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जानिए क्या हैं महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण?

जानिए क्या हैं महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण?

हम सभी हेल्दी रहने की बात करते हैं। महिलाओं के लिए हेल्दी बॉडी का मतलब फर्टिलिटी भी होता है। अगर होंठ सूखते हैं तो समझा जाता है कि पानी की कमी हो रही है कब्ज की समस्या है तो डायजेशन ठीक से नहीं हो पा रहा है। इसी तरह फर्टिलिटी के कुछ लक्षण हैं। जिनको देखकर समझा जा सकता है कि महिला सुपर फर्टाइल है और वह गर्भधारण आसानी से कर सकती हैं। आइए जानते हैं महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण क्या हैं। महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण को समझकर हेल्दी प्रेग्नेंसी प्लान की जा सकती है।

डॉक्टर की राय

महिलाओं में फर्टिलिटी के बारे में लखनऊ के सहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर एवं गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर संतोष सहानी का कहना है कि महिलाओं की अच्छी मासिक चक्र और कंसीव करने करने के लिए उनका ओव्‍यूलेशन अच्छा होना जरूरी है। इसके लिए उन्हें  हेल्‍दी डायट लेना चाहिए। आप अपने खानें में हर सब्जियां, जैसे कि पालक, मेथी, साग, ब्रोकली, बींस और लौकी आदि शामिल करें। इसके अलावा फलों का भी सेवन करें। दूध और पनीर का भी। लेकिन अधिक फैट वाली चीजों के सेवन से बचें। सभी  माहिलाओं को पौष्टिक तत्‍वों से भरपूर डायट के साथ उन्हें अपनी लाइफस्टाइल की तरह भी ध्यान देना  चाहिए। इसके लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। वाॅक पर जाएं, योगा करें और भरपूर नींद लें। इसके अलावा महिलाओं की अच्छी फर्टिलिटी के लिए उनके शरीर में इन पोषक तत्वों की सही मात्रा होना बहुत जरूरी है-

फर्टिलिटी जांचने के लिए शरीर में मौजूद इन पोषक तत्वों की जांच भी बेहद जरूरी

फोलिक एसिड- गर्भावस्था के दौरान मातृ टिश्‍यु को बढ़ाने के काम आता है।

जिंक- सामान्य प्रजनन  के लिए बेहद जरूरी है।

मैग्शियम और विटामिन बी – हार्मोनल एक्टिविटी के लिए ये दोनों ही चीजें बेहद आवश्यक है।

विटामिन डी– इम्‍यून‍ सिस्‍टम के सही तरह से काम करने के लिए मदद करता है।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण क्या हैं?

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण आसानी से समझे जा सकते हैं।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 1 – समय पर पीरियड्स आना

पीरियड्स (मासिक धर्म) का 25 से 35 दिनों के साइकल में आना प्रेग्नेंसी के लिए परफेक्ट माना जाता है, लेकिन पीरियड्स के लिए कोई दवा का सेवन नहीं करना चाहिए।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण से समझें गर्भधारण करना कितना आसान है

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 2 – क्लियर डिस्चार्ज

महिलाओं को अक्सर वजायना से डिस्चार्ज होता है। डिस्चार्ज  साफ होना और उससे किसी तरह की कोई स्मेल न आना फीमेल के लिए हेल्दी प्रेग्नेंसी की निशानी होती है। इससे यूट्रस और सर्विक्स के स्वस्थ होने का संकेत मिलता है।

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महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 3 – अत्यधिक ब्लीडिंग

हर महिलाओं में पीरियड्स अलग होते हैं। कुछ महिलाओं 25 से 30 दिनों का पीरियड्स होता है तो कुछ महिलाओं में 25 से 35 दिनों का। पीरियड्स के दौरान हेवी ब्लीडिंग होना गर्भधारण के लिए पॉजिटिव साइन माना जा सकता है। हालांकि इस दौरान ज्यादा दिनों तक लगातार ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार पीरियड्स में 20ml से 30ml प्रतिदिन ब्लड फ्लो होना हेल्दी प्रेग्नेंसी की निशानी होती है।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 4 – साथ रहने वाली महिलाओं का पीरियड्स साथ आना

