स्मोकिंग करने वाला व्यक्ति अपने जीवन के साथ परिवार के अन्य सदस्यों की जिंदगी को भी बर्बाद कर देता है, जिसे पेसिव स्मोकिंग कहते हैं। हर किसी को इस बात की जानकारी है कि स्मोकिंग करना सेहत के लिए काफी हानिकारक है बावजूद इसके वे इसका सेवन करते हैं, कई लोग तो यह सोचते हैं कि धीरे-धीरे स्मोकिंग छोड़ देंगे, लेकिन एक्सपर्ट बताते हैं कि स्मोकिंग छोड़ने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि धीरे-धीरे न छोड़ एक झटके में छोड़ा जाए तो बेहतर है। स्मोकिंग छोड़ने के लिए कई शहरों में लोग हिप्नोसिस का सहारा लेते हैं। आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस किन लोगों में इफेक्टिव है, वहीं किन लोगों में इसका असर नहीं होता है। स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस कैसे काम करता है आइए जानते हैं।
हिप्नोसिस (Hypnosis) में चेतन मन की शक्ति का होता है इस्तेमाल
जमशेदपुर टाटा मेन हास्पिटल के साइकेट्रिक विभाग के एचओडी डॉक्टर संजय अग्रवाल बताते हैं कि, स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस या सम्मोहन के द्वारा कोई भी एक्सपर्ट मरीज को ठीक करने के लिए उसकी चेतन मन की शक्ति का इस्तेमाल करता है। मान लें यदि किसी को स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस कर एक्सपर्ट चेतन मन को डायरेक्शन देते हैं कि वो स्मोकिंग न करें। यह ठीक कंप्यूटर में सॉफ्टवेयर डालने के जैसा है। डाॅक्टर या एक्सपर्ट दिमाग को इस प्रकार के डायरेक्शन दे देते हैं कि जिससे व्यक्ति उससे प्रभावित होकर स्मोकिंग नहीं करता है। कई लोग स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस का सहारा लेते हैं।
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किन लोगों पर है इफेक्टिव व किस पर नहीं होता असर
मनोवैज्ञानिक डॉ. संजय अग्रवाल बताते हैं कि, ‘भारत में हिप्नोसिस के द्वारा इलाज काफी कम ही किया जाता है खासतौर से स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस का इलाज करने के लिए। देश की राजधानी दिल्ली के साथ कुछ महानगरों यानि मेट्रो सिटी में ही इसका इलाज किया जाता है। वहीं बात यदि स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस के सहारे की है तो जरूरी नहीं कि यह सभी लोगों पर इफेक्टिव हो। हिप्नोसिस सिर्फ व सिर्फ उन्हीं लोगों पर असरदार होता है जिनका विल पावर यानि इच्छा शक्ति कमजोर होती है या फिर ऐसे लोगों पर इसका असर ज्यादा होता है जो जल्द ही किसी की बातों से प्रभावित होते हैं। इसके ठीक उलट हिप्नोसिस ऐसे लोगों पर असरदार नहीं है जो किसी की बातों में नहीं आते हैं या फिर जिनकी इच्छा शक्ति व विल पावर मजबूत होती है। स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस सभी पर असरदार नहीं है।”
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किन स्थितियों में लोग शुरू करते हैं स्मोकिंग (Smoking)
मनोवैज्ञानिक डाक्टर संजय बताते हैं कि, किसी भी व्यक्ति के स्मोकिंग करने के कई कारण होते थे। कोई यूं ही शौकिया तौर पर स्मोकिंग करने लगता है, जो धीरे-धीरे लत में तब्दील हो जाती है, वहीं किसी में स्मोकिंग करना उसकी लत में शुमार होता है, वहीं यदि स्मोकिंग न करें तो उसे परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं कोई परिस्थितियों के अनुरूप स्मोकिंग करता है जैसे कई लोग ऐसे हैं जो शौच के पहले स्मोकिंग करते हैं, उनका मानना है कि जब तक वे स्मोक न कर लें तब तक अच्छे से शौच होता नहीं है। ठीक ऐसा ही कई लोग खाना खाने के बाद सिगरेट पीना पसंद करते हैं वहीं कई लोग चाय-कोल्ड ड्रिंक का सेवन करने के साथ सिगरेट पीना पसंद करते हैं। खैर परिस्थितियां चाहे जो कुछ भी क्यों न हो हर हाल में स्मोकिंग करना गलत है।
