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प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव यानी दूसरी तिमाही में रखें इन बातों का ध्यान!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव यानी दूसरी तिमाही में रखें इन बातों का ध्यान!

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) शुरू होने के साथ ही आप गर्भावस्था में एक स्टेप आगे बढ़ गई हैं।  इस समय को गर्भावस्था का सबसे खूबसूरत समय माना जाता है, क्योंकि इस दौरान पहली तिमाही में होने वाली समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। इस समय आप गर्भवती हैं, यह भी दिखना शुरू हो जाएगा, क्योंकि आपका पेट बढ़ चुका होगा। प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) भी मां और शिशु दोनों में कई बदलाव ले कर आता है। जानिए, गर्भवस्था की दूसरी तिमाही के बारे में क्योंकि इस दौरान भी सावधानियां बरतना जरूरी हैं।

    क्या है प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव? (What is Second Trimester)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) यानी गर्भावस्था का चौथा, पांचवां और छठा महीना। प्रेग्नेंसी लगभग चालीस हफ्तों की होती है। ऐसे में दूसरा ट्रायमेस्टर 13 से 27 हफ्ते के बीच का समय है। अधिकतर महिलाएं इस समय को सबसे अच्छा मानती हैं क्योंकि इस दौरान उन्हें कम शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इस समय शिशु की ग्रोथ भी अधिक हो चुकी होती है और गर्भवती महिला के शरीर में भी कई परिवर्तन आते हैं। जानिए, गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में क्या बदलाव आते हैं महिला के शरीर में।

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    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव मां के लिए क्या बदलाव लाता है? (Changes in Second Trimester)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) हालांकि पहली तिमाही की तुलना में सुखद होता है लेकिन कई महिलाएं इस समय भी कुछ परेशानियों का अनुभव करती हैं। यह परेशानियां शारीरिक और मानसिक दोनों हो सकती हैं। जानिए इनके बारे में विस्तार से:

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester)

    पेट के निचले हिस्से में खुजली (Lower Abdomen Itching)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) ले कर आता है अपने साथ कुछ नई परेशानियां। इस दौरान आप अपने पेट के निचले हिस्से में ऐंठन या दर्द का अनुभव कर सकते हैं। ऐंठन इसलिए होती है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपका गर्भाशय फैलता है। इससे यह आस-पास की मांसपेशियों और स्नायुबंधन पर दबाव पड़ता है। इस दौरान आप पेट के निचले भाग में खुजली भी महसूस करते हैं।

    पीठ में दर्द (Backache)

    गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में शिशु का विकास होता है। जिससे उसका वजन बढ़ता है और इस वजन के बढ़ने से आपकी पीठ में अतिरिक्त वजन पड़ता है। जिससे पीठ में सूजन और खुजली भी हो सकती है।

    मसूड़ों से खून आना (Bleeding Gums)

    कई महिलाएं इस दौरान मसूड़ों की समस्याएं भी महसूस करती हैं जैसे मसूड़ों का नरम होना। हॉर्मोन में बदलाव के कारण ऐसा होता है हालांकि शिशु के जन्म के बाद यह समस्या खुद ही ठीक हो जाती है।

    कंजेशन और नकसीर (Congestion and Nosebleeds)

    प्रेग्नेंसी की दूसरी तिमाही अपने साथ लेकर आएगी नाक संबंधी समस्याएं जैसे नाक का बंद होना। जिसके कारण रात को खर्राटे आना और नकसीर जैसी परेशानियां हो सकती हैं।

    सिर चकराना (Dizziness)

    गर्भाशय दूसरी तिमाही के दौरान फैलता है। यह रक्त वाहिकाओं (Blood vessels) को दबाता है और कई बार चक्कर आने का कारण बनता है। गर्भावस्था के दौरान अन्य कारण निम्न रक्त शर्करा (Low Blood Sugar) या हार्मोन परिवर्तन (Hormonal Change) हैं

    मूड स्विंग्स (Mood Swings)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) हो या अन्य कोई पड़ाव, मूड स्विंग जैसी समस्या अधिकतर महिलाएं महसूस करती हैं। यह समस्या बेहद आम है। यही नहीं, आप पहली तिमाही में ऐसा भी महसूस कर सकती हैं कि आपकी सेक्स के प्रति रूचि कम हो रही है। लेकिन दूसरी तिमाही में आपकी सेक्स डिजायर बढ़ेगी।

    इनके अलावा गर्भवती महिलाएं कुछ ऐसी परेशानियों का सामना भी कर सकती हैं। जो उन्हें पहली तिमाही में हुई थी। जैसे बार-बार बाथरूम जाना,सिरदर्द , कब्ज और हार्टबर्न आदि।

    और पढ़ें : गर्भावस्था में चेचक शिशु के लिए जानलेवा न हो जाएं

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव शिशु के लिए क्या बदलाव लाता है? (Baby Growth in Second Trimester)

    इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि प्रसव के दौरान, धीरे-धीरे और गहरी सांस लेने से आपको आराम करने में मदद मिलती है और यह आपकी मांसपेशियों में  होने वाले तनाव को भी रोकता है, जिससे आपके गर्भाशय ग्रीवा का विस्तार होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं को सांस फूलने की तकलीफ होती है। तो ऐसे में ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से आपको डिलीवरी के समय काफी आसानी होगी। सांस की समस्या से बचने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान आप इस तरह से खुद को सक्रिए रखें। 

    दूसरी तिमाही के अंत तक शिशु का वजन 800 ग्राम तक हो सकता है। इस दौरान शिशु आपके गर्भाशय में एमनियोटिक थैली के भीतर स्वतंत्र रूप से मूव करने में सक्षम होगा। आप उन्नीसवें हफ्ते में उसकी मूवमेंट को भी महसूस कर सकते हैं। इन तीन महीनों में शिशु के अंगों का विकास जारी रहता है और लिवर, किडनी, अग्न्याशय आदि काम करना शुरू कर देते हैं। इस समय शिशु अंगूठा चूसना भी शुरू कर देता है। बीसवें हफ्ते तक शिशु आवाजों को भी सुनना शुरू कर देगा।

    प्रेग्नेंसी के दूसरे पड़ाव में कौन से टेस्ट कराने जरूरी हैं?

    दूसरा ट्रायमेस्टर शुरू होने पर आपको हर दो से चार हफ्ते के बाद डॉक्टर से चेकअप कराना जरूरी है। ताकि, आप खुद को और अपने बच्चे को किसी भी जोखिम से बचा सकें। इस दौरान डॉक्टर आपको यह टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं:

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) के दौरान आपके डॉक्टर अल्ट्रासाउंड से इस बात को सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बच्चे का लिंग कौन सा है। लेकिन, हमारे देश में इसके बारे में पता करना या बताना कानूनी जुर्म है।

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव : इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं (Diet in Second Trimester)

    दूसरी तिमाही गर्भावस्था का अच्छा समय है जब पहली तिमाही की समस्याएं दूर हो जाती है और तीसरी तिमाही को शुरू होने में अभी वक्त होता है। लेकिन इस दौरान भी आपको अपने आहार का खास ध्यान रखना चाहिए। जानिए इस समय क्या खाएं और क्या न खाएं।

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester)

    क्या खाएं (What to eat)

    प्रेग्नेंसी के दूसरे पड़ाव में आपके आहार में कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन, खनिज आदि भरपूर मात्रा में होने चाहिए चाहिए। जानिए इस दौरान आपको क्या खाना चाहिए:

    • इस समय आपके आहार में फोलिक एसिड (Folic Acid) और आयरन (Iron) होना चाहिए। इसके लिए आपको हरी सब्जियां जैसे पालक, पत्तागोभी, ब्रोकली आदि अधिक खानी चाहिए। इसके साथ ही फलों का सेवन भी जरूर करें।
    • कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) युक्त आहार जैसे स्टार्ची फूड, साबुत अनाज आदि को खाना न भूलें।
    • डेयरी उत्पाद, जिनमें बसा कम मात्रा में हो, उन्हें भी अवश्य लें। क्योंकि इनमें कैल्शियम (Calcium) होता है, जो शिशु की हड्डियों के विकास के लिए जरूरी है। इसके लिए लौ फैट दूध, दही, पनीर आदि का सेवन करें।
    • प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। शिशु की सेहत को बनाये रखने के लिए अपने भोजन में मछली, अंडे बींस आदि को भी शामिल करें इसके साथ ही ओमेगा 3 फ़ेट्टी एसिड्स युक्त आहार का सेवन करना न भूलें।

    क्या न खाएं (What not to Eat)

    दूसरी तिमाही की प्रेग्नेंसी डायट में कुछ चीजों का सेवन सीमित मात्रा में या बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि यह भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है, जैसे:

  • कच्चा और अधपका मीट और अंडे नहीं खाना चाहिए (Raw and Undercooked Meats and Eggs )
  • मछली जिनमें मरकरी अधिक मात्रा में हो (Fish With Mercury)
  • कई तरह से सॉफ्ट चीज भी नहीं खाने चाहिए (Some Soft Cheese)
  • कैफीन युक्त पेय (Caffeine)
  • एल्कोहॉल का सेवन बिलकुल न करें (Alcohol)
  • धूम्रपान से भी बचे (Don’t Smoke)
  • अधिक चीनी युक्त आहार (Sugery Food)
  • और पढ़ें : गर्भावस्था में जरूरत से ज्यादा विटामिन लेना क्या सेफ है?

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव और व्यायाम (Exercise and Second Trimester)

    अगर आपको ऐसा लगता है कि गर्भावस्था के दूसरे पड़ाव में आपको व्यायाम नहीं करना चाहिए, तो आप बिलकुल गलत हैं। क्योंकि इस दौरान व्यायाम करने से न केवल आप फिट रहेंगी बल्कि आपके और आपके शिशु को स्वस्थ रहने में भी मदद मिलेगी। लेकिन, इन्हें करने से पहले डॉक्टर की सलाह लें और किसी एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में करें। जानिए इस दौरान आपको कौन से व्यायाम करने चाहिए:

    सैर (Walking)

    वाक या सैर करना वो साधारण व्यायाम है, जिसे आपको रोजाना करना चाहिए। इसे करने के लिए आप आरामदायक कपडे और जूते पहने। अपनी क्षमता के अनुसार आप रोजाना व्यायाम करेंगी, तो आपको अच्छा भी महसूस होगा।

    योग (Yoga)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) हो या पहला, योग भी आपको फिट रहने और दिमागी व भावनात्मक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। दूसरी तिमाही में हार्मोन्स में असंतुलन होता रहता है। जिसकी वजन से कई समस्याएं होती है। लेकिन, योगा करने से आपको इन समस्याओं को मैनेज करने में मदद मिलेगी। इसकी शुरुआत आपको ब्रीदिंग एक्सरसाइज जैसे प्राणायाम या आलोम-विलोम आदि से करनी चाहिए। लेकिन, योग के किसी भी आसान को करने से पहले डॉक्टर से पूछ लें और इन्हें किसी योगा एक्सपर्ट का मार्गदर्शन में ही करना चाहिए।

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester)

    स्विमिंग (Swimming)

    स्विमिंग करने से आपकी मांसपेशियों को आराम मिलेगा। लेकिन,ध्यान रहे कि इससे आपके पेट पर कोई दबाव न पड़े। नियमित रूप से तीस मिनटों तक व्यायाम करने से आपको लाभ होगा।

    दूसरी तिमाही में किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए (Things to Remember in Second Trimester)

    अपने आहार और व्यायाम के साथ ही आपको कई अन्य चीजों का भी ध्यान रखना चाहिए। यह सब आपके और आपके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। जानिए क्या हैं यह:

    अपने वजन को ट्रेस करें (Trace your Weight)

    वजन बढ़ना स्वस्थ गर्भावस्था का एक महत्वपूर्ण संकेत है। इस दौरान वजन का बढ़ना हर महिला के लिए अलग हो सकता है। आपके डॉक्टर को आपके वजन को मॉनिटर करना जरूरी है।

    अच्छे से सोने की कोशिश करें (Enough Sleep)

    हार्मोनल असंतुलन, मूड स्विंग्स और एंग्जायटी के कारण कई महिलाओं को सोने में समस्या हो सकती है। लेकिन प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) हो या कोई भी समय, इस दौरान आपको भरपूर आराम करना चाहिए। कम से कम सात से नौ घंटे की नींद जरूरी है।

    एंटी-स्ट्रेचमार्क क्रीम्स (Anti-Stretch mark Creams)

    आपका प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) चल रहा है, तो ऐसे में पेट का बढ़ना सामान्य है। पेट के बढ़ने और त्वचा के स्ट्रेच होने से स्ट्रेच मार्क्स होते हैं। स्ट्रेच मार्क्स देखने में भद्दे लगते हैं। इसलिए, इनसे बचाव के लिए एंटी-स्ट्रेचमार्क क्रीम्स का प्रयोग करें।

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    अपने परिवार के साथ समय बिताएं (Spend Time With Family)

    अगर आपका कोई बड़ा बच्चा है तो हो सकता है कि आपके गर्भवती होने के कारण को चिंतित हो और यह महसूस करे कि कहीं आपका प्यार उसके लिए कम तो नहीं हो गया। इसलिए इस समय का पूरा सदुपयोग करें और उसके साथ अधिक से अधिक समय बिताएं।

    डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें  (Do not take Medicine Without Doctor Advice)

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) कई समस्याओं का कारण बनता है। लेकिन, समस्या चाहे कोई भी हो कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवाई न लें। क्योंकि इस दौरान आपके द्वारा ली जाने वाली दवाईयां आपके शिशु को भी प्रभावित करेंगी। यह दवाइयां जटिलताओं का कारण बन सकती हैं

    और पढ़ें :  क्या आप जानते हैं गर्भावस्था के दौरान शहद का इस्तेमाल कितना लाभदायक है?

    प्रेग्नेंसी का दूसरा पड़ाव (Second Trimester) हार्मोनल बदलाव के कारण कभी-कभी परेशानी का कारण बन सकता है। लेकिन, किसी भी समस्या के होने पर डॉक्टर से सलाह लें। इस दौरान तनाव से बचना बहुत जरूरी है। याद रखें, गर्भावस्था जीवन का सबसे सुन्दर समय है। इस दौरान आपको कुछ मुश्किल स्थितियों से भी गुजरना पड़ सकता है। लेकिन, इसके बाद आपका सुनहरा भविष्य शिशु के रूप में आपके सामने होगा।

    डिस्क्लेमर

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    डॉ. प्रणाली पाटील

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    Nikhil deore द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

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