प्रकृति में ऐसी असंख्य जड़ी-बूटियां और अन्य चीजें पाई जाती हैं, जो हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। ऐसी ही एक हर्ब है जिसे ‘गोटू कोला’ (gotu kola)के नाम से जाना जाता है। गोटू कोला (gotu kola)नाम आपको सुनने में थोड़ा अलग या अजीब लग सकता है। लेकिन, इसके लाभों के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। इस जड़ी-बूटी के हीलिंग और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण इसका प्रयोग सदियों से दुनिया भर में किया जाता है। आयुर्वेद में इसे चमत्कारी जड़ी-बूटी भी कहा जाता है। जानिए इस औषधि के बारे में विस्तार से।
क्या है गोटू कोला?
गोटू कोला(gotu kola) का वैज्ञानिक नाम सेन्टेला एशियाटिका (Centella asiatica) है। इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है: जैसे ब्राह्मी बूटी, मण्डूकपर्णी, दिव्या, हाइड्रोकार्टाइल, इंडिसेर वास्सेर्नबेल, इंडियन पेनीवॉर्ट, इंडियन वाटर नेवेलॉर्ट, मैडेकासोल, व्हाइट रोट आदि। यह नमी वाली जगहों में अधिक पाई जाती है। इस जड़ी-बूटी के पत्ते हरे होते हैं और इस पौधे पर पिंक, सफेद या हलके बैंगनी रंग के फूल आते हैं।
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गोटू कोला(gotu kola) पार्सले परिवार से संबंधित एक जड़ी-बूटी है, जिसका प्रयोग चाइनीज और आयुर्वेदिक दवाईओं में किया जाता है। इस हर्ब के जमीन से ऊपर के हिस्सों का प्रयोग दवाई बनाने में किया जाता है। यह हमारी शरीर समस्यायों जैसे पुअर सर्कुलेशन को सही करने, घाव आदि के उपचार के लिए फायदेमंद है। यही नहीं, त्वचा के लिए भी इसके असंख्य फायदे हैं जैसे स्ट्रेच मार्क, दाग-धब्बों , मुहांसों, झुर्रियों को दूर करने और टाइट त्वचा पाने के लिए आदि। यानी, अगर आपको अपनी त्वचा से प्यार है तो इस जड़ी-बूटी को अपनी दोस्त बना लें। जानिए गोटू कोला के फायदे और साइड इफेक्टस के बारे में:
गोटू कोला कैसे काम करता है?
इस हर्ब को सेन्टेला एशियाटिका(Centella asiatica) के नाम से भी जाना जाता है। सेन्टेला एशियाटिका(Centella asiatica) में कुछ ऐसे केमिकल होते हैं, जिनके प्रयोग से सूजन में कमी आ सकती है और जिससे नसों में ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। इसके साथ ही गोटू कोला(gotu kola) कोलेजन उत्पादन को बढ़ाने में भी मदद करता है, जो घाव भरने के लिए महत्वपूर्ण है।
गोटू कोला के फायदे (gotu kola benefits)
सेन्टेला एशियाटिका(Centella asiatica) अमीनो एसिड, बीटा कैरोटीन, फैटी एसिडस और फायटोकेमिकल से भरपूर होता है। पोषक तत्वों का यह सुपर मिश्रण त्वचा को कई लाभ प्रदान करता है, जिसमें शक्तिशाली एंटी-एजिंग गुण भी शामिल हैं। गोटू कोला के फायदे(gotu kola benefits) इस प्रकार हैं:
स्ट्रेच मार्कस को हल्का करे
एक शोध के मुताबिक गोटू कोला(gotu kola) स्ट्रेच मार्कस को कम करने में मददगार साबित हो सकता है। इस जड़ी-बूटी में पाए जाने वाले टेरपेनोइड्स शरीर में कोलेजन उत्पादन को बढ़ाते हैं। कोलेजन नए स्ट्रेच मार्क्स को बनने से रोकने में मदद कर सकता है, साथ ही किसी भी मौजूदा निशान को ठीक करने में भी सहायक है। आप स्ट्रेच मार्क वाली जगह पर ऐसी टोपिकल क्रीम का प्रयोग करे, जिसमें एक प्रतिशत गोटू कोला हो। इसे दिन में कई बार लगाएं।
