डायबिटीज उन बीमारियों में से एक है, जिसमें रोगी के हॉर्मोन जिसे इंसुलिन कहा जाता है, उस पर प्रभाव पड़ता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) के अनुसार डायबिटीज उस समस्या को कहा जाता है, जब हमारा ब्लड ग्लूकोज बढ़ जाता है। हाय ब्लड ग्लूकोज के कारण समय के साथ अन्य कई समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें कार्डिएक रिस्क भी शामिल हैं। आज हम बात करने वाले हैं डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) के बारे में। डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) के बारे में जानने से पहले डायबिटीज और डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क के बारे में जान लेते हैं।
डायबिटिक क्या है? (Diabetes)
डायबिटिक एक मेटाबॉलिक डिजीज है, जिसके कारण ब्लड शुगर लेवल हाय हो सकती है। हार्मोन इंसुलिन ब्लड से ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए स्टोर या उपयोग करने के लिए कोशिकाओं में ले जाता है।
डायबिटीज की स्थिति शरीर पर्याप्त इंसुलिन को नहीं बना पाता है या सही से इसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है। डायबिटीज में हाय ब्लड शुगर का सही उपचार न होने से रोगी की नर्वज, आंखें, किडनी और अन्य अंग डैमेज हो सकते हैं। डायबिटीज के कई प्रकार हैं जैसे टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), प्रीडायबिटीज,जेस्टेशनल डायबिटीज। डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) से पहले डायबिटीज के लक्षणों के बारे में भी जान लेते हैं।
डायबिटीज के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि रोगी का ब्लड शुगर लेवल कितना हाय है। कई बार डायबिटीज के रोगी इस रोग के कोई भी लक्षण महसूस नहीं करते हैं। जबकि, टाइप 1 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में इसके लक्षण एकदम नजर आ सकते हैं और जल्दी गंभीर हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं।
लगातार इंफेक्शन होना जैसे मसूड़ों, स्किन या वजाइनल इंफेक्शंस (Frequent infections)
टाइप 1 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन इसके लक्षणों का अधिकतर निदान बचपन में होता है। जबकि, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या को गंभीर माना जाता है। अब डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) से पहले जानें डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क के बारे में।
डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क (Cardiac Risk In Diabetic Patients)
हार्ट डिजीज बहुत ही सामान्य और गंभीर है। महिलाओं और पुरुषों दोनों में मृत्यु का यह सबसे बड़ा कारण है। अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको कार्डिएक रिस्क या स्ट्रोक आदि का जोखिम दो गुना अधिक होता है। जितने लम्बे समय तक आपको डायबिटीज की समस्या होती है, हार्ट डिजीज उतनी अधिक होती है। समय के साथ हाय ब्लड शुगर से ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकते हैं और उन नर्वज को भी नुकसान होता है, जो हार्ट को कंट्रोल करती हैं। लेकिन, अगर आपको डायबिटीज और कार्डिएक रिस्क है, तो आप आसानी से इस स्थिति को कंट्रोल कर सकते हैं। अपने लाइफस्टाइल में परिवर्तन से इस समस्या में आपको फायदा होगा। इन लाइफस्टाइल चेंजेज में एक्सरसाइज भी शामिल हैं। आइए जानें, डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट के बारे में।
डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients)
व्यायाम डायबिटीज मैनेजमेंट और डायबिटीज की रोकथाम की आधारशिला है। हालांकि, टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) में कार्डियोवैस्कुलर या कार्डिएक रिस्क फैक्टर्स पर व्यायाम का प्रभाव स्पष्ट नहीं है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) के द्वारा की गयी स्टडी के अनुसार एरोबिक और रेजिस्टेंस एक्सरसाइज ट्रेनिंग का प्रभाव कार्डिएक रिस्क्स पर पड़ सकता है, जिसमें टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में ग्लाइसेमिक कंट्रोल (Glycemic control), ब्लड प्रेशर (Blood pressure) आदि शामिल हैं।
ऐसा माना गया है कि एरोबिक एक्सरसाइज को अकेले या रेजिस्टेंस ट्रेनिंग के साथ करने से ग्लाइसेमिक कंट्रोल (Glycemic control), ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides), और वेस्ट सरकम्फ्रेंस (Waist circumference) सुधरता है। डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर रेजिस्टेंस एक्सरसाइज के अकेले प्रभाव के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज पेशेंट्स में फिजिकल एक्टिविटीज से कार्डियोवैस्कुलर रिस्क को कम किया जा सकता है। सैर करने को भी टोटल मोर्टेलिटी को कम करने के साथ जोड़ा जाता है।
