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इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर : कैसे काम करता है यह डिवाइस, जानिए!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर : कैसे काम करता है यह डिवाइस, जानिए!

    हार्ट रिदम अब्नोर्मलिटिस (Heart Rhythm Abnormalities) या कार्डियक एरिथमिया (Arrhythmias) कुछ ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से कुछ लोग रीकरंट पैल्पिटेशन (Recurrent Palpitations) , चक्कर आना या सिनकोप (Syncope) की समस्या महसूस कर सकते हैं। यह समस्याएं एपिसोडिक हो सकती हैं। इनके ट्रिगर स्पष्ट नहीं होते, इसलिए डॉक्टर के लिए इनके निदान में मुश्किल होती है। कार्डियक एरिथमिया (Arrhythmias) असामान्य रूप से स्लो हार्ट रेट, फास्ट हार्ट रेट और अन्य कई समस्याओं का कारण बन सकती हैं। कार्डियक रिदम्स को मॉनिटर पर रिकॉर्ड करने के लिए एक खास डिवायस का प्रयोग किया जाता है, जिसे इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) कहा जाता है। जानिए, इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) के बारे में विस्तार से।

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर क्या है? (Implantable loop recorder)

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) को इंसर्टेबल कार्डियक मॉनीटर्स (Insertable Cardiac Monitors) भी कहा जाता है। यह छोटा इंसर्ट करने वाला डिवाइस है, जिसका प्रयोग कार्डियक रिदम को लगातार मॉनिटर या रिकॉर्ड करने के लिए किया जाता है। इस डिवाइस को सबक्यूटेनियसली प्लेस किया जाता है और उन रोगियों की इवेल्यूशन के लिए प्रयोग किया जाता है जिन्हें बार-बार रीकरंट पैल्पिटेशन (Recurrent Palpitations) और सिनकोप (Syncope) की समस्या होती है। इस डिवाइस को छाती की त्वचा के नीचे लगाया जाता है। इसके कई लाभ हैं। लूप रिकॉर्डर इम्प्लांटेशन के दौरान डॉक्टर छोटी की सर्जरी करते हैं। यह डिवाइस इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) की तरह काम करता है। जिसमें लगातार हार्ट से इलेक्ट्रिकल सिग्नल को पिक किया जाता है। इस डिवाइस से एब्नार्मल हार्ट रिदम (Abnormal Heart Rhythms) को पहचानने में मदद मिलती है, जो कई समस्याओं का कारण बनती है जैसे बेहोशी आदि।

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    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर का प्रयोग क्यों किया जाता है?

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) की सलाह तब दी जाती है जब रोगी रीकरंट पैल्पिटेशन (Recurrent Palpitations) , चक्कर आना या सिनकोप (Syncope) सीजर जैसी समस्याएं महसूस करता है। यह उन रोगियों के लिए भी लाभदायक है, जो इन गंभीर लक्षणों को लगातार महसूस करते हैं। इस डिवाइस में लगी बैटरी की उम्र दो साल होती है, तो ऐसे में रोगी एक्सटेंडेड और लगातार मॉनिटरिंग का अनुभव कर सकते हैं।

    इस डिवाइस का प्रयोग कैसे किया जाता है? (Use of Implantable Loop Recorder)

    इस डिवाइस को लगाने के लिए एक प्रोसीजर से गुजरना पड़ता है। आप इस प्रोसीजर के बारे में विस्तार से अपने डॉक्टर से जान सकते हैं। रोगी को इस प्रोसीजर से पहले कुछ घंटों तक कुछ न खाने या पीने की सलाह देते हैं। अपने डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना जरूरी है। इसके साथ ही डॉक्टर आपको इससे पहले कुछ टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकते हैं। इस प्रक्रिया से पहले रोगी को इसके बारे में पता होना चाहिए। यह प्रोसेस इस तरह से की जाती है:

    • प्रक्रिया के दौरान रोगी को रिलैक्स करने के लिए दवाइयां दी जा सकती हैं।
    • त्वचा को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया दिया जा सकता है।
    • इस प्रक्रिया में डॉक्टर त्वचा में एक छोटा सा कट लगाते हैं। इस प्रोसेस को आमतौर पर लेफ्ट अपर चेस्ट में किया जाता है।
    • डॉक्टर स्किन के नीचे एक छोटी पॉकेट बना देते हैं और उसके बाद इंप्लांटेबल लूप रिकॉर्डर को उसमे ड़ाल दिया जाता है।
    • इसके बाद इस कट को बंद कर दिया जाता है। इस स्थान पर बैंडेज लगा दी जाती है। इस तरह से यह प्रोसेस पूरी होती है

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    इस प्रोसेस के बाद की जानकारी

    इस प्रकिया के बाद रोगी को कुछ परेशानियां होना सामान्य है। हालांकि इंप्लांटेबल लूप रिकॉर्डर को इंप्लांट करने के लिए मायनर सर्जरी करनी पड़ती है। इसलिए, किसी भी इंफेक्शन के लक्षणों पर नजर रखनी चाहिए। जैसे लालिमा और सूजन आदि। इसके साथ ही रोगी को जख्मों के भरने तक कोई भी भारी शारीरिक गतिविधि करने से बचना चाहिए। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन (British Heart Foundation) के अनुसार इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) को ब्रेस्टबोन के लेफ्ट में चेस्ट की स्किन के नीचे लगाया जाता है। यह डिवाइस आमतौर पर 61mm लंबाई, 19mm चौड़ाई और 9 mm की ऊंचाई का होता है। इसका वजन भी पंद्रह ग्राम के लगभग होता है।

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    यह दो तरह से हार्ट इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करता हैं। पहले डॉक्टर डिवाइस में हार्ट रेट रेंज के मुताबिक इसे एक्टिवेट करते हैं। जब हार्ट रेट सेट वैल्यू से कम या अधिक हो जाती है, तो यह डिवाइस ऑटोमेटिकली रिकॉर्डिंग शुरू कर देता है। दूसरे तरीके में डॉक्टर इसे पेशेंट एक्टिवेटर (Patient Activator) के माध्यम से रिकॉर्ड करते हैं। जिसमें रोगी एक्टिवेटर में दिए बटन को दबा कर रिकॉर्डिंग शुरू कर सकता है। इस एक्टिवेटर का प्रयोग तब किया जाता है, जब रोगी हार्टबीट में समस्या, चक्कर आना, बेहोशी जैसी समस्याओं को महसूस करता है। ऐसा करने से रिकॉर्डिंग खुद ही डिवाइस में स्टोर हो जाती है। रोगी को इस डिवाइस को इम्प्लांट करने के साथ ही एक ट्रांसमिटेड डिवाइस भी दिया जाएगा। जिसे उन्हें अपने बेड के नीचे रखना होगा। यह ट्रांसमीटर ऑटोमेटिकली रोगी के इंप्लांट की इनफार्मेशन को डॉक्टर तक पहुंचाएगा।

    रोगी को अगर समस्या का कोई भी लक्षण नजर आता है तो वो इसका एक दबा कर इंप्लांटेबल लूप रिकॉर्डर का डाटा ले सकते हैं। यह तो थी इस प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी। अब जानते हैं इस डिवाइस से जुड़े जोखिमों के बारे में।

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    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर के जोखिम क्या हैं? (Risk Factors of Implantable Loop Recorder)

    अधिकतर लोगों को इस प्रक्रिया से कोई समस्या नहीं होती है। लेकिन, कई बार लोग परेशानियों का अनुभव कर सकते हैं जैसे:

  • प्रभावित स्थान पर ब्लीडिंग या नील पड़ना (Bleeding or Bruising)
  • इंफेक्शन (Infection)
  • हार्ट या ब्लड वेसल को नुकसान होना (Damage to Heart or Blood Vessels)
  • इम्प्लांटेशन साइट पर दर्द होना (Mild Pain)
  • इस डिवाइस से जुड़े जोखिम या साइड इफ़ेक्ट रोगी की उम्र, मेडिकल कंडीशंस या अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करते हैं। इन जोखिमों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

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    इस प्रोसीजर के बाद रिकवरी में कितना समय लगता है?

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) को स्किन के नीचे इन्सर्ट करने के लिए स्किन को काटा जाता है। इससे रोगी उस स्थान में  नील और दर्द महसूस कर सकता है। लेकिन, यह समस्या अस्थायी हैं और बहुत जल्दी ठीक हो जाती हैं। कुछ दिनों में रोगी यह महसूस भी नहीं करता कि उसे कोई परेशानी है। इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर का प्रयोग तब तक किया जाता है, जब तक यह समस्या का निदान करने में मदद करता है या जब तक इसकी बैटरी खत्म नहीं हो जाती है। हालांकि, अगर मरीज या मेडिकल टीम चाहे, तो इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर को किसी भी समय बाहर निकाला जा सकता है। यदि इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) दिखाता है कि रोगी समस्या बढ़ चुकी है और उसे पेसमेकर की आवश्यकता है, तो इसे उसी समय हटाया जा सकता है और पेसमेकर लगाया जाता है।

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    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर से जुड़ी सामान्य समस्याएं क्या हैं?

    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर को आमतौर पर पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है। यह डिवाइस आपके सामान्य जीवन में बाधा नहीं बनता है। इस डिवाइस को लगाने के बाद भी आप अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं। अगर आप कोई लक्षण या पैल्पिटेशन महसूस करते हैं तो आप हैंड हेल्ड एक्टिवेटर (Hand Held Activator) का भी प्रयोग कर सकते हैं। लेकिन, अगर किसी अन्य बीमारी के निदान के लिए आपको मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) की सलाह दी जाती है तो पहले डॉक्टर को इस डिवाइस के बारे में बता दें। क्योंकि इससे आपका उपकरण गलत रीडिंग प्रदर्शित कर सकता है। आप दो या तीन सालों तक इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) का आराम से प्रयोग कर सकते हैं।

    लेकिन, अगर आपको इसकी जरूरत नहीं है, तो इसे एक सामान्य प्रोसीजर से रिमूव किया जा सकता है। यह भी संभव है कि इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर के साथ किसी स्थान पर लगे मेटल डिटेक्टरों में आपको समस्या आये, उदाहरण के लिए, हवाई अड्डे पर। ऐसी स्थितियों में आपको अपने साथ आपका डिवाइस आइडेंटिफिकेशन कार्ड (Device Identification Card) रखना होगा, जो आपके डॉक्टर आपको दे सकते हैं।

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    इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर के साथ किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?

    अगर किसी रोगी में इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) को इम्प्लांट किया गया है तो उसे कुछ चीजों का खास ध्यान रखना चाहिए, जैसे:

    • अपने मोबाइल फोन को ब्रेस्ट पॉकेट में न रखें।
    • इस इम्प्लांटेशन की प्रक्रिया के पांच से सात दिन तक कोई भी खेल खेलने से बचें। लेकिन, आप हल्की गतिविधियां कर सकते हैं और अपनी नौकरी या काम पर भी जा सकते हैं।
    • जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते, अपने घाव का ध्यान रखें ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
    • अपनी छाती को किसी भी चोट से बचाएं। क्योंकि, इससे आपकी परेशानी बढ़ सकती है।

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    आपका डॉक्टर नियमित रूप से इम्प्लांटेबल लूप रिकॉर्डर (Implantable Loop Recorder) को मॉनिटर करने के लिए कहेंगे। डिवाइस के चालू होने पर आपको नियमित जांच के लिए साल में एक या दो बार अपने डॉक्टर के पास जाने की भी आवश्यक है। यह रिकॉर्डर इनविजिबल होता है और इससे रोगी को कोई नुकसान नहीं होता है। यही नहीं, इसमें कोई पैच या वायर नहीं होते हैं। रोगी को इसके गीले होने पर चिंता करने की भी जरूरत नहीं है। यानी यह पूरी तरह से सुरक्षित है। अगर इससे जुड़ा कोई भी सवाल आपके मन में हैं, तो इस प्रोसीजर से पहले ही अपने डॉक्टर से इस बारे में बात करना जरूरी है।

    डिस्क्लेमर

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