संतुलित और पौष्टिक आहार से ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। लेकिन, प्रायः हम सभी के मन में यह सवाल उठता है क्या खाएं और क्या नहीं ? ऐसा खासकर किसी बीमारी के दौरान और ज्यादा होता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि डेंगू में क्या खाएं और क्या न खाएं।
डेंगू से बचाव जरूरी
भारत में डेंगू कई राज्यों में फैला है। ऐसे में डॉक्टर्स मरीजों को इलाज के बाद भी पौष्टिक आहार खाने की सलाह देते हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल उठता है कि डेंगू में क्या खाएं, जो उनकी इस बीमारी से उबरने में मदद कर सके। डेंगू में आहार बहुत मायने रखता है कि ऐसे में वो चीजें खानी चाहिए, जो आपको तेजी से ठीक होने में मदद कर सके। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं, जिन्हें डेंगू से पीड़ितों को खाना चाहिए वहीं कुछ चीजों परहेज करना चाहिए।
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डेंगू में क्या खाएं
- पालक– पालक विटामिन, आयरन और ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है। ये सभी पोषक तत्व प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं और एक बेहतर प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से तेजी से ठीक होने में भी मदद करती है। ऐसे में डेंगू में क्या खाएं का जबाव पालक भी हो सकता है।
- अनार– लोगों के जेहन में अक्सर ये सवाल घूमता रहता है कि डेंगू में क्या खाएं। ऐसे में अनार भी एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। अनार आयरन का सबसे अच्छा स्रोत है। इसलिए यह ब्लड प्लेटलेट्स को बनाए रखने में मदद करता है। गिरते हुए ब्लड प्लेटलेट्स डेंगू वायरस के कारण होते हैं। यह थकान और थकावट को कम करने में भी मदद करता है। ऐसा बीमारी के दौरान मरीज महसूस कर सकते हैं।
- नारियल पानी– डेंगू की वजह से शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए नारियल पानी सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। नारियल पानी में पोषक तत्व के साथ-साथ इलेक्ट्रोलाइट्स भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। यह मरीज को तेजी से ठीक करने में मदद करता है।
- संतरा- संतरा पोषक तत्व, विटामिन और खनिज तत्व से भरा होता है। इसमें फाइबर भी उच्च मात्रा में मौजूद होता है और विटामिन सी से भरपूर भी है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट भी शरीर को लाभ पहुंचाने में मदद करता है।
- आहार- दिन और रात के खाने में हरी सभी, दाल और रोटी अवश्य खाएं।
- इसके अलावा किवी, ड्रेगन फ्रूट और पपीता भी डेंगू में बहुत फायदेमंद साबित होता है।
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अगर आप डेंगू से पीड़ित हैं तो निम्नलिखित खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।
- ऑयली (फ्राइड) खाद्य पदार्थ- इस समय के दौरान तैलीय भोजन से बचना चाहिए। हल्के आहार का चयन करना सबसे बेहतर विकल्प है। तैलीय भोजन में बहुत अधिक वसा होता है जिससे उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और उच्च कोलेस्ट्रॉल (हाई कोलेस्ट्रॉल) हो सकता है।
- कैफीन युक्त पेय पदार्थ- इस समय के दौरान शरीर को तरल पदार्थों की आवश्यकता होती है लेकिन, कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। इन ड्रिंक्स की वजह से हृदय गति, थकान और मांसपेशियों की समस्या शुरू हो सकती है। यह आपकी रिकवरी में बाधा डाल सकता है, इसलिए इनका सेवन न करें।