एक्सरसाइज के कई बेनिफिट्स हैं। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण यह है कि यह रोगी के ब्लड ग्लूकोज लेवल को नियंत्रित करना आसान बनाता है। टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों के खून में ग्लूकोज अधिक होता है। क्योंकि, ऐसे रोगियों का शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या सही से इंसुलिन का इस्तेमाल नहीं कर पाता है। किसी भी मामले में, व्यायाम हमारे ब्लड में ग्लूकोज को कम कर सकता है। जब हम एक्सरसाइज कर रहे हों, तो मांसपेशियां बिना इंसुलिन के ग्लूकोज का उपयोग कर सकती हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप इंसुलिन रेजिस्टेंस हैं या आपका शरीर पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पा रहा है। जब हम व्यायाम करते हैं, तो हमारी मांसपेशियों को वह ग्लूकोज मिलता है जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है, बदले में ब्लड ग्लूकोज लेवल नीचे चला जाता है।
डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patient)
डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट: पाएं और जानकारी
यदि आप इंसुलिन रेजिस्टेंस हैं, तो व्यायाम असल में आपके इंसुलिन को अधिक प्रभावी बनाता है। यानी, जब हम व्यायाम करते हैं, तो हमारा इंसुलिन रेजिस्टेंस कम हो जाता है और हमारी कोशिकाएं ग्लूकोज का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर पाती हैं। एक्सरसाइज, टाइप 1 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों को लॉन्ग-टर्म कॉम्प्लीकेशन्स को नजरअंदाज करने में मदद कर सकती है, खासतौर पर हार्ट प्रॉब्लम्स। डायबिटीज से पीड़ित लोगों में आर्टरीज के ब्लॉक होने की समस्या हो सकती है, जिससे स्ट्रोक और हार्ट अटैक की संभावना बढ़ सकती है एक्सरसाइज से हार्ट हेल्दी और स्ट्रांग होने में मदद मिल सकती है।
इसके साथ ही गुड कोलेस्ट्रॉल को मेंटेन करने में में भी मदद मिल सकती है। जिससे हाय कोलेस्ट्रॉल और प्लाक के बिल्ड-अप को अवॉयड करने में मदद सहायता मिलती है। यह समस्याएं ब्लड को आसानी से आर्टरीज के माध्यम से पास होने में परेशानी का कारण बन सकती है। डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) के बारे में यह जानकारी बेहद महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही एक्सरसाइज के अन्य लाभ इस प्रकार हैं:
यह तो थी डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) के बारे में जानकारी। अब जानते हैं कि डायबिटीज पेशेंट्स कार्डिएक रिस्क को कैसे कम कर सकते हैं।
डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट और डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क को कम करने के अन्य उपाय
लाइफस्टाइल में बदलाव से डायबिटीज पेशेंट्स कार्डिएक रिस्क को कम कर सकते हैं और इन्हें बदतर होने से भी बचाया जा सकता है आइए जानें इन तरीकों के बारे में विस्तार से:
हेल्दी डायट का पालन करें। अधिक ताजे फलों, सब्जियों, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज का सेवन करें। ज्यादा पानी पीएं, कम शुगरी ड्रिक्स और कम एल्कोहॉल का सेवन करें। इसके साथ ही प्रोसेस्ड फूड का सेवन करने से बचें।
अपने वजन को सही रखें। अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने के तरीकों के बारे में जानें। सही आहार का सेवन करें और व्यायाम करें डॉक्टर से भी इस बारे में जानकारी ले सकते हैं।
एक्टिव रहें। यह तो आप जानते हैं कि एक्टिव रहना कितना जरूरी है। इससे डायबिटीज और कार्डिएक रिस्क को कम किया जा सकता है। इससे आपको ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने और हार्ट डिजीज के रिस्क की संभावना को कम करने में भी मदद मिलती है।
नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल लेवल, हाय ब्लड प्रेशर आदि की जांच करें।
स्ट्रेस को मैनेज करें। स्ट्रेस से ब्लड प्रेशर और अन्य कई समस्याएं बढ़ सकती हैं। इसके लिए आप मेडिटेशन करें, योग करें और अधिक परेशानी होने पर डॉक्टर की सलाह भी ली जा सकती है। इसके साथ ही सही दवाईयों को लें और डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।
उम्मीद है कि डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। डायबिटिक पेशेंट्स में हेल्थ संबंधी कई समस्याएं होने का जोखिम अधिक रहता है। ऐसे में डायबिटिक पेशेंट्स के लिए ब्लड ग्लूकोज लेवल को सही रखना जरूरी है। इसके साथ ही हेल्दी हैबिट्स अपनाएं, ताकि आप एक हेल्दी जीवन जी सकें। डायबिटिक पेशेंट्स में कार्डिएक रिस्क होने पर एक्सरसाइज इफेक्ट (Effect Of Exercise On Cardiac Risk In Diabetic Patients) से जुड़ा कोई भी सवाल आपके मन में है, तो आप अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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