backup og meta

महिलाओं में डिप्रेशन क्यों होता है, जानिए कारण और लक्षण

महिलाओं में डिप्रेशन क्यों होता है, जानिए कारण और लक्षण

डिप्रेशन की समस्या किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। पुरुषों के साथ ही महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या पाई जाती है। महिलाओं में डिप्रेशन किसी भी उम्र में पाया जा सकता है। हार्मोनल चेंजेस की वजह से मूड में चेंज आता है। ये कहना गलत होगा कि सिर्फ हार्मोनल चेंज की वजह से ही डिप्रेशन की समस्या होती है। महिलाओं में डिप्रेशन के लिए अन्य फैक्टर भी जिम्मेदार होते हैं। अन्य फैक्टर में बायोलॉजिकल फैक्टर, इनहेरिटेड ट्रेट्स और पर्सनल लाइफ सर्कमस्टेंसेस (life circumstances) शामिल हो सकते हैं। जीवनकाल में चार में से एक महिला को डिप्रेशन की समस्या से जूझना पड़ सकता है। महिलाओं को मेजर डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।

और पढ़ें: क्या गुस्से में आकर कुछ गलत करना एंगर एंजायटी है?

महिलाओं में डिप्रेशन का इफेक्ट

डिप्रेशन का मतलब ये बिल्कुल नहीं होता है कि आप दुख महसूस कर रहे हैं या फिर कुछ भी अच्छा न लग रहा हो। डिप्रेशन एक प्रकार का सीरियस मूड डिसऑर्डर है जो जिंदगी को प्रभावित करता है। महिलाओं में डिप्रेशन होने पर उसकी पहचान और फिर ट्रीटमेंट एक बड़ा मुद्दा हो सकता है। हो सकता है कि महिला को पता ही नहीं चले कि उसे डिप्रेशन की समस्या है। महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या होने पर उसके लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा दोगुना तेजी से डिप्रेशन होने की संभावना रहती है।

जानिए महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण

  • किसी भी एंजॉय करने वाले मूवमेंट को सही से एंजॉय न कर पाना। किसी भी एक्टिविटी या हॉबी में मन न लगना।
  • लंबे समय से किसी भी चीज में फोकस करने से डर लगना।
  • भूख में कमी महसूस होना
  • बिना किसी कारण के या फिर बिना परिश्रम के थका हुआ महसूस करना
  • किसी भी काम को करने के दौरान खुद को उसके लायक न समझना
  • चिड़चिड़ा महसूस करना
  • प्रेजेंट और फ्यूचर में होप खो देना।
  • ड्रामेटिक मूड स्विंग होना
  • अक्सर मरने के बारे में ख्याल आना।
  • सेक्स में रुचि महसूस न होना।
  • देर तक नींद न आना या फिर सुबह देर तक सोना।
  •  ओवरईटिंग के कारण वजन का बढ़ जाना।
  • किसी भी प्रकार के डिसीजन लेने में समस्या महसूस होना।
  • डायजेस्टिव डिसऑर्डर और क्रोनिक पेन की समस्या

  यह भी पढ़ें— डिप्रेशन (Depression) होने पर दिखाई ​देते हैं ये 7 लक्षण

महिलाओं में डिप्रेशन क्या पुरुषों से अलग होता है ?

महिलाओं में डिप्रेशन पुरुषों से अलग हो सकता है। महिलाओं और पुरुषों के डिप्रेशन में अंतर हार्मोनल चेंजेस की वजह से होता है। महिलाओं में ड्रामेटिक हार्मोनल चेंजेस की वजह से डिप्रेशन होता है।

महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के लक्षण सोसाइटी के नॉर्म के अकॉर्डिंग भी चेंज हो सकते हैं। हो सकता है कि कुछ महिलाएं मन में अलग फीलिंग महसूस करें। जानिए महिलाओं और पुरुषों में डिप्रेशन के दौरान क्या फीलिंग होती है

पुरुषों में डिप्रेशन के दौरान फीलिंग

  • अचानक से गुस्सा करने लगना
  • अपने आसपास के लोगों को ब्लेम करना
  • बात बढ़ने पर या पहले ही लड़ाई करने लग जाना
  • डिस्ट्रक्टिव हैबिट जैसे कि ड्रिंकिंग की लत लग जाना।

