इसके साथ ही, एसिटामिनोफेन को हार्ट और गट दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, इसकी डोज को लेकर भी सावधान रहना चाहिए। क्योंकि, इनकी अधिक डोज भी लिवर को डैमेज कर सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण कुछ लोग रोजाना पेनकिलर्स लेते हैं क्योंकि बेचैनी और डिस्कम्फर्ट से बचना चाहते हैं। यह एक समस्या है क्योंकि ऐसे लोग भविष्य में बड़ी परेशानी का सामना कर सकते हैं। अब पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा के बारे में आगे यह जानते हैं कि यह दवाईयां दिल के लिए कैसे नुकसानदायक है?
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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: यह दवाइयां दिल को कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?
नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) दो मुख्य कारणों से कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के लिए खतरा पैदा करती हैं। सबसे पहले, वे ब्लड में सब्सटांसेस के लेवल को बदलती हैं, जिससे क्लॉट्स बनने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) हार्ट में आर्टरी को नेरौ या ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा यह दवाईयां किडनी में ब्लड फ्लो में बदलाव कर सकती हैं। जिससे शरीर अधिक साल्ट और पानी रिटेन करता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और इससे स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ सकता है।
हाय ब्लड प्रेशर से लोगों में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) का रिस्क भी अधिक हो सकता है। तथ्यों की मानें तो उन लोगों में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation) का जोखिम उन लोगों में अधिक होता है, जो पेनकिलर यानी NSAIDs लेते हैं। अब जानिए इन दवाईयों को लेते हुए किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए?
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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: बरतें यह सावधानियां
शोधकर्ताओं के अनुसार डॉक्टरों को भी रोगी को नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) की सलाह देते हुए कई चीजों का ध्यान रखना चाहिए। अगर बहुत जरूरी हो तभी इन्हें रोगी को दें। इसके साथ ही इसकी हाय डोज देने से भी बचें। अगर कोई व्यक्ति एक्यूट हार्ट अटैक (Acute Heart attack) से गुजरा हो, तो उसे पेनकिलर देने की सलाह नहीं दी जाती है। अगर ऐसे में पेनकिलर रोगी को दी जाती है ,तो इससे उनकी स्थिति बदतर हो सकती है। अगर किसी स्थति में इन्हें देना जरूरी हो, तो इसकी कम से कम डोज दें। लोगों को भी डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि वो पेनकिलर तभी लें, अगर बहुत अधिक जरूरत हो। इसके साथ ही इन्हें कम समय के लिए और कम डोज में ही लें।
अगर किसी को हार्ट अटैक आया हो या किसी में हार्ट कंडिशन का निदान हुआ हो। लेकिन, उन्हें किसी चोट या क्रॉनिक कंडिशन जैसे आर्थराइटिस आदि के कारण दर्द हो, तो इस पेन को ट्रीट करने के लिए स्टेप वाइज एप्रोच को अपनाने की सलाह दी जाती है। इसके ट्रीटमेंट की शुरुआत में नॉनड्रग एप्रोच (Nondrug approach) से की जाती है जैसे हीटिंग पैड्स (Heating Pads), आइस (Ice) या फिजिकल थेरेपी (Physical therapy) का इस्तेमाल करना। लेकिन, अगर इससे भी आपको लाभ नहीं हो तो आपको पेनकिलर की लोअर डोज की सलाह दी जाती है। इसके बाद एस्पिरिन या एसिटामिनोफेन को ट्राय किया जा सकता है।
यह तो थी पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में जानकारी। हार्ट अटैक और अन्य हार्ट प्रॉब्लम्स से छुटकारा पाने के लिए कई अन्य तरीके भी हैं। आइए जानें इन तरीकों के बारे में।
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हार्ट प्रॉब्लम्स को मैनेज करने के तरीके
पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में यह जानकारी आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। लेकिन, हार्ट अटैक (Heart attack) और अन्य हार्ट प्रॉब्लम्स के जोखिम को कम करने के कई तरीके हैं। द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (The American Heart Association) के अनुसार हार्ट हेल्थ को हमारा अपनी प्राथमिकता मानना चाहिए। पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा के अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि पेनकिलर्स और अन्य दवाइयां आपके उपचार का केवल एक हिस्सा हैं। इनके अलावा आपको अपने जीवन में कुछ हेल्दी बदलाव भी लाने चाहिए। यह बदलाव इस प्रकार हैं:
- अगर आप स्मोकिंग करते हैं, तो इसे छोड़ दें।
- अपने खाने-पीने का खास ध्यान रखें। अपने आहार में अधिक से अधिक फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि को शामिल करें। इसके लिए आप अपने डॉक्टर और डायटीशियन की सलाह भी ले सकते हैं।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। दिन में केवल तीस मिनटों तक व्यायाम करने से आपको संपूर्ण रूप से हेल्दी रहने में मदद मिल सकती है।
- अपनी डायबिटीज, हाय कोलेस्ट्रॉल लेवल, हाय ब्लड प्रेशर और अन्य स्थितियों को मैनेज करें।
- अगर आप एल्कोहॉल का सेवन करते हैं, तो इसे सीमित मात्रा में लें।
- अपने बॉडी वेट को सही बनाए रखें। इसके लिए आप अपने खानपान का ध्यान रखें और व्यायाम करें।
- स्ट्रेस से बचें। इसके लिए आप योगा और मेडिटेशन कर सकते हैं। इसके साथ ही आप डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।
- हार्ट अटैक (Heart attack) के लक्षणों को पहचानें। ताकि समय रहते इस कंडिशन का सही उपचार हो सकें।
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यह तो थी पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में जानकारी। यह तो आप जान ही गए होंगे कि पेनकिलर लेने से हार्ट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। खासतौर पर लंबे समय तक और इनकी अधिक डोज लेना हार्ट के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में, किसी भी पेनकिलर को केवल तभी लेना चाहिए, जब बहुत अधिक जरूरत हो। इसके साथ ही इसकी डोज का भी ध्यान रखें। अगर पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल हो, तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य पूछें।
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