एजिंग (Ageing) उम्र के बढ़ने की प्रक्रिया है। एजिंग शब्द को अधिकतर मनुष्य और जानवरों की बढ़ती उम्र (Ageing) के लिए प्रयोग किया जाता है। समय के साथ मनुष्य में कई बदलाव आते हैं, जिनमें शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक आदि बदलाव शामिल हैं। वृद्धावस्था को जीवन का अंतिम चरण माना जाता है। क्योंकि, इसमें मनुष्य शारीरिक और मानसिक दृष्टि से बेहद कमजोर होता है। हालांकि उम्र एक ही रात में नहीं बढ़ती बल्कि इसकी पूरी एक प्रक्रिया होती है। एजिंग (Ageing) प्रोसेस के दौरान 70% लोगों को लॉन्ग टर्म केयर की जरूरत होती है। एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) हमारे समाज का एक मुख्य और बड़ा हिस्सा है।
हमारे समाज में एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) को बहुत अच्छे नजरिए से नहीं देखा जाता और उसका कारण यही है कि उम्र के बढ़ने के साथ मनुष्य हर तरह से कमजोर हो जाता है। ऐसे में लोग उन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर देते हैं। जानिए एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) से जुडी कुछ खास बातों को और समझें उनकी समस्याओं को।
एजिंग की स्टेजेज (Stages of Ageing)
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) के बारे में जानने से पहले जानते हैं एजिंग स्टेजेज (Stages of Ageing) के बारे में। हमारे जीवन के कुछ चरण होते हैं जैसे बचपन, किशोरवस्था, युवावस्था आदि। वैसे ही एजिंग (Ageing) को भी कुछ स्टेजेज में बांटा गया है। एक्सपर्ट ने इसे पांच स्टेजेज में बांटा है। एजिंग की स्टेजिज (Stages of Ageing) इस प्रकार हैं :
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- इंडिपेंडेंस (Independence)
- इंटर डिपेंडेंस (Inter depence)
- डिपेंडेंसी (Dependency)
- क्राइसिस मैनेजमेंट (Crisis Management)
- एंड ऑफ लाइफ (End of Life)
जानिए कैसे यह स्टेजेज एजिंग कम्युनिटी (Stages of Ageing Community) को प्रभावित करती हैं
स्टेज 1: इंडिपेंडेंस (Independence)
इस स्टेज में बुजुर्ग अकेले की सब कुछ मैनेज कर सकते हैं और अपना काम खुद करते हैं। क्रोनिक बीमारियों को भी खुद मैनेज करते हैं और अपने स्वस्थ भविष्य के लिए खुद अपनी देखभाल करना सीखते हैं।
- लॉन्ग टर्म देखभाल (Long term care) में होने वाले खर्चों के बारे में जानते हैं।
- इस स्टेज में आप कानूनी निर्देश बनाएं, जिसमे आप अपनी देखभाल और वित्त के बारे में निर्णय ले सके।
- इसके साथ ही परिवार की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानें।
स्टेज 2: इंटरडिपेंडेंस (Inter depence)
- एजिंग (Ageing) की इस स्टेज में प्रियजनों जैसे परिवार, पार्टनर और दोस्त की मदद की जरूरत पड़ती है।
- व्यक्ति इस स्टेज में खुद को थोड़ा कमजोर महसूस करता है। यह अवस्था अपने आप में एक अनुभव की तरह है।
- इस स्टेज में आप दूसरों पर कुछ हद तक निर्भर होंगे।
- इस स्टेज में आप अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता करेंगे।
- शारीरिक अड़चनों और कुछ मानसिक समस्याओं (Mental Problems) के बारे में भी चिंता हो सकती है।
- रात में ड्राइविंग जैसी आसान चीजों में आपको मुश्किल होगी।
स्टेज 3: डिपेंडेंसी (Dependency)
इस स्टेज में व्यक्ति दैनिक जीवन की गतिविधियों में मदद के लिए दूसरों पर निर्भर रहता है। इस अवस्था के दौरान बुजुर्ग यह सब अनुभव करते हैं।
