भारत में डेंगू की शुरुआत हरियाणा से 1996 में हुई थी। इसके बाद ये बीमारी दिल्ली, चंडीगढ़, पांडिचेरी, बैंगलोर, कर्नाटक, लुधियाना और लखनऊ जैसे बड़े हिस्सों को प्रभावित कर चुकी है। 1988 से 1989 के बीच डेंगू के कई बड़े मामले गुजरात के हिस्सों में भी पाए गए थे और फिर यह लगातार बढ़ता चला गया।
उत्तर प्रदेश में हुए सर्वे में पाया गया कि गांवों में डेंगू से पीड़ित लोग 53. 4 % हैं जबकि शहरों में डेंगू के मरीजों की संख्या कम है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि शहरों में साफ सफाई और चिकित्सा के साधन गांवों की तुलना में अधिक हैं।
डेंगू के उपचार:
मेथी के पत्ते हैं फायदेमंद:
डेंगू के उपचार के लिए मेथी के पत्तों को उपयोगी माना जाता है। इसके लिए एक चम्मच मेथी के सूखे पत्ते को एक गिलास पानी में डालकर उबालें। अब पानी छान लें और चाय की तरह इसे पीएं। मेथी में एंटी-इन्फलामेटरी और एंटीपायरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो बुखार को कम करने में मददगार हैं।
बकरी का दूध:
डेंगू के उपचार के लिए बकरी के दूध को वरदान समान माना जाता है। इस बुखार में शरीर में सेलेनियम और ब्लड प्लेटलेट्स में तेजी से कमी आने लगती है। इसके इलाज के लिए बकरी का दूध बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर में सेलेनियम की कमी पूरी करता है और प्लेटलेट भी बढ़ाता है।
कीवी भी है प्रभावशाली: