बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) को लेकर अधिकतर माता-पिता परेशान रहते हैं। शिशु के जन्म के साथ ही उनमें दिमाग में तरह- तरह के सवाल आने लगते हैं जैसे मेरा बच्चा किस उम्र में बोलना सीखेगा या किस उम्र में बैठना और चलना शुरू करेगा आदि। जैसे हर बच्चा अलग होता है, वैसे ही उनकी ग्रोथ और विकास भी अलग तरह से होते हैं। लेकिन, माता-पिता के लिए बच्चों की ग्रोथ और विकास पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। अगर आपको इससे संबंधित कोई भी समस्या नजर आती है तो डॉक्टर की सलाह भी जरूरी है। आइए जानते हैं बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) के बारे में:
बच्चों की ग्रोथ और विकास क्या है (What is Growth and Development of Children)
सबसे पहला सवाल तो यही मन में आता है कि यह ग्रोथ और विकास क्या है। तो ग्रोथ को हम बच्चे के आकार के बढ़ने को कह सकते हैं। लेकिन, विकास का अर्थ है शिशु का फिजिकली ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी विकसित होना। वैसे तो मनुष्य की ग्रोथ और विकास जीवन के हर चरण में होते हैं और इस दौरान मनुष्य भौतिक, बौद्धिक, भावनात्मक और सामाजिक परिवर्तनों से गुजरता है। लेकिन, अभी हम केवल बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट के बारे में बात करने वाले हैं। बच्चों की ग्रोथ और विकास को चार चरणों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार हैं:
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- बचपन (Infancy)
- प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे (Preschool children)
- मिडिल चाइल्डहुड (Middle childhood)
- किशोरावस्था (Adolescence)
बच्चों की ग्रोथ और विकास की स्टेजेज के बारे में जानकारी (Stages of Growth and Development of Children)
बच्चे हमारे समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वो हमारी अगली जनरेशन का प्रतिनिधित्व करते हैं। बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) के साथ ही उसके शरीर और दिमाग में कई बदलाव आते हैं। बच्चों की ग्रोथ और विकास की स्टेजेज (Stages of Growth and Development of Children) इस प्रकार हैं और जानिए इस दौरान क्या बदलाव होते हैं उनमें:
बचपन (Infancy)
नए जन्में बच्चों को नवजात शिशु कहा जाता है। इस दौरान उनमें कई बदलाव आते हैं। आप ऐसा भी कह सकते हैं कि बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) की यह सबसे महत्वपूर्ण स्टेज है। जानिए कैसे होता है इस दौरान शिशु का विकास:
- शारीरिक विकास (Physical development): जन्म के बाद ही नवजात शिशु अपने बर्थ वेट का सामान्यतया पांच से दस प्रतिशत लूज करता है। लेकिन, दो हफ्ते का होने के बाद उसका वजन बढ़ता है और वो जल्दी ग्रो करता है।
- कॉग्निटिव विकास (Cognitive development) : कॉग्निशन सोचने, सिखने और याद करने की क्षमता को कहा जाता है। नवजात शिशु का दिमाग बहुत तेजी से बढ़ता है। आप अपने बच्चे के साथ सकारात्मक तरीके से बातचीत कर के उसके स्वस्थ मस्तिष्क विकास को बढ़ावा दे सकते हैं।
- भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social development) : नवजात शिशु बहुत जल्दी कम्यूनिकेट करना सीख जाता है। वे आपके साथ बातचीत करना चाहते हैं और व्यक्त भी करते हैं।
- लैंग्वेज विकास (Language development) :आपका नवजात शिशु लैंग्वेज की मूल और खास आवाजों को सुनता और अवशोषित करता है। यह प्रक्रिया स्पीच की नींव बनाती है।
- सेंसरी और मोटर स्किल विकास (Sensory and Motor Skills development) :नवजात शिशु के पास सभी पांच सेंसेस होती हैं। नवजात शिशु चेहरों, आवाजों और खुशबु को पहचानना शुरू कर देता है। इसके साथ ही उसमें छूने की सेंस होती है। कुछ समय बाद वो आवाज की प्रतिक्रिया देना भी शुरू कर देता है।
