पेनकिलर्स हमारे लिए एक वरदान और अभिशाप दोनों हो सकती हैं। यह हर तरह के दर्द को दूर करने में प्रभावी हैं जैसे जोड़ों का दर्द और सिरदर्द आदि। लेकिन, अध्ययन यह भी बताते हैं कि इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। सबसे सामान्य प्रयोग करने वाली पेनकिलर हैं आइबूप्रोफेन (Ibuprofen), नेप्रोक्सेन (Naproxen) आदि। लेकिन, ऐसा पाया गया है कि इसको इस्तेमाल करने के पहले हफ्ते से ही रोगी में हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम बढ़ सकता है। इन दवाईयों को नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) कहा जाता है।
ऐसा भी माना गया हैं कि जो लोग इनका सेवन करते हैं, उनमें हार्ट अटैक (Heart attack) का जोखिम उन लोगों की तुलना में बीस से पचास गुना अधिक बढ़ जाता है, जो इनका सेवन नहीं करते हैं। एनएसएआईडी का प्रयोग लॉन्ग टर्म कंडिशंस की स्थिति के बड़े पैमाने में दर्द और सूजन के उपचार के लिए विस्तृत रूप से किया जाता है जैसे जोड़ों में दर्द और आर्थराइटिस (arthritis) आदि। बहुत से लोग इनका इस्तेमाल शार्ट टर्म प्रॉब्लम्स में करते हैं जैसे मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स (Menstrual cramps), सामान्य सिरदर्द या पीठ में दर्द आदि।
पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) के बारे में यह तो आप जान ही गए होंगे कि अगर किसी व्यक्ति के लिए इन दवाइयों को लेना आवश्यक है, तो उसे इन्हें कम डोज में और शार्ट टाइम तक लेने की सलाह दी जाती है ताकि हार्ट अटैक (Heart attack), स्ट्रोक (Stroke) के जोखिम को कम किया जा सके। नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) को कभी-कभार लेना सुरक्षित है। लेकिन, सावधान रहें क्योंकि इसे नियमित रूप से लेने के पहले हफ्ते से ही इनके गंभीर साइड इफेक्ट्स सामने आ सकते हैं और सेवन के बाद इनका रिस्क बढ़ता ही जाता है।
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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: नेप्रोक्सेन का जोखिम है कम
अगर आप छोटी-छोटी समस्याओं जैसे मसल दर्द , जोड़ों के दर्द, सिरदर्द आदि के लिए इन दवाईयों को लेते हैं। तो याद रखें कि पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा (Correlation between painkillers and heart attack risk) दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ऐसे में आपको इन दवाइयों का सेवन करने से बचना चाहिए और इनकी जगह अन्य थेरेपीज के बारे में विचार करना होगा। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से अवश्य राय लें। नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) के साइड इफेक्ट्स को देखते हुए डॉक्टर आपको अन्य नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) की तुलना में नेप्रोक्सेन (Naproxen) की सलाह दे सकते हैं।
डॉक्टरों के मुताबिक कार्डियोवैस्कुलर स्टैंडपॉइन्ट से, नेप्रोक्सेन का अन्य दवाइयों की तुलना में जोखिम कम है। अगर किसी व्यक्ति को दिल की समस्याओं का जोखिम है और उसके साथ ही उन्हें गठिया या मस्कुलोस्केलेटल समस्याएं हैं और उनके लिए पेनकिलर लेना जरूरी है तो उनके लिए नेप्रोक्सन एक उचित विकल्प है। एस्पिरिन को एकमात्र ऐसी नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग माना जाता है, जो हार्ट के लिए अच्छी होती है। लेकिन, यह पेट में समस्या,अल्सर या अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
इसके साथ ही, एसिटामिनोफेन को हार्ट और गट दोनों के लिए सुरक्षित माना जाता है। लेकिन, इसकी डोज को लेकर भी सावधान रहना चाहिए। क्योंकि, इनकी अधिक डोज भी लिवर को डैमेज कर सकती है। दुर्भाग्यपूर्ण कुछ लोग रोजाना पेनकिलर्स लेते हैं क्योंकि बेचैनी और डिस्कम्फर्ट से बचना चाहते हैं। यह एक समस्या है क्योंकि ऐसे लोग भविष्य में बड़ी परेशानी का सामना कर सकते हैं। अब पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा के बारे में आगे यह जानते हैं कि यह दवाईयां दिल के लिए कैसे नुकसानदायक है?
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पेनकिलर्स और दिल की बीमारी का खतरा: यह दवाइयां दिल को कैसे नुकसान पहुंचाती हैं?
नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लमेट्रिक ड्रग (एनएसएआईडी) दो मुख्य कारणों से कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के लिए खतरा पैदा करती हैं। सबसे पहले, वे ब्लड में सब्सटांसेस के लेवल को बदलती हैं, जिससे क्लॉट्स बनने की संभावना बढ़ जाती है। ब्लड क्लॉट्स (Blood Clots) हार्ट में आर्टरी को नेरौ या ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक (Heart attack) की संभावना बढ़ जाती है। दूसरा यह दवाईयां किडनी में ब्लड फ्लो में बदलाव कर सकती हैं। जिससे शरीर अधिक साल्ट और पानी रिटेन करता है, इससे ब्लड प्रेशर बढ़ता है और इससे स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ सकता है।