शीर्षासन के नाम से ही आपको पता चल रहा होगा कि यह आसन सिर के बल किया जाता है। इस आसन को हेडस्टैंड (Headstand) भी कहा जाता है। अब शायद आप समझ रहे होंगे, कि हम किस योग के बारे में बात करने जा रहे हैं। शीर्षासन (Shirshasana) एक प्रकार का योग आसन है, जिसके कई तरह के शारीरिक लाभ मिलते हैं। साधारण तौर पर हमारी शरीर में जब कोई बीमारी होती है, तो उसे हम चिकित्सक द्वारा निर्धारित मेडिकेशन से ठीक कर लेते हैं। लेकिन जब मानसिक रूप से कोई समस्या होती है, तो इसका उपाय ज्यादातर दवाओं से ठीक नहीं किया जा सकता है।
जी हां, दरअसल कुछ मानसिक समस्या जैसे- अवसाद या डिस्थीमिया, माइग्रेन आदि। इनका इलाज हम लंबे समय तक मेडिकेशन से ठीक नहीं कर सकते हैं। ऐसी ही समस्याओं से राहत पाने के लिए कई प्रकार की योग मुद्राओं के बारे में बताया जाता है। तो यदि हम बात करें शीर्षासन की तो, यह मुद्रा आपको मानसिक तनाव से राहत देने में बहुत मदद कर सकता है। इससे हमारा पॉश्चर सुधरता है, ब्लड सर्कुलेशन सही होता है, दिल व सांस संबंधी समस्याओं और पेट के लिए भी शीर्षासन योगा काफी लाभदायक है। लेकिन इसको सही रूप से न करने से आपको कुछ जोखिमों का सामना भी करना पड़ सकता है। आइए जानते हैं शीर्षासन कैसे किया जाता है। इस योगासन को करने के लिए क्या-क्या स्टेप्स होते हैं।
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जानें शीर्षासन करने का सही तरीका
- शीर्षासन करने के लिए सबसे पहले आप एक मोटा मैट लेकर जमीन पर बिछा दें।
- अब दोनों घुटने मैट पर टिकाकर बैठ जाएं।
- शीर्षासन करने के लिए अब अपने दोनों हाथों को मैट पर मजबूती से टिकाएं।
- अब अपने सिर को अपने दोनों हाथों के बीच में लाएं। अपने शरीर को एक उल्टा “वी’ स्थिति में लाएं।
- अब धीरे-धीरे अपने पैरों की उंगलियों को मैट से ऊपर की तरफ उठाएं।
- धीरे से अपने पैरों को ऊपर की ओर बढ़ाएं। उन्हें जमीन से ऊपर बिल्कुल सीधा रखें।
- समान रूप से फोरआर्म्स के बीच में अपने वजन को डालें।
- अब अपनी पीठ को एकदम सीधा रखें।
- कम से कम 20-30 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहें।
- इस क्रिया के दौरान आपको सांस लेते और छोड़ते रहना है।
- यदि आप पहली बार शीर्षासन करने जा रहे हैं, तो दिवार का सपोर्ट या किसी व्यक्ति की मदद लेकर इस योगासन को पहले ट्राई करें और फिर धीरे-धीरे करने की आदत डालें।
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शीर्षासन करते समय ध्यान दें
- यदि आप पहली बार शीर्षासन करने जा रहे हैं, इसे अकेले या बिना सपोर्ट के ट्राई न करें।
- शीर्षासन करते समय एक संतुलित बैलेंस की जरूरत होती है। पहली बार करते समय यदि आपका बैलेंस बिगड़ सकता है।
- शीर्षासन करने के दौरान आपकी गर्दन में क्रैंप आ सकता है या आपको चोट लग सकती है।
- काफी प्रैक्टिस के बाद इसको स्वंय बिना सपोर्ट के ट्राई कर सकते हैं। लेकिन शुरूआत में इसको करते समय किसी सहयोगी, ट्रेनर या दिवार का सपोर्ट लेना न भूलें।
- बिना मैट के शीर्षासन न करें।
- यदि आपको कोई नई चोट या शारीरिक समस्या है, जिसके कारण यह आसन करने में आपको तकलीफ महसूस हो रही है, तो आप इस मुद्रा को ट्राई न करें।
- गर्भावस्था, मासिक धर्म के समय शीर्षाशन करने से बचें।
- यदि आप मोतियाबिंद से पीड़ित हैं, तो आपको इससे बचना चाहिए क्योंकि यह आंखों में दबाव बढ़ा सकता है।
- बहुत अधिक समय तक शीर्षासन मुद्रा में न रहें। इससे आपके लिए समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- उच्च रक्तचाप वाले लोगों को शीर्षासन करने से बचना चाहिए।
- गंभीर हृदय समस्याओं वाले लोगों को इससे बचना चाहिए।
- ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित लोगों को शीर्षासन नहीं करना चाहिए।
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आपको कब तक शीर्षासन में रहना चाहिए?
शीर्षासन को करने की अधिकतम अवधि पर अलग-अलग तरह के विचार हैं। कुछ लोग इसे अधिकतम 2 मिनट तक करने का सुझाव देते हैं, तो कुछ लोग 3-5 मिनट का सुझाव देते हैं। जहां अलग-अलग प्रकार की धारणा दी गई है। तो इसके उत्तर में यह कहा जाता है कि अगर आपकी बाहें, पीठ या गर्दन में इस मुद्रा को करते हुए थकान महसूस होने लगे तो आपको शीर्षासन मुद्रा से अपने नॉर्मल पुजिशन में आना चाहिए। धीरे-धीरे अभ्यास से आप लंबे समय तक इस मुद्रा में रह पाएंगे।
शीर्षासन करने के फायदे
आप सभी ने किसी न किसी को शीर्षासन मुद्रा करते हुए जरूर देखा होगा। लेकिन आज इसके फायदों के बारे में जानकर आप स्वंय इस योग को करने पर मजबूर हो जाएगें। आइए जानते हैं शीर्षान करने से हमें क्या-क्या फायदे हो सकते हैं।
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ब्रेन फंग्शन को मिलती है मजबूती
शीर्षासन मुद्रा आपके मस्तिष्क कोशिकाओं में शुद्ध रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है। जिससे वे स्वस्थ रूप से कार्य करते हैं। शार्षासन ब्रेन फंग्शन को मजबूत बनाता है। आपका ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे आप किसी भी कार्य को ज्यादा आसानी से कर सकते हैं।
तनाव कम करता है
कुछ लोग अत्यधिक तनाव के साथ जीवन व्यतीत करते रहते हैं। ऐसे लोगों को के लिए शीर्षासन बहुत मददगार हो सकता है। दरअसल शीर्षासन तनाव को कम करने में बहुत उपयोगी माना जाता है। इसलिए टेंशन फ्री रहने के लिए शीर्षासन योग करें।
मधुमेह का इलाज
शीर्षासन मुद्रा मधुमेह से राहत देने में मददगार हो सकता है। यह आपके शरीर के रक्त में शर्करा को चयापचय करने में मदद करता है। शीर्षासन रक्त के प्रवाह में वृद्धि के माध्यम से अग्न्याशय के काम को बढ़ाने में मदद करता है। यह रक्त में शर्करा के चयापचय में सुधार करता है।
अवसाद दूर करने में सहायक
जिन लोगों को अवसाद की समस्या होती है। उन लोगों को शीर्षासन अवश्य करना चाहिए। नियमित रूप से शीर्षासन करने से आप लंबे समय तक इस समस्या से मुक्त हो सकते हैं। जबकि मेडिकेशन के उपयोग से आपको लंबे समय तक राहत नहीं मिलती है। इसलिए आपको अवसाद, डिस्थीमिया या एंग्जायटी जैसे अन्य परेशानी रहती है, तो यह आसन आपके के लिए परफेक्ट है।
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स्ट्रेंथ बढ़ाता है
शीर्षासन करने वाले लोगों में आम लोगों की अपेक्षा अधिक शक्ति होती है। दरअसल नियमित रूप से जो लोग शीर्षासन करते हैं, उनकी स्ट्रेंथ बहुत अधिक होती है। यह स्ट्रेंथ बूस्टर के रूप में भी कार्य करता है।
पाचन क्षमता को करता है बेहतर
नियमित रूप से शीर्षासन करने वाले लोगों की पाचन शक्ति बहुत स्ट्रांग होती है। शीर्षाशन करने वाले लोगों में पाचन संबंधी समस्या देखने को नहीं मिलती है।
मजबूती करता है प्रदान
शीर्षासन करने से आपके अंदरूनी शरीर -साथ शरीर का ऊपरी हिस्सा भी मजबूत होता है। यह आपके कंधे, गला, सिर, स्पाइनल, पीठ को मजबूत करने का कार्य करता है।
बालों के झड़ने को रोकने के लिए उपयोगी
बालों का झड़ना आम है, लेकिन ध्यान न दिया जाए, तो आप गंजेपन का भी शिकार हो सकते हैं। लेकिन शीर्षासन के नियमित प्रैक्टिस के साथ बालों के झड़ने को कम किया जा सकता है। शीर्षासन रक्त प्रवाह को बढ़ाता है और आपके सिर को पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे बालों का गिरना कम होता है। हालांकि शीर्षासन पूरी तरह से झड़ गए बालों में सहायक नहीं हो सकता है। वहीं शीर्षासन करने से सफेद बालों की समस्या कम की जा सकती है। सफेद बाल से परेशान लोगों को यह योग अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए।
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अस्थमा के इलाज में सहायक
शीर्षासन अस्थमा के इलाज में बहुत लाभदायक होता है। इस योग को करने से श्वसन क्रिया में बहुत फर्क पड़ता है। तो सांस की समस्या को दूर करने के लिए शीर्षासन योग करना फायदेमंद माना जाता है। आप जानते ही है अस्थमा श्वसन से जुड़ी एक समस्या है। इस कारण सांस फूलने लगता है। ऐसे में शीर्षासन करने पर अस्थमा के रोगियों में काफी सुधार देखा जा सकता है।
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वजन कम करने में मददगार
शरीर के अनवांटेड फैट को कम करने के लिए शीर्षाशन मुद्रा बहुत कारगर मानी जाती है। इसको नियमित रूप से करने से शरीर के अनचाहे फैट से छुटकारा मिल जाता है। इससे आपके शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर तरह से होता है।
ध्यान केंद्रित करने में है सहायक
जब आप उल्टा यानि सिर के बल खड़े हो जाते हैं, तो आपके मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह बढ़ जाता है। यह मानसिक कार्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है और आप ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। भय और चिंता को कम करने में मदद करने के साथ, शीर्षाशन आपके दिमाग को तेज और स्पष्ट रखने की क्षमता को बढ़ाता है।
पैर, टखनों, और पैरों में द्रव्य बिल्ड-अप कम हो जाता है
पैरों में एडिमा की समस्या तब हो सकती है, जब आपके पैर के निचले हिस्से में अधिक मात्रा में द्रव्य इकठ्ठा हो जाता है। एडिमा को ठीक करने के लिए यह पैरों में द्रव्य के बिल्डअप को कम करने में मदद करता है। जिससे यह समस्या दूर होती है।
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फेफड़ों का कार्य बेहतर करता है
यह फेफड़े की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने में मददगार होता है। यह फेफड़े की समस्या से राहत दिलाने में भी मदद करता है।
सेंसेशन को बढ़ाता है
शीर्षासन मुद्रा का अभ्यास शरीर में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाता है। इसको करने से सुनने की समस्या, मायोपिया जैसी विभिन्न समस्याओं को पूरी तरह से ठीक करते हुए संवेदी अंगों के कार्यों को बढ़ाता है।
उच्च रक्तचाप के लिए उपाय
उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों के लिए शीर्षासन एक बेहतरीन उपाय है। यह स्थिति रक्त प्रवाह को बहुत बढ़ाती है और रक्तचाप को सामान्य करती है। लेकिन अगर आपका ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा बढ़ा रहता है, तो ऐसी स्थिति में शीर्षासन न करें।
माइग्रेन के लक्षण कम करने में मददगार
जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या है, वो यह जानते है की माइग्रेन का इलाज पूरी तरह से मेडिकेशन द्वारा नहीं किया जा सकता है। लेकिन शीर्षाशनयोग करने से आपको माइग्रेन के लक्षणों से राहत मिल सकती है।
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लिम्फेटिक सिस्टम
लिम्फेटिक सिस्टम रक्त से ऊतकों और अपशिष्ट उत्पादों से तरल पदार्थ को हटाने का कार्य करता है। जब आप अपने सिर के बल खड़े होते हैं, तो आपका लिम्फेटिक सिस्टम उत्तेजित हो जाता हैं और शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटाने में सहायता करते हैं।
यौन विकारों का इलाज
शीर्षासन मुद्रा करने से कई प्रकार की यौन समस्याएं दूर होती हैं। इसके साथ ही मासिक धर्म में ऐंठन, शुक्राणु की कमी और कुछ अन्य यौन समस्याओं जैसे यौन विकारों के लिए सकारात्मक प्रभाव डालता है।
वैरिकोस नस की समस्या हो सकती है दूर
शीर्षाशन से वैरिकोस नस से निजात मिल सकता है। ठीक तरह से ब्लड फ्लो नहीं होने की वजह से वैरिकोस नस की परेशानी शुरू होती है। इस योगासन से बॉडी में ब्लड फ्लो बेहतर तरीके से होता है।
शीर्षासन करते समय सामान्य गलतियां
बहुत से लोग ठीक से शीर्षासन का अभ्यास नहीं कर पाते हैं। कुछ सामान्य गलतियों के कारण उन्हें या तो चोट लग जाती है या दर्द महसूस होने लगता है। लेकिन अगर आप इन सामान्य गलतियों से अवगत हो जाते हैं, तो आप अनावश्यक तनाव और दर्द से बच सकते हैं। शीर्षाशन में सबसे आम गलतियां जो अस्थिरता है, यह आपके असुविधा और यहां तक कि चोट का कारण बनती हैं। जो इस प्रकार से हैं।
- कंधों के पीछे कूल्हों को लाना
- कोहनी बहुत चौड़ी रखना
- सिर का गलत स्थान
- हाथ और पैरों में समान्य गैप नहीं
- श्वास का बहुत तेज होना
- स्पाइनल पर अधिक भार
इन ऊपर बताये पॉइंट्स को ध्यान में रखकर इस योगासन के फायदे मिल सकते हैं।
उपर दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। इसलिए किसी भी योग मुद्रा का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। अगर आप शीर्षासन से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
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