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दाग-धब्बे हों छूमंतर
शोध के अनुसार गोटू कोला(gotu kola) में कई हीलिंग इफेक्ट होते हैं। यानी, इसमें घावों को ठीक करने के गुण होते हैं। इसके साथ ही यह दाग-धब्बों को कम करने में भी सक्षम है। दाग धब्बों से छुटकारा पाने के लिए गोटू कोला की क्रीम का दिन में कई बार इसका प्रयोग करें।
झुर्रियां को दूर करने में सहायक
गोटू कोला(gotu kola) ट्रिटर्निन सैपोनिन से भरा हुआ होता है। जो एक ऐसा कंपोनेंट है, जो त्वचा को टाइट बनाए रखने में मदद करता है। इसके साथ ही इसमें मौजूद अन्य तत्व एंटीऑक्सिडेंट का काम करते हैं। यह झुर्रियों की समस्या को कम करने में सहायक है। यह त्वचा को चमकदार बनाए रखने में भी मददगार है।
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उम्र बढ़ने के लक्षणों को करे कम
गोटू कोला(gotu kola) सर्कुलेशन को सुधारता है। इसके साथ ही यह कोलेजन और त्वचा के ऊतकों के संश्लेषण को भी सही करता है। कोलेजन युथ कॉम्प्लेक्शन बनाए रखने के लिए आवश्यक है। प्राकृतिक कोलेजन जन्म के साथ कम हो जाता है। अपने रोजाना के स्किनकेयर रूटीन में इसे शामिल करने से आपकी त्वचा टाइट होगी। जिससे चेहरे पर फाइन लाइनस, झुर्रियां और अन्य समस्याएं दूर होंगी।
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घावों को भरने में सहायक
ऐसा माना जाता है की गोटू कोला(gotu kola) घावों को भरने में भी मदद करता है। सेंटेला एशियाटिक घावों के स्थल पर एंटीऑक्सिडेंट गतिविधि को बढ़ाता है। यही नहीं यह त्वचा को मजबूत करता है और रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है। यह एक्जिमा, सोरायसिस, नसों और खिंचाव के निशान को दूर करने में भी फायदेमंद है। अगर आपका घाव गहरा है तो डॉक्टर की सलाह के बिना इसका प्रयोग न करें।
गोटू कोला(gotu kola) के अन्य लाभ
- दिमाग के लिए यह हर्ब बेहद लाभदायक है। याददाश्त बढ़ाने में भी इसे सहायक माना गया है।
- चिंता और अवसाद के लक्षणों को कम करने के लिए भी इस हर्ब का प्रयोग किया जा सकता है।
- रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
- पेट के अल्सर से आराम दिलाने में भी फायदेमंद है।
- लिवर के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
- अल्जाइमर रोग में राहत के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।
इस बात का रखें ध्यान
किसी भी टोपिकल मेडिकेशन को त्वचा पर लगाने से पहले आपको यह टेस्ट कर लेना चाहिए कि इससे लगाने के बाद आपको कोई समस्या तो नहीं हो रही। अगर इसे लगाने के चौबीस घंटों तक आपको किसी तरह की जलन या अन्य समस्या न हो। तो यह पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन अगर आपको समस्या होती है तो इसका प्रयोग न करें।
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गोटू कोला के साइड इफेक्ट (gotu kola side effects)
गोटू कोला(gotu kola) को अधिकतर लोगों के लिए सुरक्षित माना गया है। हालांकि, कुछ लोगों के लिए इसके हलके साइड इफेक्ट हो सकते हैं जैसे मतली और पेट दर्द। बहुत कम लोगों में इसके सेवन से लिवर संबंधी समस्याएं देखी गई हैं। अगर आप इसका प्रयोग त्वचा पर लगाने के लिए करते हैं, तो कुछ लोग त्वचा में खुजली या लालिमा को भी अनुभव कर सकते हैं।