यह सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा, लेकिन ये सच माना जाता है। इस बारे में जब हमने कोलकाता की रहने वाली 21 साल की श्वेता मिश्रा से बात की तो उनका कहना था कि ‘ज्यादातर उनका मेंस्ट्रुअल साइकिल (पीरियड्स) उनकी बड़ी बहन शिवानी के साथ ही आता है।’ साथ में रह रहीं फ्रेंड्स, बहन, मां या भाभी के पीरियड्स के साथ आने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं ऐसा ही मानती हैं।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 5 – ब्रेस्ट साइज

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण से समझें गर्भधारण करना कितना आसान है

लड़कियों या महिलाओं के ब्रेस्ट साइज पर भी पर फर्टिलिटी निर्भर करती है। इसलिए पूरी तरह से डेवलप ब्रेस्ट होने से ऐसा समझा जा सकता है की शरीर में हॉर्मोन ठीक तरह से काम कर रहें हैं। हालांकि ऐसा समझना गलत होगा कि अगर किसी महिला का ब्रेस्ट साइज छोटा है तो वह गर्भवती नहीं हो सकती।

और पढ़ें-ऑव्युलेशन के दौरान दर्द क्यों होता है? इसके उपचार क्या हैं?

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 6 – पेल्विक पेन

PMS (प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम) के दौरान पेल्विक में पेन या क्रैंप होना फर्टिलिटी की निशानी है, लेकिन ज्यादा दर्द होना और लंबे वक्त होना परेशानी का कारण बन सकता है। ऐसे में ओवेरियन सिस्ट या इंडोमेट्रिओसिस की समस्या हो सकती है।

महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण 7 – आसानी से गर्भधारण होना

कई बार महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं या IUD (इंट्रायुट्राइन डिवाइस) जैसे प्रिकॉशन के बावजूद गर्भवती होना महिला का अत्यधिक फर्टाइल होना दर्शाता है।

ऊपर दिए गए 7 पॉइंट्स महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण माने जाते हैं। इनसे आप अपनी फर्टिलिटी भी जांच सकती हैं। हालांकि अगर किसी महिला को पीरियड्स या फर्टिलिटी से जुड़ी कोई परेशानी है, तो वह गर्भधारण नहीं कर सकती ऐसा नहीं है। बदलते वक्त में टेक्नोलॉजी भी बदल चुकी है और फर्टिलिटी बढ़ाने के लिए कुछ खास आहार का सेवन भी अनिवार्य रूप से करना चाहिए।

ऑव्युलेशन के दौरान शरीर में परिवर्तन

ऑव्युलेशन के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। शरीर की अच्छी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता किसी भी महिला की प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने का काम करती है। यदि कोई महिला फर्टाइल टाइम में सेक्स करें तो प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक रहती है। ऑव्युलेशन के समय शरीर में बदलाव नजर आते हैं। जानिए ऑव्युलेशन के समय शरीर में क्या चेंजेंस होते हैं।

ऑव्युलेशन के दौरान महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं। शरीर की अच्छी फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता किसी भी महिला की प्रेग्नेंसी की संभावना को बढ़ाने का काम करती है। यदि कोई महिला फर्टाइल टाइम में सेक्स करें तो प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक रहती है। ऑव्युलेशन के समय शरीर में बदलाव नजर आते हैं। जानिए ऑव्युलेशन के समय शरीर में क्या चेंजेंस होते हैं।

महिलाओं के लिए ऑव्युलेशन की गणना करना बहुत आसान है। महिलाएं साइकिल के दौरान 11 से 21 दिनों में ऑव्युलेशन करती हैं। पहला दिन पीरियड्स का दिन माना जाता है। इस हिसाब से महिलाएं आठवें दिन और 21वें दिन ऑव्युलेशन करती हैं। अगर किसी महिला को प्रेग्नेंट होना है तो उसे आठवें दिन से 21वें दिन तक सेक्स करना चाहिए। ऐसे में प्रेग्नेंट होने की संभावना अधिक होती है।

ब्रेस्ट में हल्का पेन होना

ऑव्युलेशन का समय जब आता है तो किसी भी महिला के शरीर में विभिन्न प्रकार के बदलाव होते हैं। महिला को ऐसे में ब्रेस्ट में हल्का पेन महसूस हो सकता है। ऐसा महिलाओं को पीरियड्स हो जाने के बाद एहसास होता है। वहीं कुछ महिलाओं को ब्रेस्ट रोजाना की अपेक्षा कड़ापन महसूस हो सकता है। ऐसे में ब्रेस्ट में हल्का सा झटका या फिर छूने भर से भी दर्द का एहसास हो सकता है।

