन (Spasm) का भी अनुभव कर सकती हैं।
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प्लेसेंटा प्रिविआ के कारण (Causes of Placenta Previa)
प्लेसेंटा प्रिविआ के सही कारणों के बारे में ज्ञात नहीं है। लेकिन, यह होने का जोखिम उन महिलाओं को अधिक होता है, जिनके:
- किसी पुरानी सर्जरी के कारण यूटरस पर घाव हो (Have Scars on the Uterus)
- पहले गर्भावस्था में भी यह समस्या हो (Had Placenta Previa with Previous Pregnancy)
- गर्भ में एक से अधिक भ्रूण हो (Are Carrying more than one Fetus)
- उम्र 35 साल से अधिक हो (Are Age 35 or Older)
- धूम्रपान (Smoking)
निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment of Placenta Previa)
प्लेसेंटा प्रीविया का निदान अल्ट्रासाउंड के माध्यम से किया जाता है। प्लेसेंटा प्रीविया के अधिकांश मामलों का निदान दूसरी तिमाही की अल्ट्रासाउंड टेस्ट (Ultrasound) के दौरान होता है। इस समस्या का कोई उपचार या सर्जरी नहीं है लेकिन कुछ लक्षणों को मैनेज करके कुछ राहत मिल सकती है।
ब्लड प्रेशर (Blood Pressure)
ब्लड प्रेशर का बढ़ना यानी हाइपरटेंशन भी गर्भावस्था में सामान्य है। प्रेग्नेंसी में विभिन्न तरह के हाय ब्लड प्रेशर होते हैं, जैसे गेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension), क्रोनिक हाइपरटेंशन (Chronic Hypertension) और प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)। जानिए इनके बारे में विस्तार से:
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन (Gestational Hypertension)
गेस्टेशनल हाइपरटेंशन तब शुरू होता है, जब आप बीस हफ्ते की गर्भवती हों। इसका कोई अन्य लक्षण नहीं होता। लेकिन, यह आपको और आपके शिशु को प्रभावित नहीं करता है और शिशु के जन्म के कुछ हफ्तों बाद ठीक हो जाता है। हालांकि, इसके होने से आपको भविष्य में हाय ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है। गंभीर मामलों में इसके कारण लौ बर्थ वेट (low birth weight) और प्रीटर्म बर्थ की समस्या हो सकती है।
क्रोनिक हाइपरटेंशन (Chronic Hypertension)
यह समस्या बीसवें हफ्ते की गर्भावस्था से पहले या आपके गर्भवती होने से पहले होती है। कई महिलाएं इसके बारे में तब जान पाती हैं जब उनका ब्लड प्रेशर चेक होता है। क्रोनिक हाइपरटेंशन के कारण कई बार प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है।
प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia)
प्रीक्लेम्पसिया गर्भावस्था के बीसवें हफ्ते के बाद ब्लड प्रेशर का बढ़ना है। यह आमतौर पर अंतिम तिमाही में होता है। यह हाय ब्लड प्रेशर गंभीर और जान के लिए जोखिम भरी हो सकती है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- सिरदर्द जो ठीक नहीं हो रही हो (Headache that does not go Away)
- आंखों में समस्या (Vision Problems, including Blurred Vision)
- पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द (Pain in Your Upper Right Abdomen)
- सांस लेने में समस्या (Trouble Breathing)
प्रीक्लेम्पसिया के कारण (Cause of Preeclampsia)
प्रीक्लेम्पसिया के सही कारणों की जानकारी नहीं है, लेकिन इसके कारण इस प्रकार हो सकते हैं:
- पुअर फीटल ग्रोथ (Poor Fetal Growth)
- प्रीटर्म बर्थ (Preterm Birth)
- शिशु का वजन कम होना (Low Birth Weight Baby)
निदान और उपचार (Diagnosis and Treatment)
इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर आपके ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) की जांच करेंगे। इसके साथ ही यूरिन की जांच भी की जाएगी। इसके साथ ही आपको अन्य टेस्ट कराने के लिए भी कहा जा सकता है। शिशु के जन्म के बाद प्रीक्लेम्पसिया की समस्या खुद ठीक हो जाती है।
आपके उपचार के लिए डॉक्टर कई चीजों को ध्यान में रखेंगे। इसमें आपके रोग की गंभीरता, जोखिम आदि शामिल हैं।
- अगर आप 37 हफ्ते की गर्भवती हैं, तो डॉक्टर आपकी डिलीवरी के बारे में सोच सकते हैं।
- अगर आप 37 हफ्ते से कम समय की गर्भवती हैं तो डॉक्टर आपको और आपके शिशु को अच्छे से मॉनिटर करेंगे। आपके ब्लड और यूरिन टेस्ट भी कराये जा सकते हैं। इसके साथ ही अल्ट्रासाउंड(Ultrasound), हार्ट रेट मॉनिटरिंग (Heart Rate Monitoring) आदि भी की जाएगी। आपको ब्लड प्रेशर को सही रखने के लिए दवाईयां लेनी पड़ सकती हैं। कुछ महिलाओं को स्टेरॉयड इंजेक्शन (Steroid Injection) भी दिए जाते हैं, ताकि शिशु के फेफड़े अच्छे से विकसित हो सके।
- अगर यह समस्या गंभीर हो तो समय से पहले ही डिलीवरी कराई जा सकती है।
प्रेग्नेंसी में टीकाकरण की क्यों होती है जरूरत ?