- ट्रांसपोर्टेशन, खाने, नहाने, कपड़े पहनने के लिए भी दूसरों की मदद चाहिए।
- इसमें पर्सनल केयर हेल्प (Personal Care Help) और थेरेपिस्ट्स की भी जरूरत होगी।
- इस स्टेज में लोगों से मिलना जुलना कम होगा।
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स्टेज 4: क्राइसिस मैनेजमेंट (Crisis Management)
- इस स्टेज पर बुजुर्ग शारीरिक और मानसिक समस्याओं और क्रोनिक दर्द से गुजर सकते हैं ।
- कई हेल्थ कंडीशंस (Health Conditions) परेशान करेंगी जिनमें उपचार और थेरेपीस की जरूरत होगी।
- अपनी अपनी याद, निर्णय, इम्पल्स कंट्रोल जैसी कॉग्निटिव समस्याओं (Cognitive problems) से निपटना पड़ेगा।
स्टेज 5: एंड ऑफ द लाइफ
- इस दौरान प्रियजनों की सबसे अधिक जरूरत होती है क्योंकि पूरी तरह से जीवन दूसरों पर निर्भर होता है।
- इस समय कई बार इमरजेंसी सेवाओं की जरूरत पड़ सकती है, जिससे आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभाव पड़ेगा।
- किसी भी बीमारी लक्षणों का बढ़ जाना।
- हॉस्पिटल से घर में रहने की अधिक इच्छा होगी। इसके साथ ही आपकी इच्छा किसी बीमारी का उपचार कराने की भी नहीं होगी।
भारत के शहरों में एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community in Urbans)
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) के बारे में जानने से पहले जानिए कि शहरों में एजिंग (Ageing) के बारे में। ऐसा माना जाता है कि आने वाले कुछ सालों में भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा बुजुर्ग होंगे। इस समय भारत में 15 करोड़ से भी अधिक लोगों की उम्र 60 साल से अधिक है। इसमें से लगभग पैंतीस प्रतिशत बुजुर्ग शहरों में निवास करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बुजुर्गों को भावनात्मक, शारीरिक और मानसिक देखभाल (Emotional, physical and mental care) की अधिक जरूरत होती है। यह भी माना जाता है कि गांव की तुलना में शहरों में रहने वाले बुजुर्ग अधिक उपेक्षित होने लगे हैं। क्योंकि, शहरों में अधिकतर लोग या जिन पर वो आश्रित होते हैं सभी अपने आधुनिक लाइफस्टाइल या नौकरी आदि में व्यस्त हैं। विकास की इस आंधी में आगे निकल चुके शहरों में बुजुर्गों का सम्मान और महत्व समझने वाले लोग कम ही हैं।
ऐसे में एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। जिसमें लोग एक दूसरे का ख्याल रख सकें, बात कर सकें और सुख-दुःख में उनके साथ रह सकें।
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एजिंग कम्युनिटी के लाभ (Benefits of Ageing Community)
इस बारे में दिल्ली के क्लीनिकल जनरल फीजिश्यन डॉक्टर अशोक रामपाल का कहना है कि एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) का अर्थ है एक समान उम्र के लोगों का एक साथ समय मिलना-जुलना और अधिक समय बिताना। इसका उन्हें जीवन, शरीर और दिमाग हर एक चीज पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हम किसी भी उम्र में अगर हम शारीरिक (Physical), मानसिक (Mental) या समाजिक (Social) रूप से एक्टिव नहीं रहते तो हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है। जैसे बीमारी से बचने के लिए व्यायाम जरूरी है, वैसे ही दूसरों से रिश्ता बनाना और मिलना-जुलना भी जरूरी है। जानिए क्या हैं एजिंग कम्युनिटी के लाभ (Benefits of Ageing Community):
कॉग्निटिव फंक्शन
