क्या आप भी अक्सर वायरल इंफेक्शन का शिकार हो जाते हैं, तो बार-बार एलोपैथी दवा लेने की बजाय आपको नेचुरल ट्रीटमेंट के बारे में सोचना चाहिए और इस बारे में डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए। बहुत से हर्ब्स यानी जड़ी-बूटियों में एंटीवायरल गुण होता है, जो आपको वायरल इंफेक्शन (viral infection) से बचाने में मददगार साबित हो सकता है। आइए, जानते हैं ऐसे ही कुछ एंटीवायरल हर्ब्स और सप्लीमेंट (antiviral herbs and supplements ) के बारे में जिनमें एंटीवायरल गुण होता है। इनमें से अधिकांश एंटीवायरल हर्ब्स (antiviral herbs) आपको घर पर ही मिल जाएंगे।
क्या आप जानते हैं कि वातावरण में 400 से भी अधिक प्रकार के वायरस मौजूद होते हैं, जो संक्रमण फैलाते हैं। जिसमें सामान्य सर्दी-खांसी से लेकर हेपेटाइटिस (hepatitis), मोनोन्यूक्लिओसिस (mononucleosis) और एचआईवी (HIV) के वायरस शामिल है? बहुत से लोग आजकल हर साल इन्फ्लूएंजा वैक्सीन (influenza vaccine) या फ्लू शॉट लेते हैं, लेकिन रिसर्च के अनुसार, यह हमेशा ही असरदार हो जरूरी नहीं है, क्योंकि वायरस म्यूटेट होता यानी अपना जेनेटिक रूप बदलता रहता है। हालांकि इम्यून सिस्टम को मजबूत करके काफी हद तक इन वायरस से बचाव संभव है और अच्छी बात यह है कि प्राचीन काल से ही कई जड़ी-बूटीयों का इस्तेमाल रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और वायरस से बचाव के लिए किया जाता रहता है, क्योंकि इनमें एंटीवायरल तत्व होते हैं, जो संक्रमण से लड़ने में मददगार है।
एंटीवायरल हर्ब्स और सप्लीमेंट क्या है? (What are antiviral herbs)
एंटीवायरल हर्ब्स या जड़ी-बूटियां वायरस से विकास को रोकती है। कई हर्ब्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं जिससे आपका शरीर बीमार करने वाले वायरस पर हमला करता है। क्योंकि वायरस लगातार अपनी प्रकृति बदलते रहते हैं, इसलिए इनसे होने वाली बीमारी से बचाव के लिए दवा की बजाय शरीर को इनसे लड़ने के लिए तैयार करना ज्यादा अच्छा विकल्प है। एंटीवायरल हर्ब्स (antiviral herbs) सिर्फ इंफेक्शन से ही नहीं लड़ते, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर फ्लू के लिए कुदरती दवा (natural remedies) का काम करते हैं। इतना ही नहीं इसके अन्य फायदे भी हैं जैसे यह कार्डिवस्कुलर (cardiovascular) हेल्थ, पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में मदद करता है और इसमें एंटी इन्फ्लामेटरी (anti-inflammatory) गुण होता है जो सूजन को कम करता है।
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विभिन्न प्रकार के एंटीवायरल हर्ब्स और सप्लीमेंट (Types of antiviral herbs)
आयुर्वेद में सदियों से कई तरह की बीमारी के उपचार के लिए जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल होता आया है और अब तक मेडिकल साइंस भी इन हर्ब्स को असरकारक मानता है तभी तो कोरोना काल में तुलसी से लेकर गिलोय के सेवन की सलाह आयुष मंत्रालय की ओर से दी गई थी। आइए, जानते हैं कुछ मशहूर एंटीवायरल हर्ब्स (antiviral herbs) और सप्लीमेंट के बारे में।
ओरिगैनो (Oregano)
यह मिंट परिवार का लोकप्रिय हर्ब है जो अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसके पौधों में कार्वैक्रोल (carvacrol) नामक यौगिक होता है जिसके एंटीवायरल तत्व पाए जाते हैं। एनसीबीआई में छपे एक अध्ययन के मुताबिक ओरिगैनो ऑयल और इसके पौधे में मौजूद कार्वेक्रोल दोनों ही म्यूरीन नोरोवायरस (murine norovirus) के एक्सपोजर के एक्सपोजर के 15 मिनट के अंतर ही इसकी एक्टिविटी को कम कर देता है। म्यूरीन नोरोवायरस (murine norovirus) बहुत संक्रामक होता है और इंसानों में पेट के फ्लू (stomach flu) का मुख्य कारण है। ओरिगैनो ऑयल (Oregano oil) और कार्वेक्रोल (carvacrol) को हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस टाइप-1 (herpes simplex virus type-1 (HSV-1), बच्चों में डायरिया के लिए जिम्मेदार रोटावायरस (rotavirus) और रेस्पिरेट्री सिंशेल वायरस (respiratory syncytial virus (RSV), जो रेस्पिरेट्री इंफेक्शन की वजह होता है, आदि से बचाव में भी असरदार माना गया है।
