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जानें हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Written by डॉ. बिपीनचंद्र भामरे · कार्डियोथोरेसिक सर्जरी · Sir H N Reliance Foundation Hospital and Research Centre, Mumbai


अपडेटेड 31/12/2021

    जानें हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

    दर्द-ए-दिल, दिल ही तो है, दिल का मामला और ना जाने क्या-क्या! दिल के बारे में हम सभी का नजरिया अलग-अलग होता है। लेकिन का असल काम हमारे पूरे शरीर में खून की सप्लाई करना है और जब ये सप्लाई किन्हीं कारणों से बाधित होती है, तब दिल की बीमारी होती है। लेकिन फिर भी लोगों के मन में हृदय रोगों से जुड़े मिथक रहते हैं, जिससे वे कई बार गलत तरीके से अपने दिल का ख्याल रखते हैं। इस लेख में आपसे हृदय रोगों से जुड़े मिथक के बारे में मुंबई स्थित सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के कार्डियो थोरैसिक सर्जन डॉ. बिपीनचंद्र भामरे बात करेंगे। 

    डॉ. बिपीनचंद्र भामरे कहते हैं कि “क्या आप जानते हैं? गतिहीन जीवनशैली, धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, उम्र, लिंग, फैमिली हिस्ट्री के साथ-साथ कुछ हेल्थ कंडीशन, जैसे- हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज जैसे कई कारक आपके जीवन को कठिन बना सकते हैं। जी हां, आपने सही सुना है, इसलिए आपको अपने स्वास्थ्य के खिलाफ जोखिम बढ़ाने वाले फैक्टर को कंट्रोल करना जरूरी है। बेशक कुछ ऐसे रिस्क फैक्टर होते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, जैसे- मेल जेंडर (पुरुष), पारिवार में किसी को कोई स्वास्थ्य समस्या होना, व्यक्ति की उम्र। इन सभी रिस्क फैक्टर पर हमारा नियंत्रण नहीं होता है। लेकिन अगर आप इन रिस्क फैक्टर को कम करें तो आप में किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने का रिस्क कम हो जाएगा। स्मोकिंग और तंबाकू छोड़ना आपके सेहत के लिए सबसे अच्छा होगा। दुनिया में सबसे ज्यादा दिल की बीमारियों से लोग परेशान हैं। इसलिए लोगों को मन में हृदय रोगों से जुड़े मिथक और गलत धारणाएं भी हैं, जिनके तथ्य जानने की लोगों को जरूरत है। इसलिए, 29 सितंबर, 2020 को विश्व हृदय दिवस (World Heart Day 2020) के अवसर पर, हृदय रोग को हराने के लिए थीम ‘#UseHeart’ के साथ, हम आपको दिल के स्वास्थ्य के महत्व को समझने और दिल के दौरे के बारे में कुछ मिथकों को दूर करने का प्रयास करते हैं। 

    दिल की समस्या को समझें

    दिल की बीमारियों को समझने की सबसे ज्यादा जरूरत है, क्योंकि बहुत सी स्थितियों के कारण हृदय रोग हो सकते हैं। कई ऐसे रोग हैं जिनसे हमारा हृदय प्रभावित हो सकता है। इस स्थिति में अपनी जीवनशैली में बदलाव करने और डॉक्टर के द्वारा दी गई दवाओं का समय पर सेवन करने से हृदय रोगों के साथ आसानी से निपटा जा सकता है। लेकिन इससे पहले आपको हृदय रोगों को समझने की जरूरत है। दिल की बीमारियों के कुछ प्रकार ऐसे होते हैं, जो हमारे दिमाग की शांति तक छीन लेते हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में :

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy)

    कार्डियोमायोपैथी दिल की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें हृदय की मांसपेशियां बढ़ जाती हैं और मोटी या कठोर हो जाती हैं। कार्डियोमायोपैथी के लक्षणों में थकान, चक्कर आना और पैरों में सूजन हो सकती है। 

    और पढ़ें : Dilated Cardiomyopathy: डाइलेटेड कार्डिओमायोपथी क्या है?

