ब्लड डिसऑर्डर्स (Blood Disorders) उन रोगों या स्थितियों को कहा जाता है, जो खून की सही से काम करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसके कई प्रकार हैं और इनके लक्षण भी इसके प्रकार पर भी निर्भर करते हैं। अधिकतर ब्लड डिसऑर्डर्स के कारण खून में सेल्स, प्रोटीन, प्लेटलेट्स या न्यूट्रिएंट्स कम हो जाते हैं, इसके साथ ही खून का फंक्शन भी प्रभावित होता है। इन्हीं में से एक है फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency)। यह एक दुर्लभ ब्लड डिसऑर्डर है इसलिए अधिकतर लोगों को इसकी सही जानकारी नहीं होती। जानिए क्या है यह फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) और कैसे संभव है इससे बचाव?
फैक्टर II डेफिशियेंसी क्या है? (Factor II Deficiency)
अगर किसी को यह समस्या है तो इसका अर्थ है कि उसके शरीर में पर्याप्त फैक्टर II मौजूद नहीं है, जो एक क्लॉटिंग फैक्टर प्रोटीन है। फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) को प्रोथ्रॉम्बिन (Prothrombin) भी कहा जाता है। यह एक ब्लीडिंग डिसऑर्डर है, जिसका शिकार आमतौर पर कम लोग होते हैं। यह समस्या इंजरी या सर्जरी के बाद अत्यधिक या ज्यादा समय तक होने वाली ब्लीडिंग के कारण होती है। प्रोथ्रॉम्बिन हमारे लिवर में बनने वाली प्रोटीन है। यह ब्लड क्लॉट के बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ब्लड क्लॉट की प्रॉपर फार्मेशन में शामिल लगभग 13 क्लॉटिंग फैक्टर्स में से एक है। महिलाओं में फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) होने के कारण वो अत्यधिक मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग (Menstrual Bleeding) महसूस कर सकती हैं। इस रोग की गंभीरता भी हर रोगी में अलग हो सकती है। जैसे कई लोग इसमें बिना किसी ज्ञात कारकों के गंभीर ब्लीडिंग महसूस करते हैं। आइए अब जानते हैं इसके लक्षणों के बारे में।
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फैक्टर II डेफिशियेंसी के लक्षण क्या हैं? (Symptom of Factor II Deficiency)
फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करती है कि हमारा शरीर कितना प्रोथ्रॉम्बिन बना सकता है। ऐसा माना जाता है कि खून में प्रोथ्रॉम्बिन की मात्रा कम होने से रोगी के शरीर में उतने ही अधिक लक्षण नजर आते हैं। यही नहीं, यह लक्षण उतने ही गंभीर भी होते हैं। यह लक्षण इस प्रकार हैं:
- गर्भनाल को अलग करने पर होने वाली ब्लीडिंग (Bleeding after Umbilical Cord is Separated)
- सर्कम्सिजन के बाद ब्लीडिंग (Bleeding after Circumcision)
- सर्जरी के दौरान या बाद में ब्लीडिंग (Bleeding During or after Surgery)
- मुंह में ब्लीडिंग, खासतौर पर डेंटल सर्जरी के बाद (Bleeding in Mouth)
- जोड़ों में ब्लीडिंग (Bleeding into Joints)
- मसल्स में ब्लीडिंग (Bleeding into Muscles)
- आसानी से नील पड़ना (Easy Bruising)
- हैवी पीरियड या पीरियड का सामान्य से अधिक समय तक होना (Heavy Periods)
- नोज ब्लीडिंग (Nosebleeds)
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आप कुछ अन्य लक्षणों को भी महसूस कर सकते हैं, लेकिन यह दुर्लभ हैं जैसे:
- चोट लगने या चाइल्ड बर्थ के बाद सामान्य से अधिक ब्लीडिंग होना (Heavier Bleeding after Injury or Childbirth)
- गट में ब्लीडिंग (Gut Bleeding)
- स्पाइनल कॉर्ड या ब्रेन में ब्लीडिंग (Brain or Spinal Cord Bleeding)
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम में ब्लीडिंग (Central Nervous System Bleeding)
- यूरिन में ब्लड आना (Blood in Urine)
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फैक्टर II डेफिशियेंसी के कारण (Causes of Factor II Deficiency)