सेज (Sage)
यह भी मिंट परिवार की जड़ी-बूटी है जो बहुत खुशबूदार है। सदियों से पारंपरिक चिकित्सा में इसका इस्तेमाल वायरल इंफेक्शन से उपचार के लिए किया जाता रहा है। इसके यौगिक सेफीसिनोलाइड (safficinolide) और सेज वन में एंटीवायरल तत्व होते हैं जो पौधों की पत्तियों और तने में पाया जाता है। अध्ययन के मुताबिक, यह जड़ी-बूटी ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस टाइप-1 (human immunodeficiency virus type 1 (HIV-1) से लड़ने में मददगार है यह वायरस एड्स की बीमारी के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा यह HSV-1 और इंडियाना वेसीकुलोवायरस (Indiana vesiculovirus) से लड़ने में भी मदद करता है जो कुछ फार्म एनिमल को संक्रमित करते हैं।
तुलसी (Basil)
तुलसी औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है, तभी तो हमारे देश में सर्दी-खांसी होने पर अक्सर तुलसी की पत्तियों का काढ़ा पीने की सलाह दी जाती है। तुलसी का पौधा कई तरह का होता है। तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करके वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। इसके अलावा ब्लड ग्लूकोज लेवल (blood glucose level), ब्लड प्रेशर (blood pressure) और लिपीड प्रोफाइल (lipid profile) को सामान्य रखने में प्रभावी है।
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सौंफ (Fennel)
सौंफ का इस्तेमाल तकरीबन हर भारतीय किचन में होता है। यह बहुत खुशबूदार होता है और कई तरह के वायरस से लड़ने में शरीर की मदद करता है। सौंफ का अर्क (fennel extract) हर्पीस वायरस (herpes viruses) और पैराइन्फ्लुएंजा टाइप-3 (parainfluenza type-3) जो जानवरों में रेस्पिरेट्री इंफेक्शन (respiratory infection) का कारण है, से लड़ने में मदद करता है। सौंफ इम्यून सिस्टम (immune system) को मजबूत बनाकर सूजन कम करता है जिससे वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है।
लहसुन (Garlic)
लहसुन कई बीमारियों जिसमें वायरल इंफेक्शन भी शामिल है, की कारगर घरेलू दवा (natural remedy) है। कुछ अध्ययन में दावा किया गया है कि लहसुन एन्फ्लूएंजा ए और बी, , HIV, HSV-1, वायरल निमोनिया (pneumonia) और सर्दी के लिए जिम्मेदार राइनोवायस (rhinovirus) के प्रति असरदार है। हालांकि इस संबंध में बहुत अधिक रिसर्च नहीं हुई है। हालांकि आर्युवेद में लहसुन को इसके एंटीफंगल और एंटीवायरल गुण (antiviral property)के कारण ही महत्वपूर्ण औषधि माना गया है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने से लेकर शरीर से विषाक्त पदार्थों (harmful toxin) को निकालने में उपयोगी माना गया है।
लेमन ग्रास (Lemon balm)
लेमन ग्रास खास तरह का पत्ता होता है जिसका इस्तेमाल चाय बनाने में किया जाता है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, लेमनग्रास ऑयल में यीस्ट, मोल्ड्स, और डर्माटोफाइट्स के साथ ही एचएसवी-1 (HSV-1) के खिलाफ एंटीवायरल एक्टिविटी होती है। इसके अलावा इसे हर्पीस वायरस और बच्चों में संक्रमण के लिए जिम्मेदार एंट्रोवायरस (enterovirus) के प्रति भी असरदार माना गया है।
पुदीना (Peppermint)
इस सुंगधित पौधे के पत्ते का इस्तेमाल अक्सर चाय मं किया जाता है। इसमें पावरफुल एंटीवायरल क्वालिटी होती है, जो वायरल इंफेक्शन (viral infections) का कुदरती रूप से उपचार करने में सहायक है। पुदीना की पत्तियों और एसेंशियल ऑयल में एक्टिव कॉम्पोनेंट जैसे मेन्थॉल (menthol) और रोजमैरिक एसिडी (rosmarinic acid) होता है जिसमें एंटीवायरल और एंटी इन्फ्लामेट्री एक्टिविटी होती है। यह रेस्पिरेट्री सिंसिशयल वायरल के प्रति प्रभावी है और सूजन को कम करने में मददगार है।
रोजमैरी (Rosemary)