    अरिदमिया (Arrhythmia)

    अरिदमिया में दिल की धड़कनें असामान्य हो जाती हैं, जो घातक साबित हो सकता है। अरिदमिया की स्थिति किसी भी व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकती है। अरिदमिया में दिल की गति धीमी हो जाती है, सीने में दर्द, सांस फूलना, दिखाई ना देना और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अरिदमिया की स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

    कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease)

    कोरोनरी आर्टरी डिजीज भी दिल की एक बीमारी है। जिसमें दिल के पास की धमनियों में प्लाक बन जाता है। इसे इस्केमिक हार्ट डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। कोरोनरी आर्टरी डिजीज में सीने में दर्द, जलन, ऐंठन और सीने में जकड़न जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

    कॉन्जेनाईटल हार्ट (Congenital heart)

    कॉन्जेनिटल हार्ट का मतलब जन्मजात हृदय दोष होता है। जिसमें हृदय की समस्या बच्चे के जन्म से ही होती है जैसे- हार्ट वॉल्व और हार्ट वेसेल्स में डिफेक्ट। कॉन्जेनिटल हार्ट प्रॉब्लम में नवजात शिशु को सांस लेने में कठिनाई होने के साथ ही उसके शरीर का रंग थोड़ा नीले रंग का देखने में लगता है। इसके अलावा अन्य लक्षण कई वर्षों में विकसित हो सकते हैं, जैसे- बेहोशी, सूजन, थकान और चक्कर आना आदि।

    एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis)

    दिल की बीमारी जैसे एथेरोस्क्लेरोसिस में धमनी की दीवार में प्लाक बन जाता है। जिसके कारण धमनियों की दीवारें सख्त हो सकती हैं। एथेरोस्क्लेरोसिस में सीने में दर्द या एनजाइना, सांस लेने में परेशानी और चलने फिरने में समस्या आदि लक्षण सामने आते हैं। 

    और पढ़ें : Atherosclerosis : एथेरोस्क्लेरोसिस क्या है?

    दिल में संक्रमण (Heart Infection)

    कई बार ऐसा देखा गया है कि दिल में संक्रमण हो जाता है और ये संक्रमण भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे- पेरीकार्डिआटिस, एंडोकार्डिआटिस और मायोकार्डिआटिस। पेरीकार्डिआटिस में हृदय के बाहरी आवरण में सूजन या जलन हो जाती है। एंडोकार्डिआटिस में दिल के वॉल्व में संक्रमण हो जाता है, वहीं मायोकार्डिआटिस में दिल की मांसपेशियों में सूजन हो जाती है।

    मायोकार्डिअल इंफ्रैक्शन (myocardial infarction)

    म्योकार्डिअल इंफ्रैक्शन को दिल के दौरे के नाम से भी जाना जाता है। जब ब्लड फ्लो कम हो जाता है या हृदय के एक हिस्से में ब्लड रुक जाता है, तो यह हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है। जिसके कारण आप थकान महसूस कर सकते हैं और दिल का दौरा पड़ने के बाद सांस लेने में परेशानी, मतली आना, चक्कर आना और पसीने की कमी हो सकती है।

    और पढ़ें : हार्ट अटैक (Heart Attack): जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय

    हृदय रोगों के होने का कारण क्या हैं?

    हाई ब्लड प्रेशर के कारण किसी को दिल का दौरा पड़ सकता है या दिल की कोई अन्य समस्या हो सकती है जो धमनियों और अन्य खून की नलियों पर हाई प्रेशर बना सकती है। अगर इस हाई प्रेशर को मैनेज नहीं किया जाता है, तो आपके दिल पर अत्यअधिक दबाव पड़ सकता है और आपके शरीर के अन्य अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है,  जैसे- आपकी किडनी, मस्तिष्क, आंखें आदि को नुकसान पहुंच सकता है। यहां तक ​​कि हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल भी इस स्थिति का जिम्मेदार हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल, वसा जैसा पदार्थ होता है, जो लिवर के द्वारा बनाया जाता है। कोलेस्ट्रॉल से भरपूर खाद्य पदार्थ का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है। इसलिए, बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल धमनियों की दीवारों में और हृदय की समस्याओं का कारण बन सकता है। यह एक धमनियों को संकरा करता है और ब्लड फ्लो को कम करता है, जिससे ब्रेन और किडनी तक शरीर के अन्य भागों में भी सही से ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है। आपके ब्लड में शुगर की अधिक मात्राडायबिटीज का कारण बनता है। यहां तक ​​कि मोटापे से हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के साथ-साथ हृदय रोग भी हो सकता है।