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गर्भावस्था और स्तनपान कराने की स्थिति में गोटू कोला के साइड इफेक्टस (gotu kola side effects)
त्वचा पर गोटू कोला का प्रयोग गर्भवती महिलाओं के लिए सुरक्षित माना गया है। लेकिन ओरल यानी मुंह के माध्यम से इसका सेवन गर्भवती महिलाएं के लिए कितना सुरक्षित है, इस बार की जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसी तरह से स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए यह सुरक्षित है या नहीं, इस बारे में भी पर्याप्त जानकारी मौजूद नहीं है। ऐसे में सुरक्षित रहें और इस स्थित में इस हर्ब का उपयोग करने से बचें।
लिवर संबंधी रोग
ऐसा माना जाता है कि गोटू कोला(gotu kola) के प्रयोग से लिवर संबंधी समस्याएं हो सकती है। जिन लोगों को पहले से ही लिवर संबंधी समस्याएं हैं। उन्हें इसका सेवन करने से बचना चाहिए। क्योंकि, इसे लेने से लिवर संबंधी समस्याएं बदतर हो सकती हैं।
सर्जरी
गोटू कोला(gotu kola) को अगर सर्जरी के बाद या सर्जरी के दौरान प्रयोग होने वाली दवाइओं के साथ लिया जाए। तो ऐसे में अधिक नींद आने की समस्या हो सकती है। अगर आपकी सर्जरी होनी है तो उससे कम से कम दो हफ्तों पहले ही इस दवाई को लेना बंद कर दें।
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गोटू कोला(gotu kola) के बारे में कुछ खास बातें
- गोटू कोला(gotu kola) का प्रयोग लंबे समय से होता आ रहा है। 17 वीं शताब्दी से ही गोटू कोला से बनी दवा का अफ्रीका, भारत, जावा, फ्रांस, श्रीलंका और फिलीपींस में किया जाता रहा है।
- इस जड़ी-बूटी का एक्जिमा, सोरायसिस, लुपस(lupus) और महिला विकारों के इलाज के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया है। भारत में, इसे टाइगर जड़ी बूटी के रूप में जाना जाता है।
- गोटू कोला(gotu kola) का पारंपरिक चीनी चिकित्सा में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। चीनी चिकित्सकों ने इसका उपयोग अपनी लंबी उम्र के गुणों के लिए और सर्दी, बुखार व इन्फ्लूएंजा वायरस के इलाज के लिए किया है।
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- श्रीलंका में, इसे “लंबी उम्र की जड़ी बूटी’ के रूप में जाना जाता है। क्योंकि, हाथियों को यह पत्तियां खाना पसंद है और हाथियों को उनके लंबे जीवन काल के लिए जाना जाता है!
- एशिया में, इसकी पत्तियों का उपयोग सलाद में किया जाता है और चावल में मसले हुए पत्तों को मिलाया जाता है। वियतनाम और थाईलैंड में, गोटू कोला(gotu kola) की पत्तियों को पेय में या सलाद में ड़ाल कर कच्चा खाया जाता है।
गोटू कोला(gotu kola) का उपयोग विभिन्न भारतीय व्यंजनों में भी किया जाता है। गोटू कोला के फायदे(gotu kola benefits) यही खत्म नहीं होते। विभिन्न संस्कृतियों में इसका उपयोग उपदंश(syphilis), पेचिश, कुष्ठ रोग, तपेदिक, त्वचा के घावों के इलाज के लिए किया है। इसका उपयोग दस्त और बुखार के उपचार में भी किया जाता है। लेकिन, इसके सेवन से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ले लें। अगर इसके सेवन से आपको कोई भी समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और अपना उपचार कराएं।