डिस्चार्ज में बदलाव

हर महिला में थोड़ा बहुत डिस्चार्ज आता है लेकिन ऑव्युलेशन के समय डिस्चार्ज सफेद और थिक हो जाता है। ऑव्युलेशन के समय डिस्चार्ज के कारण गीलेपन का एहसास भी होता है। ये ऑव्युलेशन के लक्षणों में से एक है।

सेक्स की अधिक इच्छा

जब शरीर में हार्मोनल चेंज होते हैं तो इच्छा में भी बदलाव महसूस होता है। इन्ही में से एक ऑव्युलेशन का समय। ऑव्युलेशन के समय पर महिलाओं को सेक्स की इच्छी ज्यादा होती है। ऐसा हार्मोन में आए बदलाव के कारण होता है।

हल्का सा मरोड़ महसूस होना

अगर कोई भी महिला उपरोक्त दिए गए लक्षणों को महसूस करेगी तो वो आसानी से पता लगा सकती है कि कब ऑव्युलेशन की प्रोसेस हो रही है। ऑव्युलेशन के दौरान पेट में हल्की सी मरोड़ यानी क्रैंप का एहसास भी हो सकता है। ये बहुत ज्यादा नहीं होता है लेकिन इसका एहसास महिला कर सकती है।

कलेंडर चेक करना न भूलें

आपको यहां कुछ लक्षण बताएं गए हैं, जिनके आधार पर ये बताया जा सकता है कि ऑव्युलेशन कब हो रहा है। आप लक्षणों के साथ ही कलेंडर की हेल्प भी ले सकते हैं। आपका जब भी पीरियड शुरू हो, उसके 11 दिन से लेकर 21 दिनों तक आप चाहे तो सर्कल भी कर सकती हैं। ऐसा करने से आपको जानकारी रखने में मदद मिलेगी। अगर आप चाहे तो ऑव्युलेशन प्रिडक्टर किट का उपयोग भी कर सकती हैं। किट ल्यूटेनाइजिंग हार्मोन की मदद से ऑव्युलेशन के समय को बताने का काम करती है।

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हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए क्या खाएं?

प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रहीं हैं या कुछ सालों बाद गर्भवती होना चाहती हैं, तो अपने आहार में निम्नलिखित खाद्य पदार्थों को शामिल करें। जैसे –

1. एवेकाडो

एवेकाडो फाइबर से भरपूर माना जाता है। अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना इसमें 7% फाइबर ज्यादा होता है। यह महिलाओं के रिप्रोडक्टिव सिस्टम को स्वस्थ रखने में सहायक होता है।

2. बीन्स और दाल

शरीर को सही मात्रा में आयरन नहीं मिलने पर इनफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है। इसलिए आहार में नियमित रूप से बीन्स और दालें शामिल करना चाहिए।

और पढ़ें : अनियमित पीरियड्स को नियमित करने के 7 घरेलू नुस्खे

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3. नट्स एंड ड्राई फ्रूट्स

ड्राई फ्रूट्स और नट्स में एंटीऑक्सीडेंट, प्रोटीन, विटामिन ई और मिनिरल की मौजूदगी शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करती है। इसके नियमित सेवन से एग (Egg) का प्रोडक्शन बेहतर होता है।

4. सेसमे सीड्स

एग बनने के लिए शरीर को जिंक की जरूरत होती है  और सेसमे सीड्स में जिंक की प्रचुर मात्रा महिलाओं के लिया अच्छा माना जाता है।

5.  प्रजनन क्षमता बढ़ाने के लिए खाएं बेरीज

बेरीज में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा गर्भ में बन रहे एग (अंडे) को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखता है। इसलिए महिलाओं को बेबी प्लानिंग करने के पहले  बेरीज का सेवन करना चाहिए।

और पढ़ें : 8 मंथ प्रेग्नेंसी डाइट चार्ट, जानें इस दौरान क्या खाएं और क्या नहीं?