    इसके अलावा हृदय रोग होने के कई अन्य कारण हैं। सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट से भरपूर खाद्य पदार्थ हृदय रोग और अन्य स्थितियों जैसे एथेरोस्क्लेरोसिस को बढ़ावा दे सकते हैं। अपने आहार में से नमक (सोडियम) का सेवन भी बंद कर दें। शारीरिक गतिविधि की कमी से आप में दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। शराब, तंबाकू का उपयोग और धूम्रपान करने से हार्ट पर प्रेशर और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ सकता है।

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    हार्ट अटैक लोगों को क्यों ज्यादा आते हैं?

    आजकल, बड़ी संख्या में लोगों में दिल का दौरा पड़ने जैसी समस्या देखने को मिल रही है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि लोग हृदय रोग के लक्षणों को अनदेखा करते हैं और समय पर इलाज नहीं ले पाते हैं। अगर आपको या आपके किस अपने को दिल का दौरा पड़ता है, तो बिल्कुल भी देरी न करें। तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करें और हॉस्पिटल में भर्ती करा के सही इलाज कराएं। यह सब आप तभी कर सकते हैं, जब आपको हार्ट अटैक के बारे में पूरी जानकारी होगी, क्योंकि लोगों में हृदय रोग के बारे में जागरूकता की कमी है। इसी तरह से लोगों में हृदय रोगों से जुड़े मिथक या गलतफहमी है जिसके बारे में सभी को जरूर पता होना चाहिए, तो आइए हृदय रोगों से जुड़े मिथक के बारे में चर्चा करते हैं। 

    और पढ़ें : जानें महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों की तुलना में कैसे अलग होते हैं?

    हृदय रोगों से जुड़े मिथक क्या हैं?

    डॉ. बिपीनचंद्र भामरे हृदय रोगों से जुड़े मिथक के बारे में बता रहे हैं। इसे जानकर आप अपने भ्रमों को दूर कर सकते हैं :

    हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक : युवा लोगों में हार्ट अटैक का रिस्क कम होता है?

    तथ्य : आप फिट हैं या अनफिट हैं, आप युवा हैं या बूढ़े हैं हार्ट अटैक इन बातों का ध्यान नहीं देता है। आपको दिल के दौरे का खतरा कभी भी हो सकता है। हार्ट अटैक किसी भी आयु वर्ग में स्ट्राइक कर सकता है। हार्ट अटैक का किसी भी उम्र से कोई लेना-देना नहीं है। यहां तक ​​कि अगर आप एक एक एक्टिव लाइफ जीते हैं और रोजाना एक्सरसाइज करते हैं तो भी आपको दिल का दौरा पड़ने का खतरा हो सकता है। मोटापा, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज और स्ट्रेसफुल लाइफ युवाओं में दिल की समस्याओं के रिस्क को बढ़ाती हैं। इसलिए हृदय रोगों से जुड़े मिथक में ये एक भ्रम है कि आप युवा है तो आपको दिल की बीमारी नहीं हो सकती है। 

    हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक : हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक दोनों एक समान है