प्रेग्नेंसी में समस्याएं दूर करने के लिए डॉक्टर की सलाह कब लेनी चाहिए?
अगर आपको प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) होने का कोई भी लक्षण दिखाई देता है, तो तुरंत डॉक्टर से बात करनी जरूरी है। क्योंकि, थोड़ी सी भी देरी आपके और आपके शिशु के लिए घातक हो सकती है। इन कुछ स्थितियों में आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए :
- वजाइनल ब्लीडिंग (Vaginal Bleeding)
- ऐंठन और दौरे पड़ना (Convulsions/Fits)
- गंभीर सिरदर्द के साथ सिर में दर्द (Severe Headaches with Blurred Vision)
- बुखार या बहुत अधिक कमजोरी (Fever and too weakness)
- गंभीर पेट में दर्द (Severe Abdominal Pain)
- सांस लेने में समस्या (Fast or Difficult Breathing)
- बुखार (Fever)
- पेट में दर्द (Abdominal pain)
- उंगलियों, चेहरे और टांगों में सूजन (Swelling of Fingers, Face and Legs)
प्रेग्नेंसी में समस्याएं कैसे हो सकती हैं दूर (Pregnancy Complications)
हालांकि, सभी प्रेग्नेंसी में समस्याओं का बचाव संभव नहीं है। लेकिन कुछ चीजों का पालन करके आप गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ रह सकते हैं और हाय रिस्क प्रेग्नेंसी से बच सकते हैं। जानिए कैसे हैं इनसे बचाव संभव:
- अगर आप गर्भवती होना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें। वो इसके लिए आपको मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार होने में मदद करेंगे। अगर आपको कोई मेडिकल समस्या है, तो भी आपके डॉक्टर इसके उपचार का सही तरीका बताएंगे।
- अधिक से अधिक फल, सब्जियों, लीन प्रोटीन और फाइबर को अपने आहार में शामिल करें ताकि प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) आपसे दूर रहें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। इसके लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं।
- प्रीनेटल विटामिन्स (Prenatal Vitamins) का रोजाना सेवन करें।
- अपने वजन को संतुलित बनाने रखें। इसके लिए भी आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं।
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- नियमित रूप से अपना इलाज कराने से भी आप प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) दूर करने में सफल हो सकते हैं।
- अगर आप स्मोकिंग करती हैं या शराब का सेवन करती हैं और चाहती हैं कि प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) आपके पास न आएं, तो इन दोनों से दूरी बना लें।
- अपने चिकित्सक से पूछें कि क्या आप जो दवाएं पहले से ले रहे हैं, उन्हें लेना जारी रखना ठीक है या उन दवाइयों को लेना बंद कर दें।
- गर्भावस्था में आराम और पर्याप्त नींद जरूरी है। इसलिए, इस समय सब कुछ अकेले मैनेज करने की जगह अपने साथी, प्रियजनों, दोस्तों आदि की मदद अवश्य लें। इससे आपको शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक सहयोग मिलेगा।
- अपने तनाव के स्तर को कम करें। संगीत सुनना और योग करना आपके तनाव के स्तर को कम करने के दो अच्छे तरीके हैं। अगर यह समस्या आपके जीवन को प्रभावित कर रही है तो अपने डॉक्टर की सलाह लें।
प्रेग्नेंसी में समस्याएं (Pregnancy Complications) होना सामान्य है। लेकिन, कुछ मामलों में यह आपके और शिशु के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकती हैं। इनसे बचने का तरीका है खुद का और अपने शिशु का ध्यान रखना। इसके लिए आपके लिए सही आहार, व्यायाम, पर्याप्त नींद आदि लेना जरूरी है। इसके साथ ही सबसे आवश्यक है, नियमित रूप से चेकअप कराना। ताकि शिशु की ग्रोथ और आपके स्वास्थ्य को मॉनिटर किया जा सके। अगर आपको प्रेग्नेंसी के दौरान कोई भी समस्या नजर आती है, तो उसी समय डॉक्टर की सलाह लें और उपचार कराएं।
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