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बच्चों में निमोनिया के संकेतों को न करें इग्नोर, खड़ी हो सकती है गंभीर स्थिति!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Mayank Khandelwal


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 13/12/2021

    बच्चों में निमोनिया के संकेतों को न करें इग्नोर, खड़ी हो सकती है गंभीर स्थिति!

    पहले निमोनिया का इलाज संभव नहीं था। उस समय के बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) कई बार जानलेवा बन जाता था। आज के दौर में ज्यादातर बच्चों में इसका इलाज संभव है। बता दें कि निमोनिया का सबसे आम कारण स्ट्रेप्टोकॉकल बैक्टीरिया है। यह बैक्टीरिया एक प्रकार के निमोनिया का कारण बनता है जिसे टिपिकल निमोनिया कहा जाता है। रेस्पिरेटरी सिंसीटियल वायरस (respiratory syncytial virus) इनफ्लूएंजा (Influenza) पैराइनफ्लूएंजा (Parainfluenza) अडिनोवायरस (Adenovirus) से वायरल निमोनिया भी होता है।

    बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैल जाते हैं। ऐसा छींकने, खांसने पर म्यूकस या सलाइवा के सीधे संपर्क में आने से होता है। यह बैक्टीरिया संक्रमण बच्चे के इम्यून सिस्टम को कमजोर कर देता है और फैफड़ों में फैल जाता है। आंकडों पर गौर करें, तो सालाना तौर पर, लगभग 450 लाख लोगों में निमोनिया के लक्षण पाए जाते हैं। जिनमें 40 से 60 फीसदी छोटे बच्चे शामिल होते हैं। इसके कारण लगभग 4 लाख लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। 19वीं शताब्दी में विलियम ओस्लर द्वारा निमोनिया को “मौत बांटने वाले पुरुषों का मुखिया” तक कहा गया था, लेकिन 20वीं शताब्दी में निमोनिया के उपचार के लिए एंटीबायोटिक और टीकों का सफल निर्माण किया गया, जिससे निमोनिया के कारण होने वाले मृत्यु दर को काफी हद तक कम किया गया। हालांकि, इसके बावजूद,अभी भी विकासशील देशों में, बुजुर्गों और वयस्कों के साथ-साथ छोटे बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) के नए मामले हर साल देखे जाते हैं।

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    निमोनिया क्या है? (What is Pneumonia?)

    निमोनिया फेफड़ों का एक संक्रमण है। फेफड़ों के एयर सेक (एलवीओली) में पस या अन्य फ्लूइड भर जाता है, जिससे ब्लडस्ट्रीम में ऑक्सीजन पहुंचना मुश्किल हो जाता है। पांच वर्ष से कम उम्र के ज्यादातर बच्चों को निमोनिया होता है। इसका असर हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। यह मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु, सूक्ष्मजीव के साथ-साथ कुछ दवाओं के संक्रमण के कारण होता है।

    निमोनिया के प्रकार (Types of Pneumonia)

    निमोनिया के मुख्य पांच प्रकार माने जाते हैं, जिसमें –

    बैक्टीरियल निमोनिया (Bacterial Pneumonia)- स्ट्रेप्टीकोकस निमोनिया की वजह से बैक्टीरियल निमोनिया की वजह से होता है। यह प्रायः न्यूट्रिशन की कमी, बढ़ती उम्र या किसी क्रोनिक डिजीज की वजह से होने वाली बीमारी है।

    वायरल निमोनिया (Viral Pneumonia)- निमोनिया इन्फ्लूएंजा या फ्लू की वजह से वायरल निमोनिया का खतरा बना रहता है। वायरल निमोनिया का खतरा बैक्टीरियल निमोनिया होने की वजह से ज्यादा होती है।

    माइकोप्लाज्मा निमोनिया (MycoplasmaPneumonia)- माइकोप्लासम निमोनिया जीवाणु की वजह से माइकोप्लाज्मा निमोनिया होने की संभावना ज्यादा होती है।