    तथ्य: हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर एक समान नहीं है। जब ब्लड फ्लो कम हो जाता है या दिल के एक हिस्से में ब्लड रुक जाता है और दिल की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है, तो इस स्थिति में हार्ट अटैक पड़ सकता है। हार्ट फेलियर में थकान, सांस लेने में समस्या, मतली, चक्कर आना और पसीना होने जैसे लक्षण सामने आते हैं। हार्ट फेलियर में दिल पर्याप्त मात्रा में ब्लड पंप नहीं कर पाता है, इस स्थिति में शरीर के कोशिकाओं को ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है, जिससे मरीज की जान जाने का खतरा बढ़ सकता है। इस तरह से हार्ट फेलियर और हार्ट अटैक दोनों एक समान नहीं, बल्कि दोनों अलग-अलग है। इसलिए, हृदय रोगों से जुड़े मिथक में आप बिल्कुल भी भ्रमित ना हो।

    और पढ़ें : हार्ट अटैक में फर्स्ट ऐड कब और कैसे दें? पढ़िए इसकी पूरी जानकारी

    हृदय रोगों से जुड़े मिथक : सीने में दर्द होना ही हार्ट अटैक का लक्षण है

    तथ्य : हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक में ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि सीने में दर्द होना ही हार्ट अटैक का इकलौता लक्षण है। ये पूरी तरह से गलत है, सीने में दर्द के अलावा भी हार्ट अटैक के कई लक्षण हैं, जैसे- सांस लेने में परेशानी होना, मतली आना, पसीना होना, चक्कर आना, थकान होना आदि। जरूरी नहीं है कि हार्ट अटैक में सीने में दर्द ही हो, कई बार ये सभी लक्षण भी नजर आते हैं। जिसे नोटिस करने के बाद तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। 

    हृदय रोगों से जुड़े मिथक : दिल की बीमारी से परेशान लोगों को कोविड-19 संक्रमण होना का ज्यादा खतरा है

    तथ्य : हां, ये फैक्ट है कि दिल की बीमारी से परेशान लोगों को कोविड-19 संक्रमण होना का ज्यादा खतरा है। कोरोनावायरस उन लोगों को प्रभावित करता है जो डायबिटीज या हृदय रोगों से परेशान हैं। हृदय संबंधी बीमारियों से परेशान लोगों की इम्यूनिटी इस वायरस के खिलाफ ज्यादा नहीं लड़ पाती है। कोरोनावायरस उन लोगों को जल्दी अपना शिकार बनाता है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।

    हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक : दिल के मरीजों को एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए

    तथ्य : हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक में ये बात पूरी तरह से गलत है। दिल के मरीजों को एक्सरसाइज पर खास ध्यान रखना चाहिए। बतौर डॉक्टर मैं दिल के मरीजों को एरोबिक्स, योगा, एक्सरसाइज या टहलने की सलाह देता हूं। इसलिए आपको रोजाना कम से कम आधे घंटे की एक्सरसाइज करनी चाहिए। आप एक्सरसाइज करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह और किसी ट्रेनर की मदद ले सकते हैं। 

    और पढ़ें : कार्डियो वर्कआउट दिल और शरीर को रखेगा स्वस्थ

    हृदय स्वास्थ्य से जुड़े मिथक : एक बार दिल की बीमारी हो गई, तो कभी खत्म नहीं होती है

    तथ्य : ये बात पूरी तरह से सही नहीं है। एक बार दिल की बीमारी हो गई तो उसे ठीक किया जा सकता है। बस हमें करना बस इतना है कि समय रहते हम अपने लाइफस्टाइल को बदल लें और बीमारी का इलाज कराएं। दिल की बीमारी को ठीक करने के लिए आपको अपने डॉक्टर द्वारा बताई गई डायट, लाइफस्टाइल और एक्सरसाइज करनी होगी। इसके अलावा अपने वजन को नियंत्रित रखना होगा। वहीं, इलाज की बात करें, तो आज टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ चुकी है, बाइपास सर्जरी और दिल की अन्य सर्जरी के द्वारा दिल की बीमारियों को ठीक किया जा सकता है। 

    इस तरह से आपने जाना कि हृदय रोगों से जुड़े मिथक, जो लोगों के मन में अज्ञानता का कारण बने हुए हैं। आप तथ्यों को जान कर अपने जीवन को आसानी से दिल की बीमारी के साथ गुजार सकते हैं। इसके लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें और समय रहते अपने दिल का ख्याल रखें। 

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