वयस्कों की तरह ही शिशुओं में कब्ज की समस्या होनी काफी आम हो सकती है। बच्चे दिनभर कुछ न कुछ खाते रहते हैं। इनमें से कुछ फूड ऐसे होते हैं, जिनसे कब्ज की शिकायत हो जाती है। केंद्र सरकार के नेशनल हेल्थ पोर्टल पर इस संबंध में कोई पुख्ता आंकड़े नहीं दिए गए हैं। पोर्टल पर इस समस्या को लेकर कुछ विशेष प्रकार के कारण बताए गए हैं। आज हम इस आर्टिकल में बच्चों में कब्ज पैदा करने वाले फूड और इसे रोकने वाले फूड के बारे में बताएंगे।
शिशुओं में कब्ज की समस्या और इसके उपचार को लेकर हमने मुंबई स्थित मदरहूड हॉस्पिटल के डॉक्टर सुरेश बिरजदार से खास बातचीत की। डॉक्टर सुरेश बिरजदार पीडियाट्रिक्स एंड निओनेटोलॉजिस्ट हैं।
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कब्ज (Constipation) क्या है?
डॉक्टर बिरजदार ने कहा, ‘शिशुओं में कब्ज एक ऐसी स्थिति है, जब बच्चों की स्टूल पास करने की फ्रीक्वेंसी में कमी आ जाती है। ज्यादातर लोग दिन में दो बार स्टूल पास करते हैं लेकिन, इसकी फ्रीक्वेंसी बच्चों से लेकर बड़ों में अलग-अलग हो सकती है।’ आमतौर पर यदि बच्चा दो या इससे अधिक दिन तक स्टूल पास नहीं करता है तो उसे कब्ज की समस्या हो सकती है।
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शिशुओं (0 से 1 साल) में कब्ज (Constipation in children) होने के लक्षण क्या हैं?
शिशुओं में कब्ज के लक्षण में निम्न स्थितियां शामिल हो सकते हैं:
- एक सप्ताह में तीन बार या उससे कम बार मल त्याग करना
- फूला हुआ पेट
- पेट दर्द
- आपके बच्चे के अंडरवियर में तरल या मल के निशान
- कठोर मल की सतह पर खून आना
- कठोर मल त्याग करते समय बच्चे को दर्द का एहसास हो सकता है जिसकी वजह से बच्चे रोते रहते हैं।
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बच्चों (1 से 3 वर्ष) में कब्ज होने के लक्षण क्या हैं?
बच्चों में शिशुओं की तरह ही लक्षण दिखाई देते हैं जैसे की ऊपर बताए गए हैं। हालांकि, बच्चों में आपको निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं –
- असामान्य रूप से बड़े मल आना
- पेट छूने पर सख्त महसूस होना
- पेट में सूजन
- पेट फूलना
- टॉयलेट पेपर पर खून के निशान (ऐसा गुदा के आसपास छोटे अल्सर होने के कारण होता है)
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बड़े बच्चों (3 से 12 वर्ष) में कब्ज होने के लक्षण क्या हैं?
ऊपर बताए गए लक्षणों के साथ बड़े बच्चों में पेट दर्द की शिकायत और अंडरवियर में खून के निशान दिखाई दे सकते हैं। आपके बच्चे को मल त्याग के दौरान भी दर्द महसूस हो सकता है या वह मल त्याग करने से परहेज करने लग सकता है।
शिशुओं में कब्ज का कारण बनते हैं ये फूड ( Is Your Child’s Diet Causing Constipation?)
