हर्ब और मसाले का भी है अहम योगदान
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में आप हर्ब और स्पाइसेज को भी शामिल कर सकते हैं। क्योंकि कुछ औषधियों व मसालों में एंटी इम्फ्लामेटरी गुण होते हैं। जैसे-
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन्हें न करें शामिल
हम लोगों को यह भी ख्याल रखना चाहिए कि स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में हमें वैसे खाद्य पदार्थों को शामिल नहीं करना चाहिए जिससे लक्षण और अधिक बढ़ जाए। स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन्हें न करें शामिल, जैसे
- चीनी : 2018 में किए सिस्टमेटिक रिव्यू के अनुसार चीनी का सेवन करने के कारण शरीर में सूजन बढ़ता है। ऐसे में इस स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी से पीड़ित लोगों को खाने में मिठाईयां, कैंडी, पेस्ट्री, सोडा व जूस आदि का कम से कम सेवन करना चाहिए।
- नमक और हाई सोडियम फूड का न करें सेवन : 2013 में जानवरों पर किए शोध के अनुसार उन्हें खाने में नमक मिलाकर दिया गया, इससे सूजन वाले सेल्स बढ़ने से उनमें स्पॉन्डलाइसिस के लक्षण देखने को मिले थे। इसी तरह लो सोडियम डाइट को अपनाकर स्पॉन्डलाइटिस के लक्षण को कम नहीं कर सकते, लेकिन नमक का कम सेवन कर हम इसके लक्षणों को काफी हद तक रोक सकते हैं।
- रेड मीट : रेड मीट में ऐसे तत्व होते हैं जिसकी वजह से सूजन में वृद्धि होती है। यदि आप कम मात्रा में रेड मीट का सेवन करें या फिर इसका सेवन करना बंद कर दें तो उससे स्पॉन्डलाइस होने की संभावना भी कम होगी।
- हाई फैट फूड : द अर्थराइटिस फाउंडेशन सुझाव देता है कि कुछ प्रकार के फैट का सेवन करने से सूजन की समस्या हो सकती है, इसमें ओमेगा 6 फैटी एसिड भी शामिल है। ऐसे में वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें सैचुरेटेड फैट होता है उसका सेवन कम करना चाहिए, जैसे पिज्जा, रेड मीट, चीज और तमाम डेयरी प्रोडक्ट, प्रोसेस्ड फूड।
इसलिए जरूरी है कि खाने में ओमेगा 6 फैटी एसिड के तत्वों को शामिल किया जाए। इसकी छोटी व नियमित खुराक का सेवन कर बीमारी से बचा जा सकता है। वैसे खाद्य पदार्थ जिनमें ओमेगा 6 फैटी एसिड होता है उनमें वेजीटेबल ऑयल, कॉर्न, सनफ्लॉवर और सोय आता है, इसके अलावा मेयोनीज, सैलेड ड्रेसिंग, पेस्ट्री, प्रोसेस्ड फूड आते हैं। वहीं सबसे अहम है कि स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में ट्रांस फैट का सेवन नहीं करना चाहिए, जो खाने में मौजूद होता है। कई मैन्युफैक्चर हैं जो खाद्य सामग्री में ट्रांस फैट नहीं डालते हैं। ऐसा एफडीए की गाइडलाइन के बाद हुआ है।
- स्टार्च : स्टार्च में मौजूद गट बैक्टीरिया के कारण स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। वहीं स्टार्च में गट बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इसलिए एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि खाने में कुछ खाद्य पदार्थों का कम सेवन करना ही उचित होता है। उसमें ब्रेड और पेस्ट्री, चावल, आलू, पास्ता।
स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट में इन खाद्य पदार्थों का करें सेवन
- फ्रूट्स
- हरी सब्जियां
- नट्स और सीड्स
- अंडे
- मछली
- लीन मीट
- लो फैट डेयरी
गेहूं और ग्लूटेन : गेहूं, राई और जौ में ग्लूटेन नामक तत्व पाया जाता है। कुछ लोगों में इसका सेवन करने के कारण उनके लक्षण बढ़ सकते हैं। वहीं वैसे लोग जो रूमेटाइड अर्थराइटिस की बीमारी से ग्रसित होते हैं उनको ग्लूटेन फ्री डाइट का सुझाव दिया जाता है। वहीं स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी में भी लोगों को ग्लूटेन फ्री डाइट का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
शराब : शराब और रूमेटाइड अर्थराइटिस से जुड़ी स्थितियों में स्थितियां क्लीयर नहीं हैं। ऐसे में बेहतर यही होगा कि स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी से ग्रसित लोग इसका सेवन न ही करें तो बेहतर होगा।
अन्य खाद्य सामग्री : वैसे खाद्य पदार्थ जिनका सेवन करने से स्पॉन्डिलाइसिस की बीमारी से ग्रसित मरीजों का लक्षण बढ़ता है यह आदमी-आदमी पर निर्भर करता है। इसलिए आप किसी भी प्रकार की डाइट को शुरू करने के पहले डॉक्टरी सलाह जरूर ले लें।
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स्पॉन्डिलाइटिस डाइट चार्ट के कारण हो सकती है गेस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
स्पॉन्डिलाइटिस की बीमारी की वजह से इन्फ्लामेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी) जैसे क्रॉन डिजीज और अल्सरेटिव डिजीज होने की संभावना रहती है। ऐसे में खानपान में बदलाव कर इस प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। शोध से पता चला है कि मेडिकल थैरेपी के साथ-साथ खाने में कम स्टार्च का सेवन कर बीमारी के लक्षणों से बचाव किया जा सकता है।
आईबीडी न हो इसके लिए
- हाई फैट फूड का सेवन कम करें
- शराब का सेवन कम करें या फिर सेवन ही न करें
- डेयरी प्रोडक्ट का सेवन कम करें
बीमारी के रिस्क व बेनीफिट्स को देख उठाएं कदम
बता दें कि कुछ लोग स्पॉन्डिलाइसिस डाइट चार्ट में सप्लीमेंट का सेवन करते हैं, इसका परिणाम यह होता है कि कुछ लोगों में नतीजे अच्छे देखने को मिलते हैं तो कुछ लोगों में इसका परिणाम विपरीत देखने को मिलता है। इसलिए जरूरी है कि एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही सप्लीमेंट का सेवन करना चाहिए।
रिस्क फैक्टर की बात करें तो स्पॉन्डलाइसिस डाइट चार्ट का सेवन कर वैसे लोगों को फायदा अधिक होता है, जिन्हें न तो बीमारी के लक्षण हैं और न ही वो इस बीमारी को लेकर किसी प्रकार की दवाओं का सेवन करते हैं। वहीं डाइट चार्ट को अपनाने के दौरान आपको न्यूट्रिएंट्स की नियमित खुराक का ही सेवन करना होता है। इसके लिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह के साथ डायटिशियन की सलाह ले सकते हैं। यदि आप किसी प्रकार की दवा का सेवन कर रहे हैं और स्पॉन्डलाइसिस डाइट चार्ट को अपना रहे हैं तो रिएक्शन होने की संभावनाएं रहती है इसलिए बेहतर यही होगा कि आप डॉक्टरी सलाह लें।