एक्यूट बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस का कैसे किया जाता है निदान? (Diagnosis of Acute Bacterial Endocarditis)
एक्यूट बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस (Acute Bacterial Endocarditis) का निदान इसके लक्षणों के अनुसार संभव है। इस बीमारी के निदान के लिए डॉक्टर रोगी की शारीरिक जांच करेंगे। रोगी की मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी जाना जाएगा। इसके साथ ही कुछ अन्य टेस्ट्स भी कराए जा सकते हैं, जैसे:
- एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) : यह टेस्ट वॉल्व और हार्ट के माध्यम से ब्लड फ्लो के बारे में जांचने के लिए किया जाता है ।
- ट्रांसएसोफेजील एकोकार्डियोग्राम (Transesophageal Echocardiogram) : इस टेस्ट से अन्नपर्णाली से हार्ट का विस्तृत व्यू मिल सकता है ।
- ब्लड टेस्ट और ब्लड कल्चर टेस्ट (Blood tests and Blood culture Test) : यह टेस्ट इसलिए कराए जाते हैं, ताकि बैक्टीरिया और इन्फ्लेमेशन के लक्षणों के बारे में जाना जा सके।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी (Electrocardiography) : इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी से हार्ट रिदम के बारे में जाना जा सकता है।
- चेस्ट एक्स-रे (Chest X-Ray) : चेस्ट एक्स-रे को लंग्स की जांच के लिए कराया जाता है।
- कार्डियक सीटी स्कैन (Cardiac CT Scan) : हार्ट के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस इमेजिंग टेस्ट को किया जाता है।
- यूरिन टेस्ट्स (Urine tests) : इन टेस्ट्स से किडनी डैमेज का पता चल सकता है।
इसके साथ ही डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह भी दे सकते हैं। ताकि समस्या का निदान हो सके। अब जानिए कि इस रोग का उपचार किस तरह से किया जाता है?
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एक्यूट बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस का उपचार कैसे किया जाता है? (Treatment of Acute Bacterial Endocarditis)
एक्यूट बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटिस (Acute Bacterial Endocarditis) की समस्या होने पर हार्ट वॉल्व को नुकसान से बचाने और अधिक गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के लिए रोगी का तुरंत उपचार जरूरी है। इसका उपचार लक्षणों, रोगी की उम्र, स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि रोगी की कितनी गंभीर है? इस समस्या के निदान के बाद डॉक्टर रोगी को सबसे पहले इंट्रावेनस एंटीबायोटिक थेरेपी (Intravenous Antibiotic Therapy) की सलाह देते हैं। इंफेक्शन के उपचार के लिए इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स को 6 हफ़्तों तक दिया जा सकता है। इस थेरेपी के दौरान रोगी में लक्षणों को मॉनिटर किया जाता है और इस उपचार के प्रभाव को जानने के लिए ब्लड कल्चर्स को बार-बार दोहराया जाता है।
अगर हार्ट वॉल्व या हार्ट में डैमेज हुआ हो, तो डॉक्टर सर्जरी की सलाह भी दे सकते हैं। ताकि हार्ट वॉल्व को फिक्स किया जा सके और हार्ट फंक्शन को सुधारा जा सके। इसमें हार्ट या हार्ट वॉल्व ट्रांसप्लांट व रिपेयरिंग का सहारा लिया जाता है। जब उपचार पूरा हो जाता है, तो डॉक्टर बैक्टीरिया के सोर्स के बारे में जानते हैं और उसके बाद इसका उपचार किया जाता है। रोगी को डॉक्टर के बताए अनुसार ही एंटीबायोटिक्स को लेना चाहिए। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में बदलाव भी जरूरी हैं।
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