और पढ़ें – कुछ इस तरह स्ट्रेस मैनेजमेंट की मदद से करें तनाव को कम

महिलाओं में डिप्रेशन के दौरान फीलिंग

  • हर पल सेडनेस फील होना
  • खुद को किसी किसी भी बात के लिए ब्लेम करना
  • अनहेल्दी हैबिट्स जैसे कि ज्यादा मात्रा में खाने की आदत लग जाना

महिलाओं में डिप्रेशन के बारे में ये भी जानें

एडोलेसेंस के पहले लड़के और लड़कियों में डिप्रेशन रेयर होता है। अगर कम उम्र में डिप्रेशन हुआ भी तो डिप्रेशन का रेट सेम होता है। उम्र बढ़ने के साथ ही लड़कियों में लड़कों की अपेक्षा दो गुनी गति से डिप्रेशन बढ़ता है। प्रेग्नेंसी, मोनोपॉज, डिलिवरी और पीएमएस के दौरान महिलाओं के हार्मोन में परिवर्तन होता है। हार्मोन में उतार-चढ़ाव, चिंता और मूड स्विंग डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं। डिप्रेशन के कारण रेगुलर लाइफ प्रभावित होती है। जो महिलाएं काम में ज्यादा उलझी रहती हैं या फिर काम के साथ ही बच्चों की देखरेख में भी बिजी रहती हैं, उन महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण दिखाई दे सकते हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के कारण क्या हैं ?

प्युबर्टी (Puberty)

प्युबर्टी के दौरान महिलाओं में हार्मोनल चेंजेस देखने को मिलते हैं। वैसे तो प्युबर्टी में मूड स्विंग और हार्मोनल में बदलाव होना आम बात होती है, लेकिन कुछ बातें होती हैं जो प्युबर्टी में डिप्रेशन का कारण बन सकती हैं।

  • इमर्जिंग सेक्शुअल्टी और आइडेंटिटी इश्यू
  • पेरेंट्स से किसी बात को लेकर कहासुनी होना
  • स्कूल में स्टडी, स्पोर्ट्स के साथ ही अन्य क्रिएटिव एरिया में जीत हासिल करने का प्रेशर
  • प्युबर्टी के बाद लड़कियों में डिप्रेशन होने की संभावना बढ़ जाती है। स्टडी के दौरान ये बात सामने आ चुकी है कि महिलाओं में ऐज बढ़ने के साथ ही डिप्रेशन का खतरा पुरुषों के मुकाबले बढ़ जाता है।

और पढ़ें:  क्या गुस्से में आकर कुछ गलत करना एंगर एंजायटी है?

पीएमएस की समस्या (Premenstrual problems)

ज्यादातर महिलाएं जिन्हें पीएमएस यानी प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम की समस्या होती है, उनमे कुछ लक्षण दिख सकते हैं। कुछ लक्षण जैसे पेट का फूलना, ब्रेस्ट टेंडरनेस, सिरदर्द की समस्या, घबराहट, चिड़चिड़ापन और धुंधलापन का अनुभव करना आदि। वहीं कुछ महिलाओं में इन लक्षणों के कारण रिलेशनशिप, जॉब व लीविंग में खतरा मंडराने लगता है। पीएमएस और डिप्रेशन के बीच अंतर कर पाना थोड़ा सा मुश्किल लग सकता है। एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और अन्य हार्मोन के कारण ब्रेन के केमिकल्स सेरोटोनिन (serotonin) प्रभावित हो सकता है। इनहेरिटेड ट्रेट्स, लाइफ एक्सपीरियंस और अदर फैक्टर भी रोल प्ले कर सकते हैं।

प्रेग्नेंसी और डिप्रेशन का संबंध

प्रेग्नेंसी के समय ड्रामेटिक हार्मोनल चेंजेस देखने को मिलते हैं। इस कारण से मूड भी प्रभावित हो सकता है। प्रेग्नेंसी के समय अन्य कारण भी हो सकते हैं जिसकी वजह से मूड चेंज हो जाए।

  • लाइफस्टाइल और काम में बदलाव के कारण स्ट्रेस की समस्या
  • रिलेशनशिप प्रॉब्लम के कारण
  • डिप्रेशन के प्रीवियस एपिसोड के कारणस डिप्रेशन या पीएमडीडी
  • सोशल सपोर्ट की कमी के कारण
  • अनवांटेड प्रेग्नेंसी के कारण
  • मिसकैरिज के कारण
  • इनफर्टिलिटी की समस्या के कारण
  • एंटीडिप्रेसेंट मेडिसन को बंद करने के कारण