अधिक दूध पीने से होता है बच्चों को कब्ज
डॉक्टर बिरजदार ने कहा, ‘छह महीने तक शिशु मां के दूध पर निर्भर रहते हैं। अत्याधिक दूध पीना भी कब्ज का एक कारण‘ होता है। छह महीने की अवधि पूरा करने के बाद शिशु को अन्य सॉलिड फूड या खाना ना खिलाने से कब्ज हो सकता है।’ उन्होंने कहा कि दूध में कैल्शियम होता है। शिशु की बॉडी में कैल्शियम जैसे पोषक तत्व का अधिक मात्रा में होने से स्टूल सख्त हो जाता है। इससे उन्हें कब्ज हो जाता है।
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पानी की कमी से होता है बच्चों को कब्ज
उन्होंने बताया कि शिशु एवं बच्चों की बॉडी में पानी की कमी से स्टूल कड़ा हो जाता है। इससे कब्ज की समस्या पैदा हो जाती है। इसके अतिरिक्त, बच्चों को डायट में फल और सब्जियां ना देने से भी कब्ज हो सकता है क्योंकि, फल और सब्जियों में फाइबर होता है, जो स्टूल को मुलायम बनाने का कार्य करता है। इसके अलावा, बच्चों का सिर्फ नॉनवेज डायट पर निर्भर रहना भी कब्ज को पैदा करता है।
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फास्ट फूड से होता है कब्ज
अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड्स, पनीर, व्हाइट ब्रेड और मीट खाने से शिशुओं को कब्ज की समस्या हो जाती है। इस प्रकार के फूड्स में फाइबर की मात्रा कम होती है।
फॉर्मूला फूड (Formula Food)
अधिकतर महिलाएं अपने बच्चों और शिशुओं को फॉर्मूला फूड बहुत ही जल्दी देना शुरू कर देती हैं। फॉर्मूला फूड में कुछ विशेष प्रकार के तत्व होते हैं, जिनका पाचन बच्चों के लिए मुश्किल होता है। नतीजतन बच्चों को कब्ज हो जाता है। फॉर्मूल मिल्क में कॉमप्लैक्स प्रोटीन होता है, जिसका डायजेशन मुश्किल होता है।
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गाजर (Carrot)
आमतौर पर कच्ची गाजर या इसका जूस बच्चों के लिए हेल्दी होता है। शिशु को उबली हुई गाजर खिलाने से उन्हें कब्ज हो सकता है। उबली हुई गाजर स्टूल को सख्त बनाने का कार्य करती है।
कच्चे केले
कच्चे केले में एक विशेष प्रकार का स्टार्च होता है, जिसकाे पचाना बच्चे के लिए मुश्किल होता है।
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शिशुओं में कब्ज को ठीक कर सकते हैं ये फूड
ब्रोकली (Broccoli)
बच्चों के लिए ब्रोकली किसी सुपर फूड से कम नहीं है। इसमें प्रोटीन और फाइबर होता है। इसमें विटामिन सी, विटामिन के और फोलेट भी होता है। पालक और ब्रोकली जैसी हरी सब्जियों से स्टूल वजनी बनता है। इससे बच्चे को गट के माध्यम से स्टूल पास करने में आसानी होती है।
शकरकंद (Sweet Potato)
कब्ज को ठीक करने के लिए शकरकंद एक बढ़िया फूड है। इसमें अनेक प्रकार के जरूरी पोषक तत्व होते हैं। साथ ही इसमें अच्छी कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो शिशु के विकास के लिए आवश्यक हैं।
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बैरी (Berry)
बैरी में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। बैरी में फाइबर उच्च मात्रा में होता है। फाइबर स्टूल को मुलायम बनाता है, जिससे बच्चों की कब्ज की समस्या कम होती है।
होल ग्रेन ब्रेड
होल ग्रेन ब्रेड में उच्च मात्रा में फाइबर होता है। यह बच्चे की पाचन तंत्र के साथ-साथ उसके दिल के लिए भी अच्छा होता है। इससे काफी हद तक कब्ज कम होता है।
दलिया (Oats)
ज्यादातर महिलाएं अपने बच्चों को दलिया खिलाती हैं। दलिया में अतिरिक्त मात्रा में फाइबर होता है, जो कब्ज पैदा होने से रोकता है। दलिया का सेवन करने से बच्चों को स्टूल पास करने में आसानी होती है।
शिशुओं में कब्ज होने की किन स्थितियों में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?
आमतौर पर शिशुओं में कब्ज की समस्या अधिक गंभीर नहीं होती है। उनके आहर पर ध्यान देकर इस समस्या को का उपचार काफी आसानी से किया जा सकता है। हालांकि, पुरानी कब्ज की समस्याएं शिशुओं में कब्ज की समस्या को गंभीर बना सकती है। नीचे बताई गई निम्न स्वास्थ्य स्थितियों के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत अ़पने डॉक्टर से आपको संपर्क करना चाहिएः
- बच्चे के शरीर का तापमान बहुत गर्म होना बुखार के लक्षण होना
- कुछ भी खाने-पीने से मना करना
- मल में खून आना
- पेट फूलना
- अचानक वजन कम होना
- मल त्याग के दौरान दर्द होना या मल की सतह पर खून आना।
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शिशुओं में कब्ज की समस्या होने पर किन बातों पर ध्यान चाहिए?