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कई लोग तनाव (Depression) व नींद नहीं आने के कारण भी करते हैं स्मोकिंग
मनोवैज्ञानिक डॉ संजय बताते हैं कि, ऐसे लोग जो नींद नहीं आने पर या फिर तनावग्रस्त रहने पर स्मोकिंग किया करते थे ऐसे लोगों का हम उनकी बीमारी को ठीक सकते हैं। यदि किसी को तनाव की समस्या है तो दवा देकर उसे तनाव मुक्त करते हैं या फिर काउंसलिंग कर उसे तनाव मुक्त करते हैं। यदि उसकी बीमारी ठीक हो जाती है तो ऐसे में वह खुद ब खुद ही स्मोकिंग करना छोड़ देता है।
पैसिव स्मोकिंग (Passive Smoking) और भी घातक
स्मोकिंग करने वाले कई लोग सोचते हैं कि हम स्मोकिंग कर रहे हैं, इसका हमारे परिवार पर भला क्या असर पड़ेगा। लेकिन उनका यह सोचना गलत है। मनोवैज्ञानिक डाॅ संजय अग्रवाल बताते हैं कि सेल्फ स्मोकिंग की तुलना में पेसिव स्मोकिंग और भी घातक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सेल्फ स्मोकिंग से व्यक्ति खुद प्रभावित होता है बल्कि पेसिव स्मोकिंग से वो तमाम लोग इससे प्रभावित हो जाते हैं। जो स्मोकिंग करने के दौरान व्यक्ति के आसपास होते हैं। कुछ शोध बताते हैं कि यदि कोई पैसिव स्मोकिंग करता है तो बीमारी से उसके परिवार के अन्य सदस्य भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि परिवार के अन्य सदस्यों से दूरी बनाकर ही स्मोकिंग करें या कोशिश करें कि स्मोकिंग करें ही न।
जिनकी इच्छाशक्ति है मजबूत उनका दूसरे तरीके से इलाज
जिन लोगों में स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस काम नहीं आता है उन लोगों का इलाज दूसरे तरीके से डाॅक्टर करते हैं। डाॅ संजय बताते हैं कि ऐसे लोगों का इलाज हम दवा, काउंसलिंग और कुछ एक्सरसाइज करवाकर करते हैं। ऐसे में यदि आप चाहकर भी स्मोकिंग की लत को नहीं छोड़ पा रहे हैं तो जरूरी है कि आप डाक्टरी सलाह लें। ताकि बीमारी से जल्द से जल्द निजात पाई जा सके।
धीरे-धीरे छोड़ दूंगा स्मोकिंग (Smoking), है एकदम गलत
डॉक्टर बताते हैं कि स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस का सहारा लें या फिर मनोवैज्ञानिक से सलाह लें। मनोवैज्ञानिक बताते हैं कि कई लोग अक्सर कहते हैं कि मैं धीरे-धीरे स्मोकिंग को छोड़ दूंगा, लेकिन धीरे-धीरे कोई भी चीज छूटती नहीं बल्कि बढ़ती ही है। यदि कोई हकीकत में छोड़ना चाहता है तो स्मोकिंग को एक ही बार में छोड़ना उचित होता है। वहीं एक ही बार में स्मोकिंग को छोड़ डाॅक्टरी सलाह लें और एक्सरसाइज, काउंसलिंग और दवा का सेवन कर या फिर स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस का सहारा लेकर इस लत से छुटकारा पा सकते हैं।
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स्मोकिंग के हैं कई दुष्परिणाम (Side effect of Smokings)
