टर्नर सिंड्रोम एक कंजेनिटल कंडीशन है यानी यह वो स्थिति है, जिसके साथ मनुष्य जन्म लेता है हम में से हर व्यक्ति दो क्रोमोसोम्स के साथ जन्म लेता है। अगर आप फीमेल हैं, तो आपमें जन्म के समय दो एक्स क्रोमोसोम्स होंगे। लेकिन, अगर आप मेल हैं, तो आपमें जन्म के समय एक एक्स और एक वाई क्रोमोसोम होगा (X and Y chromosomes)। टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) की समस्या तब होती है, जब फीमेल में एक क्रोमोसोम मिसिंग होता है। यह क्रोमोसोम पार्शियली या पूरी तरह से मिसिंग हो सकता है।
टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) से प्रभावित महिलाओं और लड़कियों का डील-डौल छोटा होता है। इस समस्या को आमतौर पर बच्चे के पांच साल की उम्र के होने पर पहचाना जा सकता है। हालांकि, इस सिंड्रोम के कारण प्रभावित व्यक्ति की इंटेलिजेंस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन, इसके कारण उसकी डेवलपमेंट में देरी हो सकती है। इसमें हार्ट प्रॉब्लम भी सामान्य है। इस रोगी के कारण लाइफ एक्सपेक्टेंसी कम हो सकती है। लेकिन, सही स्क्रीनिंग और उपचार से हेल्थ संबंधी कई समस्याओं से बचा जा सकता है। अब जानिए टर्नर सिंड्रोम और प्रेग्नेंसी (Turner syndrome and Pregnancy) में क्या संबंध है?
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टर्नर सिंड्रोम और प्रेग्नेंसी के बीच में क्या लिंक है? (Turner syndrome and Pregnancy)
टर्नर सिंड्रोम और प्रेग्नेंसी (Turner syndrome and Pregnancy) के बारे में यह जानना बेहद जरूरी है कि टर्नर सिंड्रोम आमतौर पर इनहेरिटेड नहीं है, लेकिन यह जेनेटिक है। यह रोग एक रेंडम एरर (Random Error) के कारण होता है, जिसके कारण पैरेंट के स्पर्म और एग में एक्स क्रोमोजोम की कमी हो जाती है। बहुत कम प्रेग्नंसीस जिसमें फीटल को टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) होता है, वो सर्वाइव कर पाते हे। इस सिंड्रोम के कारण गर्भावस्था में शुरुआती चरण में ही प्रेग्नेंसी लॉस हो सकता है। यही नहीं, अधिकतर महिलायें जो टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित होती है, वो प्राकृतिक रूप से प्रेग्नेंट नहीं हो पाती हैं। एक शोध के मुताबिक टर्नर सिंड्रोम (Turner syndrome) से पीड़ित लगभग चालीस प्रतिशत महिलाएं डोनेट किए एग्स के प्रयोग से गर्भवती होती हैं। हालांकि, टर्नल सिंड्रोम से पीड़ित गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान है ब्लड प्रेशर का जोखिम बढ़ जाता है, जिसके कारण कई अन्य जटिलताएं भी हो सकती हैं। जिसमें प्रीटर्म बर्थ और फीटल ग्रोथ में समस्या आदि शामिल है।
टर्नर सिंड्रोम से पीड़ित महिलाओं को गर्भावस्था में एओर्टिक डिसेक्शन (Aortic dissection) का जोखिम भी हो सकता है। एओर्टिक डिसेक्शन एओर्टा की इनर वॉल के डैमेज होने की परेशानी को कहा जाता है। एओर्टा वो मेजर आर्टरी है, जो हार्ट तक खून को कैरी करती है। एओर्टा की इनर वॉल के डैमेज होने से खून एओर्टा की लायनिंग में तेजी से प्रवाहित होता है। इसके कारण यह एओर्टा के माध्यम से ब्लड फ्लो प्रतिबंधित हो सकता है। यह ऐसी स्थिति है जो एन्यूरिज्म (Aneurysm) का कारण बन सकती है। एन्यूरिज्म एक जानलेवा समस्या है।