बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं होने का जोखिम सबसे अधिक होता है। बढ़ती उम्र में बहुत सी शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं। जिससे जूझना बहुत मुश्किल हो जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही स्वास्थ्य समस्याएं होने भी शुरू हो सकती है। ऐसे में बुजुर्ग लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों को समझना महत्वपूर्ण हो सकता है, जिससे बचने के लिए ऐसे उपाय कर सकें जो अपने नजदीकी बुजुर्गों को मदद कर सकें। आइए जानते है ऐसी बीमारियां जो बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
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जानिए बुढ़ापे में होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं
दरअसल, बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं तब अधिक हो सकती हैं, जब उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। उम्र बढ़ने के साथ ही, बुजुर्गों की प्रतिरक्षा प्रणाली भी घटने लगती है। जिससे बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं भी अधिक बढ़ सकती हैं, जिनमें शामिल हो सकती हैंः
लगातार बिगड़ती शारीरिक स्थिति
बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं जैसे, हृदय रोग (Heart disease), स्ट्रोक, कैंसर (Cancer) और मधुमेह सबसे आम और पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों में से एक हो सकती हैं। इसके कारण हर साल कई मौतें भी होती हैं। कई डॉक्टर का मानना है कि, बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं या बढ़ती उम्र में स्वास्थ्य समस्याएं कम हो इसलिए पोषक आहार की मात्रा अपनी डायट में बनाए रखना जरूरी हो सकता है। इससे आपको आपकी पुरानी बीमारियों को प्रबंधित करने या रोकने में मदद मिल सकती है। साथ ही, रोज व्यायाम करने की भी की सलाह दी जाती है। इसके अलावा मोटापा पुराने वयस्कों के बीच एक बढ़ती हुई स्वास्थ्य समस्या है और इन जीवन शैली की मदद से होने से मोटापा और संबंधित पुरानी स्थितियों को कम करने में मदद मिल सकती है।
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कॉग्निटिव हेल्थ (संज्ञानात्मक स्वास्थ्य)
बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं उनके सोचने, सीखने और याद रखने की क्षमता पर भी प्रभाव डाल सकता है। बुजुर्गों के सामने सबसे आम परेशानी स्वास्थ्य समस्याएं ही हो सकती हैं। दुनिया भर में ज्यादातर सभी लोगों को डिमेंशिया की समस्या होती है। डिमेंशिया का सबसे आम रूप अल्जाइमर होता है। एक शोध के अनुसार, डिमेंशिया के अलावा अन्य पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों और बीमारियों से डिमेंशिया विकसित होने का खतरा अधिक बढ़ जाता है, जैसे शराब का सेवन, डायबिटीज की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, डिप्रेशन की समस्या, एचआईवी और स्मोकिंग की लत। हालांकि मनोभ्रंश जैसी स्थिति के लिए पूरी तरह से सफल उपचार नहीं है, लेकिन फिर भी परिवार के सदस्यों के अच्छे व्यवहार और दवाओं की मदद से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं
वरिष्ठ लोगों में एक सामान्य मानसिक विकार डिप्रेशन है, जो बुजुर्गों की आबादी के सात प्रतिशत में होता है। इस मानसिक विकार को अक्सर कम करके नापा जाता है। दुनिया में आत्महत्या से होने वाली मौतों में अधिक वृद्धों की संख्या है। क्योंकि अवसाद पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों का एक सबसे बड़ा कारण हो सकता है। बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं और डिप्रेशन की समस्या को कम करने के लिए अपने स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के विकल्पों पर विचार करें। साथ ही, ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार, दोस्तों और करीबी लोगों के साथ गुजारने की कोशिश करें। इसके अलावा आप किसी बुजुर्गों के ग्रुप से भी जुड़ सकते हैं। जहां पर वो अपनी किसी भी तरह की समस्याओं के बारे में खुलकर एक-दूसरे से बात कर सकते हैं।
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शारीरिक चोट
उम्र होने के कारण बुजुर्ग अपना शारीरिक संतुलन नहीं संभाल पाते हैं, इसलिए, बुजुर्गों को गिरने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। हालांकि, ऐसी स्थिति में कई बार आपातकालीन चिकित्सा की सहायता की जरूरत हो सकती है। इन शारीरिक चोटों के कारण कई बार बुजुर्गों की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में बुजुर्गों को शारीरक चोट से बचाए रखना बहुत जरूरी हो सकता है। क्योंकि उम्र बढ़ने के कारण हड्डियां सिकुड़ने लगती हैं और वे कमजोर भी होने लगती है। साथ ही, मांसपेशियां भी अपनी ताकत और लचीलापन खोने लगती हैं। जिससे कई बार सीनियर्स अपने शरीर का संतुलन खोने लगते हैं और गिरने के कारण चोट लगने या हड्डी टूटने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। इसके अलावा दो बीमारियां जिसे काफी खर्चीला भी माना जाता है, इनमें शामिल हैं ऑस्टियोपोरोसिस और ऑस्टियोअर्थराइटिस। इन बीमारियों का उपचार है, लेकिन इनके उपचार का कोर्स काफी लंबे तक का हो सकता है।
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50 वर्ष की आयु से अधिक उम्र के वयस्कों में एड्स (AIDS) का भी खतरा देखा जाता है। बढ़ती उम्र में सेक्स की जरूरत और सेक्स की इच्छा कई बार पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होती है। इसके अलावा ऐसा भी देखा जाता है कि, बुजुर्गों में अभी भी सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल करने की जानकारी का आभाव हो सकता है। जिसके कारण अधिकतर वरिष्ठ लोग सेक्स के दौरान कंडोम का उपयोग भी करना जरूरी नहीं समझते हैं। जिसके कारण कमजोर इम्यून सिस्टम वाले बुजुर्गों को एचआईवी होने का खतरा बढ़ जाता है। एचआईवी का देर से निदान करने पर उनमें एड्स की भी समस्या हो सकती है। साथ ही, असुरक्षित सेक्स करने से सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज होने का जोखिम भी अधिक बढ़ जाता है। जिसका उपचार बढ़ती उम्र में करना मुश्किल भरा भी हो सकता है।
कुपोषण का शिकार
65 वर्ष से अधिक उम्र के वयस्कों में कुपोषण की समस्या अक्सर ज्यादा देखी जाती है। कुपोषण के कारण कमजोर इम्यून सिस्टम (Immune System) और मांसपेशियों की कमजोरी सबसे आम समस्या हो जाती है। कुपोषण के कारणों से बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं भी अधिक बढ़ सकती हैं। कुपोषण से बचने के लिए उन्हें अपने दैनिक आहार में उचित मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन शामिल करना चाहिए। साथ ही, अपने खाना खाने के तरीके से लेकर खाना खाने के समय में भी जरूरी बदलाव करना चाहिए। भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए। उन्हें अपने आहार में जाते फलों और सब्जियों के साथ-साथ लो फैट वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा शामिल करनी चाहिए। साथ ही, बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं रोकने के लिए उनके आहार में नमक, चीनी और मिर्च-मसालों की मात्रा भी काफी कम और सीमित करनी चाहिए। इसके अलावा, अगर आप अपने परिवार के किसी बुजुर्ग सदस्य के खान-पान का वहन नहीं कर सकते हैं, तो आप ओल्ड एड होम की भी मदद ले सकते हैं।
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हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं देता है। अगर बुढ़ापे में स्वास्थ्य समस्याएं या इससे जुड़ा आपका कोई सवाल है, तो अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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