डल्मकारा और नैट्रम सल्फ्यूरिकम(Dulcamara and Natrum Sulphuricum) –
यह अस्थमा के लिए होम्योपैथी(homeopathy for asthma)दवाई नम मौसम में अस्थमा के अटैक से राहत पहुंचने में काम आती है ।नम मौसम में अस्थमा के लिए डल्कमारा और नैट्रम सल्फ्यूरिकम बहुत उपयोगी प्राकृतिक उपचार हैं। उनमें से, डल्कमारा नम मौसम में दमा जैसी खांसी के लिए सबसे अच्छा नुस्खा है। जिसमें व्यक्ति को कफ बाहर निकालने के लिए लंबे समय तक खांसी करनी पड़ती है। नैट्रम सल्फ्यूरिकम ऐसे में सबसे सहायक दवा है जब खांसी में गाढ़ा, रूखा, हरा कफ मौजूद होता है। नैट्रम सल्फ्यूरिकम उस स्थिति में भी अच्छी तरह से काम करती है, जहां अस्थमा सुबह 4 बजे और सुबह 5 बजे तक बिगड़ जाता है। बच्चों में अस्थमा के इलाज के लिए भी नेट्रम सल्फ्यूरिकम एक अच्छी दवा मानी जाती है।
नक्स वोमिका (Nux Vomica )-
नक्स वोमिकासर्दियों में अस्थमा के लिए प्रभावी दवा है। ठंड के मौसम में घरघराहट और दबी हुई सांस के साथ खांसी होती है। खांसी शाम और रात के समय में रूखी हो सकती है, लेकिन दिन के दौरान यह कफ के साथ ढीली हो जाती है। आधी रात के बाद पीड़ित अस्थमा के अटैक का भी नक्स वोमिका के साथ सबसे अच्छा इलाज किया जाता है। नक्स वोमिका गैस्ट्रिक अस्थमा में भी बहुत मददगार है।
ब्लाटा ओरिएंटलिस और ब्रोमियम(Blatta Orientalis and Bromium) –
धूल मिट्टी के कारण अस्थमा के जोखिम को कम करने में यह अस्थमा के लिए होम्योपैथी(homeopathy for asthma)दवाई लाभदायक है। धूल के संपर्क में आने से दमा के लिए ब्लाटा ओरिएंटलिस और ब्रोमियम दोनों ही महत्वपूर्ण उपचार हैं। ब्लाटा ओरिएंटलिस सांस लेने में समस्या और पस जैसे बलगम वाली खांसी के लिए प्रयोग की जाती है। यह बलगम तब होती है जब धूल के संपर्क में आने के बाद बलगम, घुटन और सांस लेने में कठिनाई के साथ खांसी होती है।
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अपने लाइफस्टाइल में लाएं बदलाव
यह तो थी अस्थमा के लिए होम्योपैथी दवाइयां(homeopathy medicine for asthma) और उपचार। यदि अस्थमा के लिए होम्योपैथिक उपचार(homeopathy treatment for asthma) के साथ-साथ आप अपने लाइफस्टाइल में भी परिवर्तन लाएंगे। तो आप न केवल इस बीमारी के लक्षणों को कम कर सकते हैं, बल्कि एक स्वस्थ जीवन जीने में भी आपको मदद मिलेगी। यह तरीके कुछ इस प्रकार है:
पौष्टिक आहार
ऐसे आहार को लेने से बचे, जो आपके अस्थमा को बढ़ाते हों। इसलिए, रोजाना ताजे फल, सब्जियां और सलाद खाएं। अपने आहार में विटामिन डी, मैग्नीशियम, बीटा-कैरोटीन और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। प्रेजरवेटिव और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को खाने से बचें। पर्याप्त पानी पिएं। हर दिन कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना जरूरी है।
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