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में बेहतर सोशल एक्टिविटीज (Social Activities) करने से हम शारीरिक और मानसिक रूप से व्यस्त रहते हैं। जिससे अल्जाइमर रोग ( Alzheimer’s disease) से बचने में मदद मिल सकती है। उम्र के बढ़ने पर यह रोग होने की संभावना अधिक होती है।
अच्छे भावनात्मक स्वास्थ्य को बनाए रखना
दूसरों के साथ जुड़ने से आपको अपना मूड पॉजिटिव (Mood Positive) बनाए रखने में भी मदद मिलती है। जिससे डिप्रेशन से भी मुक्ति मिल सकती है।
शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
सामाजिक रूप से सक्रिय बुजुर्ग शारीरिक रूप से भी अधिक सक्रिय होते हैं। इसके साथ ही जब वो अन्य लोगों के साथ मिलकर भोजन करते हैं तो अच्छे और बेहतर तरीके से उसका मजा ले पाते हैं। जिससे उनके टेस्ट बड्स (Taste Buds) के साथ ही मन को भी ख़ुशी मिलती है।
इम्यून सिस्टम को सही रखें
अध्ययनों से पता चलता है कि एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में रहने से इम्युनिटी सही रहती है, जिससे अन्य रोगों से बचने में मदद मिलती है।
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आराम की नींद
यदि आपको रात को सोने में कठिनाई होती है, तो ऐसा हो सकता है कि आप अकेला महसूस कर रहे हों। शोध से पता चलता है कि जिन लोगों के जीवन में अधिक दोस्त या अच्छे रिश्ते हैं , वे अन्य लोगों की तुलना में बेहतर नींद लेते हैं।
उम्र में वृद्धि
अपने सामाजिक दायरे को मजबूत बनाकर एक लंबा, खुशहाल जीवन जीने में मदद मिल सकती है। मित्र और प्रियजन आपको जीवन के दैनिक तनावों से निपटने में मदद करते हैं और अक्सर आपको एक हेल्दी लाइफस्टाइल (Healthy Lifestyle) जीने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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एजिंग कम्युनिटी (Ageing community) में आप कौन-कौन सी गतिविधियों को कर सकते हैं
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में आपको सामाजिक रूप से सक्रिय रहने में मदद मिलेगी। इससे स्वास्थ्य लाभ के साथ दूसरों के साथ जुड़े रहने से एक उद्देश्य की भावना और अपनापन की सही समझ भी पता चलती है। एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में आप इन गतिविधियों में भाग ले सकते हैं:
ग्रुप एक्सरसाइज (Group Exercise)
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में ग्रुप एक्सरसाइज करने से न केवल आपको अपनी फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस बनाने में मदद मिलेगी बल्कि आप को अपने शारीरिक पर मानसिक स्वास्थ्य में भी बदलाव महसूस होगा। कुछ कम्युनिटीज बुजुर्गों के लिए योगा (Yoga), चेयर एक्सरसाइजेज (Chair Exercises), वाटर एरोबिक्स (Water Aerobics) आदि प्रदान करती हैं।
वाकिंग (Walking)
अपने आसपास के क्षेत्र का चक्कर लगाना बुजुर्गों को एक्टिव बनाने के साथ ही नए दोस्त बनाने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।
गार्डनिंग (Gardening)
अगर आपको गार्डनिंग पसंद है तो एक्टिव रहने और दूसरे लोगों से कनेक्ट होने के लिए यह बेहतरीन तरीका है। मिट्टी खोदना, पेड़ लगाना, पानी देना आपको रिलैक्स महसूस कराएगा। इसके साथ ही आप अन्य लोगों से अपने गार्डनिंग एक्सपीरियंस भी शेयर कर सकते हैं।
किताबें पढ़ना (Reading Books)
अगर आपके लिए किताबें आपकी पक्की मित्र हैं तो आप किसी बुक क्लब का हिस्सा बन सकते हैं। जिन्हें खासतौर पर बुजुर्गों के लिए बनाया गया होता है। इससे आपको किताबों के साथ कुछ अन्य दोस्त भी मिल जाएंगे।
