हर महिला को एक उम्र के बाद मेनोपॉज की तकलीफ से गुजरना पड़ता है। ये एक ऐसी स्थिति होती है, जब महिला को पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं, जिसे रजोनिवृत्ति भी कहा जाता है। जब किसी महिला को 12 महीने या उससे अधिक समय तक मासिक धर्म न आए, तो उसे मेनोपॉज कहा जा सकता है। लेकिन ये मेनोपॉज (Menopause) अकेला नहीं आता, ये अपने साथ लाता कई शारीरिक समस्याएं। जिसके चलते मेनोपॉज की स्थिति और भी तकलीफदेह बन जाती है। इसमें मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) में खास तौर पर संबंध देखा जाता है। अक्सर लो लिबिडो (libido), यानी सेक्स ड्राइव की कमी को मेनोपॉज से जोड़कर देखा जाता है। कहा जाता है कि मेनोपॉज के बाद महिलाओं में लिबिडो कम हो जाता है, लेकिन ये कितना सच है और इसके पीछे क्या कारण है, आइए जानते हैं।
मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido): समस्याएं ही समस्याएं
अक्सर महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान लिबिडो का कम होना या सेक्स लाइफ में बदलाव देखा जाता है। महिलाओं में मेनोपॉज (Menopause) के बाद
सेक्स ड्राइव (sex drive) बढ़ती हुई भी दिखाई देती है, वहीं कुछ में लिबिडो (libido) के कम होने का एक्सपीरियंस किया जाता है। हालांकि मेनोपॉज में सभी महिलाओं को लिबिडो में कमी नहीं होती, लेकिन मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) में सम्बन्ध एक आम बात मानी जाती है।
बहुत से केसेस में मेनोपॉज के दौरान हॉर्मोनल लेवल में कमी के चलते लिबिडो की कमी देखी जाती है।हॉर्मोन्स के कम होने की वजह से
वजाइनल ड्रायनेस (vaginal dryness) और टाइटनेस की समस्या होती है, जिसकी वजह से सेक्स के दौरान दर्द की शिकायत रहती है। यही मेनोपॉज के दौरान सेक्स ड्राइव को कम करता है। इसके अलावा मेनोपॉज ((Menopause) में डिप्रेशन (depression), मूड स्विंग्स (mood swings), वजन का बढ़ना (weight gain) और हॉट फ्लैशेज (hot flashes) जैसी समस्याएं हो सकती है। इस तरह लिबिडो और मैनोपोज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। यदि आप मेनोपॉज के चलते लिबिडो (libido) में कमी महसूस कर रही हैं, तो आपको लाइफ़स्टाइल चेंजेज और
लुब्रिकेंट जैसे सेक्स एड की सहायता लेनी चाहिए। यदि यह तरीके आपको राहत ना दें, तो आप डॉक्टर की सलाह ले सकती हैं।
मेनोपॉज और लिबिडो (libido): क्या है इन में संबंध?