जब किसी व्यक्ति को किन्हीं कारणों से खून निकलता है, तो हमारे शरीर में कई रिएक्शन होते हैं, जो ब्लड क्लॉट्स बनने में मदद करते हैं। इस प्रक्रिया को कौयगुलेशन कासकेड( Coagulation Cascade) कहा जाता है। इसमें एक खास प्रोटीन शामिल होती है जिसे कौयगुलेशन या क्लॉटिंग फैक्टर्स कहते हैं। अगर इनमें से एक या अधिक फैक्टर्स मिसिंग होते हैं या जैसे उन्हें काम करना चाहिए, वैसे नहीं करते हैं। तो अधिक ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। प्रोथ्रॉम्बिन या फैक्टर II, ऐसे ही कोगुलेशन फैक्टर में से एक है। फैक्टर II या प्रोथ्रॉम्बिन डेफिशियेंसी इनहेरिटेड और बहुत ही दुर्लभ होती है। क्योंकि, माता-पिता दोनों में अपने बच्चों को यह विकार पास करने के लिए जीन होना चाहिए। ब्लीडिंग डिसऑर्डर का पारिवारिक इतिहास इस समस्या का रिस्क फैक्टर हो सकता है।
प्रोथ्रॉम्बिन डेफिशियेंसी किसी अन्य कंडीशन या किसी खास दवाई के प्रयोग से भी हो सकती है। इसे अक्वायर्ड प्रोथ्रॉम्बिन डेफिशियेंसी (Acquired Prothrombin Deficiency) कहा जा सकता है। इसके कुछ कारण इस प्रकार हैं:
- विटामिन K की कमी (Lack of Vitamin K)
- गंभीर लिवर डिजीज (Severe Liver Disease)
- उन दवाईयों का प्रयोग जो क्लॉटिंग को दूर करती हैं (Use of Medicines that Prevent Clotting)
जेनेटिक और रेयर डिजीज इन्फॉर्मेशन सेंटर (Genetic and Rare Diseases Information Center) के अनुसार इसके उपचार में IV थेरेपी भी शामिल होती है, जिसमें प्लाज्मा का उपयोग किया जाता है। जो रक्त का वह भाग है जिसमें रक्त के थक्के जमने वाले फैक्टर होते हैं। इस रोग का कारण अगर इनहेरिटेड नहीं है तो यह विटामिन K डेफिशियेंसी (Vitamin K Deficiency), लिवर डिजीज (Liver Disease) या ऑटोइम्यून रिस्पांस (Autoimmune Response) के कारण हो सकती है। रोग के लक्षणों को दूर करने के लिए फैक्टर II की डेफिशियेंसी के अंडरलायिंग कारणों का इलाज किया जाना चाहिए।
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प्रोथ्रॉम्बिन या फैक्टर II का निदान (Factor II Deficiency Diagnosis)
फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से लक्षण, मेडिकल हिस्ट्री और ब्लीडिंग प्रॉब्लम की फॅमिली हिस्ट्री के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही वो ब्लीडिंग डिसऑर्डर के बारे में जानने के लिए कुछ लैब टेस्ट भी करा सकते हैं, जैसे:
- फैक्टर एस्सेस (Factor Assays) : यह टेस्ट्स मिसिंग या खराब प्रदर्शन करने वाले कारकों की पहचान करने के लिए खास फैक्टर्स के प्रदर्शन की जांच करते हैं।
- फैक्टर II एस्सेस (Factor II Assays) : यह टेस्ट खून में फैक्टर II के लेवल को जांचता है।
- प्रोथ्रॉम्बिन टाइम (Prothrombin Time): प्रोथ्रॉम्बिन टाइम फैक्टर I, II, V, VII, and X का लेवल जांचता है, जो इस बात पर निर्भर करता है कि प्रभावित व्यक्ति के खून में कितनी जल्दी ब्लड क्लॉट्स बनते हैं।
- पार्शियल प्रोथ्रॉम्बिन टाइम (Partial Prothrombin Time): प्रोथ्रॉम्बिन टाइम की तरह यह टेस्ट भी प्रभावित व्यक्ति ब्लड क्लॉट्स की गति के आधार पर VIII, IX, XI, XII के फैक्टर्स और वॉन विलेब्रांड (Von Willebrand) फैक्टर्स के स्तर को मापता है।
- अन्य टेस्ट (Other Tests) : कुछ टेस्ट अंडरलायिंग कंडीशंस के टेस्ट के लिए किए जा सकते हैं, जो ब्लीडिंग प्रॉब्लम का कारण बन सकते हैं। जानिए कैसे संभव है इस समस्या का उपचार।
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फैक्टर II डेफिशियेंसी का उपचार कैसे होता है? (Treatment of Factor II Deficiency)
फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) के उपचार में ब्लीडिंग को रोकने, अंडरलायिंग कंडीशंस का ट्रीटमेंट और सर्जरी या इनवेसिव डेंटल प्रोसीजर्स (Invasive Dental Procedures) से पहले इससे बचाव के सही तरीके अपनाना आदि शामिल है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से:
ब्लीडिंग को कंट्रोल करना (Controlling Bleeding)
ब्लीडिंग के लिए उपचार में प्रोथ्रोम्बिन कॉम्प्लेक्स (Prothrombin Complex) के इनफ्यूजंस, फैक्टर II और अन्य क्लॉटिंग फैक्टर्स का मिश्रण शामिल हो सकता है, ताकि आपकी क्लॉटिंग एबिलिटी को बढ़ाया जा सके। इसके लिए फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (Fresh Frozen Plasma) का प्रयोग किया जाता रहा है। लेकिन, आजकल इसका प्रयोग कम किया जाता है। जानिए इस बीमारी के उपचार के तरीकों के बारे में:
अंडरलायिंग कंडीशंस का उपचार (Treatment of Underlying Conditions)
एक बार जब ब्लीडिंग कंट्रोल हो जाती है। तो ब्लड प्लेटलेट्स के कार्य को बाधित करने वाली अंडरलायिंग कंडीशंस का इलाज किया जा सकता है। अगर आपकी यह अंडरलायिंग स्थिति ठीक नहीं होती है, तो उपचार का फोकस लक्षणों को मैनेज करने और और क्लॉटिंग डिसऑर्डर के प्रभाव पर होगा।
सर्जरी से पहले प्रोफिलेक्टिक उपचार (Prophylactic Treatment before Surgery)
यदि आप किसी सर्जरी या इनवेसिव प्रोसीजर (Invasive Procedures) की योजना बना रहे हैं, तो ब्लीडिंग के जोखिम को कम करने के लिए क्लॉटिंग फैक्टर या अन्य उपचारों की आवश्यकता हो सकती है।
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हेल्दी लिविंग (Healthy Living)
हेल्दी आदतों को अपनाना न केवल फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इसके लिए आपको इन तरीकों को अपनाना चाहिए:
- रोजाना ऐसी फिजिकल एक्टिविटी का पालन करें जो आपकी क्षमता और लाइफस्टाइल के अनुकूल हो।
- यानी अगर आप रोजाना सैर कर सकते हैं तो उसे करें या योग, व्यायाम आदि को अपनाएं।
- उचित मसल मास को मेंटेन रखने से ब्लीडिंग का जोखिम कम हो सकता है।
- किसी भी खेल को खेलते हुए सही उपकरणों का प्रयोग करें जैसे हेलमेट, एल्बो पैड्स आदि। आपके लिए सबसे बेहतरीन खेल है स्विमिंग और सायकिलिंग।
- सही और संतुलित आहार का सेवन करें और अपने सामान्य वजन को मेंटेन रखें।
- पर्याप्त नींद लें।
- एल्कोहॉल की मात्रा को सीमित रखें और स्मोकिंग न करें। जानिए इस समस्या से बचने के तरीकों के बारे में।
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फैक्टर II डेफिशियेंसी से कैसे बचें? (Factor II Deficiency Prevention)
फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) से बचने के लिए आपको केवल कुछ चीजों का ध्यान रखना होगा। जैसे कभी भी एस्पिरिन (Aspirin) या एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti Inflammatory) दवाईयों का सेवन न करें। इससे इन्हिबिटिंग प्लेटलेट फंक्शन (Inhibiting Platelet Function) के कारण ब्लीडिंग का जोखिम बढ़ जाता है, जिससे क्लॉट बनने में समय लगता है। किसी हर्बल मेडिसिनल सप्लीमेंट या विटामिन आदि को लेने से पहले भी डॉक्टर की सलाह लें। अपने दांतों का खास ख्याल रखें और नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह लें। अगर किसी सर्जरी, डेंटल वर्क या अन्य उपचार की स्थिति में कट लगाना जरूरी है तो डॉक्टर से बात करें और इससे बचने के लिए सभी जरूरी सावधानियों को बरतें।
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माइल्ड से मॉडरेट फैक्टर II डेफिशियेंसी (Factor II Deficiency) की स्थिति में सही कंट्रोल से आप सामान्य और हेल्दी लाइफ जी सकते हैं। अगर डेफिशियेंसी गंभीर है तो आपको पूरी उम्र हेमाटोलॉजिस्ट (Hematologist) यानी वो डॉक्टर जो ब्लड डिसऑर्डर के उपचार में स्पेशलिस्ट होते हैं, उनके टच में रहना होगा। ताकि, ब्लीडिंग के रिस्क को कम किया जा सके या ब्लीडिंग को रोका जा सके। हालांकि, यह एक सामान्य समस्या नहीं है लेकिन फिर भी इससे बचने के सभी उपाय करें। लक्षणों का खास ध्यान रखें। जैसे ही कोई लक्षण नजर आए, उसी समय मेडिकल हेल्प लें।