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे (Preschool Children)
प्रीस्कूल जाने वाले बच्चे की समान्यतया उम्र दो से पांच साल के बीच में होती है। इन सालों में उनका विकास इस प्रकार होता है:
- शारीरिक विकास (Physical development): इन सालों में बच्चे स्ट्रांग बन जाते हैं और उनकी हाइट भी तेजी से बढ़ती है।
- कॉग्निटिव विकास (Cognitive development) : इस दौरान बच्चों की सोचने और समझने की क्षमता में गजब का विकास होता है और शब्द, अक्षर, रंग, गिनती आदि आराम से सीख जाते हैं।
- भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social development) :इस उम्र में बच्चे अपनी भावनाओं को मैनेज करना सीख जाते हैं। वो नए दोस्त बनाते हैं और दूसरे लोगों से बात करना व उनसे इंटरैक्ट करना उन्हें अच्छा लगता है
- लैंग्वेज विकास (Language development) : दो साल का बच्चा कम से कम पचास शब्दों को बोलना सीख जाता है और पांच साल की उम्र का बच्चा हजार से भी अधिक शब्दों को सीखता है। यही नहीं, वो अच्छे से बातचीत करने और कहानियां सुनाने भी सक्षम होता है।
- सेंसरी और मोटर स्किल विकास (Sensory and Motor Skills development) :दो साल की उम्र का बच्चा एक-एक करके सीढ़ी चढ़ना, बॉल को किक करना और पेंसिल से आडी- टेढ़ी लाइन्स बनाना सीख जाता है। पांच साल का होने तक वो अपने कपड़े खुद पहनना या कुछ शब्द लिखना भी सीख जाता है।
मिडिल चाइल्डहुड (Middle Childhood)
14 वर्ष से 11 वर्ष की आयु को अक्सर मिडिल चाइल्डहुड समय या प्रारंभिक किशोरावस्था कहा जाता है। ये वर्ष कई विविध और तीव्र बदलावों का एक रोमांचक समय है। आपका बच्चा लंबा और मजबूत हो जाता है और अधिक परिपक्व तरीके से महसूस करना और सोचना भी शुरू कर देता है।
- शारीरिक विकास (Physical development) : इस दौरान बच्चों में यौवन के लक्षण आपको दिखाई देते हैं। लड़कियों के ब्रेस्ट में परिवर्तन आते हैं और उन्हें पीरियड आने शुरू हो जाते हैं। इसके साथ ही लड़कों की आवाज में भी बदलाव आते हैं।
- कॉग्निटिव विकास (Cognitive development) : इस दौरान बच्चों के दिमाग का विकास अच्छे से होता है। वो अच्छे से सीखना, याद रखना, सोचना आदि शुरू कर देते हैं। इस समय वो न केवल समस्याओं को समझना बल्कि उन्हें खुद हल करना भी सीखेंगे।
- भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and Social development) : इस उम्र के बच्चे बचपन से किशोरावस्था में कदम रखने वाले होते हैं। तो ऐसे में वो अधिक इंडिपेंडेंट होने की कोशिश करेंगे। परिवार की जगह अब वो अपने दोस्तों या अकेले समय बिताना पसंद करते हैं।
- सेंसरी और मोटर डेवलपमेंट (Sensory and Motor development) :इस उम्र में बच्ची थोड़े अजीब या जिद्दी हो सकते हैं। उनका दिमाग भी इस दौरान स्थिर नहीं रहता है। हालांकि नियमित रूप से व्यायाम करने से उनमें समन्वय बेहतर हो सकता है और आपके बच्चे को स्वस्थ आदतें बनाने में मदद मिल सकती है।
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किशोरावस्था (Adolescence)
किशोरावस्था 15 से 18 की उम्र जीवन का एक रोमांचक समय है। लेकिन ये साल किशोर और उनके माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। जानिए कैसे होता है इस दौरान बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children):
- शारीरिक विकास (Physical development) :अधिकांश किशोर 15 वर्ष की उम्र तक यौवन में प्रवेश करते हैं। लड़कियां अपने पहले मासिक धर्म से ठीक पहले तेजी से विकास के समय से गुजरती हैं। 15 साल की उम्र तक, लड़कियां अधिकतम ऊंचाई पा लेती हैं। लड़के आमतौर पर लंबे समय तक बढ़ते रहते हैं और किशोरावस्था के दौरान उनका वजन बढ़ता है।