6. हरी सब्जियां खाने से बढ़ सकती है प्रजनन क्षमता

पालक, काले और अन्य हरी पत्तेदार सब्जियां फोलिक एसिड, आयरन, मैगनीज, कैल्शियम और विटामिन-ए से भरपूर होती हैं। यह महिलाओं की सेहत और हेल्दी प्रेग्नेंसी के लिए अत्यधिक आवश्यक है।

7. अदरक

अदरक सुपरफूड की श्रेणी के अंतर्गत आता है। इसमें मौजूद एंटी-इंफ्लमेंट्री तत्व ब्लड सर्क्युलेशन और डायजेशन को ठीक रखने में मदद करते हैं। इसके साथ ही अदरक रिप्रोडक्टिव सिस्टम को बेहतर रखता है। पीरियड साइकल ठीक रहता और रिप्रोडक्टिव ऑर्गन में होनी वाले सूजन से बचाता है।

8. फाइबर को खाने में करें शामिल

खाने में फाइबर को शामिल करने से एक्सेस हार्मोन से छुटकारा मिलता है और साथ ही ब्लड शुगर भी बैलेंस रहता है। वहीं कुछ फाइबर एस्ट्रोजन को बैलेंस करने का भी काम करते हैं। अधिक एस्ट्रोजन को ये शरीर से बाहर निकालने का काम भी करते हैं। स्टडी में ये बात सामने आ चुकी है कि खाने में फाइबर को शामिल करने से महिला और पुरुष दोनों में प्रजनन क्षमता बढ़ती है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी परामर्श कर सकते हैं।

इन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में नियमित सेवन करना चाहिए। इससे इनफर्टिलिटी की समस्या दूर हो सकती है।

ट्रांस फैट से बचें

हेल्दी फैट खाने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और साथ ही शरीर स्वस्थ्य रहता है। वहीं ट्रांस फैट का सेवन करने से इनफर्टिलिटी के चांसेज बढ़ जाते हैं। साथ ही ट्रांस फैट इंसुलिन सेंसिटिविटी को भी बुरी तरह से प्रभावित करता है।ट्रांस फैट मुख्य रूप से हाइड्रोजनेटेड वेजीटेबल ऑयल के साथ ही फ्राइड फूड, प्रोसेस्ड फूड और बेक्ड फूड में होता है। ऐसा स्टडी में सामने आया है कि हाई ट्रांस फैट और लो अनसैचुरेटेड फैट इनफर्टिलिटी को बढ़ाने का काम करता है।

और पढ़ें : प्रेग्नेंसी में सबसे पौष्टिक आहार है साबूदाना

गर्भवती होने के लिए क्या-क्या विकल्प मौजूद हैं?

अगर कोई महिला गर्भधारण में परेशानी महसूस कर रही है, तो निम्नलिखित विकल्पों का सहारा ले सकती हैं। जैसे कि,

IUI (इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन)

इंट्रायूट्राइन इनसेमिनेशन (IUI) प्रेग्नेंट होने के लिए एक कृत्रिम तकनीक है। इसे फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के नाम से भी जाना जाता है। आईयूआई (IUI) में पुरुष के स्पर्म को महिला के यूट्रस में डाला जाता है, जिससे फर्टिलाइजेशन होता है। IUI की मदद से स्पर्म को फैलोपियन ट्यूब में पहुंचाना होता है, जिससे फर्टिलाइजेशन की संभावना ज्यादा हो जाती है। हालांकि, आईयूआई का प्रयोग उन कपल में किया जाता है, जिन्हें अनएक्सप्लेनड इनफर्टिलिटी की समस्या होती है।

IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन)

आईवीएफ (IVF) जिसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन कहते हैं। इस तकनीक की मदद से वे महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती हैं, जिन्हें प्रेग्नेंट होने में परेशानी हो रही हो। दरअसल इस प्रॉसेस की मदद से महिलाओं में दवाओं की मदद से फर्टिलिटी बढ़ाई जाती है, जिससे गर्भधारण करना आसान हो जाता है।

 उपरोक्त जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह यानी मेडिकल एडवाइज का ऑप्शन है। अगर किसी महिला में प्रजनन क्षमता के अच्छे लक्षण दिख रहे हैं और साथ ही पीरियड्स भी सही समय पर हो रहा है, उन महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इफर्टिलिटी की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।महिलाओं में फर्टिलिटी के लक्षण से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जबाव जानना चाहती हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।

 

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

13/10/2020

Nidhi Sinha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Niharika Jaiswal


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के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Nidhi Sinha द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/10/2020

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