मौजूदा समय में कई लोग ऐसे हैं जो स्पॉन्डलाइटिस की बीमारी से बचाव के लिए डाइट चार्ट को अपनाकर बीमारी के लक्षणों को काफी हद तक कम कर रहे हैं। बता दें कि बीमारी से बचाव को लेकर मौजूदा समय में कोई भी डाइट प्लान नहीं है। स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट के तहत बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए वैसी डाइट आती है जिसमें पूर्ण रूप से विटामिन, न्यूट्रिएंट्स मौजूद होता है, जो हमारे स्वास्थ्य के सर्वांगीण विकास में अहम रोल अदा करता है। कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे हैं जिसका सेवन कर हम सूजन को कम कर सकते हैं।
स्पॉन्डलाइसिस क्रॉनिक इन्फ्लामेटरी कंडीशन है और अर्थराइटिस का एक प्रकार है। इस बीमारी के कारण दर्द, स्टिफनेस और रीढ़ की हड्डी की मोबेलिटी पर असर पड़ता है। वहीं इस बीमारी के कारण अन्य ज्वाइंट भी प्रभावित होता है। लेकिन इस बीमारी के कुछ लक्षणों को खानपान में बदलाव कर कम कर सकते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से बचाव को लेकर कोई इलाज नहीं है, ऐसे में बीमारी के बारे में जानकर और सही तकनीक को आजमाकर इसके दुष्परिणामों को काफी हद तक कम किया जा सकता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट को लेकर जानते हैं कि बीमारी से पीड़ित मरीज को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट क्या है
वैसे तो स्पॉन्डिलाइसिस डाइट चार्ट के लिए कोई खास डाइट प्लान नहीं है। लेकिन कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन कर काफी हद तक बीमारी के लक्षणों से बचा जा सकता है। वहीं बीमारी में काफी हद तक हमारे शरीर का वजन भी इफेक्ट डालता है और सूजन में अहम भूमिका अदा करता है।
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स्पॉन्डलाइटिस के लिए वेट मैनेजमेंट है जरूरी
इस बीमारी से ग्रसित लोगों को उम्र और हाइट के हिसाब से वजन को नियंत्रण में बनाए रखना है। अत्यधिक वजन के कारण शरीर की हड्डियों के साथ ज्वाइंट में तनाव हो सकता है वहीं बीमारी के लक्षण और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं। ज्यादा वजन होने की वजह से ऑस्टियोअर्थराइटिस की भी संभावना होती है।
डाइट और सूजन में संबंध को जानें
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट के लिए एंटी इन्फ्लामेटरी डाइट को अपनाकर हम शरीर में सूजन को काफी हद तक कम कर सकते हैं। ऐसे में मेडिटेरियन डाइट (Mediterranean diet) से संबंधित डाइट का सेवन कर सकते हैं। द अर्थराइटिस फाउंडेशन सुझाव देता है कि वैसे व्यक्ति जो रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी से ग्रसित होते हैं उन्हें एंटी इंफ्लेमेटरी डाइट अपनानी चाहिए। स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इसे शामिल करने से राहत मिलता है।
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स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में ओमेगा 3 एस है काफी कारगर
कुछ तथ्यों से पता चला है कि ओमेगा 3 सप्लीमेंट का सेवन कर स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है। वहीं इन खाद्य पदार्थों में काफी मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं।
वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है
- फ्लैक्स सीड्स (अलसी का बीज)
- वॉलनट्स (अखरोट)
- सोयाबीन, कैनोला, फ्लैक्स सीड्स ऑयल
- सालमन मछली और टूना के जैसे कोल्ड वाटर फिश
- चिया सीड्स
वहीं कुछ खाद्य पदार्थ में ओमेगा-3 फैटी एसिड काफी कम मात्रा में पाया जाता है। इनमें पत्ता गोभी, केल, पालक और हरी सलाद जैसे तत्व आते हैं। इसका सेवन करना भी फायदेमंद होता है।
फलों और सब्जियों का करें सेवन
ज्यादा से ज्यादा फलों और सब्जियों का सेवन कर हम ज्यादा मात्रा में विटामिन और मिनरल्स का सेवन कर सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं। बिना कैलोरी और न्यूट्रीशन के पैक किए हुए स्नैक्स की तुलना में फलों और सब्जियों का सेवन बेहतर विकल्प होता है।
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट के तहत बीमारी के लक्षणों को कम करने के लिए आपको रोजाना हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए। वहीं सर्दियों के दिनों में वेजिटेबल सूप का सेवन कर गर्म रहा जा सकता है।
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स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में बताई गई खाद्य सामग्री और न्यूट्रिएंट्स