एक्सपर्ट बताते हैं कि स्मोकिंग को छोड़ने के लिए हिप्नोसिस व अन्य तरीकों से जितना जल्द हो इसे छोड़ देना ही उचित होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि लंबे समय तक यदि कोई स्मोकिंग करता है कि उसकी लंग्स की कैपसिटी कम हो जाती है। उसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जिसमें सूखी खांसी होना जैसे सामान्य लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं कैंसर स्पेशलिस्ट डाॅ आशीष बताते हैं कि, “स्मोकिंग से कई प्रकार की बीमारी हो सकती है, जिनमें सबसे ज्यादा खतरा लंग कैंसर, ओरल कैंसर और किडनी के कैंसर हैं। वहीं स्मोकिंग से पेशाब की थैली का भी कैंसर हो सकता है। इसके अलावा हार्ट अटैक की भी संभावनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसे में जरूरी है कि कोरोना के दौरान स्मोकिंग न की जाए।
सब उपाय कर थक गए तो हिप्नोसिस के बारे में पूछे
च्वीनगम, काउंसलिंग, पैचेस और स्मोकिंग छोड़ने के सेशन करने के बावजूद अपने इस लत को यदि आप नहीं छोड़ पा रहे हैं तो जरूरी है कि डाॅक्टर से स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस के बारे में पूछें। कुछ मामलों में देखा गया है कि हिप्नोसिस से स्मोकिंग की लत को छोड़ा जा चुका है। वहीं लोग चाहे तो स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस को अपना सकते हैं।
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क्या है हिप्नोसिस (Hypnosis)
मरीज को सुलाकर उसका इलाज करना ही हिप्नोसिस कहलाता है। मनोरोग से संबंधित बीमारियों को ठीक करने के लिए क्लीनिकल हिप्नोसिस का इस्तेमाल किया जाता है। शुरुआती दौर में हिप्नोसिस का इस्तेमाल मरीजों के दर्द को कम करने में किया जाता था। वहीं वेट टिशू, स्पीच डिसऑर्डर और एडिक्शन प्रॉब्लम से निजात पाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। सेनफ्रांसिस्को वेटरन्स अफेयर मेडिकल सेंटर में करीब 286 स्मोकर्स पर शोध किया गया, जिसमें जिनका इलाज हिप्नोसिस के द्वारा किया गया था वे सामान्य ट्रीटमेंट की तुलना में जल्द ठीक हो गया थे, यानि उन्होंने जल्द स्मोकिंग करना बंद कर दिया था।
हिप्नोथैरेपी (Hypnosis) का इतिहास व इलाज
साइकोलाजिकल ट्रीटमेंट में साल 1950 से हिप्नोसिस का सहारा लिया जाता रहा है। जब सामान्य इलाज की तुलना में साइकेट्रिस्ट मिलटन एक एरिकसन से करके दिखाया था कि हिप्नोसिस से भी मरीज का इलाज संभव है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन व अमेरिकल साइकोलाजिकल एसोसिएशन ने भी साल 1958 में हिप्नोथैरिपी को इलाज की मान्यता प्रदान की।
स्मोकिंग की लत छुड़वाने के लिए पहली बार हिप्नोथैरिपी का इस्तेमाल साल डाक्टर हारबर्ट स्पिगल ने किया था। जिसका जिक्र उन्होंने 1970 के जर्नल में भी किया है। उसके बाद से हिप्नोटिक स्ट्रैटिजी को स्पिगल टेक्निक से भी जाना जाने लगा। जिसमें मरीज का मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर इलाज किया जाता है।
- स्मोकिंग शरीर के लिए जहर है।
- जिंदा रहने के लिए आप चाहते हैं कि आपको आपका शरीर मिले।
- अगर आप जिंदा रहना चाहते हैं तो शरीर की इज्जत और इसकी रक्षा करनी होगी।
इन तमाम तकनीक के सहारे स्मोकिंग करने वालों का हिप्नोसिस कर इलाज किया जाता है। यह तकनीक आज भी कारगर है।
हमें उम्मीद है कि स्मोकिंग छोड़ने के लिए हिप्नोसिस पर लिखा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हो। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए डाक्टरी सलाह लें। ।
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