पेट में दर्द, ऐंठन या अन्य समस्याएं न केवल परेशानी भरी होती हैं, बल्कि इससे हमारा रोजाना का जीवन भी प्रभावित होता है। आमतौर, पेट में की परेशानियों को हम सामान्य मानते हैं। यह समस्याएं न केवल वयस्कों बल्कि बच्चों में होना भी कॉमन हैं। हालांकि, यह कुछ बीमारियां गंभीर भी हो सकती हैं। आज हम बात करने वाले हैं पेट की ऐसी ही एक परेशानी के बारे में, जिसे पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के नाम से जाना जाता है। जानिए, पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के बारे में विस्तार से। क्योंकि, इसके कारणों, लक्षणों और उपचार के बारे में यह जानकारी होना बेहद जरूरी है।
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम किसे कहा जाता है? (Pediatric Irritable Bowel Syndrome)
इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) को (IBS) के नाम से भी जाना जाता है। बच्चों में होनी वाली इस समस्या को पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के नाम दिया गया है। पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम उन लक्षणों के समूह को कहा जाता है, जो एक साथ नजर आते हैं। इनमें पेट में नियमित दर्द और बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) में बदलाव आदि शामिल हैं। इसमें डायरिया, कब्ज या दोनों हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित बच्चे में बिना डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) में डैमेज या डिजीज के विजिबल साइन्स के यह लक्षण नजर आ सकते हैं।
यह एक लॉन्ग टर्म यानि क्रॉनिक डिसऑर्डर है, जो लार्ज इंटेस्टाइन (Large intestine) या कोलन (Colon) को प्रभावित करता है। इस बीमारी में कोलन सामान्य प्रतीत होता है, लेकिन उस तरह से काम नहीं कर पाता है, जैसे उसे करना चाहिए। पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) का निदान तब होता है, जब ग्रोइंग किड्स को कम से कम दो महीने तक पेट में दर्द या डिस्कम्फर्ट रहता है, जबकि उन्हें कोई भी ऐसी बीमारी या इंजरी नहीं होती है जो इस दर्द का कारण बने। इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome) में दर्द या डिस्कम्फर्ट से स्टूल फ्रीक्वेंसी और कंसिस्टेंसी में भी बदलाव आ सकता है। अब जानते हैं कि पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के लक्षण क्या हो सकते हैं?
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पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के लक्षण (Symptoms of Pediatric Irritable Bowel Syndrome)
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) पेट में दर्द या डिस्कम्फर्ट और बॉवेल हैबिट्स में बदलाव आदि शामिल है। इसके साथ ही इसके कुछ अन्य लक्षण भी उनमें नजर आ सकते हैं। यह सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) में समस्या। यानी, सामान्य से अधिक या कम बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) ।
- ऐसे स्टूल का पास होना जो लूज और अधिक वॉटरी या सामान्य से अधिक लम्पि या हार्ड होते हैं।
इसके अन्य लक्षणों में यह समस्याएं भी शामिल हैं:
- डायरिया (Diarrhea): दिन में तीन से अधिक बार लूज या वॉटरी स्टूल पास होना और मल त्याग करने की अत्यावश्यकता महसूस होना।
- कब्ज (Constipation): हार्ड और ड्राय स्टूल होना, हफ्ते में दो या इससे भी कम बार बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) व मल त्याग में बहुत समस्या होना।
- ऐसा महसूस होना जैसे बॉवेल मूवमेंट (Bowel movement) इन्कम्प्लीट है।
- बलगम का पास होना। यह एक क्लियर लिक्विड होता है, जिसे हमारा इंटेस्टाइन बनता है और यह हमारे इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट को कोट और प्रोटेक्ट करता है।
- पेट में ब्लोटिंग (Abdominal bloating)
कुछ बच्चों को इस रोग के कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं। यह लक्षण अक्सर बच्चों को भोजन के बाद परेशान करते हैं। रोगी की कंडिशन के अनुसार इस रोग के सिम्पटम्स भी अलग हो सकते हैं। अब जानते हैं इसके कारणों के बारे में।
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पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम के कारण (Causes of Pediatric Irritable Bowel Syndrome)
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के सही कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। ऐसा माना जाता है कि इस रोग से पीड़ित बच्चे के शरीर में एक ऐसा कोलन होता है, जो सामान्य से अधिक संवेदनशील और रिएक्टिव होता है। इससे हमारा बॉवेल अधिक स्ट्रांगली रियेक्ट करता है। जो नर्व्ज डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) को कंट्रोल करती है, वो भी डायजेस्टिव सिस्टम (Digestive system) के लिए अधिक सेंसिटिव होती हैं। पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) से पीड़ित बच्चों में इसके कारण इस प्रकार हैं:
- पीड़ित बच्चों के डायजेस्टिव सिस्टम के माध्यम से फूड के मूव करने में समस्या होना
- उनके बॉवेल के अंदर स्ट्रेचिंग और मोशन में हायपरसेंसिटिविटी
- स्ट्रेस
- उनके बॉवेल में बैक्टीरिया का अधिक ग्रो होना
यह सभी फैक्टर पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के लक्षणों को ट्रिगर कर सकते हैं। ऐसे में इस समस्या से पीड़ित बच्चों में इसके लक्षणों को समझना और सही उपचार कराना जरूरी है। अब जानते हैं कि कैसे किया जा सकता है इसका निदान।
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पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का निदान कैसे संभव है? (Diagnosis of Pediatric Irritable Bowel Syndrome)
इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले बच्चों की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही उनकी शारीरिक जांच भी की जाती है। बच्चे में इंफेक्शन और इंफ्लेमेशन की जांच के लिए लैब टेस्ट कराना भी जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर आपको निम्नलिखित टेस्ट्स कराने के लिए भी कह सकते हैं। जैसे:
ब्लड टेस्ट (Blood tests)
इन टेस्ट्स को इस बात को जानने के लिए किया जाता है कि कहीं आपका बच्चा एनिमिक तो नहीं है या उसे कोई इंफेक्शन व ऐसी कोई समस्या तो नहीं है, जो इन्फ्लेमेशन और समस्या का कारण बन रही हो।
यूरिन एनालिसिस और कल्चर (Urine analysis and culture)
इस टेस्ट के माध्यम से यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शंस (Urinary tract infections) के बारे में जाना जा सकता है।
स्टूल सैंपल (Stool sample)
रोगी के स्टूल का सैंपल लेकर उसकी जांच की जाती है, ताकि उन बैक्टीरिया और उन पैरासाइट्स के बारे में जाना जा सकता है, जो डायरिया का कारण बन सकते हैं। पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के निदान में यह टेस्ट जरूरी है।
ओकल्ट ब्लड के लिए स्टूल सैम्पल्स (Stool samples for occult blood)
ओकल्ट ब्लड को उस ब्लड के रूप में जाना जाता है जो स्पष्ट रूप से विजिबल नहीं होता है। इसे केवल तब डिटेक्ट किया जा सकता है, जब ब्लड में एक खास सोल्यूशन मिलाया जाता है। इससे ब्लड के कांटेक्ट में आने पर यह खास सलूशन ब्लू हो जाता है। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में इंफ्लेमेटरी सोर्स का पता चलता है।
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लैक्टोज ब्रीद हाइड्रोजन टेस्ट (Lactose breath hydrogen test)
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के निदान के लिए इस टेस्ट को किया जाता है। यह टेस्ट बच्चों में कई डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स के निदान के लिए किया जाता है, जिसमें लैक्टोज (Lactose), मालएब्जॉर्प्शन (malabsorption) और स्मॉल बॉवेल में बैक्टीरियल ओवरग्रोथ (Bacterial overgrowth) आदि शामिल हैं
पेट का एक्स-रे (Abdominal X-ray)
इस टेस्ट के माध्यम से डॉक्टर बच्चे के इंटरनल ऑर्गन की जांच की जाती है। इसके साथ ही पेट का अल्ट्रासाउंड भी किया जा सकता है।
एंडोस्कोपी Endoscopy.
एंडोस्कोपी में एक पतली, फ्लेक्सिबल ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें लाइट और दूसरे एन्ड पर कैमरा होता है। इससे डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) के अपर पार्ट के भीतर को एग्जामिन किया जा सकता है। डायजेस्टिव ट्रैक्ट (Digestive tract) के अंदर की एग्जामिनेशन और टेस्टिंग के लिए टिश्यूज का सैंपल भी लिया जा सकता है।
कोलोनोस्कॉपी (Colonoscopy)
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के लिए डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह भी दे सकते हैं, ताकि लार्ज इंटेस्टाइन यानी बॉवेल और स्मॉल बॉवेल के कुछ हिस्सों की जांच की जा सके।
इन टेस्ट्स के अलावा भी डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स के लिए कह सकते हैं। इसके निदान के बाद बच्चे के उपचार के तरीकों के बारे में विचार किया जाएगा। जानिए, इस समस्या के उपचार के बारे में।
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पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम का उपचार (Treatment of Pediatric Irritable Bowel Syndrome)
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) का उपचार कई चीजों पर निर्भर करता है, जैसे:
- बच्चे की उम्र, उसका संपूर्ण स्वास्थ्य और मेडिकल हिस्ट्री
- समस्या कितनी बढ़ चुकी है?
- बच्चे की खास मेडिकेशन, प्रोसीजर या थेरेपी को सहन करने की क्षमता
- माता-पिता की प्राथमिकता और विचार
पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के उपचार का मुख्य उद्देश्य बच्चे के नार्मल डेली फंक्शन को रिस्टोर करना है। इसकी मैनेजमेंट इस समस्या के पोसिटिव डायग्नोसिस से शुरू होती है। इसके उपचार में खानपान में बदलाव, दवाइयां, प्रोबायोटिक्स और स्ट्रेस मैनेजमेंट आदि शामिल है। अगर आपका बच्चा लैक्टोज इन्टॉलरेंट (Lactose intolerant) है, तो आपको यह सलाह दी जाती है कि उसके आहार में लैक्टोज की मात्रा कम की जाए या उसे ऐसे सप्लीमेंट्स दिए जाएं, जो शुगर को डायजेस्ट करने में मदद करें। लैक्टोज शुगर से पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) इस रोग के लक्षण बढ़ सकते हैं।
इस रोग में बच्चों को अधिक फाइबर युक्त आहार देने के बारे में भी सही जानकारी मौजूद नहीं है। क्योंकि, ऐसा माना जाता है कि इससे बच्चे गैस और ब्लोटिंग की परेशानी का अनुभव कर सकते हैं। हालांकि, हाय-फाइबर डायट की सलाह उन बच्चों या वयस्कों को दी जाती जिन्हें IBS-रिलेटेड कॉन्स्टिपेशन (IBS-related constipation) हो। बच्चों के लक्षणों के अनुसार ही उन्हें इस स्थिति में दवाईयां दी जाती हैं। जब आपका बच्चा इस समस्या के पेनफुल एपिसोड्स का अनुभव कर रहा हो, तो आप अपने बच्चे का ध्यान किसी फन या प्लीजेंट एक्टिविटी पर डायवर्ट करें।
Quiz : 5 साल के बच्चे के लिए परफेक्ट आहार क्या है?
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) के अनुसार इस रोग की स्थिति में अपने बच्चे की डायट में कोई भी बदलाव करने से पहले डॉक्टर या डायटीशियन से अवश्य पूछ लेना चाहिए। प्रॉपर न्यूट्रिशन बच्चे की ग्रोथ और डेवलपमेंट के लिए जरूरी है। ट्रेंड प्रोफेशनल आपके और आपके बच्चे के लिए बैलेंस्ड डायट का प्लान करने और हेल्दी ईटिंग हैबिट्स को मैंटेन रखने में मदद कर सकते हैं।
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यह तो थी पीडियाट्रिक इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (Pediatric Irritable Bowel Syndrome) के बारे में जानकारी। यह तो आप समझ ही चुके होंगे कि यह एक क्रॉनिक समस्या है, जो बच्चों में पेट की समस्याओं का कारण बन सकती है। सही समय पर इसके निदान और उपचार के बाद आपका बच्चा इससे राहत पाया जा सकता है। इसके साथ ही आपके बच्चे के लिए हेल्दी खानपान और अन्य हैबिट्स को अपनाना भी जरूरी है। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो तो अपने डॉक्टर से अवश्य जानें।
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