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क्या पेनकिलर्स से बढ़ सकता है दिल की बीमारियों का खतरा?

क्या पेनकिलर्स से बढ़ सकता है दिल की बीमारियों का खतरा?

हार्ट डिजीज उन कंडिशंस को कहा जाता है, जिनका प्रभाव हार्ट पर पड़ता है। इन हार्ट डिजीज में ब्लड वेसल डिजीज (Blood vessel disease), हार्ट रिदम प्रॉब्लम्स (Heart rhythm problems), जन्मजात हृदय रोग (congenital heart defects), हार्ट इंफेक्शन (Heart infection) आदि शामिल हैं। जब बात की जाए पेनकिलर के बारे में, तो पेनकिलर का इस्तेमाल दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। लेकिन, ऐसा भी माना गया है कि पेनकिलर से दिल की संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। आइए जानते हैं क्या है पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk)? पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) क्या है, इससे पहले पेनकिलर्स के बारे में जान लें।

पेनकिलर्स क्या है? (Painkillers)

पेनकिलर्स मेडिसिन्स का इस्तेमाल क्रॉनिक और अन्य तरह के दर्द से छुटकारा पाने के लिए किया जाता है। यह पावरफुल ड्रग्स हैं, ऐसे में इनका इस्तेमाल बहुत सावधानी से करना चाहिए। कम से कम समय के लिए और सबसे कम खुराक में इनका सेवन करना अच्छा रहता है। इसके साथ ही, इनके साइड इफेक्ट्स और अन्य ड्रग्स के साथ इंटरेक्शन के बारे में भी आपको पता होना चाहिए। यही नहीं, डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन और इनके लेबल पर लिखी डायरेक्शन को भी फॉलो करें। ओवर द काउंटर पेनकिलर्स में यह सब दवाईयां शामिल हैं:

  • एसिटामिनोफेन (Acetaminophen)
  • नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) जिसमें आइबूप्रोफेन (Ibuprofen), नेप्रोक्सेन (Naproxen) आदि शामिल है।

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एसिटामिनोफेन और एनएसएआईडी (NSAIDs) बुखार को कम करने और दर्द से राहत पाने में सहायक हैं। लेकिन, केवल एनएसएआईडी इंफ्लेमेशन से राहत पाने में सहायक होती है। यह दोनों दवाईयां अलग-अलग तरह से काम करती हैं। एनएसएआईडी (NSAIDs) प्रोस्टाग्लैंडीन (Prostaglandin) के प्रोडक्शन को कम कर के दर्द से छुटकारा दिलाती हैं, जो एक हॉर्मोन के जैसा एक सब्सटांस हैं। प्रोस्टाग्लैंडीन (Prostaglandin) दर्द और सूजन का कारण बन सकते हैं। वहीं, एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) ब्रेन के उन पार्ट्स पर काम करती है, जो पेन मैसेज रिसीव करते हैं।

अब बात करते हैं पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) क्या है, इस बारे में। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ डायबिटीज एंड डायजेस्टिव एंड किडनी डिजीज (National Institute of Diabetes and Digestive and Kidney Diseases) के अनुसार नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) को नियमित रूप से और अधिक डोज में लेने से हार्ट अटैक (Heart attack) और स्ट्रोक (Stroke) का खतरा बढ़ सकता है। यही नहीं, इससे स्टमक अल्सर (Stomach ulcer) और ब्लीडिंग का जोखिम अधिक हो सकता है। यह किडनी प्रॉब्लम्स (Kidney Problems) का कारण भी बन सकता है। एसिटामिनोफेन (Acetaminophen) को हाय डोज और नियमित लेने से किडनी प्रॉब्लम हो सकती है

संक्षेप में कहा जाए तो एक ही साथ इन्हें अधिक मात्रा में लेने से मेडिकल एमरजेंसी हो सकती है। आइए जानते हैं पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) क्या है, इस बारे में और अधिक।

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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk)

पेनकिलर्स हमारे लिए एक वरदान और अभिशाप दोनों हो सकती हैं। यह हर तरह के दर्द को दूर करने में प्रभावी हैं जैसे जोड़ों का दर्द और सिरदर्द आदि। लेकिन, अध्ययन यह भी बताते हैं कि इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। सबसे सामान्य प्रयोग करने वाली पेनकिलर हैं आइबूप्रोफेन (Ibuprofen), नेप्रोक्सेन (Naproxen) आदि। लेकिन, ऐसा पाया गया है कि इसको इस्तेमाल करने के पहले हफ्ते से ही रोगी में हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम बढ़ सकता है। इन दवाईयों को नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) कहा जाता है।

