मेनोपॉज और लिबिडो (libido): क्या है इन में संबंध?
मेनोपॉज की वजह से लिबिडो (libido) में कई तरह से नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। मेनोपॉज (Menopause) के दौरान आपके शरीर में
टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन का लेवल कम हो जाता है, जिसकी वजह से आपकी सेक्स लाइफ पर असर पड़ता है। एस्ट्रोजन की कमी की वजह से आमतौर पर महिलाओं को वजायनल ड्रायनेस (vaginal dryness) की समस्या भी देखी जाती है।
एस्ट्रोजन (estrogen) के कम होने पर वजायना तक जरूरत के अनुसार ब्लड सप्लाय नहीं होता, इसी वजह से वजायनल ल्यूब्रिकेशन में कमी आती है। साथ ही ये स्थिति वजायनल वॉल के पतले होने का कारण बनती है, जिसे वजायनल एट्रॉफी (vaginal atrophy) कहते हैं। वजायनल ड्रायनेस और एट्रॉफी दोनों सेक्स के दौरान असहजता पैदा करते हैं, जिसके चलते सेक्स की इच्छा नहीं होती। इस तरह मेनोपॉज और लिबिडो (Menopause and libido) एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
इसके अलावा कई और फिजिकल चेंज भी आपके शरीर में आते हैं, जिसकी वजह से लिबिडो पर असर पड़ सकता है। कई महिलाओं का मेनोपॉज के दौरान
वजन बढ़ता है और शरीर में हुए इस बदलाव की वजह से सेक्स ड्राइव में कमी आती है। हॉट फ्लैशेस यानी शरीर का अचानक तापमान बढ़ जाना और सोते वक्त पसीना आना जैसे सिम्टम्स भी मेनोपॉज के दौरान देखे जा सकते हैं। ये सिम्टम्स आपकी थकान का कारण बनते हैं, जिसकी वजह से आप में सेक्स करने की इच्छा खत्म हो जाती है। इसके अलावा मेनोपॉज (Menopause) में
मूड स्विंग्स की दिक्कत भी होती है, जिसके साथ-साथ डिप्रेशन और इरिटेशन की समस्या भी देखी जाती है। जाहिर है
मूड में बदलाव की वजह से आपकी सेक्स ड्राइव पर सीधा असर पड़ता है। इस तरह मैनोपोज और लिबिडो (libido) एक दूसरे से जुड़े हुए माने जाते हैं।