स्ट्रोक के बारे में कहा जाता है कि यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें दिमाग में मौजूद किसी रक्त वाहिका को क्षति या उससे रक्त स्राव होने लगता है। दिमाग में मौजूद रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज होने पर रक्त प्रवाह रुक जाता है, जिससे भी स्ट्रोक की समस्या हो सकती है। यह एक गंभीर शारीरिक समस्या है। रक्त वाहिका में ब्लॉकेज होने से दिमाग में मौजूद टिश्यू तक ऑक्सीजन और रक्त नहीं पहुंच पाता है। जिससे उनको पोषण प्राप्त नहीं होता और वो क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। इसे मेडिकल भाषा में ब्रेन स्ट्रोक या सेरेब्रोवैस्क्युलर एक्सीडेंट (Cerebrovascular Accident; CVA) भी कहा जाता है, जिसके होने पर आपको इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है।
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स्ट्रोक के लक्षण क्या होते हैं?
स्ट्रोक के बारे में अगर जानना चाहते हैं तो सबसे पहल उसके लक्षण पर गौर करना होगा। पर्याप्त रक्त प्रवाह न पहुंच पाने की वजह से दिमाग में मौजूद टिश्यू क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और काम करना बंद कर देते हैं। जिससे, क्षतिग्रस्त टिश्यू द्वारा शारीरिक अंगों और कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। महिलाओं और पुरुषों को होने वाले स्ट्रोक के लक्षणों में भिन्नता हो सकती है। इसके अलावा, पुरुषों को महिलाओं से ज्यादा बार स्ट्रोक आने की आशंका होती है और महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा ज्यादा गंभीर स्ट्रोक के मामले देखे जाते हैं। महिलाओं और पुरुषों में निम्नलिखित लक्षण आम हो सकते हैं। जैसे-
- शरीर के एक तरफ के हाथ, पैर और चेहरे का सुन्न हो जाना
- लकवा
- चलने में परेशानी
- दिखने में दिक्कत होना
- उलझन की स्थिति
- चक्कर आना
- अचानक गंभीर सिरदर्द होना
- साफ न बोल पाना
- शारीरिक संतुलन खो जाना
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महिलाओं में स्ट्रोक के बारे में
महिलाओं में स्ट्रोक के इन निम्नलिखित लक्षणों के दिखने की आशंका ज्यादा होती है। जैसे-
- दर्द
- बेहोशी
- उल्टी या जी मिचलाना
- कमजोरी
- व्यवहार में अचानक बदलाव
- उलझन की स्थिति
- सांस लेने में दिक्कत होना
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पुरुषों में स्ट्रोक के बारे में
पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले स्ट्रोक के यह लक्षण ज्यादा आम हो सकते हैं। जैसे-
- बोलने में दिक्कत आना, जिससे उनकी आवाज और बातें साफ-साफ सुनाई नहीं देती
- चेहरे के एक तरफ की मसल्स का निष्क्रिय हो जाना
- शरीर के एक तरफ के हाथ या मसल्स का कमजोर हो जाना
स्ट्रोक के बारे में जोखिम
कुछ जोखिम स्ट्रोक की आशंका को बढ़ा देते हैं। इसलिए, इन जोखिमों का बहुत ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
कम एक्टिव होना
स्ट्रोक के बारे में यह भी कहा जाता है कि कम शारीरिक गतिविधि होना या एक्सरसाइज न करने से इसकी आशंका बढ़ जाती है। नियमित एक्सरसाइज करने से न सिर्फ आप स्ट्रोक के खतरों को कम कर पाते हैं, बल्कि अन्य स्वास्थ्य फायदे भी मिलते हैं। हफ्ते में कुछ दिन वॉकिंग करने से भी आप इन फायदों को प्राप्त कर सकते हैं।
तम्बाकू
तम्बाकू खाने से आपके दिल और रक्त वाहिकाओं का स्वास्थ्य कमजोर होता है और ब्लड प्रेशर की समस्या होती है। जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। तम्बाकू और स्ट्रोक के बारे में काफी रिसर्च हो चुकी हैं।
डायट
एक अस्वस्थ डायट का सेवन करने से स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। इसलिए, अपनी डायट में नमक, सैचुरेटेड फैट्स, ट्रांस फैट्स, कोलेस्ट्रॉल आदि की मात्रा सीमित होनी चाहिए।
शराब
अत्यधिक शराब का सेवन करने से भी स्ट्रोक का खतरा हो सकता है। इससे ब्ल्ड प्रेशर का स्तर और कॉलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
व्यक्तिगत कारण
इन सभी जोखिमों के अलावा कुछ व्यक्तिगत कारण भी स्ट्रोक की आशंका को बढ़ा सकते हैं। जैसे- आपकी फैमिली हिस्ट्री में अगर किसी को स्ट्रोक या उसके जोखिमों की समस्या हुई है, तो आपको इसका खतरा ज्यादा हो सकता है। इसके अलावा, आपका महिला या पुरुष होना भी स्ट्रोक की आशंका को नियंत्रित करता है। क्योंकि, महिलाओं को ज्यादा गंभीर स्ट्रोक का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, व्यक्तिगत कारणों में उम्र बहुत बड़ी भूमिका अदा करती है। क्योंकि, आपकी उम्र बढ़ने के साथ ही स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ता है।
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स्ट्रोक को डायग्नोज करने के लिए कौन-से टेस्ट्स किए जाते हैं?
