हार्ट फेलियर शब्द सुनकर ऐसा लगता है जैसे यह समस्या होने पर मरीज का हार्ट काम करना बंद कर देता है, लेकिन ऐसा नहीं होता। इसका अर्थ है कि इस स्थिति में हार्ट पर्याप्त मात्रा में ब्लड को पंप नहीं कर पाता है, जिसकी वजह से शरीर को जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। हार्ट फेलियर के लक्षणों का बार-बार नजर आने पर तुरंत और आपातकालीन उपचार की जरूरत होती है। हार्ट फेलियर के एक प्रकार को डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर(Decompensated Heart Failure) कहा जाता है। इसे एक्यूट हार्ट फेलियर (Acute Heart Failure) के नाम से भी जाना जाता है। आइए, जानते हैं डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के बारे में विस्तार से।
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर क्या है? (Decompensated Heart Failure)
अगर आपको हार्ट फेलियर की समस्या होती है, जो अचानक बदतर हो जाती है तो इसे डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) कहा जाता है। डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर के कारण टिश्यूज में फ्लूइड का निर्माण हो सकता है। यही नहीं, इसके कारण एड़ियों, टांगों और शरीर के अन्य हिस्सों में अचानक सूजन हो सकती है व अचानक वजन भी बढ़ सकता है। अगर आप अचानक सूजन, वजन का बढ़ना या हार्ट फेलियर के नए या बदतर लक्षणों का अनुभव करते हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि, गंभीर जटिलताओं से बचने के लिए तुरंत उपचार जरूरी है।
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नेशनल हार्ट, लंग, और ब्लड इंस्टिट्यूट (National Heart, Lung, and Blood institute) के अनुसार हार्ट फेलियर वो समस्या है जो तब होती है, जब हार्ट शरीर की जरूरत के अनुसार पर्याप्त खून को पंप नहीं कर पाता है। यह समस्या तब भी हो सकती है जब आपका हार्ट पर्याप्त खून फिल-अप नहीं कर पाता है या हार्ट ब्लड पंप करने के लिए कमजोर होता है। एक्यूट हार्ट फेलियर (Acute Heart Failure) की समस्या उन लोगों को होती है। जिन्हें पहले ही हार्ट फेलियर हो चुका होता है। इसके लक्षण आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। जानिए, क्या हैं इसके लक्षण।
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर के लक्षण (Symptoms of Decompensated Heart Failure)
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के लक्षण हर किसी के लिए अलग हो सकते हैं। इनके सामान्य लक्षणों में सांस लेने में समस्या (Shortness of Breath), डीस्पनिया (Dyspnea), थकावट और फ्लूइड रिटेंशन (Fluid retention) आदि शामिल हैं। इस समस्या के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं :
- एक्सेरशनल डीस्पनिया (Exertional Dyspnea) : इसमें फिजिकल एक्टिविटी के दौरान सांस लेने में समस्या होती है।
- ऑर्थोपनिया (Orthopnea) : इस बीमारी में सीधे लेटने पर सांस लेने में परेशानी होती है।
- पैरोक्सिमल नोक्टर्नल डीस्पनिया (Paroxysmal Nocturnal dyspnea) : इस बीमारी का मतलब है सांस लेने में समस्या होने पर नींद में जागना।
- सूजन (Edema) : इस बीमारी में सूजन की समस्या होती है।
कुछ लोगों में इस हार्ट फेलियर के कारण अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जिसमें छाती में दर्द (Chest Pain), हार्ट एरिथमिया (Heart Arrhythmias) , जी मचलना (Nausea) , मूत्र त्याग में समस्या आदि शामिल है। वहीं, कुछ लोग एंग्जायटी (Anxiety), बेचैनी (Confusion) और मेमोरी इशू (Memory Issue) जैसे परिवर्तनों का भी अनुभव करते हैं। डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के कारणों के बारे में जानें।
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डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर के कारण क्या हैं? (Causes of Decompensated Heart Failure)
क्रॉनिक हार्ट फेलियर जिसे अच्छी तरह से मैनेज और स्टेबल किया गया है, कई कारणों से तेजी से डीकम्पेंसेटेड बन सकती है। गंभीर बीमारी, हार्ट अटैक, कोई उपचार आदि भी डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) का कारण बन सकते हैं। डायट में बदलाव जैसे अधिक नमक का सेवन या अधिक फ्लूइड लेना और निर्धारित दवाओं का सेवन न करना डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर का कारण हो सकते हैं। किसी क्रॉनिक कंडीशन के बदतर होना भी यह समस्या की वजह बन सकता है। जैसे डायबिटीज में ब्लड शुगर का बढ़ना, इंफेक्शंस या किडनी समस्याएं आदि। कुछ अंडरलायिंग कार्डियक कंडीशंस बदतर हो सकती है और डीकंपनसेशन में योगदान दे सकती है, जैसे कि हार्ट अटैक, पुअर कंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर , या एरिथमिया आदि।
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) बाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन के कारण बदतर होने वाली कंजेशन के साथ भी हो सकती है। हार्ट फेलियर के कारण मल्टीपल ऑर्गन्स में कंजेशन हो सकती है। जिससे कई ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं, जिनके कारण अंग सही से काम नहीं कर पाते। जानिए कैसे संभव है इस समस्या का निदान?
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डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर का निदान (Diagnosis of Decompensated Heart Failure)
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) का निदान मरीज की फॅमिली हिस्ट्री, मेडिकल हिस्ट्री और रोगी के फिजिकल एग्जाम पर निर्भर करता है। डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर के दौरान जो लक्षण नजर आते हैं, वो भी निदान की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। डॉक्टर रोगी में रिस्क फैक्टर्स जैसे हाय ब्लड प्रेशर, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और डायबिटीज आदि की भी जांच करेंगे। इसके साथ ही, डॉक्टर अन्य कुछ टेस्ट्स कराने के लिए भी कह सकते हैं जैसे :
- ब्लड टेस्ट (Blood Test) : डॉक्टर रोगी के ब्लड टेस्ट सैंपल लेंगे और उनकी जांच से उन रोगों के लक्षणों के बारे में जान सकते हैं, जो दिल को प्रभावित करते हैं।
- चेस्ट एक्स -रे (Chest X-ray) : चेस्ट एक्स -रे इमेज फेफड़ों और हार्ट की स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर की मदद कर सकते हैं। डॉक्टर एक्स रे का प्रयोग हार्ट फेलियर के अलावा अन्य स्थितियों के निदान के लिए भी कर सकते हैं।
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) : इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट में हार्ट की इलेक्ट्रिक्ल एक्टिविटी को त्वचा के साथ अटैच इलेक्ट्रोड के माध्यम से रिकॉर्ड किया जाता है। इससे डॉक्टर हार्ट रिदम प्रॉब्लम और हार्ट को हुए नुकसान का निदान कर सकते हैं।
- एकोकार्डियोग्राम (Echocardiogram) : एकोकार्डियोग्राम हार्ट की वीडियो इमेज बनाने के लिए साउंड वेव्स का प्रयोग करता है। यह टेस्ट डॉक्टर को हार्ट के साइज और शेप के साथ ही किसी भी अब्नोर्मलिटी की जांच में भी मदद कर सकता है।
- स्ट्रेस टेस्ट (Stress test) : स्ट्रेस टेस्ट को हार्ट की हेल्थ की जांच के लिए किया जाता है। इससे जाना जाता है कि रोगी का हार्ट एक्सेरशन के दौरान कैसा रिस्पांस देता है? इसमें रोगी को ट्रेडमिल पर दौड़ने के लिए कहा जा सकता है या दिल को उत्तेजित करने के लिए दवाई भी दी जा सकती है।
- कार्डियक कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (Cardiac Computerized Tomography) स्कैन : कार्डियक कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी यानी सीटी स्कैन का प्रयोग दिल और छाती की तस्वीरों को लेने के लिए किया जाता है। ताकि, हार्ट संबंधी समस्याओं के बारे में पता चल सके।
- मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (Magnetic Resonance Imaging) : कार्डियक मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग में मेग्नेटिक फील्ड का प्रयोग कर के हार्ट की तस्वीर को बनाया जाता है।
- मायोकार्डियल बायोप्सी (Myocardial Biopsy) : मायोकार्डियल बायोप्सी में डॉक्टर एक छोटी और फ्लेक्सिबल बायोप्सी कॉर्ड को रोगी के गले की नस में डालते हैं और हार्ट मसल के छोटे टुकड़े का सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट खास तरह के हार्ट मसल्स डिजीज के निदान के लिए किया जाता है, जो हार्ट फेलियर का कारण बन सकती है। डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के निदान के तुरंत बाद उपचार जरूरी है। जानिए कैसे होता है इस समस्या का उपचार?
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डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर का उपचार किस तरह से संभव है? (Treatment of Decompensated Heart Failure)
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के उपचार में इसके लक्षणों को सुधारना, अंडरलायिंग मेडिकल कंडीशंस को मैनेज करना और भविष्य में रोगी को हार्ट डैमेज से बचाना आदि शामिल है। इसके शुरुआती उपचार में फ्लूइड रिटेंशन भी शमिल है। जानिए, कैसे किया जा सकता है, इस हार्ट फेलियर का उपचार
दवाईयां (Medications)
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) के उपचार के लिए डॉक्टर दवाईयों के कॉम्बिनेशन का प्रयोग कर सकते हैं । रोगी के लक्षणों के अनुसार उसे एक या अधिक दवाईयां दी जा सकती हैं, जो इस प्रकार हैं :
- एंजियोटेंसिन- कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin-Converting Enzyme Inhibitors) :यह दवाईयां क्रॉनिक डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Chronic Decompensated Heart Failure) से पीड़ित लोगो को अच्छा महसूस करने में मदद करती हैं। यह दवाईयां वेसोडायलेटर (Vasodilator) का प्रकार हैं, जो ब्लड वेसल को चौड़ा करने से लेकर ब्लड प्रेशर को कम करना, ब्लड फ्लो को सुधारना और हार्ट के वर्कलोड को कम करना आदि काम करती हैं।
- एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II Receptor Blockers) :इन दवाईयों में लोसार्टन (Losartan) और वैलसार्टन (Valsartan) शामिल हैं। इनके फायदे भी एंजियोटेंसिन- कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स जैसे ही हैं। लेकिन यह उन लोगों को दी जा सकती हैं, जो एंजियोटेंसिन- कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स को सहन नहीं कर पाते हैं।
- बीटा ब्लॉकर्स (Beta Blockers ) : यह दवाईयां न केवल रोगी की हार्ट रेट को स्लो कर सकती हैं और ब्लड प्रेशर को कम कर सकती हैं। बल्कि हार्ट के हुए नुकसान को भी कम कर सकती हैं। कार्वेडिलॉल (Carvedilol), मेटोप्रोलोल (Metoprolol) आदि इसके उदहारण हैं।
- डायूरेटिक्स (Diuretics) :डायूरेटिक्स को वाटर पिल्स भी कहा जाता है। इनके प्रयोग से रोगी के लंग्स में भी फ्लूइड की मात्रा को कम कर सकते हैं, जिससे सांस लेने में आसानी होती है। क्योंकि यह दवाईयां शरीर में पोटैशियम और मैग्नीशियम को कम करने में मददगार हैं, ऐसे में डॉक्टर इनकी सलाह दे सकते हैं।
- आयनोट्रोप्स (Inotropes) : यह इंट्रावेनस दवाईयां है, जिनका प्रयोग डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) की स्थिति में किया जाता है। ताकि हार्ट पम्पिंग फंक्शन को सुधारा जा सके और ब्लड प्रेशर को मैंटेन किया जा सके।
- डिगोक्सिन (Digoxin) :यह दवाईयां हार्ट मसल कंट्रैक्शन की स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए प्रयोग होती है। इसके साथ ही यह हार्टबीट को भी धीमा कर सकती हैं। छाती के दर्द के लिए नाइट्रेट्स (Nitrates), ब्लड क्लॉट्स से बचने के मदद करने के लिए ब्लड थिन्निंग मेडिकेशन्स (Blood Thinning Medications) आदि इसके उदहारण हैं।
डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर के उपचार के लिए डॉक्टर आपको दो या अधिक दवाईयां लेने की सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही वो आपको अन्य हार्ट मेडिसिन्स भी दे सकते हैं। इसके साथ ही अंडरलायिंग समस्याओं के उपचार के लिए रोगी की सर्जरी भी की जा सकती है। क्योंकि, यह अंडरलायिंग कंडीशंस डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) का कारण बन सकती हैं। यह सर्जरीज इस प्रकार हैं:
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सर्जरी (Surgery)
कोरोनरी बायपास सर्जरी (Bypass Surgery) अगर आर्टरीज का ब्लॉक होना हार्ट फेलियर का कारण हो, तो डॉक्टर इस सर्जरी की सलाह दे सकते हैं।
- हार्ट वॉल्व रिपेयर या रिप्लेसमेंट (Heart Valve Repair or Replacement) : अगर हार्ट वॉल्व में कोई समस्या होती है, तो डॉक्टर उसे रिपेयर करने की सलाह दे सकते हैं। अगर वॉल्व की रिपेयर संभव न हो, तो वॉल्व रिप्लेसमेंट हो सकती है जिसमें डैमेज्ड वॉल्व को आर्टिफिशियल वॉल्व से बदल दिया जाता है।
- इम्प्लांटेबल कार्डियोवेर्टर डीफिब्रिलेटर (Implantable Cardioverter-Defibrillator) : इम्प्लांटेबल कार्डियोवेर्टर डीफिब्रिलेटर पेसमेकर जैसा ही डिवाइस होता है, जिसे स्किन के नीचे लगाया जाता है। यह हार्ट रिदम को मॉनिटर करता है।
- वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (Ventricular Assist Devices) : यह डिवाइस एक इम्प्लांटेबल मैकेनिकल पंप है, जो हार्ट के लोअर चैम्बर्स से ब्लड पंप करने में मदद करता है।
- हार्ट ट्रांसप्लांट (Heart Transplant) : कई बार इन सर्जरीज से हार्ट प्रॉब्लम्स में सुधर नहीं होता है, तो ऐसे में हार्ट ट्रांसप्लांट का सहारा लिया जाता है। कई लोगों में गंभीर हार्ट फेलियर की स्थिति में सर्जरी और दवाईयां काम नहीं आती हैं, तो उन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए कहा जा सकता है।
डॉक्टर इस बात को निर्धारित करते हैं कि रोगी के लिए कौन सा उपचार सही रहेगा। यह तो थे इस हार्ट फेलियर के उपचार। अब जानते हैं कि डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) से बचाव के लिए क्या करना चाहिए?
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डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर से बचाव (Prevention of Decompensated Heart Failure)
अपने लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव कर के रोगी हार्ट फेलियर के लक्षणों से राहत पा सकता है और इसके ही इस बीमारी को बदतर होने से भी बचाया जा सकता है। इसके लिए आपको अपने जीवन में यह बदलाव लाने चाहिए:
- धूम्रपान का सेवन करना छोड़ दें (Stop Smoking)
- अपने वजन को सही रखें (Maintain Right Weight)
- रोजाना अपनी टांगों, एड़ियों या पैरों कि जांच करें कि उनमें कोई सूजन तो नहीं है (Check Swelling)
- स्वस्थ आहार का सेवन करें (Eat Healthy Food)
- अपने आहार में सोडियम कि मात्रा कम कर दें (Restrict Sodium in Diet)
- नियमित वैक्सीनेशन कराएं (Consider Getting vaccinations)
- सैचुरेटेड और ट्रांस फैट का कम सेवन करने (Limit Saturated or Trans Fats in Diet)
- शराब या फ्लूइड का सेवन सीमित मात्रा में करें (Limit Alcohol and Fluid)
- एक्टिव रहें (Be Active)
- तनाव कम लें (Reduce Stress)
- पर्याप्त और क्वालिटी नींद लें (Enough and Quality Sleep)
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डीकम्पेंसेटेड हार्ट फेलियर (Decompensated Heart Failure) को रिवर्स करना मुश्किल है। लेकिन, ट्रीटमेंट से लक्षणों को सुधारा जा सकता है। जिससे व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी होती है। ऐसे में, आप अपने डॉक्टर की मदद से अपने जीवन को सरल और बेहतर बना सकते हैं। अपने शरीर के लक्षणों पर ध्यान दें और जब भी आपको कोई परिवर्तन नजर आए तो तुरंत डॉक्टर की सलाह दें। इससे डॉक्टर को यह जानने में भी मदद मिलेगी कि रोगी पर कौन से उपचार सही से काम करेंगे। हार्ट फेलियर के बाद जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए आपको अपने जीवन में हेल्दी बदलाव करने और लक्षणों को सुधारने की आवश्यकता होगी।
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