प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में बच्चे के शरीर का विकास लगभग हो चुका होता है। आप इसे प्रग्नेंसी का होम स्ट्रेच कह सकते हैं। ये 28वें हफ्ते से शुरू हो जाता है। गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में आपका शरीर भारी हो जाएगा। आपको रोजमर्रा के काम जैसे बैठना, उठना, खड़े होना या फिर चलने में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इस दौरान शरीर में हॉर्मोन के बदलाव के कारण पेट खिंचा हुआ सा महसूस हो सकता है। हैलो स्वास्थ्य ने जब गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. सौम्या सिंह से इस बारे में बात कि, ‘तो उन्होंने कहा कि इस दौरान प्रोजेस्ट्रान का लेवल हाई हो सकता है। हॉर्मोन का लेवल हाई होने पर डिलिवरी की जल्दी संभावना बढ़ जाती है। कुछ महिलाओं को 36वें वीक में ही दर्द की समस्या होने लगती है। डॉक्टर 40 सप्ताह तक रुकने के लिए मेडिसिन भी सजेस्ट करते हैं।’
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में प्रोजेस्ट्रान और एस्ट्रोजन का हाई लेवल
प्रेग्नेंसी के दौरान लगभग 32 सप्ताह के बाद एस्ट्रोजन अपने उच्च लेवल पर होता है। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एस्ट्रोजन का लेवल पहली तिमाही की अपेक्षा छह गुना ज्यादा होगा। हॉर्मोन के बदलाव के कारण आपको अपने पैरों के आसपास अधिक सूजन दिखाई देगी। इसे लिम्फेटिक सिस्टम से जोड़ा जा सकता है। एस्ट्रोजन को अप्रत्यक्ष रूप से पानी और नमक के साथ भी जोड़ा जा सकता है।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एसिड रिफ्लक्स की समस्या
लेट प्रेग्नेंसी में, महिलाएं एसिड रिफ्लक्स या हार्टबर्न जैसी समस्याओं का सामना भी कर सकती हैं। एस्ट्रोजन के कारण इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। रिलैक्सिन की हेल्प से डिलिवरी के समय मांसपेशियों को ढीला करने में मदद मिलती है। प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में एसिड रिफ्लक्स की समस्या से बचने के लिए खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में प्रोलेक्टिन हॉर्मोन की अधिकता
प्रोलेक्टिन हॉर्मोन स्तनपान के लिए जिम्मेदार ऊतक को उत्तेजित करने का काम करता है। प्रोलेक्टिन का स्तर गर्भावस्था के आखिरी समय पर बहुत बढ़ जाता है। ये करीब 10 गुना तक बढ़ जाता है। आप कह सकते हैं कि जब तक डिलिवरी नहीं हो जाती है, प्रोजेस्ट्रान और एस्ट्रोजन के कारण दूध प्रोड्यूस नहीं होता है। ये कोलोस्ट्रम को तैयार करने का काम करता है। मां का पहला गाढ़ा पीला दूध यही होता है। ये भी हो सकता है कि जन्म को तुरंत पहले कुछ दूध का रिसाव हो जाए।
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में संकुचन के लिए ऑक्सिटोसिन
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में आपका डॉक्टर आपको सिंथेटिक ऑक्सिटोसिन दे सकता है या पिटोसिन नामक दवा दे सकता है। ऑक्सिटोसिन संकुचन पैदा करने का काम करती है। साथ ही ये गर्भाशय ग्रीवा को सॉफ्ट बनाने का काम करती है। ये लिगामेंट्स को ढीला करती है ताकि डिलिवरी के समय किसी प्रकार की दिक्कत न हो।
प्रसव के तुरंत बाद क्या हॉर्मोनल बदलाव होते हैं?
