आमतौर पर देखा गया है कि, आजकल की तेज रफ्तार जिंदगी में हम उतनी नींद नहीं ले पाते जितनी हमारी सेहत के लिए जरूरी होती है। बड़े शहरों में रहने वाले लोगों के लिए यह समस्या ज्यादा गंभीर हो जाती है क्योंकि उन्हें घर, परिवार और ऑफिस सभी एक साथ संभालना होता है। फिर वह इन्सोम्निया या अनिद्रा के शिकार होते हैं। ऐसे में स्लीप हिप्नोसिस एक उम्मीद की किरण बनकर सामने आता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि स्लीप हिप्नोसिस क्या है और गहरी नींद के लिए हिप्नोसिस कार्य कैसे करता है?
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इंसोम्निया क्या है?
इंसोम्निया और कम नींद सेहत के लिए खतरनाक हो सकती है। एक अनुमान के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अनिद्रा और नींद से जुड़ी समस्याएं ज्यादा होती हैं और इन समस्याओं के कारण मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह समस्या किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। नींद न आने के पीछे कई कारण भी हो सकते हैं। इंसोम्निया के इलाज के तौर पर स्लीप हिप्नोसिस को प्रयोग किया जाता है।
इंसोम्निया निम्न प्रकार के होते हैं, जिनके आधार पर ही स्लीप हिप्नोसिस किया जाता है :
- शॉर्ट टर्म एक्यूट इंसोम्निया (Short Term acute insomnia) : यह कुछ दिनों से कुछ सप्ताह तक रहता है और तकरीबन तीन सप्ताह तक चलता है। ऐसा आमतौर पर एक दर्दनाक घटना के प्रभाव या तनाव के कारण हो सकता है। इसके अलावा, तनाव या जीवन में किसी प्रकार का फेरबदल होना। यह टेंपररी इंसोम्निया हो सकता है। इसके अलावा, और भी कई दूसरे कारणों से भी नींद नहीं आती है, जैसे बहुत काम करना, बहुत घूमना, वातावरण में बदलाव। शॉर्ट टर्म एक्यूट इंसोम्निया खुद ठीक भी हो जाता है।
- क्रोनिक लॉन्ग टर्म इंसोम्निया (chronic long term insomnia) : यह एक महीने से ज्यादा भी हो सकता है। कई रातों तक जागने के बाद जब आप सोने का प्रयास करते हैं तो ऐसा हो सकता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस प्रकार के इन्सोम्निया के लिए स्लीप हिप्नोसिस का इस्तेमाल किया जाता है।
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स्लीप हिप्नोसिस क्या है?
स्लीप हिप्नोसिस एक प्रकार की साइकोथेरिपी है, जिसे हिप्नोथेरिपिस्ट द्वारा किया जाता है। गहरी नींद के लिए हिप्नोसिस में शाब्दिक क्यूस सुनाया जाता है। हिप्नोथेरिपिस्ट कई चीजों के लिए काम करता है, जैसे- रिलैक्सेशन के लिए, एकाग्र होने के लिए, लक्षणों को ठीक करने के लिए और अनिद्रा की समस्या को खत्म करने के लिए।
हिप्नोसिस सबकॉन्शियस माइंड में नींद लाता है। इसे ऐसे समझिए कि हमारे मस्तिष्क की तरंगें डेल्टा, थीटा, अल्फा स्टेट कॉन्शियस माइंड की एक्टिविटी को कम करते हैं और सबकॉन्शिस माइंड को जगाते हैं। जिससे नींंद आती है।
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स्लीप हिप्नोसिस काम कैसे करता है?
सबसे पहले 19वीं शताब्दी में जेम्स ब्रेड नामक एक सर्जन ने हिप्नोसिस का इस्तेमाल नींद दिलाने के लिए किया था। जेम्स ब्रेड ने सर्जरी में उपचार के रूप में हिप्नोसिस का इस्तेमाल किया था। जिससे मरीज का दर्द और चीरे वाले स्थान से ब्लीडिंग दोनों कम हो जाता था। हिप्नोसिस विधि से मरीज जल्दी ठीक होते थे।
ब्रेड की स्लीप हिप्नोसिस थेरिपी एक प्लेसिबो थेरिपी की तरह काम करती थी। इस बात की पुष्टि 2014 में हुए एक रिसर्च में हुई। इस रिसर्च में 100 ऐसे लोगों को शामिल किया गया, जिन्हें नींद ना आने की समस्या थी। इसके साथ ही इस ग्रुप में ऐसे लोग भी थे, जिन्हें हल्की नींद आती थी। सभी के साथ स्लीप हिप्नोसिस किया गया। जिसमें 80 लोगों को अच्छी और गहरी नींद आई। इस रिसर्च में बुजुर्ग भी शामिल थे, जिन्हें अपनी नींद में बदलाव नजर आया। गहरी नींद के लिए हिप्नोसिस दो तरह से किया जा सकता है :
सजेशन थेरिपी (Suggestion therapy) : इस थेरिपी में मरीज हिप्नोटाइज हो जाता है, लेकिन डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी सजेशन को मानता है। इस थेरिपी को स्लीप के साथ-साथ स्मोकिंग को छोड़ने, नेल बाइटिंग को छोड़ने आदि में इस्तेमाल किया जाता है। सजेशन थेरिपी से दर्द में भी राहत मिलती है।
एनालिसिस (Analysis) : एनालिसिस में रिलैक्स स्टेट में मरीज को ले जाया जाता है। ये स्लीपिंग डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता है।
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इसके अलावा स्लीप हिप्नोसिस कई सेशन में किया जाता है :
- मरीज को पहले सेशन में कम्फर्टेबल महसूस कराया जाता है। जिससे वह अगले सेशन के लिए तैयार होता है।
- इसके बाद उसे वर्बल साउंड सुनाया जाता है, जिसमें उसे अपनी सभी चिंताओं को साइड रखने को कहा जाता है।
- वर्बल साउंड सुन कर धीरे-धीरे मरीज रिलैक्स होने लगता है। इस दौरान कॉन्शियस माइंड शांत हो जाता है और सबकॉन्शियस माइंड एक्टिव होने लगता है।
- इसके बाद मरीज को लंबी सांसें लेने के लिए कहा जाता है, जिससे वह रिलैक्स महसूस करता है।
- फिर इस्तेमाल होती है, सजेशन थेरिपी। इस दौरान थेरिपिस्ट मरीज को सो जाने का निर्देश देते हैं और मरीज गहरी नींद में सो जाता है।
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स्लीप हिप्नोसिस के फायदे क्या हैं?
हिप्नोसिस की प्रक्रिया को करने से नींद के अलावा निम्न चीजों में भी फायदा होता है।
- फोबिया
- एंग्जायटी
- स्लीप डिसऑर्डर
- डिप्रेशन
- स्ट्रेस
- पोस्ट-ट्रॉमा एंग्जायटी
- दर्द से राहत
जैसा कि आपको पहले ही बता दिया गया है कि ये एक साइकोथेरिपी है, इसलिए मेंटल हेल्थ से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं में स्लीप हिप्नोसिस का इस्तेमाल किया जाता है।
गहरी नींद के लिए हिप्नोसिस कैसे करें?
अच्छी नींद के लिए अपनाएं ये टिप्स
- नियमित रूप से योगा या व्यायाम की आदत डालें। इससे अच्छी नींद आने में मदद मिलेगी।
- सोने की जगह को साफ और अच्छा रखने से भी नींद अच्छी आती है। इसलिए अपने बेडरूम को क्लीन रखें।
- सोने के कुछ देर पहले खाना खाएं। फिर टहलकर रात को सोने जाएं।
- सोते वक्त मोबाइल का इस्तेमाल न करें और टीवी भी न देखें। यह ध्यान रखें की सोने के दौरान किसी भी गेजेट्स का प्रयोग न करें।
- हल्की नीली लाइट में जल्दी नींद आती है, इसका इस्तेमाल आप अपने सोने वाले कमरे में कर सकते हैं। हालांकि रिसर्च के अनुसार बेडरूम में रेड लाइट (नाइट बल्ब) का प्रयोग करना चाहिए। इससे नींद अच्छी आती है।
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