- कॉग्निटिव डेवलपमेंट (Cognitive development) : जैसे की आपको पता है कि इस उम्र में बच्चे मैच्योर हो जाते हैं। तो ऐसे में वो सोचने और समझने में सक्षम होते हैं। दूसरे लोगों को भी वो अच्छे से समझने लगते हैं।
- भावनात्मक और सामाजिक विकास (Emotional and social development) :अधिकतर टीन्स के लिए भावनात्मक और सामाजिक ग्रोथ दुनिया में अपनी जगह को ढूंढना है। ऐसे में वो यह जानने की कोशिश करते हैं कि वो कौन है। ऐसे में रोजाना उनके इमोशंस का बदलना सामान्य है।
- सेंसरी और मोटर डेवलपमेंट (Sensory and Motor development) :बच्चों का यौवन के बाद भी मजबूत और अधिक चुस्त होना जारी रहता है।। भरपूर व्यायाम करने से लड़कों और लड़कियों में ताकत और समन्वय में सुधार होता है।
बच्चों की ग्रोथ और विकास में माता-पिता की भूमिका (Role of Parents in Growth and Development of Children)
माता-पिता अपने बच्चे के समग्र विकास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह माता-पिता का सही मार्गदर्शन ही है जो बच्चे के चरित्र को विकसित करता है। बच्चों को भी समय-समय पर अपने माता-पिता की जरूरत होती है। पेरेंटिंग व बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) दोनों साथ-साथ चलते हैं। माता पिता की भूमिका जिम्मेदारी भरी और कभी न खत्म होने वाली होती है। जानिए बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) में माता-पिता की भूमिका क्या है:
कॉग्निटिव डेवलपमेंट (Cognitive Development)
जब बच्चा बड़ा होता है, तो पॉजिटिव पेरेंटिंग से उनके कॉग्निटिव, सामाजिक और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल्स सुधरते हैं। इसके साथ ही पॉजिटिव पेरेंटिंग से उन्हें अच्छा ह्यूमन बनने में मदद मिलती है। शुरुआती वर्षों में बातचीत और स्टिमुलेशन बहुत महत्वपूर्ण हैं।
शारीरिक विकास (Physical Development)
इस बारे में डफरिन हॉस्पिटल के चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉक्टर सलमान का कहना है कि बच्चाें का उम्र के अनुसार विकास बहुत जरूरी है। जिसमें उनके फिजिकल एक्टिविटी और डायट दोनों का रोल होता है। इसके अलावा, बच्चे का स्वस्थ रहना, एक्सरसाइज करना, टीम प्लेयर बनना, सही आहार लेना अधिक भी जरूरी है। माता-पिता का सही मार्गदर्शन बच्चों में सही शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है। माता-पिता को भी यह याद रखना चाहिए कि बच्चे सही उदाहरण के आधार पर आगे बढ़ते हैं। इसलिए, उनमें लिए सही उदाहरण बनें।
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दिमागी विकास (Mental Development)
माता पिता के सहयोग से बच्चे को असफलताओं को स्वीकार करने और उन पर काबू पाने में मदद मिलती है। इससे वो अनुशासन को समझते हैं, प्रतिक्रिया को स्वीकार करते हैं और जीवन को सही तरीके से जीना सीखते हैं।
समाजिक विकास (Social Development)
इस दौरान बच्चा आपके व्यवहार को नोटिस करता है। माता-पिता के बीच की बातचीत और बहस को वो समझता है। इस समय बच्चा दूसरों से कैसा व्यवहार करना है, टीम स्पिरिट, सही दोस्तों को चुनना आदि सीखता है। ऐसे में माता-पिता अपने बच्चों को सही वैल्यूज और सही तरीके से सिखाने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
बच्चों की ग्रोथ और विकास को कौन सी एक्टिविटीज सुधार सकती हैं? (Activities for Growth and Development of Children)
जीवन के पहले पांच साल वो समय है, जब बच्चे का दिमागी विकास सबसे तेज़ होता है और इस वक्त एक सेकंड में 700 से अधिक न्यूरल कनेक्शन(neural connections) बनते हैं। ऐसे में कुछ एक्टिविटी बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) में मदद कर सकती हैं, यह इस प्रकार हैं:
ब्लॉक्स (Blocks)
