बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) विशेष तरह की आवाजों के प्रति होने वाली एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है। अगर आपको ऐसा लगता है कि आपने अपने बच्चे में ऐसा रिएक्शन नोटिस किया है, तो इसके इलाज के बारे में ध्यान देना जरूरी है। बच्चों में मिसोफोनिया की वजह से वे चिंतित, भयभीत, परेशान, कंफ्यूज, घृणित महसूस कर सकते हैं। बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) का ट्रिगर आमतौर पर कोई मुंह से निकली आवाज होती है, जैसे जम्हाई लेना या कुछ चबाना या कोई ऐसी आवाज, जो किसी और के द्वारा बार-बार निकाली जाती है जैसे पेंसिल को डेस्क पर मारना या जूतों से आवाज निकालना आदि।
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साथ ही दूसरी किसी आवाज को सुनने से होने वाली परेशानियों को मिस्फोनिया समझना गलता होगा जैसेः
- हाइपरएक्यूसिस (Hyperacusis) आवाज के लिए सेंसिटिव
- फोनोफोबिया (Phonophobia) सामान्य रूप से आवाज का डर
जबकि हाइपरएक्यूसिस और फोनोफोबिया अक्सर एएसडी वाले लोगों में होता है। जिन लोगों में सेंसरी प्रोसेसिंग डिसऑर्डर (Sensory Processing Disorder) की परेशानी होती है वह कुछ स्टिम्यूलाई पर रिएक्ट कर सकते हैं चाहें वह सुनने वाली हो या फिर कुछ और हो। लेकिन यह परेशानी मिसोफोनिया की तरह नहीं है।
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बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) क्या है?
बच्चों में मिसोफोनिया का मतलब है बच्चों के अंदर किसी भी तरह की आवाज को लेकर परेशानी होना। हाल ही में ईजात हुई इस परेशानी को ऑडिटरी सेंट्रल नर्वस सिस्टम के डिसऑर्डर की तरह लिया जाता है। बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) की वजह से वह उन आवाजों के लिए बहुत अधिक सेंसिटिव होते हैं, जिनको नॉर्मल लोग फिल्टर कर लेते हैं।
इन बच्चों में इस तरह की आवाजें किसी तरह के दर्द को नहीं बढ़ाती लेकिन यह अलग-अलग रिएक्शन जैसे गुस्से और चिड़चिड़ेपन को बढ़ा सकती हैं। इन आवाजों को मिसोफोनिया के लिए ट्रिगर साउंड (Trigar sound) कहा जाता है, क्योंकि इन आवाजों को सुनकर बच्चों के नर्वस सिस्टम में रिएक्शन होता है और यह रिस्पॉन्स बच्चे अंजाने में होता है।
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बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) होने पर इस तरह करते हैं रिएक्ट
- बच्चे कुछ विशेष आवाजों के लिए ज्यादा सेंसिटिव (Sensitive) हो जाते हैं। इन आवाजों में होंठ की आवाज, चबाने की आवाज, नाक बंद होने पर सांस लेने की आवाज, सांस की आवाज, खर्राटों (Snoring) की आवाज, टाइप करने की आवाज और पेन को बार-बार डेस्क पर मारने की आवाज शामिल हैं।
- बच्चा जब कुछ ऐसी आवाजें सुनता है, जिससे वो रिएक्ट करता है या वह उन आवाजों को सुनकर कोई फिजिकल रिस्पॉन्स करता है। बच्चों से होने वाला यह रिस्पॉन्स उसके कंट्रोल में नहीं होता। इसमें दर्द की भावना, प्रेशर और बेचैनी महसूस करना शामिल है। इस तरह के रिस्पॉन्स के साथ इमोशनल रिस्पॉन्स जैसे कि बेचैनी, गुस्सा और चिड़चिड़ापन भी हो सकता है।
- अगर बच्चा ट्रिगर करने वाली आवाजों से बचने के उपाय ढ़ूुढ़ता है। जैसे अगर बच्चे को तेज आवाज नहीं पसंद, तो वह थिएटर जाने से बचता है। अगर खाने की आवाज बच्चे के लिए ट्रिगर है, तो बच्चों में मिसोफोनिया होने के साथ-साथ ईटिंग डिसऑर्डर भी हो सकता है।
- अगर बच्चा साउंड ट्रिगर पर रिएक्ट ना करके खुद साउंड क्रिएट करते हैं। ऐसा बच्चे इसलिए करते हैं ताकि साउंड ट्रिगर की वजह से उनका रिस्पॉन्स कम हो।
- बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) की वजह से उनका रिएक्शन समय के साथ और बिगड़ जाता है। ऐसा होने पर उनका रिएक्शन ज्यादा गुस्सैल और बेचैनी भरा होता है। अगर वह ट्रिगर को अवॉयड न कर सकें तो ऐसी कंडिशन में बच्चों का रिस्पॉन्स और पैनिक वाला होता है। इसके अलावा आपका बच्चा मिसोकिनेसिस (दूसरों द्वारा किए गए शारीरिक मूवमेंट से नफरत) विकसित कर सकता है खासकर जब ये मूवमेंट उसके साउंड ट्रिगर के साथ होते हैं।
- बच्चे की आवाजों को लेकर प्रतिक्रियाएं स्कूल में, परिवार के साथ, दोस्तों के साथ और सामान्य सामाजिक परिस्थितियों में काम करने की क्षमता को कम कर सकती हैं।
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बच्चों में मिसोफोनिया के लक्षण (Symptoms of Misophonia in child)
- चिड़चिड़ापन और गुस्सा होना
- बेचैनी का गुस्से में बदलना
- शोर मचाने वाले व्यक्ति से गुस्सा (Anger) होना
- शोर के कारण बहुत अधिक गुस्सा होना कि घर का सामान फेंकने लगना
- शोर मचाने वाले व्यक्ति पर शारीरिक रूप से अटैक करना
भावनात्मक प्रतिक्रियाओं के अलावा एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन बच्चों में मिसोफोनिया की समस्या है। वे आमतौर पर कई शारीरिक प्रतिक्रियाओं का अनुभव करते हैं जैसे किः
- पूरे शरीर में दबाव, विशेषकर छाती पर
- मांसपेशियों (Muscles) की जकड़न
- हाई ब्लड प्रेशर (High blood pressure)
- दिल की धड़कन तेज होना
- शरीर का तापमान बढ़ना
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बच्चों में मिसोफोनिया का इलाज (Treatment for Misophonia in child)
मिसोफोनिया के लिए कोई विशिष्ट दवा या उपचार अभी तक नहीं मिला है। ट्रिगर आवाजों (Trigar sound) की नकल करना एक प्रतिक्रिया है, कुछ लोगों को लगता है कि ऐसा करके उनकी स्थिति बेहतर होती है। बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) होने की वजह से मिमिक्री उन्हें उन असुविधाजनक स्थितियों को संभालने में सक्षम कर सकती है, जिससे वे खुद को बेहतर महसूस करा सकते हैं।
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मिसोफोनिया के बारे में जानकारी इकट्ठा करें
बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) होने पर इसके बारे में पेरेंट होने के नाते जितना ज्यादा पढ़ सकते हैं उतना पढ़ें। ऐसा करने के बाद आपको पता चलेगा कि एक सेंसरी डिसऑर्डर वाले बच्चे को कैसे संभालना है। चूंकि मिसोफोनिया एक ऐसी स्थिती है, जिसके बारे में लोग कम जानते है इसलिए सटीक जानकारी प्राप्त करना जरूरी है। बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) की ठीक करने का पहला नियम है कि आप ये समझें कि अगर वो ऐसे हैं, तो इसमें उनकी गलती नही हैं।
अपने डॉक्टर से बात करें
डॉक्टर से बच्चे की समस्या के बारे में बात करें। बच्चों को इस परेशानी से जूझने में तब मदद मिलती है, जब उनके पेरेंट इस बात को समझते हैं।
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अपने बच्चे के कमरे को साउंडप्रूफ बनाएं
आपका बच्चा तब जल्दी शांत होता है जब उनके पास एक जगह हो, जहां वह खुद को ठीक करने के लिए जा सकते हैं। अपना कमरा साउंड प्रूफ होने से बच्चे को कूल डाउन होने का समय मिलेगा, जो उसके लिए बहुत जरूरी है। चूंकि आपके बच्चे को इन आवाजों की आदत नहीं है उसके पास ऐसी जगह होनी चाहिए जहां वे जाकर थोड़ा समय अकेले शांति में बिता सकें।
हालांकि बच्चों में मिसोफोनिया (Misophonia in child) से निपटना पेरेंट्स के लिए कठिन हो सकता है। लेकिन, यह बहुत जरूरी है कि माता-पिता याद रखें कि जब आपका बच्चा संघर्ष कर रहा है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे दूसरी एक्टिविटी (Activity) का आनंद नहीं ले सकता। मिसोफोनिया के लिए जरूरी उपाय करने पर आपका बच्चा इस समस्या का सामना करके सामान्य जिंदगी जी सकता है।
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