कुकिंग में इस्तेमाल होने वाला यह एंटीवायरल हर्ब्स का इस्तेमाल कई थेरेपी में भी किया जाता है। रोजमैरी में मौजूद ओलिनोलिक एसिड (Oleanolic acid) में हर्पीस वायरस, एचआईवी, इन्फ्लूएंजा और जानवरों में हेपेटाइटिस के प्रति एंटीवायरल एक्टिविटी (antiviral activity) देखी गई है। रोजमैरी के अर्क में हर्पीस वायरस और हेपेटाइटिस ए (hepatitis a) जो लिवर को प्रभावित करता है, के प्रति भी एंटीवायरल इफेक्ट (antiviral effect) होता है।
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अदरक (Ginger)
अदरक का इस्तेमाल सर्दी-खांसी (cough-cold) के घरेलू उपचार के लिए सदियों से किया जाता रहा है। सर्दी होने पर अक्सर लोग अदरक वाली चाय पीने की सलाह देते हैं, क्योंकि इसमें एंटीवायरल गुण होते है। अध्ययन के मुताबिक, अदरक के अर्क में एवियन इन्फ्लूएंजा (avian influenza), RSV, फीलाइन कैलसीवायरल (feline calicivirus) जिसकी तुलना ह्यूमन नोरोवायरस से की जा सकती है, के प्रति असरदार एंटीवायरल प्रभाव पाया गया है। इसके अलावा अदरक में मौजूद यौगिक जैसे जिंजरोल (gingerols) और जिंजेरोन (zingerone) वायरस को कोशिकाओं के अंदर प्रवेश करने से रोकते हैं।
ग्रीन टी (Green tea)
वजन घटाने के लिए अधिकांश लोग आजकल ग्रीन टी का सेवन कर रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि इसमें एंटीवायरल तत्व भी होते हैं। इसमें कैटेचिन (catechins) नामक फ्लेवोनॉइड्स (flavonoids) का समूह होता है, जो वायरल इंफेक्शन को रोकने का काम करता है। यह एचआईवी (HIV), हर्पीस सिम्प्लेस (herpes simples) और हेपेटाइटिस बी वायरस (hepatitis B virus ) के खिलाफ असरदार माना जाता है।
इकिनेसिया (Echinacea)
यह एंटीवायरल हर्ब रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कई तरह के वायरल इंफेक्शन से लड़ने में मदद करता है। इकिनेसिया में फाइटो केमिकल्स होता है संक्रमण के साथ ही ट्यूमर से लड़ने में मदद करता है। इसमें इकिनेसिन नाम का एक यौगिग होता है शरीर की कोशिकाओं में बैक्टीरिया और वायरस को जाने से रोकता है।
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आयुर्वेद के अनुसार इम्यूनिटी बढ़ाने वाली जड़ी बूटियां
किसी भी तरह के संक्रमण से लड़ने या बचाव के लिए मजबूत इम्यूनिटी जरूरी है और इसके लिए सही जीवनशैली अपनाने के साथ ही आयुर्वेद में कई जड़ी-बूटियों के सेवन की सलाह दी गई है।
गिलोय (giloy) – इसे आयुर्वेद में अमृता भी कहा जाता है। कोरोना वायरस फैलने के बाद से आमलोगों में इसकी लोकप्रियता काफी बढ़ी और अब लोग इसकी गोली से लेकर रस तक का सेवन कर रहे हैं। आर्युवेद में इसे बहुत गुणकारी माना गया है तो त्वचा रोग से लेकर, दिल की बीमारियों, आर्थराइटिस और ब्लड प्लेटलेट्स बढ़ाने में मददगार है, साथ ही यह रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है।
अश्वगंधा (ashwagandha)- इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए अश्वगंधा के सेवन की भी सलाह दी जाती है। आमतौर पर इसका चूर्ण खाया जाता है। इससे शरीर को एनर्जी मिलती है और कमजोरी भी दूर होती है।
आंवला (indian gooseberry)- इसे भी बहुत फायदेमंद बताया गया है, खासतौर पर महिलाओं के लिए। यह बालों और त्वचा को स्वस्थ बनाने के साथ ही इम्यूनिटी भी बढ़ाता है।
हल्दी (turmeric)- हल्दी को बहुत महत्वपूर्ण औषधि माना गया है जो गई तरह के त्वचा रोग और आर्थराइटिस के उपचार में मददगार है। इम्यूनिटी बढ़ाने और वायरल इंफेक्शन से बचाव के लिए हल्दी वाला दूध पीने की सलाह अक्सर दी जाती है।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आयुर्वेदि जड़ी-बूटियां बहुत असरदार होती है, लेकिन इनके सेवन से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। किसी भी तरह के संक्रमण से बचने के लिए आपको अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करना होगा और इसके लिए तरह-तरह के एंटीवायरल हर्ब्स के सेवन के साथ ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी जरूरी है।
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