कोरोना वायरस की दहशत के बीच उत्तर प्रदेश में स्वाइन फ्लू तेजी से पैर पसार रहा है। हाल ही में यूपी में स्वाइन फ्लू से पीड़ितो की संख्या में अचानक इजाफा हुआ है। प्रदेश में अब तक इसके सौ मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 79 केस सिर्फ मेरठ जिले से हैं, जिनमें से 20 पीएसी जवान शामिल हैं। मेरठ के सीएमओ डॉ. राजकुमार ने कहा, ‘स्वाइन फ्लू के कुल 79 मामले आए हैं और करीब 8 लोगों की इससे मौत हुई है। स्वाइन फ्लू को लेकर जिले में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। लोगों में इसके प्रति खौफ बना हुआ है क्योंकि बीते कुछ सालों में इस बीमारी से कई लोगों की मौत हुई है। स्वाइन फ्लू एक तेजी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इसके बारे में जानकारी होना बेहद जरूरी है। जानिए स्वाइन फ्लू के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में।
स्वाइन फ्लू से बचाव से पहले जानें स्वाइन फ्लू (H1N1) क्या है?
स्वाइन फ्लू को एच1एन1 और शूकर इंफ्ल्यूएंजा के नाम से भी जाना जाता है। व्यक्ति की श्वास प्रणाली पर हमला करने वाला यह रोग शूकर यानी कि सुअर में पाया जाता है। पहले यह बीमारी सिर्फ सुअरों को होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से यह इंसानों में भी फैल रही है। पहले ये बीमारी बीमार सुअरों से संपर्क में आने वाले लोगों में हुई इसके बाद ये इंसानों से इंसानों में फैल गई।
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स्वाइन फ्लू (H1N1) के लक्षण
स्वाइन फ्लू से पीड़ित लोगों में अक्सर निम्नलिखित लक्षण नजर आते हैं:
- बुखार (Fever)
- ठंड लगना (Chills)
- गले में खराश (Sore throat)
- नाक का बहना (Runny nose)
- सांस लेने में दिक्कत होना (Trouble in breathing)
- खांसी (Cough)
- शरीर में दर्द (Body Pain)
- सिरदर्द की समस्या (Headache)
- थकान (Fatigue)
- दस्त (Diarrhea)
- मतली और उल्टी (Nausea and Vomitting)
- लाल आंखें (Red Eyes)
- आंखों से पानी बहना (Watery Eyes)
स्वाइन फ्लू (H1N1) के पीड़ितों को अक्सर सर्दी और जुकाम से शुरुआत होती है। ऐसे में यह पहचान पाना बेहद मुश्किल होता है कि यह साधारण सर्दी है या स्वाइन फ्लू के लक्षण। कई बार लोग स्वाइन फ्लू को आम बुखार समझ लेते हैं या ठीक इसका उलट।
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ज्यादातर मामलों में लोगों को स्वाइन फ्लू के लक्षण समझने में बहुत देरी हो जाती है। शुरुआत में इसके लक्षण को लोग साधारण बुखार समझ लेते हैं। तीन दिन के अंदर यदि इसका इलाज नहीं मिलता तो खतरा अधिक बढ़ जाता है। इसलिए यदि आपको ऊपर बताए कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। अगर समय पर सही इलाज न मिल पाए तो स्वाइन फ्लू की बीमारी से व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। कुछ मामलों में स्थिति ज्यादा गंभीर हो सकती है, जिनमें शामिल है:
- गर्भवती महिला का आंठवा या नौवा महीना चल रहा हो (Pregnant women)
- पांच साल से कम उम्र के बच्चे (Children under age of 5)
- नवजात बच्चे (Newborn)
- 65 से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग (Elderly over 65)
- अस्थमा, डायबिटीज और हृदय रोगों से ग्रसित लोग (Asthma, Diabetes, Heart Patients)
- लिवर पेशेंट्स (Liver Patients)
- एचआईवी पेशेंट्स (HIV Patients)
स्वाइन फ्लू से बचाव:
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें
यदि आप पहले से बीमार हैं तो घर से बाहर न निकलें। जिन लोगों को फ्लू की शिकायत है उनसे दूरी बनाकर रखें। भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं। जितना हो सकें आराम करें। ऐसा इसलिए क्योंकि जितना आपका शरीर आराम करता है उतना ही इम्यून सिस्टम बीमारी से लड़ने में बेहतर काम करता है। जितना हो सके उतना पानी, नारियल पानी और फलों के जूस का सेवन करें। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए घर के सभी सदस्यों को हाइजीन से जुड़ी जानकारी दें। हाथों को धोना न भूलें। खांसी या छींक के लिए साफ रुमाल का इस्तेमाल करें। अगर घर में बच्चे, बुजुर्ग या प्रेग्नेंट महिला है तो उनका खास ध्यान रखें। स्वाइन फ्लू से बचने के लिए वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध है। ध्यान रखें कि 6 महीने से छोटे बच्चों को वैक्सीनेशन नहीं दी जाती है।
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स्वाइन फ्लू से बचाव के बाद जानिए इसका ट्रीटमेंट
स्वाइन फ्लू के ट्रीटमेंट में इसके लक्षणों को कम करने का प्रयास किया जाता है। इसके लिए एफडीए द्वारा चार एंटीवायरल दवाओं को निर्देशित किया गया है। निम्नलिखित दवाओं का इस्तेमाल स्वाइन फ्लू के गंभीर और हल्के लक्षणों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- ओसेलटामिविर (टेमीफ्लू) (Oseltamivir)