ऐसा भी माना गया हैं कि जो लोग इनका सेवन करते हैं, उनमें हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम उन लोगों की तुलना में बीस से पचास गुना अधिक बढ़ जाता है, जो इनका सेवन नहीं करते हैं। एनएसएआईडी का प्रयोग लॉन्ग टर्म कंडिशंस की स्थिति के बड़े पैमाने में दर्द और सूजन के उपचार के लिए विस्तृत रूप से किया जाता है जैसे जोड़ों में दर्द और आर्थराइटिस (arthritis) आदि। बहुत से लोग इनका इस्तेमाल शार्ट टर्म प्रॉब्लम्स में करते हैं जैसे मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स (Menstrual cramps), सामान्य सिरदर्द या पीठ में दर्द आदि।  

पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में यह तो आप जान ही गए होंगे कि अगर किसी व्यक्ति के लिए इन दवाइयों को लेना आवश्यक है, तो उसे इन्हें कम डोज में और शार्ट टाइम तक लेने की सलाह दी जाती है ताकि हार्ट अटैक (Heart attack), स्ट्रोक (Stroke) के जोखिम को कम किया जा सके। नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) को कभी-कभार लेना सुरक्षित है। लेकिन, सावधान रहें क्योंकि इसे नियमित रूप से लेने के पहले हफ्ते से ही इनके गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं और सेवन के बाद इनका रिस्क बढ़ता ही जाता है। 

पैनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा

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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: नेप्रोक्सेन का जोखिम है कम

अगर आप छोटी-छोटी समस्याओं जैसे मसल दर्द , जोड़ों के दर्द, सिरदर्द आदि के लिए इन दवाईयों को लेते हैं। तो याद रखें कि पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ऐसे में आपको इन दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए और इनकी जगह अन्य थेरेपीज के बारे में विचार करना होगा। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य राय लें। नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) के साइड इफेक्ट्स को देखते हुए डॉक्टर आपको अन्य नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) की तुलना में नेप्रोक्सेन (Naproxen) की सलाह दे सकते हैं।

डॉक्टरों के मुताबिक कार्डियोवैस्कुलर स्टैंडपॉइन्ट से, नेप्रोक्सेन का अन्य दवाइयों की तुलना में जोखिम कम है। अगर किसी व्यक्ति को दिल की समस्याओं का जोखिम है और उसके साथ ही उन्हें गठिया या मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं हैं और उनके लिए पेनकिलर लेना जरूरी है तो उनके लिए नेप्रोक्सन एक उचित विकल्प है। एस्पिरिन को एकमात्र ऐसी नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग माना जाता है, जो हार्ट के लिए अच्छी होती है। लेकिन, यह पेट में समस्या,अल्सर या अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

इसके साथ ही, एसिटामिनोफेन को हार्ट और गट दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, इसकी डोज को लेकर भी सावधान रहना चाहिए। क्योंकि, इनकी अधिक डोज भी लिवर को डैमेज कर सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण कुछ लोग रोजाना पेनकिलर्स लेते हैं क्योंकि बेचैनी और डिस्कम्फर्ट से बचना चाहते हैं। यह एक समस्या है क्योंकि ऐसे लोग भविष्य में बड़ी परेशानी का सामना कर सकते हैं। अब पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा के बारे में आगे यह जानते हैं  कि यह दवाईयां दिल के लिए कैसे नुकसानदायक है?

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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: यह दवाइयां दिल को कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?

नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) दो मुख्य कारणों से कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के लिए खतरा पैदा करती हैं। सबसे पहले, वे ब्लड में सब्सटांसेस के लेवल को बदलती हैं, जिससे क्लॉट्स बनने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) हार्ट में आर्टरी को नेरौ या ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा यह दवाईयां किडनी में ब्लड फ्लो में बदलाव कर सकती हैं। जिससे शरीर अधिक साल्ट और पानी रिटेन करता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और इससे स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ सकता है।

हाय ब्लड प्रेशर से लोगों में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) का रिस्क भी अधिक हो सकता है। तथ्यों की मानें तो उन लोगों में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) का जोखिम उन लोगों में अधिक होता है, जो पेनकिलर यानी NSAIDs लेते हैं। अब जानिए इन दवाईयों को लेते हुए किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?