स्ट्रोक के बारे में टेस्ट किए जाते हैं और लक्षण दिखने के बाद डॉक्टर या आपका हेल्थ केयर प्रोवाइडर मुख्य रूप से निम्नलिखित टेस्ट्स के द्वारा स्ट्रोक की बीमारी को डायग्नोज कर सकता है।
ब्लड टेस्ट
स्ट्रोक को डायग्नोज करने के लिए ब्लड टेस्ट से आपका ब्लड शुगर लेवल, इंफेक्शन, प्लेटलेट्स का स्तर और ब्लड क्लॉट बनने की अवधि की जांच की जा सकती है।
सीटी स्कैन
स्ट्रोक के लक्षण दिखने के तुरंत बाद डॉक्टर सीटी स्कैन करते हैं। जिससे दिमाग के क्षतिग्रस्त हिस्से की जांच करने में मदद मिलती है।
एंजियोग्राम
एंजियोग्राम में आपके रक्त में एक डाई इंजेक्ट की जाती है और उसके बाद आपके दिमाग का एक्सरे लेकर ब्लॉक या हेमोरेज रक्त वाहिका का पता लगाया जाता है।
एमआरआई स्कैन
एमआरआई स्कैन से सीटी स्कैन के मुकाबले ज्यादा बारीक स्थिति का पता लगता है।
इकोकार्डियोग्राम
इसमें साउंड वेव्स की मदद से दिल की तस्वीर निकाली जाती है। जिससे ब्लड क्लाट बनने का स्रोत पता लगता है।
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स्ट्रोक का ट्रीटमेंट कैसे किया जाता है?
आमतौर पर स्ट्रोक के बारे में तीन ट्रीटमेंट चरण बताए जाते हैं, जिसमें बचाव, स्ट्रोक के तुरंत बाद थेरेपी और पोस्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन शामिल होती है। स्ट्रोक के तुरंत बाद दी जाने वाली थेरेपी पहली बार आए स्ट्रोक के व्यक्तिगत जोखिमों जैसे- हाइपरटेंशन, डायबिटीज आदि पर निर्भर करती है। एक्यूट स्ट्रोक थेरेपी में स्ट्रोक के दौरान ही उसकी वजह यानि ब्लड क्लॉट को मिटाया जाता है या फटी हुई रक्त वाहिकाओं को सही किया जाता है।
पोस्ट स्ट्रोक रिहैबिलिटेशन में स्ट्रोक की वजह से मरीज को हुए नुकसान या डिसेबिलिटी को सही किया जाता है। स्ट्रोक का सबसे आम ट्रीटमेंट मेडिकेशन या ड्रग थेरेपी होती है। जिसमें स्ट्रोक से बचाव या सही करने के लिए एंटीथ्रोंबोटिक्स या ब्लड क्लॉट को मिटाने वाले ड्रग दिए जाते हैं।
स्ट्रोक के बाद जिंदगी कैसी होती है?