    एस्पिरेशन निमोनिया (Aspiration Pneumonia)- यह निमोनिया अनहेल्दी फूड या धूल की वजह से होने वाली बीमारी है।

    फंगल निमोनिया (Fungal Pneumonia)- फंगस की वजह से होने वाले निमोनिया फंगल निमोनिया के अंतर्गत आता है।

    निमोनिया किसी को भी हो सकता है, लेकिन खास तौर पर बच्चे, सीओपीडी और अस्थमा जैसी पुरानी बीमारी वाले लोगों को इसका ज्यादा खतरा बना रहता है। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं, बच्चों में इसके लक्षणों को कैसे पहचाना जाए।

    कैसे पहचाने बच्चों में निमोनिया के लक्षण? (Symptoms of Pneumonia)

    हर बच्चे में निमोनिया के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। ज्यादातर मामलों में बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) के निम्नलिखित लक्षण सामने आ सकते हैंः

    • तेजी से सांस लेना (सिर्फ कुछ ही मामलों में यह लक्षण सामने आता है।)
    • सांस लेते वक्त आवाज आना
    • सांस लेने में परेशानी होना
    • बुखार
    • खांसी
    • स्टफी नोज
    • ठंड से कंपकंपी लगना
    • उल्टी
    • सीने में दर्द
    • पेट में दर्द (बच्चों को खांसते वक्त सांस लेना मुश्किल होता है)
    • फिजकली कम एक्टिव रहना
    • ऐप्टेटाइट का खत्म होना (बड़े बच्चों में) या शिशु की फीडिंग अच्छी ना होना, जिससे उन्हें डीहाइड्रेशन हो सकता है।
    • होंठ और उंगलियों के नाखून का रंग बुलिश या ग्रे पड़ जाना

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    बच्चों में निमोनिया के टेस्ट (Tests for Pneumonia)

    बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का पता लगाने के लिए डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन कर सकता है। इसमें वह निम्नलिखित टेस्ट कर सकता हैः

    चेस्ट एक्स-रे से बच्चों में निमोनिया का पता लगाएं

    बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का पता लगाने के लिए डॉक्टर चेस्ट एक्स रे (x- ray) के माध्यम से टिस्सूज, हड्डियों और ऑर्गन्स की इंटरनल इमेज लेते हैं।

    ब्लड टेस्ट भी बताए बच्चों में निमोनिया के लक्षण

    ब्लड टेस्ट (Blood test) के माध्यम से भी बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का पता लगाया जा सकता है। कुल ब्लड काउंट से संक्रमण का पता चल सकता है। आर्टिरियल ब्लड गैस टेस्ट भी कराया जा सकता है। इससे ब्लड में कितनी कार्बनडाइऑक्साइड और ऑक्सीजन है इसकी जानकारी मिलती है।

    बच्चों में निमोनिया के लिए बलगम की जांच

    बलगम जांच (Mucus test) में फेफड़ों से होकर मुंह में आने वाले बलगम की जांच की जाती है। इससे बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) या कोई संक्रमण है या नहीं, इसकी जानकारी मिलती है। हालांकि, आमौतर पर यह टेस्ट नहीं किया जाता है क्योंकि, बच्चों से बलगम का सैंपल लेना मुश्किल होता है।

    पल्स ओक्सीमेट्री (Pulse oximetry)

    ओक्सीमेट्री मशीन के जरिए ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा का आंकलन किया जाता है। इस जांच को करने के लिए डॉक्टर छोटे सेंसर को उंगली या अंगूठे में लपेट देता है। इस मशीन को चालू करने पर सेंसर में एक लाल रंग की बत्ती जल जाती है। हालांकि, इस सेंसर टेस्ट में दर्द नहीं होता, क्योंकि यह लाल रंग की बत्ती गर्म नहीं होती।