- मसालेदार भोजन- डेंगू के मरीजों स्पाइसी फूड का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। इससे पेट में एसिड की समस्या हो सकती है। कभी-कभी ज्यादा मसालेदार खाने की वजह से अल्सर भी हो सकता है। एक बीमारी से लड़ते-लड़ते मसालेदार खाने की वजह से आप दूसरी बीमारी को न्योता दे सकते हैं।
डेंगू के बारे में यह जानने की है जरूरत
डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है। डेंगू का मच्छर आमतौर पर दिन के दौरान काटता है और साफ पानी में ब्रीडिंग करता है। यह गर्मी और उमस की स्थितियों में पनपता है। डेंगू के लक्षण इंफेक्शन होने के 3 से 14 दिन बाद दिखाई दे सकते हैं, जिसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, चकत्ते और आंखों के पीछे दर्द जैसे लक्षण सामान्य है। एक बार बुखार कम हो जाने पर, कुछ लोग डेंगू हेमोरेजिक बुखार,डीएचएफ (dengue hemorrhagic fever,DHF) से ग्रसित हो जाते हैं। डीएचएफ एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है। इसके लक्षणों में पेट में दर्द, उल्टी, ब्लीडिंग के साथ कम प्लेटलेट काउंट (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) भी शामिल हैं। गंभीर मामलों में व्यक्ति को मानसिक भ्रम(mental confusion), लिवर में सूजन(swelling of the liver ) और सरक्यूलेट्री सिस्टम फेल्योर (circulatory system failure) भी हो सकता है। डेंगू का कोई टीका( vaccine) नहीं है। रोकथाम के लिए मच्छर के काटने से बचना और वेक्टर की ब्रीडिंग को ही रोका जा सकता है।
भारत में कहां से आया डेंगू?
भारत में डेंगू की शुरुआत हरियाणा से 1996 में हुई थी। इसके बाद ये बीमारी दिल्ली, चंडीगढ़, पांडिचेरी, बैंगलोर, कर्नाटक, लुधियाना और लखनऊ जैसे बड़े हिस्सों को प्रभावित कर चुकी है। 1988 से 1989 के बीच डेंगू के कई बड़े मामले गुजरात के हिस्सों में भी पाए गए थे और फिर यह लगातार बढ़ता चला गया।
उत्तर प्रदेश में हुए सर्वे में पाया गया कि गांवों में डेंगू से पीड़ित लोग 53. 4 % हैं जबकि शहरों में डेंगू के मरीजों की संख्या कम है। ऐसा इसलिए भी हो सकता है क्योंकि शहरों में साफ सफाई और चिकित्सा के साधन गांवों की तुलना में अधिक हैं।
डेंगू के उपचार:
मेथी के पत्ते हैं फायदेमंद:
डेंगू के उपचार के लिए मेथी के पत्तों को उपयोगी माना जाता है। इसके लिए एक चम्मच मेथी के सूखे पत्ते को एक गिलास पानी में डालकर उबालें। अब पानी छान लें और चाय की तरह इसे पीएं। मेथी में एंटी-इन्फलामेटरी और एंटीपायरेटिक प्रॉपर्टीज होती हैं जो बुखार को कम करने में मददगार हैं।
बकरी का दूध:
डेंगू के उपचार के लिए बकरी के दूध को वरदान समान माना जाता है। इस बुखार में शरीर में सेलेनियम और ब्लड प्लेटलेट्स में तेजी से कमी आने लगती है। इसके इलाज के लिए बकरी का दूध बेहद फायदेमंद होता है। यह शरीर में सेलेनियम की कमी पूरी करता है और प्लेटलेट भी बढ़ाता है।
कीवी भी है प्रभावशाली:
पोषक तत्वों से भरपूर कीवी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। इसमें मौजूद मिनरल, आयरन और विटामिन इम्युनिटी और प्लाजमा में सुधार करते हैं। डेंगू के उपचार के लिए इसे भी बेहद उपयोगी माना जाता है।
बीमारी के दौरान आहार से जुड़ी जानकारी अपने डॉक्टर से जरूर लें। अगर आपको किसी भी खाद्य पदार्थ से एलर्जी है, तो इसकी जानकारी डॉक्टर को जरूर दें।
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