मेनोपॉज की वजह से लिबिडो (libido) में कई तरह से नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। मेनोपॉज (Menopause) के दौरान आपके शरीर में
टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है, जिसकी वजह से आपकी सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है। एस्ट्रोजन की कमी की वजह से आमतौर पर महिलाओं को वजायनल ड्रायनेस (vaginal dryness) की समस्या भी देखी जाती है।
एस्ट्रोजन (estrogen) के कम होने पर वजायना तक जरूरत के अनुसार ब्लड सप्लाय नहीं होता, इसी वजह से वजायनल ल्यूब्रिकेशन में कमी आती है। साथ ही ये स्थिति वजायनल वॉल के पतले होने का कारण बनती है, जिसे वजायनल एट्रॉफी (vaginal atrophy) कहते हैं। वजायनल ड्रायनेस और एट्रॉफी दोनों सेक्स के दौरान असहजता पैदा करते हैं, जिसके चलते सेक्स की इच्छा नहीं होती। इस तरह मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा कई और फिजिकल चेंज भी आपके शरीर में आते हैं, जिसकी वजह से लिबिडो पर असर पड़ सकता है। कई महिलाओं का मेनोपॉज के दौरान
वजन बढ़ता है और शरीर में हुए इस बदलाव की वजह से सेक्स ड्राइव में कमी आती है। हॉट फ्लैशेस यानी शरीर का अचानक तापमान बढ़ जाना और सोते वक्त पसीना आना जैसे सिम्टम्स भी मेनोपॉज के दौरान देखे जा सकते हैं। ये सिम्टम्स आपकी थकान का कारण बनते हैं, जिसकी वजह से आप में सेक्स करने की इच्छा खत्म हो जाती है। इसके अलावा मेनोपॉज (Menopause) में
मूड स्विंग्स की दिक्कत भी होती है, जिसके साथ-साथ डिप्रेशन और इरिटेशन की समस्या भी देखी जाती है। जाहिर है
मूड में बदलाव की वजह से आपकी सेक्स ड्राइव पर सीधा असर पड़ता है। इस तरह मैनोपोज और लिबिडो (libido) एक दूसरे से जुड़े हुए माने जाते हैं।
मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido): कब लें डॉक्टर की मदद?
यदि आप मैनोपॉज के दौरान लिबिडो (libido) में बदलाव देख रही हैं, तो आप डॉक्टर की मदद ले सकती हैं। डॉक्टर की मदद से आप इसके पीछे के कारण और इन बदलावों से उबरने के तरीके सीख सकती हैं। इसमें ट्रीटमेंट के अलावा
होम रेमेडीज (home remedies), ओवर द काउंटर मेडिकेशन (over the counter medicine) और प्रिसक्रिप्शन मेडिसिंस भी शामिल है। आपकी सेक्स ड्राइव में कमी को देखते हुए डॉक्टर आपको प्रोफेशनल हेल्प के लिए भी भेज सकते हैं, जिसमें
सेक्स थेरेपिस्ट की मदद आप ले सकती हैं। इसके अलावा आप मैरिटल काउंसलिंग की मदद लेकर भी अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप को बेहतर बना सकती हैं।
किन बातों का रखें ध्यान?
जब आप डॉक्टर से बात करने जाएं, तो इसके पहले आपको पूरी तरह से तैयार होने की जरूरत है। असहज महसूस ना करते हुए अपनी
सेहत और सेक्स ड्राइव से जुड़ी बातों को आपको डॉक्टर से शेयर करना चाहिए। इसके लिए आप कुछ बातों पर ध्यान दे सकती हैं। हमेशा डॉक्टर के पास जाने से पहले नोट्स बनाएं, जिसमें आपके कंसर्न आदि लिखे हों। इसके अलावा आप मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) से जुड़े हुए सिम्टम्स और अन्य तकलीफों को नोट कर सकती हैं।
इसके अलावा उन सवालों को लिखें, जिनकी वजह से आपने डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लिया है। मन में उठे यह सवाल डॉक्टर की मदद से आप सॉल्व कर सकती हैं। डॉक्टर के पास जाने से पहले इन सवालों को लिखकर आप बेहतर तरीके से अपनी समस्याओं का निदान पा सकती हैं। इसके अलावा आप डॉक्टर से किसी चीज की कमी या खाने पीने में बदलाव, लाइफस्टाइल चेंजेज इत्यादि के बारे में भी पूछ सकती हैं।
मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido): सही ट्रीटमेंट है जरूरी
मेनोपॉज (Menopause) के दौरान लिबिडो में कमी तो आती ही है, साथ ही यह आपको एक बुरा एक्सपीरियंस देकर जा सकती है। लेकिन इसे ठीक करने के लिए कई ट्रीटमेंट मौजूद है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी – HRT)
मेनोपॉज (Menopause) की वजह से आए
हॉर्मोनल चेंजेज (hormonal changes) को ठीक करने के लिए हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT) ली जा सकती है। इसमें एस्ट्रोजन पिल्स लेकर वजायनल ड्रायनेस और वजायनल एट्रॉफी से छुटकारा पाया जा सकता है। हालांकि
एस्ट्रोजन थेरेपी के कई साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जिसमें ब्लड क्लॉट होना, हार्ट अटैक या
ब्रेस्ट कैंसर जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि आपको वजायना से जुड़ी समस्या है, तो आप एस्ट्रोजन क्रीम या वजायनल रिंग का भी इस्तेमाल कर सकती हैं।
इसके अलावा कुछ महिलाओं को
टेस्टोस्टरॉन के डोसेज देकर भी मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) में तालमेल बैठाया जा सकता है। टेस्टोस्टरॉन थेरेपी के भी कुछ साइड इफेक्ट देखे जा सकते हैं, जिसमें हाय कोलेस्ट्रॉल, हेयर ग्रोथ और एक्ने इत्यादि बढ़ने की समस्या हो सकती है।
ल्यूब्रिकेंट (Lubricant)
जैसा कि हम पहले बता चुके हैं
ल्यूब्रिकेंट (Lubricant) वजायनल ड्रायनेस (Vaginal dryness) से निपटने में आपकी मदद कर सकता है।इससे आप सेक्स के दौरान कंफर्टेबल महसूस करेंगी और धीरे-धीरे यह आपके लिबिडो (libido) को बेहतर बनाने में मदद करेगा। साथ ही ये दर्द और डिस्कंफर्ट से यह राहत दिलाएगा।
एक्सरसाइज (Exercise)
एक्सरसाइज न सिर्फ आपका वजन मेंटेन रखेगी, बल्कि यह आपका मूड भी इंप्रूव करेगी। एक्सरसाइज के बाद एंडोर्फिन (Endorphins) के रिलीज होने की वजह से आपका स्ट्रेस कम होगा और
पॉजिटिव इमोशंस बढ़ेंगे। यदि आपने लंबे समय से एक्सरसाइज नहीं की है, तो धीरे-धीरे आराम से की जाने वाली एक्सरसाइज से शुरुआत करें। दिन में कम से कम 30 मिनट तक एक्सरसाइज करना आपके लिए फायदेमंद होगा।
अपने पार्टनर से बात करें
मैनोपॉज की वजह से लिबिडो (libido)में कमी एक ऐसा फिजिकल लक्षण है, जिसकी वजह से आप अपने पार्टनर से डिस्कनेक्शन महसूस कर सकते हैं और आपका सेक्स को लेकर नजरिया बदल सकता है।इसीलिए आपको जरूरत है अपने पार्टनर से इसके बारे में बात करने की और उन्हें समझाना कि फिजिकली और मेंटली आपको अपने पार्टनर की जरूरत है।
इंटिमेसी (Intimacy) बनाए रखें
याद रखें कि सेक्स ही सिर्फ करीब रहने का तरीका नहीं है, आप अपने पार्टनर के साथ प्यार का इजहार अलग-अलग तरह से कर सकती है। जिसमें किसेस, सहलाना जैसे नॉन सेक्शुअल एक्ट भी शामिल है, जो
आपकी इंटिमेसी को बढ़ाते हैं और धीरे-धीरे सेक्स लाइफ को बेहतर बनाते हैं।
थेरेपी (Therapy)
थेरेपी, आप और आपके पार्टनर दोनों के लिए बेहद जरूरी है। इससे आप और आपके पार्टनर मेनोपॉज (Menopause) के दौरान होनेवाले मूड स्विंग्स को समझ सकेंगे और इन बदलावों को समझ कर इसे बेहतर बना सकेंगे।
मेनोपॉज (Menopause) में लिबिडो की कमी एक आम समस्या है, जिससे कई तरीकों से निपटा जा सकता है। बस जरूरत है आपको एक्सपर्ट की मदद की और सही ट्रीटमेंट की, जिससे आप इस स्थिति से बाहर निकलने में सफल हो सकें। साथ ही धीरे-धीरे अपनी सेक्स ड्राइव को इंप्रूव कर सकें।
अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
[embed-health-tool-ovulation]