स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से ग्रसित लोगों को डाइट में बताई गई खाद्य सामग्री और न्यूट्रिएंट्स को शामिल करना चाहिए। इससे बीमारी के लक्षणों में कमी आती है। 2018 में किए शोध के अनुसार इसको लेकर बेहद कम ही साक्ष्य मौजूद हैं। ऐसे में बेहतर यही है कि स्पॉन्डलाइटिस की बीमारी से ग्रसित लोग इस प्रकार की डाइट का सेवन करने के साथ पारंपरिक उपचार भी करवाएं ताकि लक्षणों को कम किया जा सके। वहीं डाइट संबंधी बदलाव एलर्जी सहित सेफ्टी मेजर्स को देखकर भी करना चाहिए।
साबुत अनाज का करें सेवन
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में कोशिश यही रहनी चाहिए कि लोग ब्राउन राइस, कॉर्न, बकवीट और ओटमील को शामिल करें। इसमें हाई फाइबर होने के साथ न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं। 2018 में हुए मेटा एनलेसिस के अनुसार यह हमारे शरीर में सूजन व दर्द कम करने में मदद पहुंचाते हैं। वहीं कई लोग वैसे अनाज का सेवन करते हैं जिसमें ग्लूटेन होता है, जैसे आटा, राइ, जौ को शामिल करते हैं। इससे भी स्पॉन्डलाइटिस के लक्षण कम होते हैं।
कैल्शियम रिच फूड का करें सेवन
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट को अपनाने के लिए लोगों को कैल्शियम रिच फूड का सेवन करना चाहिए। इससे हड्डियों में मजबूती हासिल होती है। हमारी हड्डियों की स्ट्रेंथ को मजबूत करने के लिए कैल्शियम बहुत ही जरूरी है। बता दें कि कैल्शियम हमें कई खाद्य पदार्थों से मिलता है, जैसे
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे केल और वाटर क्रिस
- हरी गोभी
- चायनीज कैबेज
- लो फैट डेयरी प्रोडक्ट
- फोर्टिफाइड प्लांट मिल्क
- आलमंड
- केन सार्डिनेस (हड्डियों के साथ)
- फोर्टिफाइड टोफू
- फोर्टिफाइड सीरियल्स
शरीर में न होने दे विटामिन डी की कमी
विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बेहद ही जरूरी होता है। यह शरीर में कैल्शियम और जरूरी न्यूट्रिएंट्स को एब्जॉर्ब करने में मदद करता है। स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इसे शामिल कर हम न्यूट्रिएंट्स हासिल करने के साथ मजबूत हड्डियां पा सकते हैं। 2015 में हुए शोध के अनुसार वैसे व्यक्ति जिनके शरीर में विटामिन डी की अत्यधिक मात्रा होती है उन्हें स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी होने का खतरा भी कम होता है। ऐसे लोगों में इस प्रकार की परेशानी भी कम देखने को मिलती है।
हम सूर्य की किरणों से विटामिन डी लेने के साथ कुछ खाद्य पदार्थों से भी इसे ले सकते हैं, ऐसे में आप चाहें तो स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं। जैसे
- फिश और सी फूड
- एग यॉल्क
- कॉडलिवर ऑयल
- फोर्टिफाइड प्रोडक्ट जैसे जूस, सीरियल्स, डेयरी, प्लांट बेस्ड मिल्क और टोफू
हर्ब और मसाले का भी है अहम योगदान
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में आप हर्ब और स्पाइसेज को भी शामिल कर सकते हैं। क्योंकि कुछ औषधियों व मसालों में एंटी इम्फ्लामेटरी गुण होते हैं। जैसे-
- लहसुन : 2009 में हुए शोध के अनुसार पता किया गया कि लहसुन में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं।
- अदरक : वर्षों से लोग दर्द निवारण के लिए अदरक का इस्तेमाल करते आ रहे हैं। वहीं हालिया शोध भी इसे सही साबित करते हैं।
- हल्दी : हल्दी में सबसे अहम तत्व करक्यूमिन (curcumin) पाया जाता है। यह शरीर में सूजन को कम करने में काफी मददगार साबित होता है।
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन्हें न करें शामिल
हम लोगों को यह भी ख्याल रखना चाहिए कि स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में हमें वैसे खाद्य पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए जिससे लक्षण और अधिक बढ़ जाए। स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन्हें न करें शामिल, जैसे
- चीनी : 2018 में किए सिस्टमेटिक रिव्यू के अनुसार चीनी का सेवन करने के कारण शरीर में सूजन बढ़ता है। ऐसे में इस स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से पीड़ित लोगों को खाने में मिठाईयां, कैंडी, पेस्ट्री, सोडा व जूस आदि का कम से कम सेवन करना चाहिए।
- नमक और हाई सोडियम फूड का न करें सेवन : 2013 में जानवरों पर किए शोध के अनुसार उन्हें खाने में नमक मिलाकर दिया गया, इससे सूजन वाले सेल्स बढ़ने से उनमें स्पॉन्डलाइसिस के लक्षण देखने को मिले थे। इसी तरह लो सोडियम डाइट को अपनाकर स्पॉन्डलाइटिस के लक्षण को कम नहीं कर सकते, लेकिन नमक का कम सेवन कर हम इसके लक्षणों को काफी हद तक रोक सकते हैं।
- रेड मीट : रेड मीट में ऐसे तत्व होते हैं जिसकी वजह से सूजन में वृद्धि होती है। यदि आप कम मात्रा में रेड मीट का सेवन करें या फिर इसका सेवन करना बंद कर दें तो उससे स्पॉन्डलाइस होने की संभावना भी कम होगी।