स्ट्रोक के बारे में सब जानने के बाद बात आती है, स्ट्रोक के बाद जिंदगी की। इससे उबरने में कुछ हफ्तों से महीने और यहां तक कि साल भी लग सकते हैं। कुछ लोग स्ट्रोक के बाद पूरी तरह उबर जाते हैं, लेकिन वहीं कुछ मरीजों में इसका असर जिंदगीभर दिखता है। व्यक्ति को एक बार स्ट्रोक आने के बाद दूसरा स्ट्रोक आने की आशंका बढ़ जाती है। स्ट्रोक आने के बाद व्यक्ति की शारीरिक स्थिति को सामान्य करने के लिए निम्नलिखित थेरेपी की मदद ली जा सकती है। जैसे-
- स्पीच थेरेपी
- रिलर्निंग सेंसरी स्किल्स
- कॉग्निटिव थेरेपी
- फिजिकल थेरेपी
अगर, आप किसी व्यक्ति की शारीरक स्थिति को सामान्य करके उबरने में मदद करना चाहते हैं, तो उसके लिए उचित थेरेपी के लिए डॉक्टर से सलाह लें।
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स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए क्या करें?
स्ट्रोक का खतरा कम करने के लिए आपको उसके जोखिमों को कम करना चाहिए। अगर, आपका शरीर स्वस्थ रहेगा तो आपको स्ट्रोक होने की आशंका काफी कम हो जाती है। इसके लिए आप निम्नलिखित टिप्स को अपना सकते हैं।
- वजन नियंत्रित रखें। क्योंकि वजन अनियंत्रित होने से आपको डायबिटीज, कॉलेस्ट्रॉल आदि की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
- अपनी दिल की दवाई समय पर लें। जिससे आपका दिल सही तरीके से कार्य करेगा और आपकी रक्त वाहिकाओं में ब्लड क्लॉट बनने की आशंका कम होगी।
- नियमित और पर्याप्त एक्सरसाइज करें। जिसके लिए, आप हफ्ते में तकरीबन हर दिन आधा घंटा टहल सकते हैं।
- शराब और तम्बाकू का सेवन न करें।
- स्वस्थ आहार का सेवन करें।
अगर मुझे या किसी और को स्ट्रोक होता है तो क्या करें और क्या न करें?
- स्ट्रोक के बारे में कई बातों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अगर आपको या किसी को भी स्ट्रोक होता है, तो आपको तुरंत एंबुलेंस को कॉल करना चाहिए और तुरंत नजदीकी अस्पताल में जाकर ट्रीटमेंट लेना होगा। इससे, स्ट्रोक का इलाज सही समय पर किया जाएगा और जान बचाई जा सकेगी।
- इसके अलावा, एंबुलेंस या नजदीकी अस्पताल में मरीज या बीमारी के बारे में बताते हुए स्ट्रोक का नाम जरूर लें। जिससे, अस्पताल में मरीज के पहुंचने से पहले की जरूरी तैयारियां पूरी की जा सकेगी और स्टाफ या डॉक्टर स्थिति की गंभीरता को समझेंगे।
- इसके साथ ही, आपको मरीज में स्ट्रोक के बढ़ते लक्षणों के बारे में देखरेख करनी चाहिए। जिससे आप डॉक्टर को सभी जरूरी जानकारी दे पाएं और सही समय पर उचित इलाज मिल पाए। इसके अलावा, अगर आप मरीज की डायबिटीज, दिल की बीमारी जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में भी जानकारी जुटा सकें तो बेहतर होगा। ताकि, डॉक्टरों को समय पर पता लग जाए कि मरीज को क्या ट्रीटमेंट देना है।
- जिस मरीज को स्ट्रोक आया है, उसे बैठाने या खड़े करने की बजाय लेटा दें और उसके सिर को थोड़ा ऊपर करके रखें। इस पोजीशन में दिमाग में ब्लड फ्लो बेहतर रहता है। उसके कपड़ों को भी ढीला कर दें।
- अगर मरीज को सही तरह से सांस नहीं आ रही है या सांस लेने में दिक्कत हो रही है, तो सीपीआर दें।
- इसके अलावा, जिस मरीज को स्ट्रोक आया है, उसे खुद या ड्राइव करके अस्पताल न जाने दें। इससे उनकी जान को खतरा ज्यादा बढ़ सकता है।
- स्ट्रोक के दौरान मरीज को किसी भी तरह की दवा न दें। इससे उस के ऊपर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- स्ट्रोक के दौरान मरीज को कुछ भी खाने या पीने को न दें। क्योंकि, स्ट्रोक से मरीज की सभी मसल्स कमजोर हो जाती हैं, जिससे खाना या पानी गले में फंस सकता है।
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