- जनामिविर (रेलेंजा) (Zanamivir)
- पेरामिविर (रेपिवैब) (Peramivir)
- बालोकाविर (Baloxavir)
हालांकि, इन दवाओं को खुद से न लें। दवाओं के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करें। निम्नलिखित स्थितियों में डॉक्टर इन दवाओं का इस्तेमाल करने की सलाह नहीं देते हैं:
- यदि आप लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रसित हैं और आपका ट्रीटमेंट चल रहा है
- 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ये दवा रिकमेंड नहीं की जाती है
- प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए यह दवा सुरक्षित नहीं है
- दो साल से कम उम्र के बच्चों को भी ये दवा नहीं दी जाती हैं
- अस्थमा, हृदय रोग, डायबिटीज (मधुमेह), न्यूरोमस्कुलर रोग, किडनी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं या लिवर के रोग होने पर
- एचआईवी एड्स होने पर भी इन दवाओं का सेवन करने की मनाही है
स्वाइन फ्लू के घरेलू उपचार
स्वाइन फ्लू से बचाव में मदद करेंगी खाने पीने की ये चीजें
तुलसी (Basil)
तुलसी भी स्वाइन फ्लू के उपचार के लिए मददगार है। इसमें एंटी-फंगल, एंटी-पायरेटिक, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-सेप्टिक, एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-कैंसर गुण होते हैं। इसके अलावा इसमें विटामिन के, विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और मैंगनीज जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए बेहद आवश्यक हैं। स्वाइन फ्लू में सांस संबंधी परेशानी होती है। तुलसी गले और फेफड़ों को साफ रखती है। इसके साथ ही ये आपकी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करके उसे संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए तुलसी के पत्ते, बीज और जड़ का प्रयोग आयुर्वेदिक औषधि के तौर पर किया जाता है।
लहसुन (Garlic)
भारत में ज्यादातर सभी घरों में खाना बनाने के दौरान लहसुन का इस्तेमाल किया जाता है। इसका वानस्पातिक नाम एलियम सैटिवम (Allium sativum) है। एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुणों से भरपूर लहसुन विटामिन, कैल्शियम, मैंगनीज और आयरन का अच्छा स्त्रोत है। लहसुन में एलिसिन होता है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए बढ़ावा देती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए बेहतर होगा रोजाना सुबह लहसुन की दो कलियां गर्म पानी के साथ लें।
यदि आपको खांसी , बुखार और शरीर में दर्द जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो बिना देरी करे डॉक्टर से संपर्क करें। गर्भवती महिला, क्रोनिक डिसीज जैसे अस्थमा, डायबिटीज, दिल संबंधित परेशानी आदि से पीड़ित लोगों को सतर्कता बरतने की जरूरत है। आपको ऊपर बताए लक्षण ज्यादा दिनों से है तो लापरवाही बरतने कि बजाय तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
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हरी पत्तेदार सब्जियां (Green Leafy Vegetables)
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए डायट में हरी पत्तेदार सब्जियों को ज्यादा से ज्यादा शामिल करें। हरी सब्जियों में विटामिन-सी और विटामिन-ई प्रचुर मात्रा में होते हैं। यदि आप सोच रहे हैं हरी सब्जियों में क्या खाएं तो आप फूल गोभी, पालक, पत्ता गोभी, तोरी, लौकी और भिंडी का सेवन कर सकते हैं। इनका सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, जिससे किसी भी बीमारी से लड़ना आसान हो जाता है।
विटामिन-सी युक्त फलों का सेवन करें (Fruits with Vitamin C)
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए आप जितना हो सके विटामिन-सी युक्त फल जैसे लीची, अमरुद, कीवी, चेरी, ब्लैक्बेरी, पपीता, संतरा और स्ट्रॉबेरी का सेवन करें। इन सभी फलों का सेवन करने से आप बीमारी से लड़ पाएंगे। ध्यान रखें यदि आपको सर्दी-जुकाम की शिकायत है तो खट्टे फलों का सेवन न करें। यदि आपको इनमें से किसी फल से एलर्जी है तो उसका सेवन भी एवॉइड करें।
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हम आशा करते हैं आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा। हैलो हेल्थ के इस आर्टिकल में स्वाइन फ्लू से जुड़ी हर जानकारी देने की कोशिश की गई है। यदि आप स्वाइन फ्लू से बचाव या इससे जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। आपको हमारा यह लेख कैसा लगा यह आप हमें कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं।
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