ब्लॉक बनाना ऐसी गतिविधि है जिसके साथ बच्चे लम्बे समय से खेलते आ रहे हैं। यह केवल खिलौने नहीं है, बल्कि शिशु में कुछ स्किल्स के विकास के लिए यह जरूरी हैं। इसका यह फायदा भी हैं कि इससे बच्चे गिनती भी सीख जाते हैं। रचनात्मकता और इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए ब्लॉक्स बहुत अच्छी गतिविधि हैं।
ट्रेजर हंटिंग (Treasure Hunting)
यह बच्चों और माता-पिता के लिए एक फन एक्टिविटी है, जो बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) के लिए भी लाभदायक है। हालांकि, इस के सेटअप में आपको समय लग सकता है, लेकिन इसका परिणाम अच्छा हो सकता है। इसमें आपको कुछ चीजों को छुपा कर बच्चों को उन्हें ढूंढने के लिए कहना है। उस चीज तक पहुंचने के लिए बच्चों को कुछ पहेलियों या पज़ल्स को सॉल्व करना होता है। इससे बच्चों को सोचने और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल में बढ़ोतरी होगी।
पज़ल्स (Puzzles)
पज़ल्स भी बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) के लिए अच्छे हैं। इसके लिए आपको बच्चों के लिए डिफिकल्टी को बढ़ना है। बाजार में मिलने वाले पज़ल्स में कुछ टुकड़े होते हैं। जिनसे बच्चों को किसी चेहरे या अन्य चीज को बनाना होता है। इस एक्टिविटी से बच्चों को पैटर्न व शेप को पहचानने, अपनी याददाश्त को बढ़ाने आदि में मदद मिलती है।
खेल खेलना या डांस करना (Any Sport or Dance)
अगर आप शिशु की ग्रोथ को लेकर चिंतित हैं, तो आप नियमित रूप से उसे कुछ समय के लिए कोई खेल खिलाएं। अगर उसकी डांस में रूचि है, तो डांस भी एक अच्छा व्यायाम है जिससे उसकी ग्रोथ में मदद मिल सकती है।
बच्चों की ग्रोथ और विकास और न्यूट्रिशन (Growth and Development of Children and Nutrition)
बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) जटिल प्रक्रियाएं हैं, जिनमें पोषक तत्वों के सही संतुलन की आवश्यकता होती है। दिलचस्प बात यह है कि जब तक आपका बच्चा प्राथमिक विद्यालय में पहुंचता है, तब तक उसका दिमाग अपने जीवन के किसी भी पड़ाव की तुलना में अधिक तेजी से विकसित होता है। जानिए बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) में न्यूट्रिशन की क्या भूमिका के बारे में:
बच्चों की ग्रोथ और विकास में पुअर न्यूट्रिशन का प्रभाव (Effect of poor Nutrition on Growth and Development of Children)
पर्याप्त खाद्य पदार्थों और पोषक तत्वों के सेवन न करने या खराब गुणवत्ता वाले खाद्य विकल्पों से बच्चों में कुपोषण हो सकता है और यह बच्चे के विकास के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
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बच्चों की ग्रोथ और विकास में अच्छे न्यूट्रिशन का प्रभाव (Effect of Good Nutrition on Growth and Development of Children)
जब बच्चा प्राइमरी स्कूल जाने की उम्र का होता है, तो उसमें कॉग्निटिव, समाजिक, भावनात्मक और लैंग्वेज स्किल्स का विकास होता है। यही नहीं ग्रॉस मोटर स्किल भी इस दौरान अच्छे से बढ़ते हैं। इस दौरान सही न्यूट्रिशन मिलने से बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children)सही से हो पाता है।
बच्चे की ग्रोथ और विकास के लिए कौन से न्यूट्रिएंट्स महत्वपूर्ण हैं? (Important Nutrients for Growth and Development of Children)
इस दौरान शिशु के सही आहार का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए आपको बच्चे के आहार में इन पोषक तत्वों को अवश्य शामिल करना चाहिए। इन न्यूट्रिएंट्स को बच्चे के आहार में अवश्य शामिल करें:
कैल्शियम (Calcium): जब बात स्ट्रेंथ,दांत, हड्डियों और स्ट्रेंथ आदि की आती है, तो कैल्शियम सबसे पहले आता है। इस दौरान शरीर में जो भी परिवर्तन आते हैं, उसके लिए कैल्शियम लेना जरूरी है। इसलिए, अपने बच्चे के आहार में दूध, दही, मक्खन आदि को अवश्य शामिल करें।
मैग्नीशियम (Magnesium): मैग्नीशियम भी बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए आप बच्चे को पालक, कद्दू के बीज, बादाम आदि का सेवन करने को दें।
प्रोटीन (Protein): विटामिन या मिनरल नहीं बल्कि प्रोटीन मैक्रोन्यूट्रिएंट है। यह मसल्स और हड्डियों में प्रयोग होने वाले टिश्यू की ग्रोथ के लिए आवश्यक है। अंडे, दालें, सब्जियां आदि बच्चों को दें। इसके साथ ही बच्चों में छोटी उम्र से ही हेल्दी खाने की आदत ड़ाल दें। उन्हें सब्जियां, फल, साबुत अनाज आदि खाने को दें। जंक फूड, अधिक चीनी, प्रोसेस्ड फूड उसे न दें।
डॉक्टर की सलाह कब जरूरी है? (When to see Doctor)
हर माता-पिता चाहते हैं की उनका बच्चा अच्छे से ग्रो करें और इसके लिए वो हर संभव कोशिश भी करते हैं। जैसा की आपको पता है कि हर बच्चा अलग है और इसी तरह से हर बच्चे की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) अलग होती है। लेकिन फिर भी आपको अपने बच्चे के बिहेवियर और ग्रोथ पर नजर रखनी चाहिए और अगर आपको इनमे से कोई भी समस्या नजर आती है। तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए:
अपने नाम पर कोई प्रतिक्रिया न दें (Do not Respond to your Name)
अगर आपका बच्चा बार-बार अपने नाम को सुनकर भी कोई प्रतिक्रिया न दे रहा हो, तो यह किसी समस्या की तरफ इशारा हो सकता है। हालांकि, इसे सुनने या लैंग्वेज में समस्या से नहीं जोड़ा जा सकता। ये लक्षण मस्तिष्क की विकास संबंधी समस्याओं को इंगित कर सकते हैं, विशेष रूप से कान और आंखों के साथ। इसके लिए डॉक्टर की देखभाल की आवश्यकता होती है।
आय कांटेक्ट न करना (Avoid Eye Contact)
यह बच्चे की ग्रोथ और विकास में समस्या का साफ लक्षण है। हालांकि छोटे बच्चों में आप इसे समस्या नहीं कह सकते। लेकिन, तीन महीने का बच्चा ब्राइट लाइट या चीजों को फॉलो करना शुरू कर देता है। अगर आपके बच्चे को चमकदार चीजों में रूचि नहीं है, किसी चीज या लोगों की तरफ वो इशारा नहीं करता है, तो यह कॉग्निटिव डिसऑर्डर या आटिज्म का संकेत हो सकता है।
बोलने या मोटर स्किल्स में देरी (Delay in Speech and Motor Skills)
अगर आपको लग रहा है कि आपके बच्चे में लैंग्वेज, स्पीच, मोटर स्किल या सोचने की क्षमता में देरी हो रही है, तो आपको डॉक्टर से जांच करानी चाहिए। यह इस बात का इशारा हो सकता है कि आपका बच्चा मेंटल ग्रोथ के साथ स्ट्रगल कर रहा है।
रेगुलर बिहेवियर में समस्या (Problems with Regular Behaviors)
अगर आपके बच्चे को खाने-पीने, सोने, टॉयलेट ट्रेनिंग इशूज हैं, तो भी आपको डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
सीखने में समस्या (Learning Problems)
सीखने में समस्या को पहचानना माता-पिता के लिए मुश्किल होता है। पढ़ने, स्पीच- साउंड्स को पहचानना और संबंधित शब्दों या अक्षरों आदि में मुश्किल को डिस्लेक्सिया (Dyslexia) कहा जाता है। इस स्थिति में भी डॉक्टर की राय जरूरी है।
अटेंशन इश्यूज (Attention Issues)
सामान्य ध्यान और व्यवहार संबंधी समस्याएं जैसे अटेंशन-डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) और अवसाद, चिंता, ओपोजीशनल डेफिएंट व्यवहार (Oppositional Defiant Disorder) से जुड़ी स्थितियां आदि में भी डॉक्टर की जांच आवश्यक है।
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बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) को आप उनके सम्पूर्ण बदलाव के रूप में भी जानते हैं। शिशु का विकास पूरी उम्र होता रहता है। लेकिन, शुरू के कुछ साल उसके लिए बेहद जरूरी और महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में आपका अपने बच्चों की ग्रोथ और विकास (Growth and Development of Children) पर नजर रखना बेहद जरूरी हैं। इसके लिए आप समय समय पर डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
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