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नार्कोलेप्सी होने का क्या कारण है?
नार्कोलेप्सी होने के कारणों की अभी तक कोई सटीक जानकारी नहीं है। लेकिन नार्कोलेप्सी और कैटाप्लेक्सी होने का कारण ब्रेन प्रोटीन ‘हाइपोक्रेटिन’ का कम होना माना जाता है। हाइपोक्रेटिन हमारे स्लीप साइकिल को नियंत्रित रखने के लिए जिम्मेदार होती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइपोक्रेटिन लेवल जीन म्यूटेशन के कारण कम हो जाता है। कुछ मामलों में नार्कोलेप्सी अनुवांशिक होता है।
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नार्कोलेप्सी का पता कैसे लगाया जाता है?
नार्कोलेप्सी का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आपकी मेडिकल और पारिवारिक हिस्ट्री की जांच करते हैं। फिर आपकी नींद पर कुछ अध्ययन करते हैं।
पॉलीसॉम्नोग्राम [Polysomnogram (PSG or sleep study)]
पॉलीसॉम्नोग्राम में पूरी रात के लिए आपके ब्रेन और मांसपेशियों के एक्टिविटी, सांसों और आंखों के मूवमेंट को रिकॉर्ड किया जाता है। जिसके रिकॉर्डिंग के आधार पर ही नींद के कारणों का पता लगाया जाता है।
मल्टीपल स्लीप लैटेंसी टेस्ट [Multiple sleep latency test (MSLT)]
मल्टीपल स्लीप लैटेंसी टेस्ट से पता लगाया जाता है कि आप कैसे कितनी जल्दी और कैसे सो रहे हैं। इसके बाद अगले दिन आपको पांच बार हर दो घंटे पर थोड़े-थोड़े वक्त के लिए सुलाया जाता है। अगर व्यक्ति पांच बार नींद लेने के बाद भी आठ मिनट से पहले सो जा रहा है। तो इसका मतलब होता है कि व्यक्ति एक्सेसिव अनकंट्रोल्ड स्लीपीनेस से ग्रसित है।
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नार्कोलेप्सी होने पर क्या उपाय करें?
नार्कोलेप्सी होने पर आपको डॉक्टर द्वारा कुछ दवाएं दी जाती हैं। जिससे आप अपने नींद पर कुछ हद तक तो कंट्रोल पा सकते हैं।
- स्टीम्यूलेंट्स लें, जैसे- अर्मोडाफिनिल, मॉडिफिनिल और मेथाइलफेनिडेट। ये दवाएं आपको जागने में मदद करेंगी।
- ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स, जो कैटाप्लेक्सी को कम करते हैं। इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे- कब्ज, मुंह का सूखना और बार-बार पेशाब आना।
- सेरोटोनिन-नॉर-एपिनेफ्रीन रिअपटेक इंहिबिटर्स (SNRIs) जैसे- वेनलफैक्सीन लेने से आपको नींद कम आएगी। साथ ही आपका मूड भी ठीक रहेगा।
- सेलेक्टिव सेरोटोनिन रिअपटेक इंहिबिटर्स (SSRIs) जैसे- फ्लूक्सेटाइन स्लीप साइकिल को ठीक करता है और सोने के क्रम को नियमित करता है।