- हाई फैट फूड : द अर्थराइटिस फाउंडेशन सुझाव देता है कि कुछ प्रकार के फैट का सेवन करने से सूजन की समस्या हो सकती है, इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड भी शामिल है। ऐसे में वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें सैचुरेटेड फैट होता है उसका सेवन कम करना चाहिए, जैसे पिज्जा, रेड मीट, चीज और तमाम डेयरी प्रोडक्ट, प्रोसेस्ड फूड।
इसलिए जरूरी है कि खाने में ओमेगा 6 फैटी एसिड के तत्वों को शामिल किया जाए। इसकी छोटी व नियमित खुराक का सेवन कर बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है उनमें वेजीटेबल ऑयल, कॉर्न, सनफ्लॉवर और सोय आता है, इसके अलावा मेयोनीज, सैलेड ड्रेसिंग, पेस्ट्री, प्रोसेस्ड फूड आते हैं। वहीं सबसे अहम है कि स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में ट्रांस फैट का सेवन नहीं करना चाहिए, जो खाने में मौजूद होता है। कई मैन्युफैक्चर हैं जो खाद्य सामग्री में ट्रांस फैट नहीं डालते हैं। ऐसा एफडीए की गाइडलाइन के बाद हुआ है।
- स्टार्च : स्टार्च में मौजूद गट बैक्टीरिया के कारण स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। वहीं स्टार्च में गट बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इसलिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि खाने में कुछ खाद्य पदार्थों का कम सेवन करना ही उचित होता है। उसमें ब्रेड और पेस्ट्री, चावल, आलू, पास्ता।
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन खाद्य पदार्थों का करें सेवन
- फ्रूट्स
- हरी सब्जियां
- नट्स और सीड्स
- अंडे
- मछली
- लीन मीट
- लो फैट डेयरी
गेहूं और ग्लूटेन : गेहूं, राई और जौ में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है। कुछ लोगों में इसका सेवन करने के कारण उनके लक्षण बढ़ सकते हैं। वहीं वैसे लोग जो रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी से ग्रसित होते हैं उनको ग्लूटेन फ्री डाइट का सुझाव दिया जाता है। वहीं स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी में भी लोगों को ग्लूटेन फ्री डाइट का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
शराब : शराब और रूमेटाइड अर्थराइटिस से जुड़ी स्थितियों में स्थितियां क्लीयर नहीं हैं। ऐसे में बेहतर यही होगा कि स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी से ग्रसित लोग इसका सेवन न ही करें तो बेहतर होगा।
अन्य खाद्य सामग्री : वैसे खाद्य पदार्थ जिनका सेवन करने से स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी से ग्रसित मरीजों का लक्षण बढ़ता है यह आदमी-आदमी पर निर्भर करता है। इसलिए आप किसी भी प्रकार की डाइट को शुरू करने के पहले डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें।
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स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट के कारण हो सकती है गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी की वजह से इन्फ्लामेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) जैसे क्रॉन डिजीज और अल्सरेटिव डिजीज होने की संभावना रहती है। ऐसे में खानपान में बदलाव कर इस प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। शोध से पता चला है कि मेडिकल थैरेपी के साथ-साथ खाने में कम स्टार्च का सेवन कर बीमारी के लक्षणों से बचाव किया जा सकता है।
आईबीडी न हो इसके लिए
- हाई फैट फूड का सेवन कम करें
- शराब का सेवन कम करें या फिर सेवन ही न करें
- डेयरी प्रोडक्ट का सेवन कम करें
बीमारी के रिस्क व बेनीफिट्स को देख उठाएं कदम
बता दें कि कुछ लोग स्पॉन्डिलाइसिस डाइट चार्ट में सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, इसका परिणाम यह होता है कि कुछ लोगों में नतीजे अच्छे देखने को मिलते हैं तो कुछ लोगों में इसका परिणाम विपरीत देखने को मिलता है। इसलिए जरूरी है कि एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए।
रिस्क फैक्टर की बात करें तो स्पॉन्डलाइसिस डाइट चार्ट का सेवन कर वैसे लोगों को फायदा अधिक होता है, जिन्हें न तो बीमारी के लक्षण हैं और न ही वो इस बीमारी को लेकर किसी प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं। वहीं डाइट चार्ट को अपनाने के दौरान आपको न्यूट्रिएंट्स की नियमित खुराक का ही सेवन करना होता है। इसके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह के साथ डायटिशियन की सलाह ले सकते हैं। यदि आप किसी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं और स्पॉन्डलाइसिस डाइट चार्ट को अपना रहे हैं तो रिएक्शन होने की संभावनाएं रहती है इसलिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह लें।
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