लाइफ स्टोरी एक्सरसाइजेज (Life Story experiences)
बुजुर्गों के लिए अपनी खुद की स्टोरी शेयर करने से अच्छा और कुछ नहीं हो सकता। आप इसमें अपने दोस्तों के साथ अपने जीवन की घटनाओं, तस्वीरों आदि को शेयर कर सकते हैं और उनसे भी उनके जीवन के बारे में जान सकते हैं। यह एक अच्छा अनुभव रहेगा।
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आर्ट क्लासेज (Art Classes)
अगर आपको आर्ट में रूचि है तो आप अपने अंदर के आर्टिस्ट को एक बार फिर से जीवित कर सकते हैं। एजिंग कम्युनिटी (Ageing community) में आर्ट क्लास के माध्यम से आप न केवल मजे कर सकते हैं बल्कि अपने जीवन में फिर से रंग भर सकते हैं। इसके साथ ही म्यूजिक, डांस या कुकिंग क्लास भी आपको नयी सुनहरी यादों को बनाने में मदद करेंगी।
वालंटियर बनें (Become a Volunteer)
एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) से आपको अपने अंदर के वालंटियर को बाहर लाने में मदद मिलेगी। अपनी इस इच्छा को न दबाएं। आपके आसपास ऐसे कई अस्पताल, स्कूल, सामुदायिक केंद्र और पशु आश्रय केंद्र होंगे। जो हमेशा सभी उम्र के विश्वसनीय स्वयंसेवकों की तलाश में रहते हैं। कई कॉलेज या वयस्क शिक्षा केंद्र विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को क्लासेज प्रदान करते हैं। जहां आप नई चीजें सीख सकते हैं और अपने दिमाग का विस्तार कर सकते हैं।
परिवार को न भूलें (Don’t neglect your Family)
जब आपको खाली समय मिले, तो अपने पोते या बच्चों की देखभाल करें या किसी प्रियजन को लंच पर ले जाएं। ये उन पारिवारिक रिश्तों को बनाए रखने और उन लोगों के जीवन में शामिल रहने के शानदार तरीके हैं। जो आपके लिए सबसे ज्यादा मायने रखते हैं।
नई तकनीक आजमाएं (Try New Technology)
कंप्यूटरों और टैबलेट्स का लाभ उठाएं। आपको सोशल मीडिया, ईमेल या स्काइप के माध्यम से उन दोस्तों या परिवार के साथ जुड़ने का सही तरीका मिलता है, जो पास में नहीं रहते हैं। एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में नए दोस्त बनाएं और कुछ नया करने की कोशिश करें।
क्या कहना है एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) के बारे में सीनियर्स का?
- चंडीगढ़ की रहने वाली 65 उम्र की उमा मेहता का कहना है कि एजिंग कम्युनिटी (Ageing Community) में रह कर उन्होंने अपने जीवन को फिर से जीना सीखा है। आजकल बच्चों के पास इतना समय नहीं है कि वो उनके साथ बैठें या बात करें। ऐसे में वो अपने एज ग्रुप के लोगों के साथ हफ्ते में कम से कम दो बार मिलती और समय बिताती हैं।
- दिल्ली के रिटार्ड बैंकर पवन कुमार भी अपने जीवन के इस चरण का मजा ले रहे हैं। उनका कहना है कि वो रोज अपने दोस्तों के साथ सुबह और शाम को घूमने के साथ-साथ स्विमिंग और योगा करते हैं। उनका कहना है कि जब से वो अधिक लोगों से मिलने और कम्युनिटी का हिस्सा बनें हैं उन्होंने खुद में बहुत बदलाव महसूस किया है।
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कोई भी खुशी परिवार के बिना पूरी नहीं होती। बच्चों को भी यह अहसास दिलाना चाहिए कि वो अपने माता-पिता की जरूरतों और उनको नजरअंदाज कर रहे हैं। इसके साथ ही हर व्यक्ति को रिलैक्स करने, कुछ नया सीखने और एन्जॉय करने का मौका मिलना चाहिए। उम्र के इस पड़ाव पर भी अपनी इच्छाओं, जुनून, चाहत को कम न होने दें। बल्कि अपने जीवन का एक नया चैप्टर शुरू करें।