एक स्वस्थ और क्रियाशील लिवर के साथ ही रोगजनकों (पैथोजन्स) के खिलाफ लड़ाई संभव है। एन्कैप्सुलेटेड गुड बैक्टीरिया के अलावा, यकृत प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमणों के खिलाफ समन्वित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का एक अभिन्न हिस्सा है। इम्यून सिस्टम खतरनाक रोगजनकों की पहचान करती है और लिवर प्रतिक्रिया स्वरूप उसे फैलने से रोकती है। दूसरे शब्दों में, यह शरीर के अन्य अंगों की रक्षा करता है। यह अनूठी प्रतिक्रिया कई कारकों पर निर्भर करती है – जैसे कि किसी की व्यक्तिगत संरचना, महत्वपूर्ण इम्यून सेल्स (प्रतिरक्षा कोशिकाओं) की उपस्थिति, इम्यून सर्विलांस (प्रतिरक्षा निगरानी) और तेजी से मरम्मत। जिंदल नेचरक्योर इंस्टिट्यूट की जॉइंट चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ बबीना एन.एम के मुताबिक एक स्वस्थ लिवर आपके शरीर की मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में तब्दील हो जाता है, अपने खान-पान और जीवनशैली पर विशेष ध्यान केंद्रित करके आप अपने लिवर हेल्थ में सुधार कर सकते हैं और अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बना सकते हैं।
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भोजन संबंधी स्वस्थ आदतें डालें
लिवर हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है कि आपका नियमित भोजन स्वस्थ और पौष्टिक हो। चूंकि आप जो कुछ भी खाते हैं या पीते हैं वह आपके लिवर से होकर गुजरता है, इसलिए आपका आहार लिवर हेल्थ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आइए हम कुछ आहार संबंधी स्वस्थ आदतों पर एक नजर डालें जो आपके लिवर को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।
हरी सब्जी
ब्रोकोली, केल, पालक, खीरा और अजमोदइन सभी में विटामिन ए औरविटामिन सी, आयरन और पोटैशियम जैसे खनिज और एंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। ब्रोकोली लिवर हेल्थ के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है क्योंकि इसमें मौजूद सल्फर कंपाउंड शरीर से विषैले (डिटॉक्स) पदार्थों को निकालने में सहायता करता है।
नींबू पानी
सुबह उठते ही या दिन में कभी भी एक गिलास नींबू पानी जरूर पियें। यह शरीर के अवांछित विषाक्त पदार्थों को तोड़ने में मदद करता है और उन्हें समाप्त करता है। चूंकि यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक (डाइयूरेटिक) है, यह आपके मूत्र मार्ग को भी साफ करता है, लिवर को डीटॉक्सीफाई करता है, और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
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लहसुन
लहसुन न केवल सल्फर कंपाउंड में समृद्ध है जो प्रतिरक्षा प्रणाली को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है, बल्कि इसमें भरपूर मात्रा में सेलेनियम और एलिसिन जैसे पोषक तत्व भी मौजूद रहते हैं जो लिवर को डिटॉक्सिफाई करता है और नुकसान होने बचाता भी है।
प्रोबायोटिक्स
प्रोबायोटिक्स आंत में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया के विकास को रोकते हैं और आपके इम्यून फंक्शन को बढ़ाता भी है। साक्ष्य यह भी बताते हैं कि प्रोबायोटिक्स का सेवन श्वांस नली में हुए संक्रमण की गंभीरता और आवृत्ति को कम कर सकता है।
औषधियां (जड़ी-बूटी)
चिकरी या कासनी पित्त के उत्पादन को रोकती है, जो आपकी छोटी आंतों को क्षारीय करती है और पाचन को नियमित बनाती है। अर्जुना एक अन्य औषधि है जो लिवर हेल्थ में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है। यह ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करता है, जिससे लिवर एंजाइमों के स्तर को उनके सामान्य स्तर पर वापस लाने में मदद करता है।
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लिवर हेल्थ के लिए करें योग
योग आसन लिवर हेल्थ में मददगार होते हैं। वास्तव में, सही तरीके से किये गये विभिन्न तरह के योगासन कमर दर्द को कम करने में भी मदद कर सकते हैं और साथ ही साथ ये आपके पाचन में भी सुधार करते हैं। आइए हम कुछ योग आसनों की सहायता से शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने और लिवर हेल्थ को मजबूत बनाने के तरीकों पर एक नजर डालें।
परिव्रतअर्धचंद्रासन
त्रिभुज मुद्रा से इसकी शुरूआत करें। अपने दाहिने पैर को आगे की दिशा में करें और अपने बाएं हाथ को छत की ओर ऊपर की तरफ बढ़ाएं। अपने बाएं हाथ को नीचे की तरफ ले जाते हुए नितंब पर रखें। उसके बाद अपने सिर को जमीन की तरफ नीचे की ओर ले जायें। अपने दाहिने हाथ की उंगलियों को अपने दाहिने पैर के सामने रखें, और अपने दाहिने हाथ और पैर दोनों को जमीन पर दबाएं। अपने दाहिने पैर को सीधा रखें और अपने बाएं पैर को धीरे से उठाएं जब तक कि यह फर्श के समानांतर न हो। अपनी बाईं बांह को ऊपर की ओर बढ़ाएं और सुनिश्चित करें कि आपकी उंगलियां बाहर की ओर निकली हुई ऊपर की तरफ हों, आपकी नजर आपके बाएं अंगूठे पर टिकी होनी चाहिए। दस सांसों तक गिनते हुए इसी मुद्रा में रहें और फिर सामान्य स्थिति में आयें, इस दौरान आपका पेट और पीठ सीधी होनी चाहिए। अब शरीर के दूसरे हिस्से से इसी मुद्रा को दोहरायें।
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अर्धमत्स्येन्द्रासन
अपने पैरों को सीधा फैलाकर फर्श पर बैठ जाएं। अब अपने घुटनों को मोड़ें और अपने पैरों को फर्श पर रखें। अपने दाहिने पैर के नीचे बाएं पैर को खिसकाएं। अपने बाएं पैर के तलवों को दाहिने पैर के बगल में फर्श पर रखें। अपने बाएं पैर के ऊपर अपना दाहिना पैर रखें और इसे बाएं कूल्हे के पास ले जायें। इस स्थिति में रहते हुए सांस छोड़ें और धीरे-धीरे अपनी दाहिनी जांघ को अंदर की तरफ घुमाएं। अपने दाहिने हाथ को दाएं नितंब के पीछे फर्श के नीचे दबाएं और अपने दाहिने जांघ के ऊपर बाएं हाथ को अपने घुटने के पास रखें। इस स्थिति में रहते हुए, अपने दाहिने पैर को जोर से फर्श पर दबाव डालें, अपने दाहिने श्रोणि (पेट और जांघ के बीच का हिस्सा) को छोड़ें, और अपने सामने के धड़ को तानिये। अपने कंधे को ऊपरी धड़ के विपरीत ले जाएं, और फर्श की दिशा में अपने टेल बोन को ले जायें। अब अपने सिर को या तो अंदर की तरफ या फिर घुमाव की विपरीत दिशा की तरफ मोड़ें। अपने उरोस्थि को हर सांस के साथ थोड़ा और ऊपर उठाएं, और हर सांस छोड़ने के साथ थोड़ा और मोड़ें। एक बार जब आप पूरी तरह से शरीर का खिंचाव कर लेते हैं, तो पांच सांसों को गिनें, उसके बार अपनी सामान्य स्थिति में आ जायें। अब दूसरी तरफ से भी इस क्रिया को दोहरायें।
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मारीच्यासन
स्टॉफ पोज में बैठकर, अपने बाएं घुटने को मोड़ें और खड़े रहें, और अपने बाएं पैर को फर्श पर मजबूती से रखें। इस स्थिति में आपकी बाईं एड़ी आपके नितंबों के करीब होनी चाहिए। अपने दाहिने पैर को सीधा करें और इसे पूरी लंबाई में फैलाएं। यह आपकी रीढ़ को लंबा करने में मदद करेगा, इस आसन को सफलतापूर्वक करने के लिए यह जरूरी है। सांस छोड़ते और अपने धड़ को अपनी बाईं ओर घुमाएं। अपने दाहिने हाथ को अपनी बाईं जांघ के चारों ओर ले जायें। अपने दाहिने हाथ की मदद से अपनी बाईं जांघ को पकड़ें, अपनी जांघ को ऊपर खींचें और अपने बाएं कूल्हे को फर्श की तरफ ले जायें। श्रोणि के ठीक पीछे अपने बाएं हाथ की उंगलियों को फर्श पर दबाएं, अपने धड़ को ऊपर उठाएं और इसे थोड़ा आगे की ओर झुकायें। अपनी बाईं कमर को अपने श्रोणि की तरफ ले जायें, और अपने पेट को अपनी बाईं जांघ के अंदरूनी हिस्से के साथ बाहर की ओर करके तानें। हर बार जब आप सांस लें तो अपनी रीढ़ को सीधा करना जारी रखें और सांस छोड़ते समय हर बार इसे थोड़ा घुमाएं। पेट को जांघ से सटाकर रखें और अपने कंधे के विपरीत अपनी पीठ को एक ऊपर की तरफ झुकायें। सर्वाइकल स्पाइन ट्विस्ट को पूरा करने के लिए अपने सिर को बाईं तरफ घुमाएं। दस सांसें गिनते हुए इस स्थिति में रहें, फिर सामान्य स्थिति में आ जायें। अब शरीर के दूसरे हिस्से से इस क्रिया को दोहरायें।
साथ ही साथ यह सलाह दी जाती है की एक प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही इन योग आसनों का अभ्यास करें, और यदि आपको पहले से कोई बीमारी है तो इन योगासनों को करने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
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