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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: बरतें यह सावधानियां

शोधकर्ताओं के अनुसार डॉक्टरों को भी रोगी को नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) की सलाह देते हुए कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। अगर बहुत जरूरी हो तभी इन्हें रोगी को दें। इसके साथ ही इसकी हाय डोज देने से भी बचें। अगर कोई व्यक्ति एक्यूट हार्ट अटैक (Acute Heart attack) से गुजरा हो, तो उसे पेनकिलर देने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर ऐसे में पेनकिलर रोगी को दी जाती है ,तो इससे उनकी स्थिति बदतर हो सकती है। अगर किसी स्थति में इन्हें देना जरूरी हो, तो इसकी कम से कम डोज दें। लोगों को भी डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि वो पेनकिलर तभी लें, अगर बहुत अधिक जरूरत हो। इसके साथ ही इन्हें कम समय के लिए और कम डोज में ही लें।

अगर किसी को हार्ट अटैक आया हो या किसी में हार्ट कंडिशन का निदान हुआ हो। लेकिन, उन्हें किसी चोट या क्रॉनिक कंडिशन जैसे आर्थराइटिस आदि के कारण दर्द हो, तो इस पेन को ट्रीट करने के लिए स्टेप वाइज एप्रोच को अपनाने की सलाह दी जाती है। इसके ट्रीटमेंट की शुरुआत में नॉनड्रग एप्रोच (Nondrug approach) से की जाती है जैसे हीटिंग पैड्स (Heating Pads), आइस (Ice) या फिजिकल थेरेपी (Physical therapy) का इस्तेमाल करना। लेकिन, अगर इससे भी आपको लाभ नहीं हो तो आपको पेनकिलर की लोअर डोज की सलाह दी जाती है। इसके बाद एस्पिरिन या एसिटामिनोफेन को ट्राय किया जा सकता है।

यह तो थी पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में जानकारी। हार्ट अटैक और अन्य हार्ट प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए कई अन्य तरीके भी हैं। आइए जानें इन तरीकों के बारे में।

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हार्ट प्रॉब्लम्स को मैनेज करने के तरीके

पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन, हार्ट अटैक (Heart attack) और अन्य हार्ट प्रॉब्लम्स के जोखिम को कम करने के कई तरीके हैं। द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (The American Heart Association) के अनुसार हार्ट हेल्थ को हमारा अपनी प्राथमिकता मानना चाहिए। पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा के अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि पेनकिलर्स और अन्य दवाइयां आपके उपचार का केवल एक हिस्सा हैं। इनके अलावा आपको अपने जीवन में कुछ हेल्दी बदलाव भी लाने चाहिए। यह बदलाव इस प्रकार हैं:

  • अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो इसे छोड़ दें।
  • अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखें। अपने आहार में अधिक से अधिक फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि को शामिल करें। इसके लिए आप अपने डॉक्टर और डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं।
  • नियमित रूप से व्यायाम करें। दिन में केवल तीस मिनटों तक व्यायाम करने से आपको संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिल सकती है।
  • अपनी डायबिटीज, हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल, हाय ब्लड प्रेशर और अन्य स्थितियों को मैनेज करें।  
  • अगर आप एल्कोहॉल का सेवन करते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में लें।
  • अपने बॉडी वेट को सही बनाए रखें। इसके लिए आप अपने खानपान का ध्यान रखें और व्यायाम करें।
  • स्ट्रेस से बचें। इसके लिए आप योगा और मेडिटेशन कर सकते हैं। इसके साथ ही आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
  • हार्ट अटैक (Heart attack) के लक्षणों को पहचानें। ताकि समय रहते इस कंडिशन का सही उपचार हो सकें।

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यह तो थी पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में जानकारी। यह तो आप जान ही गए होंगे कि  पेनकिलर लेने से हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासतौर पर लंबे समय तक और इनकी अधिक डोज लेना हार्ट के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में, किसी भी पेनकिलर को केवल तभी लेना चाहिए, जब बहुत अधिक जरूरत हो। इसके साथ ही इसकी डोज का भी ध्यान रखें। अगर पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य पूछें

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Current Version

21/12/2021

AnuSharma द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari

Updated by: Nikhil deore


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Sayali Chaudhari

फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/12/2021

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