पोस्टपार्टम डिप्रेशन के कारण

पोस्टपार्टम डिप्रेशन यानी की डिलिवरी के बाद का डिप्रेशन। ज्यादातर महिलाएं डिलिवरी के बाद खुद को दुखी, एंग्री और चिड़चिड़ा महसूस करती हैं। कई बार महिलाएं बिना वजह रोने भी लगती हैं। इन लक्षणों को बेबी ब्लू के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन अधिक सीरियस या लॉन्ग लास्टिंग डिप्रेस्ड फीलिंग के कारण पोस्टपार्टम डिप्रेशन होने की समस्या रहती है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन के लक्षणों में शामिल है,

पोस्टपार्टम डिप्रेशन सीरियस मेडिकल कंडीशन होती है, जिसे तुरंत इलाज की जरूरत होती है। ये 10 से 15 प्रतिशत महिलाओं में पाया जाता है। इसके साथ जुड़ा हुआ है,

  • मेजर हार्मोनल फ्लक्चुएशन जिसके कारण मूड में बदलाव
  • न्यूबॉर्न की केयर के बारे में चिंता
  • एंग्जाइटी डिसऑर्डर
  • प्रेग्नेंसी एंड बर्थ कॉम्प्लीकेशन
  • ब्रेस्टफीडिंग प्रॉब्लम
  • इंफेंट कॉम्प्लीकेशन या स्पेशल नीड
  • पूअर सोशल सपोर्ट

और पढ़ें: नींद में खर्राटे आते हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

मेनोपॉज (Menopause)

महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या मेनोपॉज के बाद अधिक बढ़ने की संभावना रहती है। इस स्थिति में पेरीमेनोपॉज कहते हैं। ऐसे में हार्मोन के लेवल में बदलाव आता है। अर्ली मेनोपॉज और आफ्टर मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में डिप्रेशन का खतरा अधिक रहता है। दोनों ही तरह की परिस्थितियों में एस्ट्रोजन लेवल कम हो जाता है। मेनोपॉज के पहले और बाद में कुछ रिस्क होते हैं जिनके कारण डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।

जानिए क्या हैं रिस्क फैक्टर

  • इंटरप्टेड या पुअर स्लीप की वजह से
  • डिप्रेशन की हिस्ट्री के कारण
  • स्ट्रेसफुल लाइफ इवेंट के कारण
  • वेटगेन या हाई बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई)
  • कम एज में मोनोपॉज की समस्या
  • ओवरी के सर्जिकल रिमूवल के कारण मोनोपॉज

जीवन की परिस्थितियों के कारण महिलाओं में डिप्रेशन

महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या बायोलॉजिकल अलोन रहने के कारण भी होती है। लाइफ में कई कारणों की वजह से महिलाएं अधिक सोचती हैं और फिर लगातार चिंता की वजह से डिप्रेशन की समस्या जन्म ले लेती है। जानिए महिलाओं में डिप्रेशन जीवन की किन परिस्थितियों के कारण उत्पन्न होता है।

और पढ़ें : पार्टनर को डिप्रेशन से निकालने के लिए जरूरी है पहले अवसाद के लक्षणों को समझना

असमानता का व्यवहार और स्टेटस के कारण

अगर गरीब महिलाओं की बात की जाए तो उनमें बच्चों को पालने से लेकर घर की छोटी-छोटी आवश्यकताओं को पूरा करने की जिम्मेदारी होती है। तमाम चिंताओं के कारण लाइफ को बैलेंस करना वाकई बड़ी समस्या खड़ी कर देता है। लो सेल्फ स्टीम और लाइफ के ऊपर कम नियंत्रण के कारण महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या बढ़ सकती है।

वर्क ओवरलोड के कारण

जब महिलाएं घर से बाहर रहकर काम करती हैं तो उनके पास बहुत सी जिम्मेदारी होती है। कई बार महिलाओं को सिंगल पेरेंट बनकर ही जिम्मेदारी संभालनी होती है। साथ ही अकेले ही कई जिम्मेदारियों को संभालना पड़ता है। ऐसा भी कई बार होता है कि महिलाओं को बीमार बच्चे की देखभाल के साथ ही घर के अन्य बीमार सदस्य की देखभाल भी करनी पड़ जाती है। ये सब बातें महिलाओं के मन में अधिक चिंता पैदा कर देती हैं जो कुछ समय बाद डिप्रेशन का कारण बन जाता है।

सेक्शुअल और फिजिकल एब्युज के कारण

जो महिलाएं बचपन में या फिर युवावस्था में इमोशनली, फिजिकली और सेक्शुअली एब्युज होती हैं, उन महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या की संभावना अधिक रहती हैं।

