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फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं? जानें इस बारे में सबकुछ

फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं? जानें इस बारे में सबकुछ

अगर आपको ये पता चले कि आपका नवजात किसी भी खाने के प्रति संवेदनशील है तो आप चौंक जाएंगे। लेकिन ये बात सच है कि नवजात या आपका लाडला कुछ फूड्स को लेकर सेंसटिव हो सकता है। इसके लिए मां को समझना होगा कि वो ऐसी कोई भी चीज ना खाए, जिससे बच्चे को नुकसान पहुंच सके। क्योंकि फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना बहुत पेचीदा काम है। इसके लिए आप इस आर्टिकल को पढ़ें और जानें कि फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं? मां को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं?

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क्या नवजात फूड सेंसिटिव हो सकते हैं?

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि बच्चे मां के दूध के प्रति सेंसटिव नहीं होते हैं। मां का दूध बच्चे के लिए अमृत होता है। हालांकि, कुछ मामले देखे गए है, जिसमें मां का दूध पिलाने के लिए डॉक्टर मना करते हैं। बात करें नवजात के फूड सेंसटिव होने की तो बच्चा फूड सेंसिटिव होते हैं, लेकिन मां के दूध से नहीं, बल्कि मां जो भी खाती है, उस फूड से। हमेशा याद रखें कि आप जो भी खाती हैं, वो आपके दूध के माध्यम से बच्चे तक पहुंचता है। इसलिए डॉक्टर से इस चीज को जरूर सुनिश्चित करें कि आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।

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कैसे पता करें कि आपका बच्चा फूड सेंसिटिव है?

हैलो स्वास्थ्य ने इस संबंध में वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के सृष्टि क्लीनिक के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पी. के. अग्रवाल से बात की। डॉ. अग्रवाल का कहना है कि, “नवजात शिशु खुद तो नहीं बता सकते हैं कि उन्हें क्या पसंद है, क्या नहीं। इसलिए मां को उनके व्यवहार और तबीयत से समझना होगा कि बच्चे को किन फूड्स से सेंसिटिविटी हो सकती है। बच्चे जब किसी फूड के प्रति सेंसिटिव होते हैं, तब उनमें पेट दर्द, दस्त आदि की समस्याएं सामने आती हैं। इसलिए फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान मां को अपनी डायट का खास ख्याल रखना चाहिए।”

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नवजात बच्चे में फूड एलर्जी के क्या लक्षण हैं?

नवजात बच्चे में फूड एलर्जी के निम्न लक्षण सामने आ सकते हैं :

  • डायरिया
  • उल्टी होना
  • एग्जिमा
  • कब्ज
  • पेट दर्द
  • मल के साथ ब्लड आना
  • बच्चे का धीमा विकास होना

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फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करने के दौरान किन चीजों से एलर्जी हो सकती है?

फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग  करने के दौरान निम्न चीजों से एलर्जी हो सकती है :

  • दूध से निर्मित चीजें, जैसे- चीज़, योगर्ट, आइसक्रीम आदि
  • अंडे
  • नट्स
  • गेंहू
  • मूंगफली
  • सोया
  • कृत्रिम बटर
  • बटरमिल्क
  • छाछ
  • पनीर
  • क्रीम
  • घी
  • मछली
  • चिकन
  • मटन

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फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान होने वाली एलर्जी से कैसे बचाएं?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार शिशु को छह महीने तक मां के दूध पर ही रखना चाहिए। इससे मां के दूध के द्वारा बच्चे में सभी पोषक तत्व जाते हैं। इसके लिए मां को अपनी डायट पर ध्यान देना होता है। मां के द्वारा खाई जा रही चीजों से बच्चे में फूड एलर्जी के लक्षण नजर आए तो मां को दोबार उन फूड्स को नहीं खाना चाहिए। फिलहाल ऊपर बताई गई चीजों के सेवन से मां को बचना चाहिए।

फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान मां को क्या खाना चाहिए?

फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान मां को निम्न चीजें अपनी डायट में शामिल करना चाहिए :

स्टार्च युक्त भोजन

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को संतुलित आहार (Balanced Diet) में स्टार्च को जरूर शामिल करना चाहिए। स्टार्च कार्बोहाइड्रेट का एक अच्छा स्रोत है। स्टार्च में पाया जाने वाला फाइबर बच्चे की हड्डियों और त्वचा के लिए बहुत जरूरी होता है। स्टार्च के लिए आप मिक्स अनाजों के आटे से बनी रोटी, चावल, सूजी, जौ (Oats), आलू, ब्रेड आदि खा सकता हैं। 

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फलों और सब्जियों को करें शामिल

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को अपने डायट में फल और सब्जियों को जरूर से शामिल करना चाहिए। सब्जियों औरण् फलों से कई तरह के मिनरल्स और विटामिन्स मिलते हैं। आप फलों और सब्जियों में स्ट्रॉबेरी, पालक, अंगूर, शिमला मिर्च, सेब, सेलरी, प्याज, आलू, मक्का, एवोकाडो, अनानास, मटर, आम, बैंगन, कीवी आदि को शामिल कर सकते हैं। 

आयरन युक्त चीजें खाएं

प्रेग्नेंसी में तो आयरन की गोलियां दी जाती हैं, जिससे गर्भवती महिला को एनीमिया ना हो सके। इसके बाद ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान मां को आयरन युक्त भोजन लेना चाहिए। इससे बच्चे के शरीर में आयरन की मात्रा मां के दूध से पहुंचती है। मां को अपनी डायट में अंकुरित फलियां, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, मांस, मछली और अंडे (नॉनवेज तभी शामिल करें, जब बच्चे को इनसे फूड एलर्जी ना हो) आदि को शामिल करना चाहिए।

कैल्शियम लेना ना भूलें

बच्चे को हड्डियों के विकास के लिए कैल्शियम का सेवन बहुत जरूरी है। इसके लिए आप अपने डायट में कैल्शियम की मात्रा को शामिल करें। मां को अपने दूध में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाने के लिए दूध, सहजन, बादाम, काजू, चावल, कैल्शियम फोर्टिफाइड फूड्स का सेवन करना चाहिए।

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प्रोटीन है जरूरी

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मां को 80 ग्राम प्रोटीन की रोजाना जरूरत होती है। इसके लिए मां अपनी डायट में फलियां, दाल, मेवे, अंडा, मछली, मांस आदि को शामिल कर सकती है। स्तनपान कराने वाली महिला को ध्यान देना चाहिए कि वह प्रोटीन की पूरी मात्रा एक साथ न लें, बल्कि दो से तीन बार में लें। प्रोटीन के सेवन से बच्चे की कोशिकाओं, मांसपेशियों और त्वचा का अच्छा विकास होता है। इसके अलावा हॉर्मोंस, एंटीबॉडीज और एंजाइम्स बनाने में भी मददगार होता है।

विटामिन्स के लिए खाएं ये चीजें

विटामिन-ए, विटामिन सी और विटामिन डी बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है। फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे के विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। विटामिन ए के लिए गाजर, अंडे, टमाटर, शिमला मिर्च, मटर, आम, मछली का तेल आदि का सेवन करना चाहिए। 

विटामिन-सी के लिए आंवला, संतरा, अमरूद, मौसमी, पपीता, खट्टे फल आदि खाना चाहिए। खट्टे फलों में विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होती है। विटामिन-डी के लिए मां को सुबह हल्की गुलाबी धूप में बैठना चाहिए। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है। इसके अलावा फोर्टिफाइड अनाज, तैलीय मछलियां आदि विटामिन डी के अच्छे स्रोत है। 

आपको बता दें कि अंडे, मछलियां, चिकन, मटन और अन्य किसी भी तरह के मांसाहार को अपनी डायट में तभी शामिल करें, जब फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग के बाद कोई एलर्जी देखने को ना मिलें। अगर एलर्जी के लक्षण सामने आते हैं तो मांसाहार का सेवन ना करें। इस तरह से आपने जाना कि फूड सेंसिटिव बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कैसे करा सकते हैं। उम्मीद है कि ये आर्टिकल आपके लिए बेहद मददगार साबित होगा। अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Multiple food allergy: a possible diagnosis in breastfed infants https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/9350880/ Accessed on 22/7/2020

Current Version

09/10/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Sanket Pevekar


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 09/10/2020

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