शिशुओं में कब्ज की समस्या होने पर आपको निम्न बातों पर ध्यान करना चाहिए, जैसेः
- बच्चे या मां के आहार में फाइबर युक्त आहार की मात्रा
- पर्याप्त तरल पदार्थ की मात्रा
- एंटीडिपेंटेंट्स सहित दवाओं के सेवन बंद करना
- गुदा या मलाशय को प्रभावित करने वाली किसी तरह की स्वास्थ्य स्थिति का उपचार कराएं।
शिशुओं में कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए इन टिप्स का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन समस्या अगर ज्यादा समय तक रहे और ये उपाय असर न करें तो निचे बताए गए घरेलू उपाय अपनाएं।
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शिशुओं में कब्ज की समस्या के घरेलू उपचार (Homeremidies for Constipation)
भले ही बच्चों और शिशुओं के लिए कब्ज एक असुविधाजनक स्थिति हो लेकिन यह बेहद दुर्लभ मामलों में किसी अन्य समस्या का कारण होते हैं। कई प्रकार के घरेलू उपायों की मदद से मल को मुलायम बनाया जा सकता है और कब्ज से राहत पाई जा सकती है।
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पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाएं
कब्ज के कारण शिशु के शरीर में पानी की कमी होने लगती है जिसकी वजह से मल सुख और सख्त आता है। पानी पीने से मल मुलायम हो जाता है जिससे वह आसानी से पास हो सके।
अगर आपका बच्चा 6 महीने से बड़ा है तो आप उसे एक बारी में 30 मिलीलीटर तक पानी पीला सकते हैं जब तक कब्ज से आराम न मिल जाए। ध्यान रहे की पानी आहार की जगह नहीं ले सकता है इसलिए खाने की मात्रा को कम ना करें।
अधिक फाइबर वाले आहार खाएं
अगर आपके बच्चे ने सॉलिड आहार खाना शुरू कर दिया है तो उसके आहार में हाई फाइबर वाले खाने को शामिल करें। जैसे की –
- सेब
- मटर
- सूखा आलूबुखारा
- केला
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बच्चों के लिए कब्ज के घरेलू उपाय
1 से 3 वर्ष की उम्र वाल बच्चों को भी पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए और साथ ही अधिक फाइबर वाले आहारों का सेवन शुरू कर देना चाहिए। बच्चों को एक बार 40 मिलीलिटर पानी का सेवन करवाएं जिससे उनका मल मुलायम होने लगे और कब्ज से राहत मिले।
इसके अलावा बच्चों में कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आप उन्हें हल्के व्यायाम या कुछ सामान्य गतिविधियां भी करवा सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि गतिहीन जीवनशैली के कारण कब्ज होना बेहद सामान्य माना जाता है।
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बच्चों और शिशुओं में कब्ज का चिकित्सक इलाज
अगर घरेलू उपायों की मदद से कब्ज से राहत नहीं मिल पाती है तो आपको अपने शिशु के लिए पीडियाट्रिशन से संपर्क करने की आवश्यकता हो सकती है।
इलाज से पहले डॉक्टर बच्चे का शरीरिक परीक्षण करेंगे। डॉक्टर आप से बच्चे की डायट और शारीरिक गतिविधियों के बारे में पूछेंगे ताकि वह कब्ज की वजह का पता लगा सकें।
कब्ज की स्थिति में मेडिकल टेस्ट हमेशा जरूरी नहीं होते हैं। लंबे समय से चली आ रही कब्ज की समस्या होने पर डॉक्टर बच्चे के टेस्ट करवाने को कह सकते हैं।
इन टेस्ट में एब्डोमिनल एक्स-रे, मोटिलिटी टेस्ट और रेक्टल बायोप्सी शामिल हैं। कब्ज के कारण का पता चलने के बाद उस स्थिति के अनुसार ही बच्चे का इलाज किया जाता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या पीडियाट्रिशन से संपर्क करें।
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निष्कर्ष
बच्चों और शिशुओं में ज्यादातर कब्ज के मामले कुछ समय तक ही रहते हैं और अन्य किसी गंभीर रोग से जुड़े नहीं होते हैं। हालांकि, बेहद दुर्लभ मामलों में कब्ज किसी अन्य बीमारी का लक्षण हो सकता है। ऐसे में लंबे समय तक कब्ज होने पर बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
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