महिलाओं में डिप्रेशन के लिए अन्य कंडीशन

जिन महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या होती है, उन्हें अन्य मेंटल हेल्थ की समस्या भी हो सकती है। ऐसे में ट्रीटमेंट जरूरी हो जाता है।

चिंता होना

महिलाओं में चिंता के साथ ही डिप्रेशन की भी समस्या होती है।

ईटिंग डिसऑर्डर

महिलाओं में डिप्रेशन और ईटिंग डिसऑर्डर के बीच गहरा संबंध है। इसे एनोरेक्सिया और बुलिमिया (anorexia and bulimia) कहते हैं।

ड्रग और एल्कोहल मिसयूज

जिन महिलाओं को डिप्रेशन की समस्या होती है, उन्हें अनहेल्दी फूड खाने के साथ ही ड्रिंकिंग की भी लत लग जाती है। ऐसी परिस्थितियों में डिप्रेशन का इलाज अधिक कठिन हो जाता है।

और पढ़ें : डिप्रेशन में हैं तो भूलकर भी न लें ये 6 चीजें

महिलाओं में डिप्रेशन का ट्रीटमेंट

  • डिप्रेशन के कारण महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। डिप्रेशन की समस्या से निकलने के लिए ट्रीटमेंट बहुत जरूरी होता है। डिप्रेशन की समस्या अगर सही समय पर पता चल जाए तो इसे आसानी से ट्रीट किया जा सकता है।
  • डिप्रेशन के लक्षणों का पता चलने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें।
  • काउंसलर या थेरेपिस्ट की हेल्प लेने के बाद आपको बहुत ही रिलेक्स फील होगा।
  • अगर आपको किसी भी तरह की चिंता बहुत समय से सता रही है तो उसका पता लगाए और फिर उसके प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने की कोशिश करें।
  • डिप्रेशन की समस्या होने पर करीब 30 मिनट तक सूर्य की रोशनी (सुबह 10 बजे के पहले) लें। विटामिन डी की सही मात्रा न पहुंचने पर भी डिप्रेशन का खतरा बढ़ जाता है।
  • एक्सरसाइज को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। आप मेडिटेशन के साथ ही योगा को भी दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं।
  • हेल्दी डायट लेने से भी डिप्रेशन की समस्या से निजात मिलता है।
  • डिप्रेशन की समस्या से निजात पाने के लिए आसपास का वातावरण सकारात्मक वातावरण होना बहुत जरूरी होता है। आप चाहे तो इसमे परिवार के सदस्यों की मदद ले सकती हैं।
  • अपने उन दोस्तों से जरूर बातें करें जो आपको सकारात्मक ऊर्जा से भर देते हो। अगर कोई व्यक्ति या दोस्त आपको पेरशान करने का काम या तनाव देने का काम कर रहा है तो उससे तुरंत दूरी बना लें।
  • फैमिली और सोशल सपोर्ट की हेल्प से महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • डॉक्टर से लाइफस्टाइल चेंज के बारे में भी जानकारी प्राप्त करें। कई बार केमिकल इम्बैलेंस के कारण भी डिप्रेशन हो जाता है।
  • हो सकता है कि डॉक्टर आपको लक्षणों के आधार पक कुछ मेडिसिन सजेस्ट करें। लाइफस्टाइल में जरूरी चेंज करने के साथ ही डॉक्टर के सजेशन को फॉलो करें।

डिप्रेशन की समस्या होने पर बेहतर है कि एक बार डॉक्टर से संपर्क करें। डिप्रेशन की समस्या को छुपाने से कोई फायदा नहीं होगा। लक्षणों का पता चलते ही इलाज कराएं और डिप्रेशन की समस्या से बचें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

(Accessed on 21/1/2020)

Depression in Women

https://www.nimh.nih.gov/health/publications/depression-in-women/index.shtml

https://www.healthline.com/health/depression/symptoms-of-depression-in-women#see-your-doctor

https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/depression/in-depth/depression/art-20047725

https://www.webmd.com/depression/guide/depression-women

https://www.womenshealth.gov/mental-health/mental-health-conditions/depression

Current Version

17/06/2020

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar

Updated by: Nidhi Sinha


संबंधित पोस्ट

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जानें मैराथन दौड़ के फायदे

जानिए अवसाद के लक्षण और इसके क्या हैं उपाय?


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr Sharayu Maknikar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 17/06/2020

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement