इसके अलावा भी कुछ अन्य स्थितियां हो सकती हैं। इससे संबंधित अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह लें। अब जान लेते हैं इस रोग के निदान के बारे में। इस तरह से संभव है इस बीमारी का निदान।
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हार्ट एब्सेस का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Heart Abscess)
हार्ट एब्सेस (Heart Abscess) के बारे में एक बात को जानना बेहद जरूरी है कि यह समस्या एकदम से ठीक नहीं होती है। इसका जल्दी निदान और उपचार बहुत जरूरी है। इसके निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले रोगी से इसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही रोगी की मेडिकल हिस्ट्री भी जानी जाती है। इंफेक्शन की जांच के लिए ब्लड टेस्ट्स कराए जा सकते हैं। हालांकि, ये टेस्ट खासतौर पर केवल हार्ट टेस्ट के लिए नहीं होते हैं। इसके अलावा इन टेस्ट कराने के लिए भी कहा जाता है
इसके साथ ही शुरुआत में इमेजिंग स्टडीज जैसे चेस्ट एक्स-रे भी कराया जा सकता है। डॉक्टर इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की सलाह भी दे सकते हैं जिसे मरीज की हार्ट एक्टिविटी को मॉनिटर करने के लिए कराया जाता है। हालांकि, यह टेस्ट हार्ट एब्सेस (Heart Abscess) और इंफेक्टिव एंडोकार्डिटिस पहचान नहीं कर सकता है। ऊपर दिए टेस्ट के अलावा भी डॉक्टर कुछ अन्य टेस्ट्स की सलाह दे सकते हैं। इस समस्या के निदान के बाद इसका उपचार किया जाता है। अब जान लेते हैं हार्ट एब्सेस (Heart Abscess) के उपचार के बारे में।
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हार्ट एब्सेस का उपचार (Treatment of Heart Abscess)
हार्ट एब्सेस (Heart Abscess) की स्थिति में तुरंत मेडिकल अटैंशन की जरूरत होती है क्योंकि यह एक गंभीर और जानलेवा कंडीशन है। इसके उपचार में एंटीबायोटिक्स (Antibiotics), एंटी-क्लॉटिंग एजेंट्स जैसी दवाईयां और इस दौरान होने वाले सर्कुलेटरी डिस्टर्बेंस को स्थिर करने वाली दवाईयां शामिल हैं। अगर जरूरत हो तो सर्जरी भी करनी पड़ सकती है, जिसमें हार्ट एब्सेस को रिमूव कर दिया जाता है। कई स्थितियों में डैमेज्ड हार्ट वॉल्व को रिपेयर या रिप्लेस भी किया जा सकता है। इस उपचार के बाद मरीज को कुछ दिन पूरी तरह से आराम की जरूरत हो सकती है।
हार्ट एब्सेस (Heart Abscess) के लक्षणों की जल्दी पहचान और उपचार करना बेहद जरूरी है।
जल्दी मेडिकल या सर्जिकल ट्रीटमेंट के बिना कॉम्प्लीकेशन्स जैसे हार्ट वॉल को नुकसान होना, हार्ट फेलियर (Heart Failure), हार्ट वॉल्व डिसऑर्डर्स आदि हो सकते हैं। यही नहीं, इसके कारण कंडक्शन सिस्टम भी ब्लॉक हो सकता है जिससे नार्मल हार्ट रेट और रिदम में असर हो सकता है। इसके अलावा देर से उपचार शुरू करने के कुछ अन्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। जानिए किस तरह से बचा जा सकता है इस बीमारी से?