जैसे ही आप बच्चे को जन्म देती हैं, शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन का सिकरीशन होता है। ये डिलिवरी के समय उत्पन्न हुए दर्द को सही करने का काम करता है। ये हॉर्मोन 24 घंटे के लिए काम करता है। प्लासेंटा के शरीर से बाहर निकलने के बाद एस्ट्रोजन, रिलैक्सिन, एचसीजी और एचपीएल जैसे हॉर्मोन का लेवल कम हो जाता है।
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प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में दिख सकते हैं ये बदलाव
- पीठ या कूल्हे में दर्द
- पेट में दर्द
- सांस लेने में तकलीफ महसूस होना
- स्तन का बढ़ा हुआ महसूस होना
- वजन अधिक बढ़ जाना
- तरल पदार्थ का योनी से लीक होना
- पेट में खिचांव स्ट्रेच मार्क्स के निशान आ जाना
- पेट में बच्चे का अधिक मूमेंट फील होना
- सोते समय स्थिति बदलने में परेशानी होना
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प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में मूड स्विंग
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में हार्मोन के बदलाव के कारण महिलाओं में मूड स्विंग की समस्या भी पाई जा सकती है। ऐसे में अक्सर महिलाएं मूडी हो जाती हैं। कभी-कभी गर्भावस्था में होने वाले मूड स्विंग्स महिला के साथ पार्टनर और परिवार के सामने समस्या खड़ी कर देते हैं। गर्भावस्था के दौरान 20 प्रतिशत महिलाएं इन मूड बदलाव के कारण चिड़चिड़ी और परेशान रहती हैं। इस दौरान आपको लगातार चिंताएं होती हैं जो गर्भावस्था में मूड में बदलाव को बढ़ावा देती हैं। पार्टनर को ऐसे समय में महिला का साथ देना चाहिए और उसे समझना चाहिए। प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग के लक्षणों में शामिल हैं,
- लगातार एंग्जाइटी और बढ़ता चिड़चिड़ापन
- नींद संबंधी परेशानियां
- खाने की आदतों में बदलाव
- बहुत लंबे समय तक किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता
- शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में नींद न आने की समस्या
प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में हार्मोनल बदलाव के कारण बहुत से परिवर्तन होते हैं। ऐसे में नींद ना आना भी समस्या खड़ी कर सकता है। अधिकतर महिलाओं को सोते समय बेचैनी महसूस हो सकती है। कई बार लेट जाने के बाद भी बड़े पेट के कारण महिलाओं को करवट लेने में समस्या महसूस होती है, और वे सो नहीं पाती। नींद ठीक से न ले पाने के कारण अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं। बेहतर होगा कि इस बारे में एक बार डॉक्टर से बात करें।
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प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में हाइपरपिग्मेंटेशन
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही के दौरान हार्मोन में बदलाव के कारण होने वाली हाइपरपिग्मेंटेशन से मोल्स और फ्रीकल्स के रंग में बदलाव हो सकता है। मोल्स, फ्रीकल्स और बर्थमार्क हार्मफुल नहीं होते हैं। अगर आपको शरीर में कुछ बदलाव महसूस हो रहा है तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क करें। मोल्स और बर्थमार्क के साइज में परिवर्तन देखकर आपको डरने की जरूरत नहीं है। प्रेग्नेंसी में हार्मोन के बदलाव के कारण काले पैच भी बन सकते हैं। स्किन पिगमंटेशन अक्सर फेड या डिसअपीयर हो सकते हैं। बेहतर होगा कि चेंज दिखने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें। कुछ लक्षण त्वचा कैंसर का कारण भी हो सकते हैं। ऐसा आपके साथ हो, ये जरूरी नहीं है। सावधानी ही खतरे से बचने का पहला उपाय है।
हम उम्मीद करते हैं कि प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में होने वाले हॉर्मोनल बदलाव पर आधारित यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अगर आपको प्रेग्नेंसी की तीसरी तिमाही में शरीर में कुछ बदलाव नजर आ रहे हैं तो बिना डरे डॉक्टर से परामर्श करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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