    चेस्ट सीटी स्कैन

    चेस्ट सीटी स्कैन (CT scan) के जरिए डॉक्टर सीने के अंदर के स्ट्रक्चर की इमेज लेता है। ज्यादातर मामलों में यह टेस्ट नहीं किया जाता है।

    ब्रोंकोस्कोपी

    ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) से फेफड़ों की एयरवेस के अंदर देखा जाता है। यह टेस्ट भी बहुत ही कम मामलों में किया जाता है।

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    बच्चों में निमोनिया का इलाज (Pneumonia in children treatment)

    Pneumonia

    बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का इलाज करने के लिए डॉक्टर पहले बच्चों में निमोनिया के प्रकार और कारणों का पता करते हैं। बैक्टीरियल निमोनिया की स्थिति में डॉक्टर आपके बच्चे को एंटीबायोटिक्स दवाइयां दे सकता है। वहीं, वायरल निमोनिया को पुख्ता इलाज उपलब्ध नहीं है। वायरल निमोनिया समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाता है। फ्लू से संबंधित बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का इलाज एंटीवायरल दवाइयों से किया जाता है। इसके अलावा, कुछ अन्य उपायों से भी बच्चों में निमोनिया के लक्षणों को कम किया जा सकता है।

    इन बातों का रखें ध्यान

    • पर्याप्त आराम
    • बॉडी में फ्लूड का स्तर बनाए रखना
    • बच्चे के रूम में ठंडा मिस्ट ह्यूमिडफायर लगाना
    • बुखार और असहजता को कम करने के लिए बुखार की दवा देना
    • दर्द को कम करने के लिए पेन रिलीवर दवा देना
    • गर्म पैड या वॉर्म कंप्रैस
    • यदि बच्चा हल्के गर्म पैड या वॉर्म कंप्रैस के लिए सहज है तो इन्हें उसके चेस्ट पर रखा जाना चाहिए। इसकी गर्माहट से बच्चे के सीने का दर्द और असहजता कम होगी।
    • खांसी की दवा देकर

    निमोनिया की स्थिति गंभीर होने पर इसका इलाज अस्पताल में किया जाता है। अस्पताल में निम्नलिखित प्रकार से निमोनिया का इलाज किया जाता है।

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    बच्चों में निमोनिया का इलाज (Treatment for Pneumonia in children)

    बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) का इलाज जल्द से जल्द करवाने की सलाह डॉक्टर देते हैं। बच्ची स्थिति को जल्द से जल्द बेहतर बनाने के लिए समय न गंवाते हुए लक्षणों पर ध्यान देने की जरूरत पड़ती है, जिससे जरूरी टेस्ट्स के ज़रिए स्थिति की गम्भीरता को पहचान कर इलाज करवाया जा सके।

    • डायरेक्ट ब्लड में एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) चढ़ाकर या मुंह के जरिए बैक्टीरियल संक्रमण की दवा देकर
    • बच्चे की दवाइयां ना पीने की स्थिति में उसे इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स (Intravenous antibiotics) दी जा सकती है
    • ऑक्सीजन थेरेपी (Oxygen therapy)
    • नाक और मुंह में सकिंग मशीन (Sucking machine) से मोटे म्यूकस को खींचकर
    • डॉक्टर के आदेश पर बच्चे का ब्रीथिंग ट्रीटमेंट भी किया जा सकता है

    इन तरीक़ों के अनुसार इलाज करने पर बच्चे को निमोनिया के चंगुल से छुटकारा या निमोनिया से निजात दिलाया जा सकता है। अंत में हम यही कहेंगे कि बच्चों में निमोनिया (Pneumonia in children) के लक्षण नजर आते ही किसी भी प्रकार के घरेलू इलाज के बजाय डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। सही उपचार से ही बच्चा स्वस्थ्य हो सकेगा।अगर सजग रहा जाए, तो निमोनिया से निजात मिल सकती है,।

    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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